एक परिवार ऐसा भी – नेकराम : Moral Stories in Hindi

शिल्पा की शादी को 2 वर्ष बीत चुके थे देखने में एकदम सुंदर सुशील और गुणवान थी अपने घर के कामकाजों से फुर्सत पाने के बाद थोड़ा बहुत साहित्य पढ़ लिया करती थी शिल्पा की एक बर्ष की बेटी राधिका जो अभी चलना सीख रही थी उसकी प्यारी सी मुस्कान से घर महक जाता था

राधिका के दादा दादी ने अपने घर की सभी जिम्मेदारियां अपनी बहू शिल्पा को सौंप दी थी उन्हें सिर्फ बना बनाया खाना मिल जाया करता था और उनका समय अक्सर नजदीक के पार्क में ही बीता करता था

शिल्पा के पति कर्ण कुमार एक छोटे से कारखाने में मजदूरी किया करते थे दिल के एकदम साफ और शांत स्वभाव के थे

यही छोटा सा परिवार उनके लिए किसी खजाने से कम नहीं था

शाम होते ही कर्ण कुमार जब घर पहुंचे तो आवाज लगाते हुए अपनी पत्नी को पुकारा ,, शिल्पा ,,ओ ,, शिल्पा ,, कहां हो

तभी छत से शिल्पा की आवाज आई मैं छत पर हूं बारिश की कुछ बूंदें जब मुझे खिड़की से दिखाई दी तो मैं तुरंत छत पर कपड़े उतारने चली आई बस अभी 2 मिनट में आती हूं राधिका को देख लेना पलंग पर बैठी है कहीं पलंग से नीचे ना गिर जाए

राधिका पलंग पर एक खिलौने से खेल रही थी अपने पापा को देखा तो दोनों हाथ आगे बढ़ा दिए जैसे कह रही हो पापा मुझे गोद में ले लो

कर्ण कुमार ने तुरंत अपनी बेटी राधिका को अपनी गोद में ले लिया

और मधुर मधुर आवाज में लोरियां सुनाने लगे

कुछ सेकेंड बाद शिल्पा भी छत से नीचे कपड़े लेकर आ पहुंची

कर्ण ने अपनी पत्नी शिल्पा को पलंग पर बैठने के लिए कहा और बताया मैं सोच रहा हूं इस महीने की तनख्वाह से तुम्हारे लिए सोने के कंगन बनवा लूं

तब शिल्पा कपड़ों की तय करते हुए बोली ,, अभी नहीं ,, इतना तो तुम्हारा बजट भी नहीं होगा

तुम मुझे क्या इतना गरीब समझती हो क्या मैं तुम्हारे लिए सोने के कंगन भी नहीं बनवा सकता कर्ण ने थोड़ा शिल्पा के नजदीक आकर कहा

शिल्पा ने एक मीठी मुस्कान के साथ कहा मैंने कब कहा कि तुम गरीब हो मुझे मालूम है मेरा पति दुनिया का सबसे अमीर इंसान है और आप अपने परिवार से बहुत प्रेम करते हो हमारी खुशियों के लिए ही तो तुम कारखाने में मजदूरी करने जाते हो हमारी हर जरूरत को पूरा करने के लिए पसीना बहाते हो लेकिन एक बात कहनी थी

आज मम्मी जी को थोड़ा बुखार था मैंने मम्मी जी को डॉक्टर के पास ले जाकर दवाइयां दिलवा दी है अब इस बात के लिए मैं तुम्हें कॉल करके क्यों परेशान करती अब तो मम्मी जी ठीक है बुखार भी उतर चुका है

अपने कमरे में सो रही है

तब कर्ण ने पूछा तुम्हारे पास दवाइयों के लिए रुपए कहां से आए

सुबह तो तुम्हारा पर्स खाली था

तब शिल्पा ने कहा क्या तुम मुझे इतना बुद्धू समझते हो घर में कभी भी पैसों की जरूरत पड़ सकती है इसलिए कुछ रुपए मैं अपने पास छिपा कर रखती हूं

फिजूल के खर्चों को रोककर ही मैं इन रूपयों को बचाकर अपने पास संभाल कर रख पाती हूं

तब कर्ण ने राधिका को पलंग पर बिठाया और अपने दोनों कान पकड़ते हुए कहा ,, मुझे मालूम है मेरी पत्नी बहुत बुद्धिमान है और घर की अच्छे से देखभाल करती है

