एक प्यार ऐसा भी …(भाग -30) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि राजू होली के त्योहार पर गांव आया हुआ है … उसको  पता चलता है कि निम्मी को डेंगू हुआ है ज़िसे निम्मी के घरवाले छुआछूत की लाईलाज बिमारी मान  रहे है और निम्मी से दूरी बनाके रख रहे है  सब…. राजू निम्मी को अस्पताल  में एडमिट करवाता है …. राजू की सेवा और डॉक्टर के ईलाज से  निम्मी की सेहत में सुधार हो चुका है ….. आज होली है …. राजू रंग लेकर निम्मी के पास आया है …. उसने निम्मी के गालों पर गुलाल लगाया है …. निम्मी भी राजू को गुलाल लगाने वाली थी कि तभी राजू के फ़ोन पर भावना मैडम का फ़ोन आता है ….

अब आगे….

राजू एक बार तो फ़ोन नहीं उठाता….

किसका फ़ोन है रे राजू??? तू उठा क्यूँ नहीं रहा…. कोई ज़रूरी फ़ोन ना हो…. अब तू शहर में पढ़ने लगा है ….. कोई भी फ़ोन कर सकता है …. तू फ़ोन उठा ले…..

निम्मी राजू से बोली….

वो ना निम्मी … मेरी कोचिंग की मैडम है ना भावना… बताया था उनके बारे में मैने तुझे…. उनका ही फ़ोन है ….. उठा ही लेता हूँ….वो ज़रूर होली की शुभकामना देने के लिए ही फ़ोन कर रही होंगी….

ये तो अच्छी बात है ना राजू… इतनी बड़ी कोचिंग की मैडम तुझे होली पर फ़ोन कर रही है … उठा ना तू फ़ोन…. मै भी तो आवाज सुनूँ तेरी मैडम की….

ठीक है री निम्मी … उठाता हूँ…..

दूसरी बार में राजू फ़ोन उठाता है ……

हेलो मैम…. नमस्ते……हैप्पी होली मैम….

राजू बोला….

कहां थे राजू…….इतनी देर से फ़ोन उठाया……हैप्पी होली राजू…. कैसे हो….?? तुम्हारे घर में सब लोग कैसे है ??

मैडम राजू की आवाज सुन मुस्कुरा दी…..

मैम… सब लोग ठीक है …. बस मेरी दोस्त निम्मी को डेंगू हो गया था… बेचारी बहुत बिमार हो गयी थी….. अब तो ठीक है …. आप और पुलिस वाले सर जी कैसे है ???

अच्छे है राजू….. अच्छा ये तुम्हारी दोस्त लड़की है या लड़का??

मैम… ये वहीं है ज़िसे आपने देखा था ना जब मैं बस में बैठा था आपके बगल वाली सीट पर …..

ओह… वो गंवार लड़की…. कोई नहीं यू एंजोय राजू…. पता है  ना कल कोचिंग आना है …. कल टेस्ट है ….. बाहर की टीम आयेगी…… इसलिये ही फ़ोन किया मैने….

राजू तू फ़ोन मुझे दे….

निम्मी गुस्से में राजू के हाथ से फ़ोन ले लेती है ….

हेलो मैम… नमस्ते ….मैं राजू की दोस्त निम्मी बोल रही हूँ…. आपने गंवार किसे कहा…..मुझे   ???

तो सुनिये मैडमजी …… मैं राजू की दोस्त हूँ….. वहीं राजू जो आपकी कोचिंग में पढ़ता है और अफसर बनने वाला है ….. तो अफसर की दोस्त गंवार तो नहीं हो सकती…. इंटर पास हूँ मैडम जी… सारी अंग्रेजी जानूँ हूँ….. अब गंवार मत बोलना मुझे….

ओह निम्मी …… तुम गांव के लोग बोलते बहुत हो…. राजू को फ़ोन दो…..

राजू हाथों को फोल्ड किये चेहरे पर मुस्कान लिए  निम्मी की ओर देख रहा था… जिसके चेहरे पर गुस्सा साफ झलक रहा था…..

ले राजू…. फ़ोन… निम्मी ने पटकते हुए फ़ोन राजू के हाथ में रख दिया …..

जो राजू के हाथ से गिर भी गया…..

उसने फ़ोन उठाया……

हेलो मैम…. प्लीज मेरी निम्मी को गंवार मत कहियेगा आगे से….

मै कल तो नहीं आ पाऊंगा…. निम्मी को डिश्चार्ज करवाना है होस्पिटल से…… परसों ही आ पाऊंगा… सोरी मैम….ये काम मेरे लिए ज्यादा ज़रूरी है कल….

राजू बोला….

निम्मी के  गुस्सैल चेहरे पर राजू की इस बात से मुस्कान आ गयी थी….

राजू ऐसा करो अब तुम गांव ही रहो…. कोचिंग आने की ज़रूरत नहीं अब से…मैं तुम्हारा नाम काट देती हूँ….निम्मी ही तुम्हे अफसर बना देगी… उसी से पढ़ लो…..

भावना मैडम गुस्से से आग बबूला हो रही थी….

मैम… मैं पुलिस वाले सर से बात कर लूँगा…. उन्होने ही तो एडमिशन करवाया है …… वैसे भी मैम बहुत सारे बच्चे घर ज़ाते है तो कितने दिन बाद आतें है …. आपने उनका नाम तो कभी नहीं काटा …. मेरा ही क्यूँ ??? बोलिये…..

राजू तुम समझते क्यूँ नहीं तुम उन सब लोगों से अलग हो…. अबकि बार आओगे तो तुम्हे सब बता दूँगी कि तुम मेरे लिए क्या मायने रखते हो राजू…..

भावना मैडम मन ही मन बोली….

और उन्होने बिना कुछ बोले फ़ोन रख दिया …..

मैम….. हैप्पी होली….

भावना मैम के स्टाफ के लड़के ने उनके गालों पर गुलाल लगाने के लिए हाथ  बढ़ाया …..

ठीक है ठीक है हैप्पी होली… बट प्लीज डोंट डू दिस….. इस साल मैं  रंग नहीं लगवा रही…..

राजू रंग तो तुम ही लगाओगे मेरे गालों पर …. मैं भी ज़िद की पक्की हूँ…..

भावना मैम बोली…..

इधर राजू ने फ़ोन रखा ….

तू तो बड़ी तेज है री निम्मी ….. मैम को इतना सुना दिया तूने….. वैसे अच्छा किया तूने…. मुझे भी नहीं अच्छा लगा तुझे उन्होने गंवार बोला तो ……

अच्छा ले निम्मी ….मैं तो भूल ही गया…. तेरी और मेरी अम्मा ने ये गुजिया, पापड़ , पूड़ी , साग भेजा है तेरे लिए खा ले….

अच्छा राजू…. बड़ा मन था कुछ अच्छा खाने का… इतने दिन से कुछ ना खाया…. मैं तो यहीं डर रही थी कि अब तो मर जाऊंगी …… होली के पकवान भी ना खा पाऊंगी……

निम्मी गुजिया खाने लगी….

मेरे होते हुए तू नहीं मर सकती …..समझी …. ला मुझे भी तो खिला…. तेरी वजह से मैने भी ना खाया कुछ भी …..

निम्मी ने राजू को गुजिया खिलायी…. दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश थे….

अगले दिन निम्मी को अस्पताल से छुट्टी मिल गयी… राजू उसे गाड़ी में बैठाकर गांव ले आया…..

उसे खाट पर कमरे में सुला दिया…. चाची निम्मी का ध्यान रखना कुछ दिन…. अभी से गांव भर में ना फुदकने देना इसे…..

ठीक है राजू….. तू फिकर ना कर ….मेरी लाडो को खिला पिलाके  मोटा कर  दूँगी….

और चाची ये निम्मी की दवाईय़ां … सब पर मैने लिख दिया है ,, कौन सी कब देनी है …..

