एक प्यार ऐसा भी …(भाग -39) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि निम्मी ने भावना मैडम के भाई सचिन से शादी करने के लिये हामी भर दी है ….. वही खड़ा राजू निम्मी के मुंह से यह सुन जैसे टूट सा गया है …. राजू अपने दोस्त राकेश से निम्मी को खेत की मेड़ पर लाने को बोलता है ….. जहां निम्मी और राजू कई बार अपने बचपन का  समय गुजारते थे…… राजू वहां पहुँच चुका है …..

राजू तू नशे में है …..

अब आगे…..

राकेश बोला…..

नहीं राकेश आज तक कभी राजू ने नशे को हाथ लगाया है जो अब लगायेगा… मैँ उन लड़कों में से नही जो बेवफाई मिलने पर गलत रास्ता पकड़ ले…. वो तो बस दिल टूटा है तो मेरा हाल ऐसा है  …….ये बता निम्मी आ तो रही है ना…. आज ही का समय है मेरे पास ……

राजू बोला…..

बोल तो दिया है रे राजू निम्मी को मैने …. तेरी सौगंध भी दी है कि बस राजू आखिरी बार तुझसे बात  करना चाहता है अकेले में…. थोड़ी देर इंतजार कर …. आ जाये तो ठीक है ,, नही तो घर चलते है …. रात भी बहुत हो गयी है रे राजू….

दोनों दोस्तों  को निम्मी का इंतजार करते हुए काफी समय होने को आया पर निम्मी के आने की आहट दूर दूर तक सुनायी नही दे रही थी …..

चल राजू अब बहुत देर हो गयी नही तो कुत्ते घेर लेंगे यार ……

राजू दुखी मन से राकेश के साथ जाने लगा… तभी उसे दूर से निम्मी का चमकता दुपट्टा दिखा…..

रुक राकेश…. मैने कहां था ना निम्मी आयेगी…. मेरी कसम तोड़ ही नही सकती वो….. वो देख आ रही है …..

राजू की आँखो में चमक आ गयी थी……

राजू झट से निम्मी की ओर कदम बढ़ाने लगा……

राकेश वही दूर खड़ा हो गया…..

निम्मी पास आ चुकी थी….. अंधेरा बहुत घना था…. राजू ने अपने फोन की लाईट जला निम्मी के चेहरे की ओर देखा….

वो बस राजू को ही देख रही थी…..

बोल… इतनी रात को क्यूँ बुलाया है रे राजू तूने मुझे……??

निम्मी ठंड में खुद को सिकोड़ती हुई बोली…..

तू नही जानती मैने क्यूँ बुलाया है तुझे ??

तू मुझसे बहुत प्यार करती है …… तभी तो मेरी कसम नही तोड़ी ….

है ना निम्मी ??

बोल….

राजू निम्मी के मन की तह को टटोलना चाह रहा था…..

नही रे राजू…

वो तो राकेश ने बोला कि तुझे कुछ  ज़रूरी बात करनी है ….. दोस्त तो हूँ ही तेरी…. तेरे बहुत एहसान है मुझ पर….. आती कैसे नही…..

सिर्फ दोस्त निम्मी ….. और एहसान कहां से आ गया ….. राजू तो निम्मी के लिये अपनी जान तक दे दें….. तूने उस सचिन से ब्याह के लिये हां क्यूँ  किया ….

तूने मुझसे कहां था ना तू मुझसे प्यार करती है ….. फिर कैसे निम्मी तूने हां की  ??

बोल…..

राजू निम्मी का हाथ अपने हाथों में लेते हुए बोला…..

नही रे राजू….. वो तो बस ऐसे ही बोल दिया होगा…. और क्या बुराई  है सचिन जी में…. इतने पैसे वाले है …. मुझे उन्होने पसंद किया ये तो मेरे सौभाग्य की बात है ……. तू तो वैसे भी अफसर बनने  के बाद ही ब्याह करेगा…… मुझे तो वो पसंद आये….

अब तू जा… बहुत रात हो गयी…. तूने भी क्या ये बात करने के लिये बुलाया मुझे……

निम्मी अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली….

और पलटकर जाने लगी….

निम्मी सुन….मैँ तेरे जीवन से हमेशा के लिये दूर चला जाऊंगा……बस एक बार तुझे गले लगा लूँ,,तेरी इजाजत हो तो…..बस थोड़ा सा  …… राजू का जीवन तो जैसे निम्मी के लिये बना है …… मैने तो बस य़हीं सोचा था री निम्मी …..

राजू की आँखें नम थी…..

हां तू दोस्त है मेरा पक्का वाला…….. गले लगा ले…..

निम्मी बोली…..

राजू ने कसके निम्मी को गले से लगाया….. उसकी आँखों से आंसू अनवरत बह रहे थे….. पर जब निम्मी ने अपनी पकड़ मजबूत नही की तो राजू निम्मी से अलग हो गया….

सच में तू मुझसे प्यार नही करती निम्मी …. मुझे विश्वास हो गया…. तू जा…… खुश रह सचिन के साथ …. हमेशा तुझे खुश देखना चाहता हूँ……

तू मेरे ब्याह में तो आयेगा ना रे राजू??

और तू रो रहा है क्या ??

इसी गर्मी में होगा मेरा ब्याह  …. बोल…. आयेगा ना ……

निम्मी राजू के लाल पड़े चेहरे को देखती हुई बोली…..

नही रे निम्मी …… मेंस का पेपर है …. अब नही आऊंगा ….. आकर करूँगा भी क्या …. ज़िसके लिये खुशी खुशी दौड़ा चला आता था शहर से…. वो तो अब मेरी रही ही नही….. अगर टाईम होगा भी तो भी नही आयेगा राजू…. नहीं देख पाऊंगा तुझे किसी और का होते हुए…..

राजू बोला…..

तू भी पागल है रे राजू…… मैं तेरी दोस्त हमेशा रहूँगी ….. तुझे भी कोई अच्छी लड़की  मिलेगी….. शायद अफसर ही मिल ज़ाये …..

निम्मी बोली……

इस जीवन में तो कोई और नही…. अच्छा तू जा अब …. अब तुझे राजू कभी नही बुलायेगा ऐसे…. राजू की तरफ से तू आजाद है ….

ठीक है रे राजू…. जाती हूँ……. तू अच्छे से जाना …. तेरे पैर की चोट तो ठीक है अब….. ? ?

हां … तुझे क्या मतलब….. जा…

निम्मी जाने लगी….

तभी आह की आवाज आयी ….

निम्मी भागती हुई राजू की ओर आयी…..

क्या हुआ राजू… तू ऐसे पैर क्यूँ पकड़ा है …. मुझे दिखा….

निम्मी घबराती हुई राजू की चोट देखने लगी…

तेरी चोट तो ठीक ही ना हुई…. कितना गहरा घाव है …. तूने पट्टी नही करायी  …

बोला था ना मैने….. तू भी बहुत लापरवाह है रे राजू…..

निम्मी चोट पर पास में रखी पानी की बोतल से पानी ले उसका घाव साफ करने लगी…उसने अपने दुपट्टे के कोने से थोड़ा सा कपड़ा फाड़ घाव पर बांध दिया……

राजू बस निम्मी को देखे जा रहा था…..

ब्याह के बाद भी निम्मी तू मेरी पट्टी करने आयेगी ??

बोल…..

नही रे राजू….. फिर तो मैँ  सचिन जी के गाँव रहूँगी ना ……

अच्छा जाती हूँ…. दिखा देना तू कल चोट को….तभी जाना शहर ……

निम्मी घर की ओर बढ़ गयी…..

राजू अभी भी बस निम्मी को ही जाता देख रहा था……

निम्मी की आँखों से आंसू बह निकले थे…….

वो उन्हे पोंछती जा रही थी…..

राकेश ने राजू को बैठा बाईक स्टार्ट की…..

वो घर  आ गये …..

अगले दिन राजू शहर आ गया है ….. डटकर पढ़ाई कर रहा है …. भावना मैडम के बुलाने पर उनके ऑफिस आया है …..

हां मैम कहिये …. बुलाया था….

हां राजू…. तुम्हे एक बात बतानी है ……

इधर गांव में राकेश निम्मी को बताता है कि ……..

आगे की कहानी कल…….. अब हर दिन एक भाग आयेगा……

तब तक के लिये हर हर महादेव

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मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

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