लेकिन मैं बहुत दिनों से सोच रहा हूं कि तुम्हें सोने के कंगन बनवा दूं

तब शिल्पा ने कर्ण के होठों पर उंगली रखते हुए कहा

मैं जानती हूं आज तुम्हें तनख्वाह मिली होगी इसीलिए मुझ पर इतना प्यार आ रहा है

मम्मी जी के कमरे में जाकर देखो मम्मी जी का पलंग बहुत पुराना हो चुका है और उसमें जगह-जगह दीमक भी लग चुकी है मैं चाहती हूं मम्मी जी के लिए एक नया पलंग आ जाए बोलो कैसी रही मेरी राय

तब कर्ण ने कहा तो फिर तुम्हारे सोने के कंगन का क्या होगा

तब शिल्पा ने कहा सोने के कंगन तो बहुत महंगे होंगे लेकिन मम्मी जी का नया पलंग जरूर आ जाएगा इतने रुपए तो तुम्हारे पास होंगे ही

ठीक है देवी जी जैसी तुम्हारी इच्छा मगर कंगन का क्या होगा

कर्ण ने मुंह लटकाते हुए कहा

तब शिल्पा ने कहा अगले महीने देखेंगे अभी तो मम्मी जी के लिए नया पलंग खरीदना है हम नए पलंग में सोते हैं और मम्मी जी और पापा जी पुराने पलंग में सोते हैं मुझसे यह देखा नहीं जाता मैंने कई बार मम्मी जी से कहा भी था कि मेरा नया पलंग अपने कमरे में रखवा लो

तब मम्मी जी कहने लगी हम पुराने पलंग में ही ठीक है यह पलंग पुराना जरूर है मगर मेरी शादी का तोहफा है इस पलंग को पूरे 25 साल हो चुके हैं थोड़ा दीमक ही तो लगा है तो दवाई लगाकर दीमक भी हट जाएगा इसमें चिंता करने की क्या बात है अब मम्मी जी को कौन समझाए पलंग नीचे से कई जगह से चूहों ने कुतर दिया है मैं चाहती हूं कल ही मम्मी जी का नया पलंग आ जाना चाहिए

ठीक है मम्मी जी का नया पलंग आ जाएगा अब तो तुम खुश हो

तुम मेरे लिए खाना लगाओ मैं मम्मी जी के कमरे में जाकर उनके हाल-चाल पूछकर आता हूं

कमरे में घुसते ही कर्ण ने आवाज दी मम्मी जी उठो बुखार उतरा या नहीं उतरा ,, पिताजी बगल में ही बैठे थे सामने दीवार पर टेलीविजन चल रहा था समाचार देख रहे थे अपने बेटे कर्ण को कमरे में आते देख तुरंत टेलीविजन बंद कर दिया और कहा ,,कर्ण आ गया तू ड्यूटी से,,

तेरी मम्मी तो सो रही है उसे सोने दे जब नींद पूरी हो जाएगी तो तेरी मम्मी खुद ही जाग जाएगी

तब कर्ण ने पूछा पिताजी आपने खाना खा लिया

अभी 10 मिनट पहले ही खाना खाकर बैठा हूं और तेरी मम्मी तो 2 घंटे पहले ही खाना खा चुकी थी डॉक्टर ने कहा था पहले खाना खिला देना फिर दवाइयां देना तेरी बहू ने ऐसा ही किया लेकिन राधिका तो मुझसे संभलती ही नहीं तेरी मम्मी ही उसे काबू में रखती है गोद में लो तो उछल कूद ज्यादा करती है मुझे डर लगता है कहीं मेरे हाथों से ना फिसल जाए

इसलिए बाहर वाले कमरे में पलंग पर खेल रही थी उसे खिलौना दे दो फिर तो उसी खिलौने से चिपकी रहती है

तभी बाहर वाले कमरे से आवाज आई सुनो जी आपके लिए खाना लगा दिया है आप भी खाना खाकर निपट जाओ ,, मुझे बर्तन भी धोने हैं

फिर राधिका को भी दूध पिलाना है ,,

कर्ण ने पिताजी से कहा देखो तुम्हारी बहू आवाज दे रही है

तब पिताजी ने कहा बहू ठीक तो कह रही है तेरी मां भी मेरा बहुत ख्याल रखती थी जब मैं नौकरी पर जाया करता था जब से दाहिने पैर में लकवा मार गया तब से मेरी नौकरी भी छूट गई मुझे यकीन नहीं था मेरा बेटा मेरे बदले उसी नौकरी पर एकदम फिट हो जाएगा मैंने उस कारखाने में बहुत पसीना बहाया है अब तो कारखाने में बड़ी-बड़ी मशीन आ चुकी है कच्चा माल स्वयं ही बनकर तैयार हो जाता है

