आज के तीन साल पहले मेरी पत्नी शोभा की मृत्यु कैंसर से हो गई थी। अपने पीछे अपनी एकलौती बेटी मिनी को छोड़ गई थी जो सिर्फ 9 साल की थी । मेरी माँ थी तो उतना दिक्कत नहीं थी लेकिन इस साल माँ भी स्वर्ग सिधार गई।
मेरे लिए अब मिनी को संभालना बहुत मुशकिल हो रहा था। मां थी जब तक तब तक ज्यादा परेशानी नहीं हुई। पर अब मिनी बहुत चिड़चिड़ी रहने लगी थी।
” राधिका तुम क्यों चली गई हमे छोड़ कर !” विरेन अपनी पत्नी की तस्वीर के सामने फूट फूट कर रो दिया।
” क्या हुआ विरेन जो मैं नहीं तुम तो हो ना मिनी के पापा भी और मम्मी भी मुझे भरोसा है तुम अपनी बेटी को समझोगे उसे पापा के साथ साथ मां का प्यार भी दोगे !” अचानक विरेन को लगा जैसे राधिका की तस्वीर उससे बोली हो।
” हां राधिका मुझे ही संभालना होगा उसे!” विरेन राधिका की तस्वीर से बोला और मिनी के कमरे की तरफ बढ़ चला।
” बेटा मिनी क्या कर रहे हो ?” विरेन बेधड़क उसके कमरे में घुसते हुए बोला।
” पापा कम से कम डोर तो नॉक करके आते !” हड़बड़ी में मिनी विरेन से बोली।
” ओह बेटा मैं आपका पापा हूं मुझे डोर नोक करने की क्या जरूरत?” उसने हंसते हुए कहा।
” जरूरत है पापा आपकी बेटी अब छोटी बच्ची नहीं रही बड़ी हो गई है !” मिनी चिल्लाई।
क्या सच में बेटी बड़ी हो गई है पर ये मुझसे छिपा क्या रही है विरेन ने अपने मन में सोचा। ओह मिनी बारह साल की हो चुकी है मतलब…..उफ्फ अब क्या करूं कैसे संभालेगी वो ये सब। ये चिड़चिड़ाहट हार्मोन्स बदलने के कारण है और मैं समझ ही नही पाया।
विरेन ने तुरंत अपनी बहन को फोन लगाया !” दीदी क्या कुछ दिन के लिए आप यहां आ सकती हो?”
” क्या हुआ विरेन सब ठीक तो है मैं तो तेरे जीजा जी के साथ वैष्णो देवी आईं हुई हूं !” विरेन की दीदी ने कहा।
” हम्म हां दीदी सब ठीक है आप अच्छे से दर्शन करो और थोड़ी दुआ मेरी मिनी के लिए भी मांग लेना !” विरेन ने टालते हुए बोला अब वो उन्हें कैसे सब बताता कि मेरी बेटी बड़ी हो गई है।
” हां हां ये भी कोई कहने कि बात है !” दीदी ने कहा और फोन रख दिया।
अब मुझे खुद ही सब करना होगा ये सोच विरेन पास की दुकान पर गया और पैड खरीद कर लाया पर अब ये मिनी को कैसे दूं ये भी समस्या थी। काम वाली बाई से कहूं ? दिमाग में विचार आया नहीं आज तो वो भी छुट्टी पर है और कब तक काम वाली बाई मदद करेगी मेरी। जो करना है मुझे ही करना है। राधिका मेरे भरोसे बेटी को छोड़ गई है मुझे ही देखना है सब। उफ्फ कितना मुश्किल होता है बाप के लिए मां बनना।
विरेन ने फोन पर यूट्यूब खोला और कुछ विडियोज देखी जिसमें एक पिता बेटी को पीरियड के बारे में बता रहा है । उससे थोड़ा कॉन्फिडेंट आया उसमें।
बेटा मिनी मैं अन्दर आ सकता हूं !” उसने दरवाजा नोक करते पूछा।
” हम्म हां …हां पापा आ जाओ !” मिनी हकलाते हुए बोली।
अंदर घुसते में उसने देखा मिनी एक कपड़ा छिपा रही है उफ्फ मेरी बेटी दर्द में है और मेरे सिवा कोई नहीं अभी उसके पास विरेन ने सोचा।
” बेटा मिनी मुझे तुमसे बात करनी है !” विरेन भूमिका बनाते हुए बोला।
” हां पापा बोलो!” मिनी सहज होने की कोशिश करते हुए बोली।
” देखो बेटा तुम बड़ी हो रही हो अब तो तुममें कुछ बदलाव भी आ रहे होंगे जिसके लिए तुम्हे इसकी जरूरत पड़ेगी !” उसने पैड का पैकेट आगे करते हुए बोला।
मिनी कभी विरेन को और कभी पैकेट को देखने लगी फिर अचानक से अपने पापा के लिपट गई उसके हाथ से कपड़े का टुकड़ा भी गिर गया। वो रोने लगी साथ ही विरेन भी।
” बस मेरा बच्चा इसमें रोने वाली कौन सी बात है सब लड़कियां बड़ी होती है सबको इसकी जरूरत पड़ती भी है वैसे तो ये बात मम्मी समझाती है पर मम्मी तो यहां है नहीं तो मैं ही तुम्हारी मम्मी और पापा दोनों हूं तो तुम बेझिझक मुझसे हर बात बोल सकती हो !” विरेन ने मिनी की कमर सहलाते हुए बोला।
” थैंक यू पापा मुझे समझने के लिए !” मिनी उससे लिपटे हुए ही बोली।
” चलो अभी तुम अपना फोन खोलो मैने व्हाट्सएप पर एक वीडियो भेजा है उसमे इसके इस्तेमाल की जानकारी है तब तक मैं तुम्हारे लिए सूप लाता हूं तुम्हे अच्छा लगेगा वो पीकर !” विरेन मिनी को खुद से दूर करते हुए बोला।
जब तक विरेन सूप लेकर आया मिनी कपड़े बदल चुकी थी अपने और उसकी मुस्कुराहट वापिस आ गई थी जिसे देख विरेन को लगा उसने एक पिता से मां बनने का सफर तय कर लिया उसने राधिका की तस्वीर की तरफ देखा और उसे थैंक यूं बोला उसे ये एहसास करवाने के लिए। फिर वो सूप ले बेटी की तरफ बढ़ा उसे ये एहसास करवाने के लिए कि वो पापा की जान है।
आपकी दोस्त
संगीता