ठीक है बिटवा …. तू बैठ…. खाना खा के जइयो…..

इतना बोल निम्मी की अम्मा राजू के लिए खाना लेने चली गयी…..

निम्मी ये मैं तेरे लिए लाया था शहर से … बहुत सुन्दर लगा ये सूट….. मुझे लगा निम्मी तो इसमे परी सी लगेगी…. होली पर पहन लेगी…. पर तू तो बिमार पड़ गयी…. कोई ना …. तू राकेश के ब्याह में पहन लेना इसे…..

राजू निम्मी के हाथ में सूट रखते हुए बोला…..

अरे राजू …. ये तो बड़ा महंगा होगा ना …. कहां से आयें इतने पैसे तेरे पे …… तू पैसा बचा के रख तेरे काम आयेगा पढ़ाई में…. वैसे बहुत सुन्दर है रे राजू ये…..

ज्यादा महंगा ना है निम्मी …. मैं दो चार बच्चे पढ़ा लेता हूँ कमरे पे … पैसे मिल ज़ाते है कुछ… उसी से ले आया तेरे लिए…. और तू भी तो मेरी अम्मा के लिए सारे पैसे ले आयीं थी चुरा के घर से … कितना मारा था चाची ने तुझे…..

हां रे राजू…हाथ भी लाल पड़ गए थे…..

निम्मी इस बात पर हंस पड़ी ….

अच्छा निम्मी अब मैं निकलता हूँ शहर को….. शाम तक पहुँच जाऊंगा…. अपना ख्याल रखना …… कोई बात हो तो फ़ोन कर लेना…. अगली बार तेरे लिए फ़ोन ले आऊंगा…..

रहने दे राजू …. मैं तो ताई के फ़ोन से ही बात कर लूँगी राजू….. इसी बहाने सबसे मिल आती हूँ……

राजू निम्मी के सर पर हाथ फेर अपने घर आया… जहां पहले से ही चमचमाती मोटर सायकिल राजू का इंतजार कर रही थी….

अम्मा ये मोटर सायकिल किसकी है …. मामा आयें है क्या ???

राजू बोला…..

नहीं रे … तेरे बाबा ने तेरे लिए खरीद दी है …. आज ही लायें है ….. बोल रहे कि राजू का बहुत बखत खराब हो जाता है आने जाने में शहर में पढ़ने जाने में, सकूल जाने में, घर आने में…. ऐसे तो उसे अफसर बनने में  बड़ा  लग जायेगा…. फसल को पैसों आयो लला…. लै आयें तेरे लिए…..

अम्मा बाशन मांजते हुए बोली….

क्या बाबा सच में??

राजू की ख़ुशी का ठिकाना ना था….

तो का झूठ बोलूँ हूँ तुझसे…. मेरे मरबे से पहले अफसर बन जइयो अब ….

बाबा बोले….

बाबा तभी तो तुमसे इतना प्यार करूँ हूँ मैं …

अच्छा अम्मा ला……. थैला दे… जाता हूँ…. अब तो जल्दी पहुँच जाऊंगा…..

लला… अबकि तो तेरा सारा बखत अस्पताल में निम्मी की सेवा में ही  गुजर गयो…. तुझे लाड़ तो कर ही ना पायी तेरी अम्मा……

ला अब तो चूम लूँ अपने लाल को…

राजू की अम्मा राजू पर लाड़ करती है …

उसकी छोटी बहन टीका लगाती है और दही खिलाती है …..

बाइक पर भी स्वास्तिक बनाती है ….

राजू हंसता हुआ शहर की ओर अपने उड़न खटोले से चला आया है …..

अगले दिन कोचिंग आता है …. उसे बाइक पर हीरो स्टाईल में देख भावना मैडम अपनी गाड़ी राजू के पास ही रोक देती है …..

आगे की कहानी जल्द…. तब तक के लिए जय बंशी वाले….

अगला भाग

एक प्यार ऐसा भी …(भाग -31 – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!