सुनो जी खाना खा लो खाना खाने के बाद बातें कर लेना

शिल्पा ने फिर एक बार धीरे से आवाज लगाई

तब कर्ण गुस्से से कमरे से बाहर आया और शिल्पा से कहा मैं तो आ ही रहा था बस पिताजी से यूं ही दो-चार बातें करने लगा पिताजी को कितना बुरा लगा होगा

तब शिल्पा ने कहा पिताजी को बुरा नहीं लगा होगा बल्कि  वह तो यह चाहते हैं कि तुम जल्दी से जल्दी कमरे से बाहर निकलो क्योंकि उन्हें टेलीविजन देखना होता है आप तो उन्हें टेलीविजन देखने नहीं देते हमेशा कहते हो पिताजी आपकी आंखें बहुत कमजोर है डॉक्टर ने टेलीविजन देखने के लिए मना किया है इस बात को पूरा 1 साल हो चुका है और आप इसी बात को लेकर बैठे रहते हो

कर्ण चुपचाप खाना खाने लगा और अपनी पत्नी शिल्पा से पूछा क्या तुमने खाना खा लिया तब शिल्पा ने कहा आप कैसी बच्चों वाली बातें करने लगते हो आपको तो मालूम है ना जब तक आप खाना नहीं खाते मम्मी पापा खाना नहीं खाते तब तक मैं खाना कहां खाती हूं

मैं जानता हूं तुम सबको खाना खिलाने के बाद ही खाना खाती हो और किसी दिन खाना खत्म हो गया तो तुम क्या खाओगी कर्ण ने रोटी का कोर तोड़कर शिल्पा के मुंह में डालते हुए कहा

तब शिल्पा ने कहा मुझे आपकी आदत मालूम है आप हमेशा मेरे साथ ही खाना खाते हो,,  खाना खाने से पहले आप मेरे बारे में जरूर पूछते हो और उससे पहले मम्मी पापा के बारे में पूछ लेते हो अब तो राधिका भी पैदा हो चुकी है इसके हाल-चाल भी पूछने जरूरी है शिल्पा ने राधिका को भी एक छोटा सा नन्हा सा रोटी का कोर खिलाते हुए कहा

तब कर्ण ने कहा आज तो मम्मी जी को बुखार है राधिका को कौन संभालेगा

तब शिल्पा ने कहा मैं सब जानती हूं तुम मुझसे कितना प्यार करते हो

लेकिन आज ऐसा कुछ नहीं होने वाला राधिका हमारे साथ ही सोएगी

तभी अंदर वाले कमरे से मम्मी जी आवाज लगाते हुए बाहर वाले कमरे की ओर आई और आवाज लगाते हुए कहा राधिका कहां है मेरी बच्ची

मुझे तो इसके बिना नींद ही नहीं आती और तुरंत राधिका को गोद में लपक लिया कर्ण और शिल्पा तमाशबीन बनकर देखते रह गए

और राधिका को उसकी दादी अपने कमरे में ले गई

शिल्पा ने एक बार कहा भी मम्मी जी आज आपको बुखार है आप आराम कर लीजिए राधिका हमारे साथ सो जाएगी

कर्ण ने भी शिल्पा का साथ देते हुए कहा शिल्पा सही कह रही है मम्मी जी आपको बुखार है

बुखार है ,, बुखार तो कब का चला गया रोज राधिका मेरे साथ सोती है

मैं उसे रोज कहानी सुनाती हूं कल की कहानी अधूरी रह गई थी आज उसकी कहानी को पूरा करना है राधिका की दादी जी ने जवाब दिया

मम्मी जी के जाते ही ,, कर्ण ने अपनी पत्नी शिल्पा का हाथ खींचते हुए कहा आज की रात का प्रोग्राम तो सेट हो गया कमरा एकदम खाली है

तब शिल्पा ने कहा सामने एक नई पड़ोसन आई है अपने सास ससुर से झगड़ा करके कमरा भी उनका एक ही है और दो बच्चे हैं छोटे-छोटे

मैं सोच रही हूं वह पड़ोसन अपने पति के साथ रात को कैसे सोती होगी

तब कर्ण ने कहा अपनी पड़ोसन की फिक्र मत करो इस समय तो तुम बस मेरी फिक्र करो उन्होंने अपने पैर में कुल्हाड़ी खुद मारी है अपने सास ससुर से दूर रहकर इसमें हम क्या कर सकते हैं मैंने खाना खा लिया है ,, बत्ती बुझा दो —अब और इंतजार नहीं होता

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सुबह के 5:00 बज चुके थे शिल्पा आंखें मलते हुए बिस्तर से उठी और घर के कामों में जुट गई फिर उसे याद आया आज तो कर्ण की छुट्टी का दिन है और मम्मी जी के लिए नया पलंग भी लेने जाना है

शिल्पा ने जल्दी से अपने पति को जगाया और कहा  उठो सुबह हो गई नया पलंग लेने चलना है

कर्ण ने धीरे से आंखें खोली और घड़ी में देखा और कहा अभी तो सुबह के 5:00 बजे हैं अभी तो सारी दुकानें बंद होगी तुम भी सो जाओ

तब शिल्पा ने कहा मुझे तो नींद नहीं आती सुबह जब उठती हूं तो फिर दोबारा नींद नहीं आती मैं रसोई में जा रही हूं

शिल्पा ने सुबह के 7:00 बजे तक घर के सारे काम निपटा दिए

अब तक कर्ण की नींद भी खुल चुकी थी 8:00 बजे तक राधिका के दादा-दादी और कर्ण चाय नाश्ता कर चुके थे

राधिका को मम्मी जी के पास छोड़कर शिल्पा और कर्ण नया पलंग खरीदने के लिए मार्केट की तरफ निकल चुके थे ,, अलमारी से रुपए शिल्पा ने पहले ही निकाल कर अपने पर्स में रख लिए थे

मार्केट में दुकानें अब धीरे-धीरे खुल रही थी कुछ दुकानों के शटर खुल चुके थे कुछ दुकाने अभी भी बंद थी

तभी सामने कुछ नए पलंग दिखाई दिए जो बाहर सड़क पर ही रखे हुए थे दुकानदार अपने मजदूरों के साथ नए बैड और गद्दे दुकान से बाहर निकाल कर सैंपल के तौर पर बाहर सड़क पर रख रहा था ताकी आने-जाने वालों को दिखाई दे कि हमारी दुकान खुल चुकी है

दुकानदार से पूछने पर पता चला एक डबल बैड की कीमत 20 हजार रुपए है

और गद्दे अलग से लेने पड़ेंगे

कर्ण ने सर खुजलाते हुए कहा सही-सही दाम लगा लो हम तो पहले ग्राहक हैं आपके

तब दुकानदार ने जवाब दिया –पहले ग्राहक बनो या आखिरी ग्राहक रेट हमारा एक ही रहता है 25 हजार रूपए में आपको बैड और गद्दे दोनों मिल जाएंगे और हम एक चादर और दो तकिये भी साथ में देते हैं

शिल्पा कर्ण को एक कोने में ले गई और कहा मेरे पास तो केवल 15 हजार रूपए है आपके पास कितने रुपए हैं

तब कर्ण ने कहा मम्मी पापा के लिए सिंगल बैड ले लेते हैं वह तो 15 हजार रुपए में आराम से आ जाएगा तन्खवाह मैंने तुम्हें दे दी है और अभी महीने भर का राशन भी खरीदना है

शिल्पा को सामने ही एक सुनार की दुकान  दिखाइ दी जो खुल चुकी थी

शिल्पा ने कहा आप यही ठहरो में अभी 2 मिनट में आती हूं

शिल्पा अपने पति कर्ण को वहीं खड़ा करके सुनार की दुकान में चली गई 5 मिनट के बाद हाथों में कुछ रुपए लेकर आई

और दुकानदार को पूरे 25 हजार रुपए  पकड़ा दिए

दुकानदार ने पता पूछा और कहा एक घंटे में पलंग आपके घर पहुंचा देंगे आप लोग घर जाइए।

रास्ते में चलते हुए कर्ण ने अपनी पत्नी शिल्पा से पूछा सुनार वाला दुकानदार,, क्या  तुम्हारा जान पहचान का था जो उसने तुम्हें इतने रुपए दे दिए

तब शिल्पा ने कहा आप तो जानते ही हो मेरे कानों में हमेशा दर्द रहता है

1 साल पहले मेरी सालगिरह में मायके से सोने के झुमके आए थे उन्हें पहन पहन कर मैं बोर हो चुकी थी कान दुखते थे इसलिए मैंने आज सुनार की दुकान में उन झुमको को बेंच दिया

