एक प्यार ऐसा भी …(भाग -10) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

आप सबने अभी तक पढ़ा कि 15-16  साल की बच्ची निम्मी की शादी बस कुछ दिनों में होना तय हुआ  है …. निम्मी की अम्मा बापू,,,बेटी के ब्याह का सामान,,,,ट्रैक्टर में लादकर ,,,शहर की ओर,,रानी मौसी के यहां भोर में ही निकल चुके है….. स्कूल के सर जी और निम्मी के सबसे अच्छे दोस्त,,राजू ने निश्चय किया है कि वो किसी भी कीमत पर निम्मी की शादी नहीं होने देंगे… सर जी ने पुलिस को भी इस बात की जानकारी दे दी है …. राजू और सर जी निकल चुके है बाइक पर ,,,ट्रैक्टर का पीछा करते हुए…..

पर यह क्या आगे तो…..

अब आगे….

पर यह क्या आगे तो ट्रैफिक पुलिस खड़ी थी….

सर जी पर बाइक के कागज नहीं थे ना ही लाईसेंस ,,, वो तो बस जोश में निकल आयें बिना कुछ लिए….

राजू मैं इधर से कट ले लेता हूँ….. बस तू ट्रैक्टर पहचान ले…… नहीं तो आज पकड़े ज़ायेंगे और ना तो निम्मी को बचा पायेंगे और पैसे अलग देने पड़ेंगे इन्हे……

सर जी राजू को पीछे की तरफ देखते हुए बोलते है ….

ठीक है मास्साब…… ट्रैक्टर तो मैं अच्छे से पहचाने हूँ….

राजू बोला…

सर जी ने गाड़ी दूसरे रास्ते पर ले ली… कई जगह पुलिस वालों को देखके बस हनुमान जी का नाम लेकर गाड़ी भगा लेते सर जी……

आखिर अब जाके चैंन आया…. बाजार से अब किसी कोलोनी में गाड़ी आ चुकी थी….

राजू मुझे तो ट्रैक्टर दिख नहीं रहा…. तुझे दीख रहा है क्या ??

पता नहीं कहां आँखों से ओझल हो गया….

सर जी चिंतित होते हुए बोले….

राजू अपनी चील सी नजर चारों तरफ दौड़ाता है ….

तभी उसकी नजर ट्रैक्टर पर पड़ती है …

वो देखो सर जी… ट्रैक्टर वहां पीपल के पेड़ के नीचे खड़ा है ….

लगता है वहीं है निम्मी की रानी मौसी का घर ….

हां देखो ऊपर निम्मी का वो नीले रंग का स्वेटर सूख रहा है …. यही स्वेटर पहनके आती थी निम्मी स्कूल….

राजू खुश होते हुए बोला….

वाह राजू… तू तो बड़ा समझदार है …. कितने अच्छे से याद है तुझे निम्मी का स्वेटर … मान  गया…

सर जी राजू की पीठ थपथपाते हुए उसे शाबाशी देते है ….

वो सब तो ठीक है सर जी… पर हम कैसे बचायेंगे निम्मी को….

राजू पूछता है ….

अभी मैं पुलिस को फ़ोन करता है …. उन्होने कहा था आप लोग पहुँचो हम लोग आ रहे है पीछे से….

सर जी पुलिस वालों को फ़ोन लगाते है ….

हां तो लोकेशन सेंड कीजिये… हम लोग पहुँच रहे है ….

पुलिस का आदमी बोलता है ….

जी अभी कर रहा….

सर जी लोकेशन सेंड करते है …

तभी निम्मी का मौसा बाहर आता है …..

उसे देख राजू और सर पेड़  के  पीछे छुप ज़ाते है ….

तभी कोई राजू के कंधे पर हाथ रखता है ….

राजू डर डरकर पीछे की तरफ मुड़ता है ….

जी आप कौन हो भईया….??

राजू पूछता है ……

तुम राजू ही हो ना …. पहले ये बताओ….

वो लड़का बोलता है …

हां पर आप मुझे कैसे जानते है… मैं तो यहाँ पहले कभी यहां आया ही नहीं ….

राजू सकपका जाता है ….

तुम्हारे बारे में निम्मी ने बताया था… मैं निम्मी की रानी मौसी के घर के बगल में ही रहता हूँ……… वो देखो जो नीला गेट दिख रहा है वहीं मेरा घर है……मेरा नाम रिंकु है …..निम्मी बहुत मुसीबत में है राजू….

उसने मुझे बताया था कि अगर राजू को मेरी शादी का पता चलेगा ना रिंकु भईया ,,,तो वो कुछ ना कुछ ज़रूर करेगा… मेरा राजू बहुत बहादुर है … हमेशा से मुझे हीरो की तरह बचाता आया है ……

राजू खुद पर गर्व महसूस करता है  …

अच्छा … भईया निम्मी ठीक से पढ़ तो रही है …. ??

राजू पूछता है ….

हां बताओ बेटा निम्मी ठीक से तो रह रही है यहां….

सर जी भी पूछते  है …

राजू ,,,,निम्मी के मौसा निम्मी की इज्जत लूटना चाहता है … बस वो मौके की तलाश में रहता है … निम्मी बहुत डरी सहमी ही रहती है…….खुद को बचाती फिरती है….कई बार मैने बचाया है उसे…. पर मैं भी कब तक बचा पाऊंगा……..

तो भईया… रानी मौसी को नहीं पता क्या ?? वैसे सर जी ये इज्जत लूटना क्या होता है …. ??

राजू मासूमियत से पूछता है …

तू बहुत भोला है राजू….. बड़ा होगा तो अपने आप समझ जायेगा तू…

सर जी बोलते है ….

राजू तू अपनी सहेली निम्मी को गांव ले जा…. वो यहां मर जायेगी…

रिंकु बोलता है …

हां भईया मैं और मास्साब इसलिये ही आयें है…… हमने पुलिस वालों को फ़ोन कर दिया है…….वो आतें होंगे…..

पर ये बताईये ये रानी मौसी के यहां हम लोग पुलिस को लेकर ज़ायेंगे कैसे…. सामने से ज़ायेंगे तो देखकर कहीं भाग ना जायें मौसा मौसी…….

राजू बोला….

वो ना राजू,,,रानी आंटी का छत का गेट नहीं है….. बेकार है ,, टूटा हुआ… हमेशा खुला रहता है …. वहीं से ले जाना पुलिस वालों को… मेरी छत से चले जाना…

रिंकु बोला…..

बेटा आप गवाही दे दोगे ना पुलिस के सामने कि निम्मी का मौसा गलत आदमी है…… इसके मौसा मौसी को तो जेल की हवा खिलानी ही  है…… बेचारी बच्ची को इतना परेशान कर दिया कमीनों ने…

सर जी बोले…

हां सर जी….. मैं तो कबसे चाह रहा कि निम्मी इन गंदे स्वार्थी लोगों के चंगुल से निकल जायें … मैं दे दूँगा गवाही…. मुझे तो बहुत ख़ुशी मिलेगी इन्हे हथकड़ी पहने हुए देखके….

रिंकु उत्साहित होता हुआ बोला…

शाबाश… ये हुई ना शेरों वाली बात …..

सर जी रिंकु की हौंसला अफजाही करते है ….

तभी धीरे से पुलिस की गाड़ी बिना आवाज किये आती है …

हां तो कहिये मास्टर जी कहां है गांव की बच्ची निम्मी … ज़िसकी शादी हो रही….

पुलिस के दरोगा बोलते है …

सर… वो रहा घर …. चलिये चुपचाप इस लड़के रिंकु की छत से चलते है ….

सर जी बोले….

हां ये सही रहेगा…..

सभी लोग राजू, सर जी, रिंकु, पुलिस के तीन आदमी,,,धीरे धीरे रिंकु के घर की तरफ बढ़ रहे है ……

सभी सीढ़ियों से ऊपर छत पर आतें है ….

रिंकु की माँ रिंकु को पुलिस के साथ देख घबरा ज़ाती है ….

माँ चुप रहो बस… हम सब ठीक है … निम्मी को बचाने के लिए आयें है पुलिस वाले….

लाख लाख शुकर है भगवान का… प्यारी सी,, मासूम सी बच्ची इन राक्षसों के हाथों से बच जायेगी….

रिंकु की माँ ऊपर वाले का शुक्र मनाती है ….

पुलिस वाले और सभी लोग छत के रास्ते रानी मौसी के घर में धीरे से कदम रखते है ….

तभी गोली चलने की आवाज आती है ….

हमने तो चलायी नहीं… फिर ये आवाज कहां से आयी…

पुलिस के आदमी बोले…..

ओह ये क्या हुआ?????

आगे की कहानी कल….

तब तक के लिए जय बजरंग बली

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मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

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