जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि राजू गांव से शहर आ चुका है …. वो बस से उतरने ही वाला था तभी उसके साथ वाली सीट पर बैठी लड़की बोली…
सुनिये जी… एक बात कहूँ ??
अब आगे….
राजू ने पलटकर देखा….
वो बोला…
हां जी कहिये….
जी… क्या आप मुझे अपना नंबर दे सकते है ??
आपका नेचर अच्छा लगा मुझे…
राजू बड़ा आश्चर्य में था कि टीवी में तो हमेशा फिल्मों में देखा है कि लड़का ही नंबर मांगता है लड़की का…. पर यहां तो उल्टा ही है कि लड़की मांग रही…..
राजू कुछ सोचकर बोला….
जी… मेरे पास फ़ोन नहीं है ….
क्या इस ज़माने में भी तुम्हारे पास फ़ोन नहीं है ….यू आर यंग बॉय…. अब तो मैं तुमसे और ज्यादा इम्प्रेस हो गयी हूँ….
मैडम… इंप्रेस होने की ज़रूरत नहीं…. बाबा आदम के ज़माने का,, गांव का भेड़ , बकरियां चराने वाला होगा ये लड़का….
हुलिया देखके नहीं लग रहा आपको…. इंप्रेस होना है तो हमसे होईये….
पीछे खड़ा अधेड़ उमर का आदमी बोला….
देखिये कोट सोट पहने कैसा स्मार्ट लग रहा हूँ…
वो आदमी उस लड़की के पास आकर बोला…
जस्ट शट अप …… माईण्ड योर बिजनेस …. एंड मेक डिस्टैंस अंकल….
ये सुन बस के सभी लोग हंस पड़े…
वो आदमी खिसीय़ानी बिल्ली की तरह झट से बस से उतर गया…
राजू भी उस लड़की की अंग्रेजी सुन हक्का बक्का रह गया…
हां तो अगर तुम्हारे पास फ़ोन नहीं है तो मिस्टर …. क्या नेम है आपका??
वो लड़की राजू को निहारती हुई बोली…
जी राजू…
राजू बोला..
तो तुम मेरा कार्ड ले लो… फ़ोन लेना तो मुझे कॉल करना… मैं यहीं रहती हूँ…… पढ़ा रही हूँ अभी … कुछ हेल्प चाहिए हो तो बताना मिस्टर राजू… वैसे कहां रहते हो तुम यहां….
राजू के हाथ में कार्ड थमा दिया उस लड़की ने…
जी पता नहीं….
सच में अजीब लड़के हो तुम …. नाइस टू मीट यू ….
बाय…
राजू ने भी बाय बोल हाथ हिला दिया….
राजू ने ये सोच कि लड़की को अंग्रेजी आती है शायद कभी पढ़ाई में ज़रूरत पड़ जायें ,, कार्ड अपने बैग में रख लिया …
वो बस से ऊतरा….
सर जी के दिये गए एड्रेस के लिए उसने अगली बस पकड़ी ….
फिर पता पूछते पूछते वो सर जी के घर की गली में आ गया….
नेम प्लेट पर सर का नाम प्रधानाध्यापक राजीव त्रिपाठी …
उसने बेल बजायी ….
सर जी की पत्नी ने दरवाजा खोला….
राजू ने झुककर उनके चरण स्पर्श किये…
आ गया राजू तू …. चल अंदर … तेरी ही राह देख रहे थे तेरे मास्साब…..
आज छुट्टी पर है कि गांव से पता चला है कि राजू आ रहा है …
राजू को मैडम अंदर ले गयी….
राजू सोफे पर बैठ गया…. सर जी अंदर कमरें से आये…
आ गया राजू…. कैसा है …. आज तो कोई आंटी ना मिली… नहीं तो उनका भी काम तमाम किया जायें …. तुझे पता है वो पुलिस के अफसर अभी भी कभी कभी मिल ज़ाते है तो तेरे बारे में पूछते है …
अच्छा मास्साब…. वो गुंडो को पकड़वाया ना मैने इसलिये….
वो तो है ही राजू… पर तेरा व्यवहार भी ऐसा है कि कोई भी तुझसे प्रभावित हो जाये…. मुझे ही ले ले… मेरे कई शिष्य रहे गांव में… सबको मन से पढ़ाया…. पर मेरा प्रिय शिष्य तू ही बना… तेरा व्यक्तित्व ही ऐसा है ….
मास्साब…… आप भी तो इतने अच्छे है …
और बता तेरे बाबा तो ठीक है अब…
हां मास्साब…. अब तो मुझे अफसर बना देखने के बाद ही टै बोलेंगे बाबा….
हाहा… अच्छा… राजू तो बनेगा ही अफसर… होशियार ही तू इतना है …..
अच्छा मास्साब….. तुमने कमरा देख दिया मेरे लिए…
चलिये दिखा लाइये….
राजू बोला…
मैं तो बोल रहा राजू तू यहीं अपने सर जी के घर रहके पढ़ाई कर …. तू कभी अकेला रहा ही नहीं है …. यहीं रह… कई कमरे है …. खाने पीने की भी चिंता नहीं….. बस तू मन लगाके पढ़….
सर जी ने राजू से कहा …..
थैंक यू मास्साब…… पर पता नहीं अब कितने दिन रहना पड़े शहर में …. आपके साथ रहने में संकोच लगेगा….. और कहते है ना दूर से प्यार बना रहता है …. मैं आपका प्यार खोना नहीं चाहता… आप बस कमरे और सामान की व्यवस्था करवा दीजिये ….. बाकी इतना बड़ा हो गया है अब राजू कि अकेले रह सके…
तू नहीं मानेगा…. ठीक है कमरा दिलवा दे रहा हूँ पास में ही…. खाने का सामान बाद में लेते रहने तू ….. अभी यहीं आया करना खाना खाने…. समझा… अब मना मत करना….
ठीक है मास्साब. …
तब तक सर जी की पत्नी चाय नाश्ता लेकर आ गयी…
अरे यार खाना भी तो लाओ…
बेचारा भूखा होगा….
सर जी बोले…
खाना तैयार है …. पहले नाश्ता तो कराओ उसे… पता नहीं है आपको चाय का कितना शौकीन है राजू…. जब गांव रहते थे तो घर आता था राजू तो सबसे पहले खुद ही पानी चढ़ा देता था चाय के लिए…. .
पत्नी मुस्कुरा कर बोली…
हां ये तो सही कहा तुमने …. फिर कप में क्यूँ लायी हो…. ग्लास में लाती….
अरे नहीं मास्साब. .. इतनी बहुत है ….
राजू बोला….
राजू ने हाथ मुंह धोने के बाद हाथ पोंछने के लिए अपने बैग से तौलिया निकालने के लिए बैग खोला….
उसके बैग से वहीं बस वाली मैडम का कार्ड जमीन पर गिर गया…..
राजू उसे अपने बैग में रखने वाला ही था कि सर जी बोले…..
तुझे कहां से मिला ये कार्ड राजू…. तू कैसे जानता है इन मैडम को…?? बता ….
सर जी बोले….
वो मास्साब. … ये मैडम मुझे बस में मिली थी…..
क्या …. तू जानता भी है ये मैडम कौन है ??
आगे की कहानी कल…. तब तक के लिए जय श्री राम 😊😊🙏🙏🙏🙏
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एक प्यार ऐसा भी …(भाग -22) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा