एक प्यार ऐसा भी …(भाग -36) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि राजू आईएएस प्री का पेपर देने आया हुआ है …. भावना मैडम बाहर ही राजू का इंतजार कर रही थी …. राजू का पेपर काफी अच्छा हुआ है …. राजू और उसके कई दोस्त भावना मैडम की गाड़ी में बैठ गए है …. राजू के फ़ोन पर निम्मी का फ़ोन आता है …. मैडम के मना करने के बावजूद राजू फ़ोन पर निम्मी से बात जारी रखता है …. ज़िसे देख भावना मैडम के तन बदन में आग लग चुकी थी…. वो गुस्से में कार की स्पीड बढ़ा देती है …. नतीजा यह हुआ कि गाड़ी सामने ट्रक से टकरा ज़ाती है …. बहुत खून बह गया है …. किसी राहगीर की आवाज आती है …..

अब आगे…..

ओह…. यह क्या हो गया राजू…. मैम आपने क्या कर दिया???

कार में बैठा लड़का विक्की बोला…..

ट्रक और कार से सभी लोगों को बाहर निकाला गया….

राजू के पैर से लगातार खून बह रहा था….

ओह राजू… तुम्हे तो बहुत चोट लग गयी….

भावना मैडम राजू का बहता खून देख अपना स्कार्फ राजू के पैर पर बांध देती है …..

मैम…. मुझे तो मामूली चोट है …. ट्रक वाले को ज्यादा लगी है ….

राजू अपना पैर घसीटता हुआ उन लोगों के पास आया जो सड़क पर लहूलुहान पड़े थे…..

दो लोगों को तो होश भी नहीं था…. लोगों ने एंबुलेंस से पहले पुलिस को बुला लिया …..

राजू ने एंबुलेंस को कॉल किया …..

मैडम… जब गाड़ी चलानी नहीं आती तो क्यूँ लेकर घूमती हो…..अगर इनमें  से किसी एक की भी जान गयी तो पूरे जीवन जेल में ही काटोगी…….

एक आदमी बोला…..

एंबुलेंस आ गयी…. सभी लोगों को अस्पताल पहुँचाया गया…..

राजू ने एक शिष्य का फर्ज अदा करते हुए भावना मैम के पापा को फ़ोन किया कि प्लीज मैम को बचा लीजियेगा… हो सके तो….. जान किसी की नहीं गयी है …. वो तो ट्रक वाला बस चला ही था उस टाइम तो स्पीड ज्यादा नहीं थी उसकी…..

राजू होस्पिटल के बेड पर लेटी भावना मैडम के पास आया….

मैम…. चोट तो आपके चेहरे और हाथों पर भी बहुत आयी है  ……सारा स्टाफ गंभीर रुप से घायल मरीजो की सेवा में लगा था….. राजू ,,उसके एक दो दोस्त  और मैडम की तरफ तो अभी तक किसी का ध्यान ही ना गया था…..

राजू जल्दी से रूई ले आया…. उसने डेटोल में भिगाकर रूई से मैडम के चेहरे और हाथों के घावों को साफ किया ……

सोरी राजू…. रीअली वेरी सोरी…. सब मेरी वजह से हुआ…..

मैडम भावना ने राजू के उनके गालों पर आतें हाथों को पकड़ लिया ….. वो रोने लगी……

राजू ने अपना हाथ मैडम के हाथ से अलग किया ……

लाओ राजू मैं भी तुम्हारे पैरों की ड्रेसिंग कर दूँ …..

भावना मैडम बोली….

नो मैम…. ऐसी चोटें तो राजू के लिए मामूली है …..

मैं खुद कर लूँगा…..

राजू ने अपने घाव साफ किये ….. अपने दोस्तों को भी देखा….

सोरी…. भाई…. तुम सबको मैने ही बोला था गाड़ी में बैठने को…..

नहीं तो तुम सबको चोट ना लगती….

राजू सबसे बोला….

अरे भाई राजू…. सोरी वोरी मत बोल…. वो तो मैं और संतोष सुबह ही महादेव जी को लोटा चढ़ा के आये इसलिये ही बच गए…. नहीं तो एक्सीडेंट तो इतना भयानक था…. आंते भी रोड पर आ ज़ाती….. ट्रक से भला ये चुहिया सी कार आजतक बची है भला…..

राजू का दोस्त विक्की ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करते हुए बोला……

तब तक भावना मैडम के पुलिस ऑफिसर पापा अपनी फोर्स के साथ एक दो डॉक्टर को लेकर आये…..

नमस्ते सर …… राजू और उसके सभी दोस्त सर जी से नमस्ते करते है ….

भावना मैडम पापा को देख मुंह नीचे कर लेती है ….

डॉक्टर रवि …. प्लीज सी माय डाटर भावना…..

कैसे हो गया बेटा….. तुम तो एक्सपर्ट राईडर हो…. हर तरह की कार सालों से चलाती आयी हो….. एक खरोच भी नहीं आयी कभी ……

सर भावना मैडम का नीचे लटका हुआ चेहरा ऊपर करते हुए बोले….

ओह पापा… वैरी सोरी….. अगर आज राजू को कुछ हो जाता तो मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाती…..

मैडम रोती हुई पापा के सीने से लग ज़ाती है …..

राजू के सभी दोस्त यह सुन एक दूसरे की तरफ घूर के देखते है …. फिर राजू की ओर देखते है ….

मैम…. ज़ितनी कीमती जान राजू की है उतनी ही हमारी भी है …..मेरे तो पापा भी नहीं है …. मुझे कुछ हो जाता तो मेरी चार कुंवारी बहनों का क्या होता…. और ये संतोष के पापा ने तो सारे खेत गिरवी रख दिये है इसकी पढ़ाई के लिये …. उन खेतों को तो यही छुड़ायेगा ना …. और आप कहती है राजू को कुछ हो जाता तो…. हम इतने सस्ते नहीं……

विक्की यह बोलते हुए भावुक हो गया….

वो बस बच्चों भावना राजू को अपने साथ लेकर आयी थी पेपर दिलवाने बस इसलिये…. उसे कुछ होता तो भावना पर ही दोष आता ना  ….. तुम सब कीमती हो…. माय सन …..

सर जी विक्की के कांधो पर हाथ रखते हुए बोले….

सर जी…. डॉक्टर से सभी घायल लोगों का जायजा लेते है ……

जान तो किसी की नहीं गयी है …. य़हीं भगवान का शुकर है ……

सभी लोग अपना अपना बयान दे दो….

राजू बोला…..

ट्रक सामने से आ रहा था…. हमारी कार की स्पीड थोड़ा ज्यादा थी…. ट्रक वाला भी सामने नहीं देख रहा था …. मैम ने कई होर्न दिये  बट ट्रक वाले ने ध्यान नहीं दिया ….. मैम ने बचाने की बहुत कोशिश की पर गाड़ी टकरा गयी….

राजू के मुंह से यह सुन भावना मैडम बस राजू को ही निहारती रही…..

बाकी लोगों ने भी बयान दिये ज़िसमें कसूर दोनों तरफ का नजर आया…..

सभी को घर जाने की इजाजत दे दी गयी…….

तो राजू…… घर चले…..

सर जी राजू से पूछते है …….

सर…. चोट लग गयी है …. वैसे भी प्री का पेपर हो ही गया था …. क्लास भी दस दिन बाद स्टार्ट होंगी तो सोच रहा हूँ घर चला जाऊँ…. खाना बनेगा नहीं मुझ पर ….. अम्मा बाबा को सुध भी आ रही है मेरी…… आराम भी कर लूँगा…. बस स्टैंड पास में ही है …. बस से ही चला जाऊंगा…… बाइक तो चलेगी नहीं……

राजू बोला…..

