जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि राजू अपने गांव आ चुका है ….. निम्मी के प्रति उसका प्रेम अब छुपाये नहीं छुपता……राकेश द्वारा निम्मी के रिश्ते के लिए उसके घर आये मेहमानों की खबर मिलते ही राजू घबराया हुआ राकेश के साथ निम्मी के घर आ चुका है ……
निम्मी के घर के बाहर खड़ी गाड़ी को देख राजू बोला….
ओ रे राकेश…..
ये गाड़ी तो…..
अब आगे….
क्या रे राजू…. इस गाड़ी को पहचानता है क्या तू ….. ? ?
राकेश पूछता है ….
ये तो भावना मैम की गाड़ी है यार….
पर यहां क्या कर रही है ???
राजू गाड़ी को निहारते हुए बोला….
ये तो अब अंदर जाके ही पता चलेगा…..
चल जल्दी….
राकेश राजू का हाथ पकड़ उसे अंदर ले गया…..
राजू अंदर का नजारा देख भौचक्का रह गया…..
सामने भावना मैडम, उनके पापा, ड्राईवर , और भावना मैडम का चचेरा भाई बैठा था…..
उनके सामने ही सिकुड़ी सी निम्मी , उसका बापू और अम्मा बैठी हुई थी……
राजू को देख भावना मैडम के पापा उत्सुक होते हुए बोले…..
आ जा राजू…. बैठ…… देख हम तेरे गांव भी आ गए तेरा हाल पूछने……
तो सर ये मेरा घर नहीं है …. मेरे घर चलिये फिर ……
यह सुन राजू की सांस में सांस आयी….
मुझसे मिलने आये है रे राकेश मैम और सर….. तू भी पता नहीं क्या समझ गया…..
राजू खुश होता हुआ उनके पास आकर बैठ गया….
लला….. तू सच में निम्मी का पक्का दोस्त है रे …. इतना अच्छा रिश्ता तो तेरे चाचा चाची को चिराग लेकर ढूंढने से भी ना मिलता….. भाग खुल गए मेरी निम्मी के तो….
निम्मी की माँ भावुक होते हुए बोली….
मैं समझा नहीं चाची ???
राजू बोला….
मैं समझाती हूँ राजू… एक्चुली तुम्हारे मुंह से निम्मी की चार सालों से इतनी तारीफें सुनते सुनते मैने सोचा क्यूँ ना अपने भाई सचिन की शादी निम्मी से करा दी जायें …. और लक देखो कास्ट भी सेम है हमारी और तुम लोगों की ….. तो रिश्ता होने में भी कोई प्रोब्ल्म नहीं…. हमें और सचिन को भी निम्मी बहुत पसंद आयी…..
क्यूँ भाई?? पसंद है ना निम्मी ??
भावना मैडम सचिन की ओर इशारा करते हुए बोली….
यस दी… शी इज स्वीट एंड सिंपल…..
सचिन बोला….
और तो और राजू बेटा…. निम्मी के घरवालों से बातों ही बातों में दूर की रिश्तेदारी भी निकल आयी है …. तो जान पहचान भी बढ़ गयी……
सर जी बोले……
राजू के चेहरे का रंग तो यह सब सुन जैसे सफेद पड़ गया…..
उसने एक नजर निम्मी की ओर देखा कि उसके मन में क्या है ?? क्या निम्मी भी इस रिश्ते से खुश है ….. जब राजू पर ना रहा गया तो वो पूछ ही बैठा….
वो सब तो ठीक है चाची…. पर एक बार निम्मी से तो पूछ लेती कि वो क्या चाहती है ???
लला तू भी शहर जाके कैसी बातें करने लगा है …..आज तक भला छोरियां का माँ बापू की बात को कभी काटे है …. जहां हम ब्याह करेंगे वही माननी पड़ेगी…. इतने पैसे वाले लोग है …. राजकुमारी की तरह रखेंगे मेरी निम्मी को….. कमी भी का है जो निम्मी मना करें ….. सारे व्रत पूजा का फल मिल रहा निम्मी को आज…..
चाची बोली….
पर एक बार चाची….
राजू कुछ बोलने वाला था तभी भावना मैडम बोली….
ठीक है राजू….मैं पूछती हूँ…. तुम्हे भी तसल्ली हो जायेगी…. और दोनों तरफ से रजामंदी होनी भी चाहिए…. तुम सही बोल रहे हो…..
निम्मी अपने दिल से ,,,,बिना किसी दबाव के बताना,,क्या तुम्हे मेरा भाई पसंद है ??
तुम खुश तो हो इस रिश्ते से ?? अगर ना भी करोगी तो कोई बुरा नहीं मानेगा…. आखिर तुम्हारी पूरी लाइफ की बात है …..
राजू की सांसे तो जैसे रूक ही गयी हो…. वो बस निम्मी के होंठों की ओर देख रहा था कि वो क्या बोलेगी….. राजू को पूरा विश्वास था कि निम्मी इस रिश्ते से इंकार कर देगी…. निम्मी ने भी तो राजू से प्यार का इजहार किया था…. वो हां कर ही नहीं सकती……
राकेश ने राजू का हाथ कसके पकड़ा हुआ था…..
निम्मी ने अपनी झुकी हुई पलकें उठायी…. उसने राजू की आँखों की तरफ एक निगाह डाली…. ज़िसमें निम्मी को खोने का डर साफ झलक रहा था….
वो बोली….
मैडम जी…. मुझे ये रिश्ता मंजूर है …. ना करने की कोई वजह ही नहीं है मेरे पास…. और भी बहनें है मेरे आगे….अम्मा बापू कब तक मेरे लिए रिश्ता खोजते फिरते रहेंगे…… उमर हो रही उनकी…..और अच्छे लोग है आप…. पसंद है मुझे सचिन जी…. माँ बापू की ज़िम्मेदारी है मेरा ब्याह ……
निम्मी नीचे आँखें किये हुए बोली…..
राजू की आँखें तो यह सुन सुर्ख लाल थी….. वो बस निम्मी को एकटक देखे जा रहा था….
तो लो राजू हो गया फैसला…. तो मुंह मीठा करो…… जब लड़का लड़की राजी तो क्या करेगा काजी…..
भावना मैडम राजू के आगे मेज पर रखी मिठाई बढ़ाते हुए हंसती हुई बोली…..
राजू की लाल आँखें देख एक पल को तो भावना मैडम डर गयी….
क्या हुआ राजू…. आँखें कैसे लाल है तुम्हारी ??
कुछ नहीं मैम… धूप से हो गयी है ……. जल रही है …….
अच्छा मैं चलता हूँ….. अब मेरा यहां कोई काम नहीं…… आप लोग मिठाई खाईये……
राजू यह बोल राकेश के साथ बाहर की ओर चल दिया…..
राजू सुनो तो……
जी मैम….
हम इतनी दूर से आये है …. हमें अपने घर नहीं ले चलोगे……??
भावना मैडम राजू को रोकते हुए बोली…..
मैम…. आप और सर जिस काम से आये है …. वो काम तो हो गया….मेरे यहां किसी और दिन आईयेगा….. अम्मा भी नानी के घर जा रही आज…..
राजू बोला…..
तो फिर तुम क्या करोगे यहां रुककर …. कोचिंग भी स्टार्ट होने वाली है …. हमारे साथ ही चलो गाड़ी से???
भावना मैडम बोली…….
अभी तो आये हुए तीन दिन ही हुए है मैम…. अभी तो जी भरकर रह भी नहीं पाया….काफी अधूरे काम बचे है …. किसी से कुछ सवालों का जवाब लेना है ……. जब तक ना मिल जायें तब तक आऊंगा नहीं…….
राजू बेबस नजरों से निम्मी की तरफ देख बोला……
भावना मैडम राजू की बात का मतलब समझ रही थी…..
राजू ज़रा सचिन और निम्मी की एक फोटो क्लिक कर देना…. घर जाकर सबको दिखाना है …. मेरा फ़ोन हैंग हो रहा है …. तुम अपने फ़ोन से क्लिक कर दो…. फिर मुझे सेंड कर देना…
भावना मैडम बोली…..
राजू ने अपना फ़ोन निकाला…..
सामने सचिन और निम्मी बैठे थे….
थोड़ा पास बैठो भाई…. अब तो निम्मी भाभी हुई मेरी …..
भावना मैडम बोली तो सचिन निम्मी के थोड़ा पास आ गया……
निम्मी की अम्मा दोनों को साथ देख बलायें ले रही थी….
राम सीता सी जोड़ी लागे है दोनों की…. नजर न लगे…..
सचिन निम्मी के बहुत पास बैठा था….
यह देख राजू ने अपना फ़ोन जेब में रख लिया …..
क्या हुआ राजू बेटा…. फोटो तो खिंची नहीं ??
सर जी बोले…..
कोई ज़रूरी काम याद आ गय़ा है सर ….
यह बोल राजू बाहर आ गया……
निम्मी सचिन को इतना पास देख उससे दूर बैठ गयी…..
बाहर आ राकेश राजू को घर ले आया….
क्या हो गया है रे राजू तुझे ??
राकेश बोला…..
नहीं देखा जा रहा यार ….मेरी निम्मी किसी और की….. कैसे होने दूँ ….. तू बस एक बार शाम को निम्मी को मेड़ पर ले आ…. तेरा एहसान जीवनभर नहीं भूलूँगा…… कल ही फिर शहर चला जाऊंगा….. तू लायेगा ना निम्मी को बोल……
राजू बोला…..
कोशिश करूँगा राजू पर वादा नहीं कर सकता….. निम्मी की आँखों में मुझे तेरे लिए पहले वाली फिकर नजर नहीं आयी रे ….. सच कहूँ तो…..
राकेश बोला…..
एक बार पूछ लूँ बस…. फिर निम्मी की ज़िन्दगी से हमेशा के लिए दूर हो जायेगा राजू……
राकेश शाम को निम्मी के घर आया है …..
राजू तू नशे में है ???
आगे की कहानी जल्द…तब तक के लिए जय बजरंग बली
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एक प्यार ऐसा भी …(भाग -39) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा