जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि राजू के बाबा ठीक हो चुके है …. ठीक तो होना ही था उन्हे अपने पोते राजू को अफसर बनते हुए जो देखना है …. राजू अपना थैला लिए,,आगे की पढ़ाई के लिए शहर की ओर रवाना हो रहा है …. उसका दोस्त राकेश उसे बाईपास पर,,बस में बैठाने आया है….. निम्मी को राजू की बहन,,राजू के शहर जाने की खबर देती है ….
निम्मी राजू से मिलने भागी आयी है ….
अब आगे….
राजू और राकेश बस के इंतजार में पान की गुमटी पर थैला रखे हुए बैठे हुए है…..
राजू का मन भी बेचैंन है कि वो निम्मी से बिना मिले जा रहा है …. अब पता नहीं कब आ पाऊँ ……
वो मन ही मन सोच रहा है …..
वो राकेश की तरफ घूर के कुछ बोलने वाला था….
कहा था तुझसे गाड़ी रोक दे…. पर …..
राकेश मुस्कुरा के बोला….
वो देख सामने…. आ रही है निम्मी …..
अब मिल ले जी भर के ….
राजू अपनी आँखें मलने लगा ….
ये तो सच में निम्मी है …
राजू की आँखों में निम्मी को देखके एक चमक आ गयी थी….
तो क्या मैं झूठ बोल रहा था…..
राकेश राजू को घूरते हुए बोला….
राजू ने भावनाओं पर काबू रखते हुए कहा…..
ए री निम्मी तू क्यूँ आयी यहां…. पता है रास्ते में खेत ही खेत है …. कोई घर ना है …. अब तू सयानी ना हुई, वैसे हर बात पर बोले है सायकिल पे ना बैठुंगी तेरे,, सयानी हो गयी हूँ राजू ……
राजू निम्मी की चिंता जताते हुए बोला…
क्या बोला तू राजू…. क्यूँ आयी मैं यहां……
रुक बताती हूँ…
ज़रा हाथ तो पकड़ना ….. ये पानी का गड्डा बहुत बड़ा है …. गिर जाऊंगी….
निम्मी ने राजू की तरफ अपना हाथ बढ़ाते हुए बोला….
राजू ने निम्मी को अपनी ओर खींच लिया ….
निम्मी और राजू एक दूसरे के काफी नजदीक थे… पहली बार राजू निम्मी की सांसों को इतना नजदीक से महसूस कर रहा था… राजू का दिल जोर जोर से धड़क रहा था….
तभी निम्मी ने राजू की कुछ अलग तरह की नजरों को पहचान उससे अपना हाथ छुड़ा लिया …..
हां तो तू क्या बोला… क्यूँ आयी…. बिना कुछ बताये..मिले…..शहर जा रहा है वो भी पता नहीं कितने बखत के लिए…. मुझसे मिले बिना…
तुझे सुध ना आयेगी मेरी वहां…..
इसलिये खुद ही मिलने आ गयी…. बेशर्म जो हूँ….
निम्मी राजू का कान पकड़ते हुए बोली…
कान उखाड़ के मानेगी क्या …. देख कैसा लाल पड़ गया है ….
छोड़ निम्मी …..
निम्मी ने कान छोड़ दिया…
अच्छा तो मैं कौन हूँ तेरा जो तू मुझसे मिलने आयी…. बता री निम्मी ….
भईया खसम तो नहीं है आप निम्मी के….
राकेश चुटकी लेते हुए बोला…
तुझे तो बाद में बताता हूँ….
देख राजू… बस आ रही है …..
जल्दी चढ़ जाना….
दूर से ही लग रहा कि पूरी खचाखच भरी है ….
राकेश बस को दूर से देखने का प्रयास कर रहा है …
अच्छा राजू… तू जा….मेरा वो प्राईवेट फोर्म भरवा देना बी. ए. का…. ठीक है ….
अपना ख्याल रखना राजू… फ़ोन खरीदते ही ताई को फ़ोन करना…..मैं रोज ज़ाती हूँ ताई से तेरा हाल लेने…
निम्मी की आँखों में पता नहीं क्यूँ राजू को अपने से दूर जाता देख आंसू आ गए थे…..
ठीक है निम्मी ….. ज़ाते ही मास्साब से बात करके तेरा फोर्म भरता हूँ….
तू भी अपना ख्याल रखना…. उस आशीष से दूर रहना…. समझी …. और अकेले मत डोलना गांव भर में …. अभी राकेश के साथ चली जा गाड़ी से… ये तो तेरा भाई लगे है …. इसके साथ जाने में तो कोई दिक्कत ना करेंगी चाची…..
राजू निम्मी को समझा रहा है … उसका मन भी बहुत भारी हो रहा था….
राजू… तू फिकर ना कर ….. निम्मी का मैं ख्याल रखूँगा ….
राकेश राजू के कंधे पर सहानुभूति भरा हाथ रखते हुए बोला….
बस रुक गयी …. राजू थैला ले उस पर चढ़ गया….
जल्दी आना राजू….
निम्मी अपना हाथ हिलाती जा रही थी….
राजू भी बस निम्मी को ही देख रहा था….
भईया आगे चलो… और भी लोग है …
एक आदमी की आवाज से राजू आगे बढ़ गया….
तभी एक लड़की ने बस की सीट से अपना बैग उठा लिया ….
आप बैठ ज़ाईये…. उसने राजू से कहा …
राजू बैठ गया…
वो लड़की की खिड़की से ,,उसकी सीट से उसके पैरों पर पैर रखते हुए बाहर देखने लगा…
निम्मी अभी भी हाथ हिला रही थी….
निम्मी अब तू जा… नहीं तो अंधेरा हो जायेगा…. किताब ले आऊंगा अगली बार … पढ़ना शुरू कर देना….
जल्दी आऊंगा….
राजू की आँखों में आंसू थे…. वो बोलता जा रहा था…..
निम्मी के आंसू भी उसके गालों तक आ गए थे…
बस बढ़ गयी…
अरे आप जो भी है …. अपना पैर हटाइये मेरे पैर से… एक तो बैठने को जगह दी आपको…. ऊपर से मेरे पैर को ही चोट लगा दी….
राजू चुपचाप आंसू पोंछ अपनी सीट पर बैठ गया….
वो लड़की राजू की आँखों में आंसू देख हंस पड़ी…
कौन थी तुम्हारी वो… बहन… जो इतना रो रहे हो….
वो लड़की राजू से बोली…
पता नहीं कौन थी… पर मेरी सब कुछ है ….
इतना बोल राजू ने अपना गमछा अपनी आँखों पर डाल लिया … और आँखें बंद कर ली…
वो पूरे रास्ते कुछ नहीं बोला…
वो लड़की पूरे रास्ते ही राजू को देखती रही…
शहर आ चुका था….
राजू अपना बैग लेकर उठा…..
सुनिये….
एक बात कहूँ ???
वो लड़की राजू से बोली…
आगे की कहानी कल… तब तक के लिए जय माता दी
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एक प्यार ऐसा भी …(भाग -21) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा