जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि राजू प्री का पेपर देकर अपने गांव की ओर रवाना हो चुका है….. एक्सीडेंट होने की वजह से उसके पांव में गहरी चोट लगी है … गांव पहुँच वो निम्मी के घर के सामने पहुँचता है ….. तभी निम्मी राजू का हाथ खींच उसे दूर ट्रैक्टर की ओर ले ज़ाती है …. वो उसे ट्रैक्टर पर बैठने को बोलती है ….. राजू निम्मी को अपने इतना नजदीक जान उसे अपनी ओर खींच लेता है …….
अब आगे…
राजू और निम्मी एक दूसरे को देर तक निहारते रहते है …. निम्मी शर्माकर अपनी पलकें नीचे की ओर कर लेती है …..
राजू निम्मी को कसके गले लगा लेता है …
क्या कर रहा है राजू…. छोड़ मुझे….. पागल हो गया है …….
राजू जैसे किसी और ही दुनिया में हो…..
निम्मी खुद को राजू की बाहों से अलग करने की नाकामयाब कोशिश करती है …… राजू अपनी पकड़ और मजबूत कर लेता है …….
राजू निम्मी के गालों पर हाथ फिराता है …. उसके आगे आ रहे बालों की लटों को पीछे करता है …….
राजू निम्मी के गालों पर अपने होंठों से चुम्बन देने की कोशिश करता है …..
तभी निम्मी गुस्से में राजू को धक्का दे देती है ….
राजू धाड़ से ट्रैक्टर से नीचे गिर जाता है …..
राजू अपने जख्म वाले पैर को पकड़ दर्द से कराह रहा था…….
निम्मी जोर जोर से सिस्कियां भर रही थी…. जब खुद को उसने संभाला….
तू शहर जाकर बहुत गंदा हो गया रे राजू…. आज से तू मेरा दोस्त नहीं…. निम्मी से दूर रहना….. मेरे घर के आगे रुकने की कोई ज़रूरत नहीं… तुझमें और उस आशीष में कोई फर्क नहीं….. तू मेरे साथ क्या कर रहा था….. जा यहां से…..
निम्मी की आँखें आंसुओं से भरी थी……
निम्मी मैं तुझसे प्यार करता हूँ…. शहर में तो सब लड़का लड़की ऐसा ही करते है जो गर्ल फ्रेंड , बॉय फ्रेंड होते है …….अगर तुझे बुरा लगा तो ठीक है री निम्मी शादी के बाद तुझे गले लगाऊंगा …… पर तू ये मत बोल ,,तुझसे दूर रहूँ….. तू मेरी दोस्त नहीं…. तूने ऐसा किया तो मर जायेगा राजू….
राजू भी रुआंसा था……
जा फिर मर जा जाकर …… मेरे सामने से चला जा….
निम्मी इतना बोल अपने घर की ओर बढ़ने लगी……
राजू अपनी चोट वाली टांग को हाथ से पकड़ लंगड़ाते हुए उठने की कोशिश करता है …..
निम्मी पीछे की ओर मुड़ती है ……
रुक राजू…. तू गिर जायेगा…… मैं आयी….
रहने दे…. तुझे मेरी फिकर ही कहां है …. तू ही तो कह रही मर जा… अब तो लग रहा मर ही जाऊंगा……
चुप कर …. निम्मी राजू की पैंट को ऊपर कर उसके पैरों के घाव को देख चीख पड़ती है …..
इससे तो बहुत खून आ रहा है रे राजू……. ट्रैक्टर से मैने तुझे इतनी जोर का धक्का दिया तभी तुझे इतनी चोट लग गयी…… सोरी राजू…….
निम्मी बोली….
नहीं रे निम्मी ….. चोट तो शहर में ही लग गयी थी तभी तो गांव आया….. ये सोचकर कि कुछ दिन आराम कर लूँगा……
तूने धक्का दिया तो घाव फिर से खुल गया …. खून आने लगा……
रुक तू राजू…. मैं अभी आयी…… जाना नहीं….
निम्मी बोली….
रहने दे निम्मी …… अम्मा पे पट्टी करा लूँगा… तू सो जाके….. रात बहुत हो गयी है …….
राजू बोला…..
तू चुपचाप खड़ा रहेगा य़ा नहीं….. जाना नहीं…. नहीं तो….
हां जानता हूँ… तू निम्मी है …. खा जायेगी मुझे……
निम्मी घर के अंदर गयी……
जल्दी से हाथ में पानी और कुछ सामान लेकर बाहर आयी …..
