*स्त्री चाह ले यदि तो वह क्या नहीं कर सकती।अबला ना समझो उसे शक्ति का एक रुप वह भी है।
इस उक्ति को चरितार्थ करती एक ऐसी ही गांव की महिला की कहानी।*
करोना के बाद मेरे एक करीबी परिचित रमेश की नौकरी छूट गई थी। अब वह अपने परिवार के साथ गांव में ही रहता था। उसका बेटा पढ़ाई करने के लिए शहर में ही मेरे घर में एक कमरा किराए पर लेकर रहने लगा।
एक दिन मैं उसके गांव घूमने गई, वहां रमेश की पत्नी कमली ने मेरा जोरदार स्वागत किया। चाय नाश्ता करने के बाद मैंने देखा कि उनके आंगन के बाहर चारों तरफ धान, गेहूं के बोरों के छल्ले बने हुए थे।
मैंने हैरानी से पूछा, ये अनाज, और ये इतना बड़ा घर, ये सब तुम्हारे परिवार वालों के हैं ना।
उसने हंसते हुए कहा, नहीं, दीदी, ये सब अब हमारे हैं। तुम्हारे? लेकिन, तुम लोगों की तो कोई जमीन नहीं थी,अब तक तो खरीद कर ही खाते थे। कभी गांव आये ही नहीं।
नहीं दीदी, ये छः भाईयों में सबसे छोटे हैं, मां बचपन में ही खतम हो गई थी तो भाई भाभियों ने ही पाल-पोस कर बड़ा किया पढ़ाया लिखाया। हमारे ससुर जी के पास बहुत जमीन है पर अभी बंटवारा नहीं हुआ है। पांचों भाई मिलजुल कर खेती करते हैं। हम सब शहर में ही रह गए। हम ना गांव आते ना फसल में हिस्सा ही मांगते।
लेकिन जब करोना के बाद ये बेरोजगार हो गए तो किराये का मकान छोड़ कर हम सब सामान लेकर गांव आ गए।
यहां हमें बहुत कहने सुनने पर एक कमरा दिया गया।
हम किसी तरह उसमें गुजारा करने लगे। मैंने इनसे कहा भी कि अब घर का बंटवारा कर लो।पर ये चुप्पी लगा गए। भाईयों को खिलाफ जाना नहीं चाहते थे।
अब फसल कटाई शुरू हुई तो मैंने इनसे कहा कि आप भैया भाभी से अपने गुजारे भर का अनाज मांग लो, अभी तक तो हम सब खरीद कर ही खा रहें हैं। इन्होंने सख्ती से कहा। देखो,उनकी मर्जी होगी तो देंगे वरना मैं उनके खिलाफ ना तो जा सकता हूं और ना ही उनके खिलाफ एक शब्द सुन सकता हूं।
उन सबके बहुत अहसान हैं मुझ पर।मैं मन मसोस कर रह गई। एक दिन जब ये शहर गए थे, मैं अपने जेठ जेठानी से बोली,आप हमें बस दो बोरा गेहूं और एक बोरा चावल दे दीजिए। हमारा भी गुजारा हो जाए।
बड़े जेठ गुस्से में आकर बोले, ठहर, मैं अभी तुझे देता हूं कहकर चले गए।
अनहोनी की आशंका से कमली अपने गांव के एक लड़के को लेकर घूंघट निकाले सरपंच और पटवारी के घर गई,सब राम कहानी सुना कर रोने लगी।
उन्होंने आश्वासन दिया हम तुम्हारा हिस्से का अनाज और खेत दिलवा कर रहेंगें। तुम चलो हम आते हैं।
कमली ने देखा कि पांचों भाई और भाभियां उसके घर की तरफ तेजी से चले आ रहे हैं। कमली ने झट से अपना मोबाइल उस लड़के को थमाते हुए कहा, तुम कोने में छुप कर वीडियो बनाते रहना। मैं इनसे निपटती हूं।
सबने एक साथ कमली पर गालियों की बौछार कर दी। कभी एक धेला खेती में लगाया है जो हिस्सा मांग रही है।
कमली ने कहा,आप मेरे हिस्से का खेत और घर दे दो। मैं अपनी खेती बाड़ी खुद संभालूंगी।
सबने एक सुर में कह दिया, हरगिज नहीं। तुम्हें तो एक इंच जमीन भी हम नहीं देंगे। इतने में रमेश भी शहर से आ गया और कमली को डांटने लगा। बड़ों के मुंह लगती है। नालायक कहीं की।चल घर तुझे तो बताता हूं मैं। उसकी शह पाकर उसकी जेठानी गाली देते हुए डंडा लेकर मारने दौड़ी। कमली ने सबको अपने खिलाफ बोलते देखा तो जैसे उसके सिर पर भवानी आ गई, सामने पड़ा डंडा उठा कर दौड़ पड़ी, मुझे अनपढ़ गंवार समझ कर सब कोई मेरे पीछे पड़ गए हो। अगर मुझे किसी ने हाथ भी लगाया तो मैं भूल जाऊंगी कि आप सब मेरे जेठ जेठानी हैं। दुर्गा का प्रचंड रूप रखकर सब सहम कर पीछे हट गए। इतने में रमेश उसके पति ने उसे मारने के लिए
हाथ उठाया ही था कि कमली ने उसका हाथ पकड़ कर मरोड़ दिया, मुझे कमजोर मत समझना। मैंने बहुत सहा सबका।अब बिल्कुल नहीं सहूंगी। मेरा हिस्सा चुपचाप दे दो वरना तुम सब का वीडियो बन चुका है। उसने लड़के को आवाज दी ।वह तुरंत मोबाइल लेकर आया।अब इसमें तुम सबका कच्चा चिट्ठा रिकॉर्ड हो गया है। मैं जाती हूं थाने, रिपोर्ट लिखाने।
कमली ने आगे बताते हुए मुझसे कहा कि इतने में पटवारी और सरपंच भी आ गए और धमकी देते हुए कहने लगे।अब सब कोई अपने छोटे भाई का हिस्सा बंटवारा कर के दे दो वरना ये सबको जेल की हवा खिलाएंगी। इनके पास सबके खिलाफ सबूत है।
सभी भाईयों ने जमीन और घर का बंटवारा कर दिया। कमली को चार कमरे मिल गए और अनाज की बोरियों के ढेर लग गए।
इस तरह अनपढ़ होते हुए भी अकेले उसने बड़ी सूझ-बूझ और हिम्मत से काम लिया। पति अब उसकी तारीफ करते नहीं थकता।
मुझसे बोला। इसने वो कर दिखाया जो मैं इस जिंदगी में कभी नहीं कर सकता था। अब ये गांव में ही रह कर खेती बाड़ी करती है और मैं शहर में नौकरी करने लगा हूं ।
अब पूरे घर और गांव में उसकी प्रशंसा के गीत गाए जाते हैं। उसके उदाहरण दिए जाते हैं।
मैं भी उसकी हिम्मत की कायल हो गई। अब कमली अपने घर और जमीन की मालकिन बन गई थी। उसने इतना पैसा जोड़ लिया खेती किसानी से कि उसका बहुत बड़ा घर बन रहा है।
शाबाश,कमली, तुम्हारे साहस और समझदारी को हम सबका नमन।
सुषमा यादव पेरिस से