भावना मैडम का चेहरा राजू की इस बात से उतर जाता है ……

वैसे खाना तो तुम हमारे यहां भी खा सकते हो राजू …..कपड़े हमारा नौकर धो  देगा……बार बार आने जाने से पढ़ाई का बहुत नुकसान होता है राजू…….

सर जी अपनी बिटिया भावना मैडम का उतरा चेहरा देख राजू को रोकने का प्रयास कर रहे है ……

बाकी दोस्त राजू को देख उसे चिढ़ाते है ….

भाई …. ऐसी वीआईपी ट्रीटमेंट हमें मिले तो कभी ना जायें ….

संतोष धीरे से बोला…..

सर…. गांव में भी मैं पढ़ लेता हूँ …. महीनों से घर नहीं गया तो सबकी बहुत याद आ रही है सर…. अभी हो आऊँ फिर नहीं जाऊंगा…. पूरे मेंस तक यहीं रहूँगा……

निम्मी भाभी की भी भाई को बहुत याद आ रही होगी…. है ना भाई ??

विक्की बोला….

राजू विक्की को खा जाने वाली नजरों से देखता है ……

भावना मैडम निम्मी भाभी सुन विक्की से बोली….

ये निम्मी भाभी कब से हो गयी??

वो ना मैम….

विक्की कुछ बोलने वाला था तब ही उसकी बात को काटते हुए राजू बोला….

मैम… अपना ख्याल रखियेगा….

तुम सब भी निकलो…..

अच्छा सर…. मैं चलता हूँ…… 5 बजे वाली  रोडवेज की बस आने वाली होगी…….

राजू यह बोल सरजी को प्रणाम कर निकलता है ….

सुनो राजू….

जी मैम…..

अपना ख्याल रखना…. जल्दी आना…. तैयारी शुरू करनी है मेंस की…

भावना मैम राजू को रोकते हुए बोली…..

ठीक है मैम…. आ जाऊंगा….

राजू अपने दोस्तों के साथ निकल आया है …..

बेटा भावना…. यू आर गोइंग मैड …. तुमसे कितनी बार कहा कि राजू के सामने अपनी फीलिंग को छुपाकर रखो…. अब वो चार साल पहले वाला राजू नहीं है …. समझदार हो गया है …. तुम्हारे इस तरह के बर्ताव से वो तुमसे हमेशा के लिए दूर हो जायेगा….

मैडम के पापा भावना मैडम को रोता हुआ देख बोले….

पापा… फिर क्या करूँ मैं …. मुझे लगता है राजू सिर्फ मेरे लिए बना है …. मैं उसे खुद से एक पल भी दूर नहीं करना चाहती…..

आप राजू की गांव की उस गंवार निम्मी का कुछ कीजिये …. राजू का मैने चार साल से इंतजार किया है ….. उसे तो पाकर रहूँगी…..

भावना मैडम पापा का हाथ पकड़े हुए बोली….

तुम फिकर मत करो…. निम्मी का तो ऐसा रास्ता ढूंढ रखा है मैने ज़िससे वो राजू से हमेशा के लिए दूर हो जायेगी…. बस डोंट क्राई  मेरी बच्ची…. मैं तुझे ऐसे नहीं देख सकता….

सर जी भावना मदद के सर पर हाथ फेरते है …..

राजू बस से अपने गांव आ चुका है …. अंधेरा हो चला था…

आज निम्मी बाहर ही खड़ी राजू का इंतजार कर रही थी….

राजू को देख उसका हाथ पकड़ वो उसे थोड़ा दूर खेतों की ओर लेकर गयी….

राजू यहां ट्रैक्टर पर बैठ…..

राजू का हाथ पकड़ निम्मी उसे ट्रैक्टर पर बैठा लेती है ….

राजू निम्मी को खुद के इतना नजदीक पा निम्मी को अपनी ओर खींचता है ….

आगे की कहानी जल्द….. तब तक के लिये श्री शिवाय नमस्तुभ्यं

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