तब कर्ण ने सड़क पार करते हुए कहा तुम्हें मुझसे पूछ लेना चाहिए था अब तुम्हारे कान सूने नहीं हो जाएंगे मैं तो तुम्हें सोने के कंगन देने की बात कर रहा था और तुमने अपने झुमके ही बेच डाले

रास्ते में उन्हें एक समोसे की दुकान दिखाई दी कर्ण ने कहा चलो एक-एक समोसा हो जाए दुकानदार ने कहा अभी-अभी दुकान खोली है तेल गर्म होने में समय लगेगा आप जब तक कुर्सी पर बैठ जाइए

आधे घंटे बाद जब समोसे तैयार हुए तो दोनों ने खाए और

बातें करते-करते दोनों घर आ पहुंचे ,,

शिल्पा के सास और ससुर जी के हाथों में एक बॉक्स था शिल्पा को देखते ही कहा आज मेरे बेटे और बहू की सालगिरह है तुम लोग भले ही मुझे ना बताओ लेकिन मुझे याद है यह बॉक्स आज मैं अपनी बहू शिल्पा को दे रही हूं

शिल्पा ने जब बॉक्स खोला तो उसमें सोने के कंगन और सोने के झुमके थे

सोने के झुमको को उठाते हुए शिल्पा ने अपने पति कर्ण से कहा यह तो वही झुमके है जो मैं अभी-अभी सुनार की दुकान में बेचकर आई हूं

मगर यह झुमके इस बॉक्स में कैसे आए और यह बॉक्स मम्मी जी के पास है आखिर माजरा क्या है

तब कर्ण की मम्मी जी मुस्कुराते हुए बोली आखिर मैं तुम्हारी सास हूं

जब सुबह-सुबह तुम दोनों कमरे से बाहर मार्केट की तरफ चले गए राधिका को मुझे गोद में पकड़ा कर पहले तो मैं कुछ समझी नहीं

मैं इसी उधेड़बुन में थी आखिर यह दोनों सुबह-सुबह कहां गए होंगे पहले तो छुट्टी के दिन कर्ण कभी कहीं नहीं जाता था घर में आराम ही करता था

कुछ देर के बाद इत्तेफाक से हमारे पुराने श्यामलाल ज्वैलर्स का फोन आया उन्होंने बताया कि आपकी बहू आई थी और सोने के झुमके बेचकर चली गई और हमारी दुकान के सामने कुछ दूरी पर आपका बेटा कर्ण भी खड़ा हुआ है

तब मैंने कॉल करके उन्हें बताया मेरी बहू की क्या मजबूरी है झुमके बेचने की मुझे नहीं मालूम 1 साल से जो रुपए मैं आपके पास जमा कर रही थी अपनी बहू के सोने के कंगन के लिए वह तैयार हुए या नहीं आज सालगिरह है मेरी बहू की वह कंगन आज ही पहनाने हैं

तब दुकानदार ने जवाब दिया कंगन तो आपके तैयार हो चुके हैं

तब मैंने कहा तुरंत अपना एक लड़का भेज कर सोने के कंगन और मेरी बहू के झुमके भी हमारे घर ले आओ झुमके के पैसे मैं तुम्हें बाद में थोड़े-थोड़े करके चुका दूंगी

10 मिनट बाद बाइक में एक लड़का आया और हमें यह बॉक्स देकर चला गया और तुम लोग अब आ रहे हो आधे घंटे बाद

झुमके बेचकर तुम लोगों को पैसों की क्या जरूरत पड़ी मुझे नहीं मालूम

लेकिन एक बार मुझसे तो सलाह ले लेते ,,

तभी गली के बाहर एक रिक्शा वाले ने आवाज लगाई कर्ण भाई साहब का यही घर है मैं पलंग लेकर आया हूं कहां रखवाना है ,,बता दीजिए

कर्ण दौड़ता हुआ गली में पहुंचा और रिक्शे वाले से कहा फर्स्ट फ्लोर पर पलंग चढ़ना है रिक्शा वाले के साथ चार मजदूर और थे

उन लोगों ने झटपट पलंग चढ़ा दिया

यह देख राधिका की दादी ने पूछा यह पलंग किसका है

तब शिल्पा ने कहा मम्मी जी यह पलंग आपके लिए है ,,हमने नया खरीदा है

दो नए गद्दे एक चादर और दो तकिए भी है साथ में है

मैं समझ गई तुमने झुमके क्यों बेचे थे

और एक सास ने एक बहू को अपने गले से लगा लिया

लेखक नेकराम सिक्योरिटी गार्ड

मुखर्जी नगर दिल्ली से स्वरचित रचना

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