उसने राजू के पैर को अपनी गोद में रख उसके घाव को पानी से धुला…. फिर उसे अपने कुर्ते से ही पोंछ दिया …..
पानी के सूखने पर उसने हल्दी घी का रूई का फाया लगा दिया…. एक रुमाल से राजू के घाव पर बांध दिया …..
राजू बस निम्मी को प्यार भरी नजरों से निहारने में लगा था……
तुझे तो बहुत लग गयी है रे राजू…… कहीं और तो नहीं लगी……
निम्मी बोली….
राजू तो जैसे बुत सा बना बैठा था…..
सुन रहा है ना राजू……
निम्मी उसके गालों को थपथपाते हुए बोली……
क्या निम्मी ……. तू मेरा कितना ख्याल रखती है ….. पर प्यार का मतलब अभी भी नहीं समझती……… मैं आशीष जैसा नहीं हूँ…….
मुझे नहीं समझना…. अब तू घर जा…. ताई राह देख रही होंगी…….
रात में इससे आराम मिल जायेगा….. सुबह दिखा आना डॉक्टर ताऊ को…. ठीक है राजू……….
ठीक है मासूम निम्मी ….. मुझे माफ कर दे….. मैने अपनी प्यारी सी दोस्त को रुला दिया…..
अच्छा…. अब तू जा…… कल आऊंगी तेरे घर ……
सच्ची निम्मी ….. तू आयेगी ना ???
हां रे ….. जा तू ……
राजू अपने घर आ जाता है ……
राजू का पूरा घर राजू की चोट देख घबरा जाता है …..
लला….. इतनी कैसे लग रही रे ???
राजू की अम्मा उसके घाव देख रो पड़ती है …….
कुछ नहीं अम्मा…. जल्दी सही हो जायेगा….. परेशान मत हो…. खाना ला दे अब….
बहुत जोर की भूख लगी है ….. साग कौन सा बनाया है अम्मा ???
राजू पूछता है …..
तेरी पसंद का लला….. आलू, मटर, टमाटर , साथ में चटनी भी बांटी है …. रुक रोटी सेंक दूँ गर्म गर्म …..
तवा चढ़ाते हुए अम्मा बोली……
अम्मा… रहने दे…. मैं यही रोटी खा ले रहा…. ये कौन सी बासी है …
राजू बोला……
ना रे …. वैसे ही कितना खून बह गया मेरे लाल का…. कभी तुझे ठंडी रोटी खिलायी है ….. जो अब खिलायेगी तेरी महताई….
खाट पर बैठे बाबा बोले…
भोर में ही चलना लला…. तेरी पट्टी करा आऊंगा…. फिर काम पर निकल जाऊंगा……
बापू बोले….
ठीक है बापू…..
राजू की छोटी बहनें राजू की गोद में आकर बैठ गयी…..
राजू भईया…. हमाले लिए क्या लायें हो शहर से ???
बहुत कुछ लाया हूँ…. रुक दिखाता हूँ….
राजू बहनों के लिए लाया हुआ सामान दिखाने लगा….
अगले दिन राजू दातून कर रहा था…….
तभी राकेश आया…..
तू हमेशा घबराया हुआ ही क्यूँ आता है रे राकेश ??
अब क्या हुआ?? बोल….
राजू थूकते हुए बोला……
तू बारह बजे दांत मांज रहा…. वहां निम्मी का रिश्ता तय हो गया….. कोई शहर से बहुत बड़ी गाड़ी आयी है …. बहुत पैसे वाले लोग है ….. अब तू निम्मी से ब्याह ना कर पायेगा….
क्या बोला रे ….. निम्मी का ब्याह …..
राजू राकेश की बाइक के पीछे बैठ जाता है …..
अब फायदा ना है राजू…. तू क्या कर लेगा….. अभी तो तू अफसर भी ना बना…. किस मुंह से रोकेगा तू उन्हे ……
तू दोस्त नहीं…… सांप है रे ….. चुपचाप चल…..
निम्मी के घर दोनों पहुँच चुके है …..
राजू निम्मी के घर के बाहर खड़ी गाड़ी को देख कुछ सोचता है ….
ओ रे …. राकेश…
ये गाड़ी तो……
आगे की कहानी जल्द… श्री शिवाय नमस्तुभ्यं
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एक प्यार ऐसा भी …(भाग -38) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा