Moral Stories in Hindi : –
जैसा कि अभी तक आप सबने पढ़ा कि राजू की माँ की हालत बेटी को जन्म देते ही खराब हो गयी है…… राजू निम्मी और अपने बाबा के दिये हुए पैसे लेकर अपनी अम्मा को अस्पताल में भर्ती करवाता हैँ…. तब तक उसका बापू पप्पू भी पहुँच जाता हैँ अस्पताल …… बापू खून देता हैँ……राजू की अम्मा को खून चढ़ना शुरू होता हैँ… तभी डॉक्टर साहब बाहर आतें हैँ…… मासूम राजू उनसे अपनी अम्मा की खबर लेता हैँ……
डॉक्टर साहब कहते हैँ…. बेटा आप लोगों ने माँ को लाने में थोड़ी देर कर दी….
अब आगे….
तो क्या मेरी अम्मा ???
ऐसा नहीं हो सकता….
अम्मा मुझे छोड़कर कभी नहीं जायेगी….
नहीं…. अभी हम कुछ नहीं कह सकते… अभी तुम्हारी माँ बेहोश् हैँ….. उन्हे जब तक होश नहीं आ जाता हम कुछ नहीं कह सकते….
मैं अम्मा के पास जा सकता हूँ… देखना मुझे देखते ही ठीक हो जायेगी वो….
राजू हाथ जोड़ते हुए डॉक्टर से बोला…
एक बार में एक लोग जायें….. और ज्यादा बात ना करें ….
राजू बापू की तरफ देख इजाजत मांगता हैँ…
बापू का इशारा मिलते ही बाहर चप्पल उतार वो अंदर अपनी अम्मा के पास आकर बैठ जाता हैँ…
अपनी अम्मा के चेहरे को देख सिस्कियां भरता हैँ….
उसके आंसू लुढ़क कर अम्मा के हाथों पर पड़ते हैँ….
बहुत देर तक राजू अपनी अम्मा के हाथों को पकड़ा बैठा रहता हैँ…. अम्मा तुम आँख खोलो ना…… देख तेरा राजू खड़ा हैँ…..
सुबह से कुछ नहीं खाया हैँ तेरे लाल ने…… तू तो कभी भूखा नहीं रहने देती अपने राजू को…. उठ ना अम्मा…… खाना खिलाना अपने राजू को…. पता है मेरी छोटी सी बहन तेरा इंतजार कर रही हैँ घर पर ….बहुत रो रही हैँ वो….
बाबा,,बापू सब तेरे आने की राह देख रहे अम्मा…… उठ ज़ा ना अब….. अम्मा……..
अचानक से अम्मा के हाथों में हलचल हुई…. नर्स दौड़कर डॉक्टर को बुलाकर लायी….
डॉक्टर साहब ने चेक किया …… इन्हे होश आ रहा हैँ… बेटा शायद तेरी अम्मा की ज़रूरत भगवान से ज्यादा तुझे हैँ… वरना इतना खून बहने पर बचना बहुत मुश्किल हो जाता हैँ…
तभी राजू की अम्मा ने आँखें खोली…. राजू को देखते ही अम्मा की आँखों से भी आंसू बह निकले… चिल्लाता हुस राजू अपने बापू को बुलाके लाया ….
बापू अम्मा ने आँखें खोल ली…. मेरी अम्मा ठीक हो गयी…
पप्पू ख़ुशी से पागल हुआ जा रहा था… तुरंत ल्ड्डू लाया… अस्पताल के मुरली मनोहर को उसने चढ़ाय़ा… जिस मनोहर से पप्पू घंटो से लड़ रहा था… अब उसका झगड़ा खत्म हो गया था…
राजू और बापू फिर अंदर आयेँ ….
अम्मा तू ठीक हैँ ना ??
अम्मा ने आँखों के इशारे से हां में सिर हिलाया….
राजू की माँ ठीक हो गयी थी…
दो दिन बाद उन्हे घर जाने दिया गया…
घर आकर राजू की माँ ने अपनी छोटी सी 3 दिन की सोन
चिरईया को जी भरकर चूमा ….
राजू समझ रहा था कि उसका प्यार अब बंटने वाला हैँ….
लला अब तो पढ़ने चला जा…. कितने दिन से मेरी वजह से ना गया… तेरी पढ़ाई छूट जायेगी….. राजू की माँ बोली….
अम्मा अब तो अबेर हो गयी… मास्साब डांटेंगे …. कल से ही जाऊंगा अब…..
ठीक हैँ… कल से रोज जाना….
तब तक राजू का दोस्त राकेश हांफता हुआ आया….
