जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि राजू शहर अपने सर जी के घर पढ़ने के उद्धेश्य से आ चुका है …. दोनों गुरु, शिष्य चाय पी रहे थे… तभी राजू के बैग खोलने पर उसके बैग से भावना मैडम का कार्ड गिरा जो राजू को बस में मिली थी…. सर जी राजू से बोले… तुझे जानती है भावना मैडम…. राजू के सब बात बताने पर सर जी बोले…. तेरी तो किस्मत खुल गयी राजू…. तुझे पता भी है ये कौन है …..
अब आगे….
नहीं मास्साब……. मुझे नहीं पता …. मुझे पता भी कैसे होगा मास्साब….. आप भी ऐसी बात करते है जैसे मैं उन्हे सालों से जानता हूँ….
राजू सर जी से बोला….
अरे राजू…. ये मैडम…. उन्ही पुलिस वाले अंकल की बेटी है ….. जो तुझे शिवाजी पार्क में मिले थे…….
पता है राजू…..यहां कि जानी मानी दुर्गा कोचिंग क्लासेस की मालकिन है ये…..
इन मैडम ने छोटी सी ऊमर में ही पूरे शहर में अपने पढ़ाने के तरीके से नाम कर लिया है ….
कौन नहीं जानता इन्हे शहर में…. इनकी कोचिंग में लोगों को एडमिशन भी नहीं मिलता… सीट फुल रहती है … ये तेरा मास्साब भी इस कोचिंग में पढ़ने के सपने देखता था…. जब इनके पापा ने अपनी बेटी का नाम दिया था इसे….. पर फीस इतनी थी कि सपना सपना ही रह गया….. पर ये मैडम तो तुझसे कम से कम 8-10 साल बड़ी होगी…. पर तेरा नंबर मांग रही… ये बड़े आश्चर्य की बात है ….
सर जी मैडम भावना के बारे में राजू को बताते हुए बड़े उत्सुक दिख रहे थे…..
वो सब तो ठीक है सर… पर अगर मैडम जी इतनी अमीर है तो बस से क्यूँ सफर कर रही थी….??
बताईये ज़रा मास्साब… वो भी रोडवेज की सरकारी बस से….. धक्का खाते हुए…. इनपे तो गाड़ी की भी कोई कमी ना होगी…..
तुझे पता नहीं राजू …. बहुत ही सरल स्वभाव की है ये… इनके इंटरव्यू छपते रहते है अखबार में…. इन्हे आम लोगों की तरह रहना पसंद है ….
तब तक सर जी की पत्नी खाना लेके आ गयी…..
गर्मागर्म खाना देख राजू की आँखों में चमक आ गयी…..
सरजी वो सब बात छोड़िये ….. मुझे क्या मतलब उन भावना मैडम से…. हम भेड़ बकरी चराने वाले लोग….
चलिये खाना खाते है …..
राजू खाने की तरफ देख बोला….
देखिये मैडम जी ने क्या क्या बना दिया है …. दाल , भात , भिंडी का साग, छोले का साग, रोटी, सलाद, रायता और मीठा भी जैसे किसी ब्याह में मिलता है बिल्कुल वैसा ही…. अम्मा तो बेचारी साग रोटी में ही पूरा दिन लगी रहती है ….
राजू उत्सुक होते हुए बोला…
अरे राजू… तेरी अम्मा खुले में चूल्हे पे फूँकिनी मार के खाना बनाती है ….. ऊपर से गाय भैंसों की सानी, दूध काढ़ना , तेरी लाडो को देखना….. घर लीपना तो गांव में अलग तरह के काम होते है राजू…. और तेरी अम्मा की हाथ की चूल्हे की रोटी की बराबरी ये शहर की रोटी कभी नहीं कर सकती… तेरे सर जी तो अभी भी कहते है कि राजू के अम्मा की चूल्हे की रोटी और बैगन की सब्जी का तो कोई जवाब नहीं ……
खाना परोसते हुए सरजी की पत्नी राजू से बोली….
हां ये तो सही बोला मैडम जी… अम्मा को बहुत काम हो जाता है ….. बेचारी हार ज़ाती है ……
चल राजू अब पेट पूजा ….बाद में कोई और काम….
सर जी राजू की तरफ थाली बढ़ाते हुए बोले…
राजू ने पेट भर खाना खाया…
फिर उसे एक जोर की डकार आयी…
सर जी…. मेरा तो हो गया….
अब चलिये…
कहां चलूँ….??.
सर जी बोले…
कमरा दिखाने…. और कहां मास्साब ……
तू नहीं मानेगा…. कमरा देखे बिना… मुझे पता है तू राजू है ….अपनी ज़िद का पक्का……अच्छा चल फिर …. दिखाके लाता हूँ तेरा कमरा…..
राजू और सर जी कमरा देखते आते है ….. राजू को कमरा पसंद आ जाता है …
बहुत बढ़िया कमरा है सर जी…
अब चलिये मुझे एक फ़ोन दिला लाईये…. जिससे अम्मा को खबर दे दूँ ….
चल दिलाके लाता हूँ….
दोनों लोग फ़ोन की दुकान पे आते है …
राजू तू स्मार्ट फ़ोन ले… य़े क्या कीपैड ले रहा है आजके ज़माने में…. पढ़ाई में भी आराम रहेगा तुझे….. पैसे कम हो तो मैं दिये देता हूँ….
सर जी राजू से बोले…
नहीं सर जी… पढ़ाई तो किताब से होती है ना ….. मुझे तो यही फ़ोन चाहिए…. अम्मा और आपसे बात ही तो करनी है …
राजू बोला….
बड़ा भोला है रे तू राजू… ठीक है यही ले ले…. 1100 का है ….
फ़ोन लेकर और बाकी ज़रूरी सामान लेकर राजू और सरजी राजू के कमरे पर आये….
एक बात मान मेरी राजू…. अगर तुझे भावना मैडम की कोचिंग में एडमिशन मिल गया ना तो तू बहुत जल्दी अफसर बन जायेगा…..
तू एक बार फ़ोन करके बात करके देखना… शायद कम पैसों में तुझे एडमिशन दे दें … अपने भविष्य के लिए तो किसी के पैर भी पकड़ने पड़े तो पकड़ लेने चाहिए… बाकी कोलेज में तो तेरा फोर्म ज़मा कर दिया है …
मास्साब निम्मी का…
हां हां… राजू उसकी भी बात कर ली है … प्राईवेट फोर्म थोड़ा लेट आते है ….
सर जी बोले…
फिर ठीक है मास्साब…….
अच्छा राजू…. अब मै चलता हूँ…. ज़रा काम से जाना है ….
शाम को खाने पे आ जाना तू …. तब तक आराम कर …. किसी चीज की ज़रूरत हो बता देना….
सर जी राजू से बोले…
ठीक है सर जी… आपने इतनी मदद कर दी… बहुत है ….. आप अब अपने काम कर लो…
चुप कर …. दुबारा मत बोलना कि मदद कर दी…. . बहुत बड़ा हो गया है तू …..
सर जी राजू को डांटते है ….
राजू मुस्कुरा देता है ……
सर जी राजू के कमरे से बाहर आ गए…
राजू ने पानी पिया… और अपने बिस्तर पर लेट गया….
अम्मा तो इस समय दूध काढ़ रही होगी… बाद में फ़ोन करूँगा उन्हे …..
राजू मन ही मन बोला….
बाबा जल्दी मुझे अफसर बनता हुआ देखना चाहते है … मुझे तो कुछ नहीं पता कि अफसर बनने के लिए क्या करना होता है … क्या पढ़ना होता है ……
क्यूँ ना भावना मैडम से ही बात करके देखूँ …. सर जी भी बोल रहे थे…
राजू कार्ड से भावना मैडम का नंबर डायल करता है ….
दूसरी बार में फ़ोन उठता है …
हेलो… मैडम जी…
राजू बोला….
यस…हू इज स्पीकींग …..
उधर से आवाज आयी….
आगे की कहानी कल… तब तक के लिए कल खिचड़ी खाये….
जय गंगा मईया
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एक प्यार ऐसा भी …(भाग -23) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा