एक प्यारा सा रिश्ता – संगीता अग्रवाल

माधव का आज घर मे मन नही लग रहा था खाली घर वैसे भी खाने को ही दौड़ता है रोज मे तो ऑफिस होता है पर इतवार का दिन काटना उसके लिए मुश्किल हो जाता है इसलिए यूँही बेसबब सड़को पर घूमने लगता है और थक कर घर लौट जाता आज भी बाइक खड़ी कर यूँही चक्कर लगा रहा था वो कि अचानक….

“साहब भूख लगी है कुछ पैसे दे दो ” एक 8-10 साल के बच्चे ने उस का रास्ता रोक कर कहा.

“कितने पैसे मे तुम खाना खा लोगे ” माधव ने बच्चे को गौर से देखते हुए पूछा.

” साहब बीस रुपए दे दो छोले भटूरे खाऊंगा ” बच्चे ने जवाब दिया.

” अब बीस रुपए मे खाना खा लोगे पर रात को, कल क्या करोगे! ” माधव बोला।

“साहब रोज़ कोई आप जैसा मिल जाता है तो खाना खिला देता है जिस दिन नही मिलता भूखा सो जाता हूँ! ” बच्चा लाचारी से बोला।

“भीख क्यों मांगते हो, परिवार कहा है तुम्हारा ! ” माधव को बच्चे मे जिज्ञासा हुई।

” साहब परिवार नही तभी तो भीख मांगता हूँ ! ” बच्चे ने कहा।

माधव को बच्चे के शब्द छू गए वो खुद एक अनाथ आश्रम मे पला था तो बच्चे का दर्द समझता था. भले माधव आज एक बड़ी कंपनी मे इंजीनियर है, सब कुछ है उसके पास पर अनाथ होने का दर्द वो नही भूल पाता…या यूँ कहो आज भी खुद को अकेला पाता है वो।

अचानक….

” मुझे अपना परिवार बनाओगे ” माधव ने कुछ देर सोचने के बाद बच्चे से कहा।

” क्या साहब क्यों मज़ाक करते है गरीब से खाना नही खिलाना मत खिलाइये …। ” बच्चे ने कहा और आगे बढ़ने लगा.

“रुको…. नाम क्या है तुम्हारा..? ” माधव उसे रोकते हुए बोला।

“साहब जब माँ बाप नही तो नाम कौन रखता छोटू बोलते हैं सब मुझे यहाँ ” बच्चे की आँख मे आँसू आगये.

” मैं तुम्हें नाम दूँगा, परिवार दूँगा बस तुम्हें जो मैं कहूँ करना होगा.” माधव बोला मन ही मन वो शायद कोई फैसला कर चुका था।



“??? “बच्चा हैरानी से माधव को देख रहा था .

” चलो पहले तुम खाना खाओ बाकी बातें बाद मे ” बच्चे की भूख महसूस कर माधव  ने कहा और पास के होटल से बच्चे को भर पेट खाना खिलाया.

” थंकू साहब ” बच्चा हँसते हुए बोला.

” पढ़ना जानते हो तुम ?” माधव ने सवाल किया।

” साहब कहा …ये तो लोगो से सुनकर बोला मैने !”  बच्चा मुस्कुराते हुए बोला। पेट भरने से उसके चेहरे पर संतोष था।

” चलो अब ” माधव ने मुस्कुराते हुए कहा.

” कहाँ साहब “

” चलो तो “

माधव ने उसे अपनी बाइक पर बैठाया और घर ले आया. दो कमरों का छोटा सा घर जिसमे माधव अकेला था.

” सुनो, तुम पहले नहा लो, लो फिलहाल ये कपड़े पहन लो बाकी बाद मे लायेंगे !” माधव बच्चे से बोला।

” जी साहब ” बच्चा अभी भी हैरान था.

नहा कर बच्चे का रंग निखर आया साथ साथ माधव के पुराने ( बचपन के कपड़े जो माधव याद के तौर पर रखता था) पर साफ कपड़ों मे अच्छे घर का लग रहा था.

” अब ठीक है साहब काम बताइये अब ” बच्चा बोला।

” साहब नहीं भैया… मैं आज से तुम्हारा बड़ा भैया हूँ ” माधव उसके सिर पर हाथ फेरता हुआ बोला।

“सच मे ” बच्चा हैरानी से बोला।

” हाँ और तुम्हारा नाम अब कृष्णा है… समझे ” माधव उसके बालो को सहलाते हुए बोला।

” ओह्ह… भैया बच्चा माधव से लिपट कर रो पड़ा माधव की भी आँख मे आँसू आगये. कहने को दो अनजान पर दोनो एक नाव के सवार । दोनो ने अनाथ होने का दर्द झेला है इसलिए दोनो रिश्तो की एहमियत समझते है। और एक दूसरे की तकलीफ भी।



माधव ने बच्चे को एक साल घर मे पढाया ऑफिस जाने से पहले और आकर वो उसे पढ़ाता। उसके बाद उसे स्कूल मे डाल दिया. बच्चा प्रखर बुद्धि का था जल्द ही कक्षा के अच्छे बच्चों मे गिना जाने लगा.

कुछ साल बाद…

” भैया… माधव भैया देखो मै दसवी मे पूरे विद्यालय मे प्रथम आया हूँ ” एक दिन वो बच्चा यानी की कृष्णा आकर बोला

” बहुत अच्छे कृष्णा, ऐसे ही तरक्की करते रहो ” माधव खुशी से झूमते हुए बोला।

” ये सब आपके प्यार और आशीर्वाद से है भैया.. आपने रास्ते के पत्थर को हीरा बना दिया , आप सहारा ना देते तो मैं कहीं भीख ही माँग रहा होता.”। कृष्णा माधव के पैर छूटे हुए बोला.

” नहीं मेरे भाई ये तेरी लगन है, मैने तुझे सहारा नही दिया बल्कि खुद को दिया है , अब तू मेरा सहारा मैं तेरा ” माधव ने कृष्णा को गले लगाते हुए कहा.

” चल तेरी सफलता की ख़ुशी मे पार्टी करने चलते हैं “

आज कृष्णा भी माधव की तरह इंजीनियर है माधव की शादी हो चुकी है और दो बच्चे है उसके । अब माधव के पास भरा पुरा परिवार है लेकिन कृष्णा की उसके मन मे खास जगह है क्योकि पहले रिश्ते से उसी ने मिलवाया था माधव को एक भाई के रिश्ते से। माधव की पत्नी संध्या भी कृष्णा और माधव के रिश्ते की इज़्ज़त करती है.. और उनके बच्चों का तो प्यारा चाचू है कृष्णा।

दोस्तों कभी कभी कोई पराया इतना खास बन जाता है कि जिंदगी उसके बिना सूनी सूनी सी लगती है । यहां माधव और कृष्णा दोनो मे भले कोई रिश्ता नही था पर आज दोनो अपनों से भी खास है । यही तो होता है एक प्यारा रिश्ता।

होगी लगी ये कहानी आपको…..बताइयेगा जरूर

पढ़ने के लिए धन्यवाद

#पराए_रिश्तें_अपना_सा_लगे

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल

 

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