क्या हुआ राकेश?? क्यूँ घबरा रहा हैँ…
राजू हाथ में लिया टोस्ट चाय में डुबोते हुए बोला….
अरे राजू… निम्मी को उसकी अम्मा लोहे के डंडे से मार मारकर अधमरा करें दे रही हैँ….
राजू निम्मी का नाम सुन चाय के ग्लास को जमीन पर पटक राकेश के साथ निम्मी के घर की ओर भागा…
ये मेरा राजू निम्मी का नाम सुन बांवरा सा क्यूँ हो जाता हैँ… पता ना कौन से जन्म का रिश्ता हैँ इसका उस निम्मी से….
राजू की अम्मा…. बचपन का हंसना , खेलना तो ठीक था …. पर बालक अब सयाने हो रहे….. राजू को समझाना… कि निम्मी से बातचीत अब कम कर दे…. राजू का बापू पप्पू बोला….
जी कोशिश करूंगी…. समझा दूँगी लला को…
खाट पर बैठे बाबा मन ही मन मुस्कुराये कि निम्मी और राजू का रिश्ता तो सात जन्मों का हैँ… तोड़े से ना टूटेगा ….
इधर राजू निम्मी को पीटता देख निम्मी की माँ के हाथों से डंडा छीन लेता हैँ…
काहे मार रही निम्मी को??
बताओ चाची….
राजू की आँखें निम्मी के लाल पड़े हाथों और चेहरो को देख डबडबा रही थी…..
तू कौन होता हैँ रोकने वाला मुझे…. मेरी औलाद मारूँ य़ा नाले में बहा आऊँ …..
लाजू भईया…. निम्मी जीजी ने ना बापू के बऊत झाले पैसे चुला लिए…. और अब दे भी नहीं ली…..
निम्मी का छोटा भाई बोला……
राजू ने निम्मी की तरफ देखा…. जो उसे चुप रहने का इशारा कर रही थी….
पैसे तो निम्मी ने राजू को उसकी अम्मा के ईलाज के लिए ही दिये थे ……
चाची…. निम्मी को अब आप बिल्कुल ना मारेंगी… मारना हैँ तो मुझे मारो ….. निम्मी ने पैसे मेरी अम्मा के ईलाज के लिए दिये थे…
हाय दईया … तो तूने चोरी करवाई मेरी निम्मी पर … रुक जा आज तेरे बापू और अम्मा से ही तेरी करतूत बताती हूँ….
ना अम्मा…… राजू को पैसे मैने ही चुराकर दिये थे… उसने ना मांगे… उसकी अम्मा से कुछ ना कहना…. वैसे ही ताई की तबियत सही ना हैँ….
राजू और निम्मी मासूस निगाहों से एक दूसरे को देख रहे थे….
चाची… बापू की सौगंध …. आपके सारे पैसे मैं वापस कर दूँगा….. राजू वादा करते हुए निम्मी की माँ से बोला….
अगर कल न दिये तो सोच लेना पूरे गांव में तेरी नाक कटा दूँगी…..
पर अब तुम निम्मी को कुछ ना कहोगी चाची….. मुझसे वादा करो….
तू बांवरा हो गया हैँ छोरा… इसकी लाली हैँ निम्मी …. तू बड़ा आया निम्मी का ख्याल रखने वाला….
बगल के खड़े ताऊ के बेटे बोले…
निम्मी राजू की तरफ गुस्से की नजर से देखती हैँ…
राजू का दोस्त राकेश राजू का हाथ पकड़ उसे घर की ओर ले जाता हैँ…
अगले दिन निम्मी स्कूल गयी हुई हैँ…
तभी फिर राकेश आता है ….
अब क्या हुआ राकेश….. ?? राजू पूछता हैँ…
राजू अभी खेतों की तरफ से आ रहा था…
रास्ते में निम्मी को आशीष और उसकी टोली ने घेर लिया हैँ… देखकर लग ना रहा था कि कुछ सही हैँ…
निम्मी बहुत डरी हुई थी रे राजू…
राजू जल्दी से हाथ में डंडा और कुछ हथियार ले गुस्से में उठा…
आज न छोड़ूँगा उस आशीष को….
आगे की कहानी कल…..एक बात बताती चलूँ निम्मी भले ही राजू की माँ को ताई बोलती हैँ और राजू निम्मी की अम्मा की चाची….पर ये सगे नहीं हैँ…..गांव देहात में लोग पड़ोसी को ही इन्ही नामों से बुलाते हैँ….दोनों बस अलग अलग धर्मों के गांव के रहने वाले अलग अलग परिवार के हैँ….
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