सीमा को आज अपना प्रोजेक्ट जमा करना था लेकिन अचानक से उसकी माँ की तबियत बहुत बिगड़ गई। सीमा के अलावा उसकी माँ को देखने वाला और कोई नहीं था। आज सीमा के सामने बहुत उलझन थी लेकिन उसकी प्राथमिकता उसकी माँ थी। सीमा ने देखा था कि किस तरह उसकी माँ ने उसे अकेले पाल पोसकर बड़ा किया था , उसे पढ़ाया लिखाया था। आज वो अपनी बीमार माँ को हस्पताल में अकेले छोड़कर नहीं जा सकती थी। सीमा की माँ बेहोश थी और सीमा उनके सिरहाने बैठकर उनकी तबियत ठीक होने की दुआ कर रही थी।
कुछ देर बाद सीमा के कॉलेज की दोस्त नितिका उससे मिलने के लिए आई।
हेलो सीमा कैसी हो , आंटी कैसी हैं अब ,उनकी तबियत में कुछ सुधार हुआ या नहीं। नितिका ने सीमा से पूछा , जिस पर सीमा रो पड़ी , उसने नितिका से बताया कि अभी कुछ दिन के लिए माँ को हॉस्पिटल में ही एडमिट रहना होगा , और मैं माँ के साथ ही रहूंगी।
लेकिन सीमा, कुछ ही देर में कॉलेज में प्रोजेक्ट जमा होना है , तुमने इस प्रोजेक्ट के लिए सबसे ज़्यादा मेहनत की है , आज तो तुम्हें कॉलेज आना ही होगा , शाम तक प्रोजेक्ट जमा हो जायेगा तब तुम वापस यहां माँ के पास आ जाना।
नहीं नितिका, मेरे लिए माँ से बढ़कर कुछ नहीं है , यहां माँ की दवाइयां लाने वाला , डॉ से बात करने वाला कोई नहीं है , मेरा यहां रुकना ज़रूरी है, सीमा ने कहा।
एक काम करते हैं तेरा प्रोजेक्ट मैं जमा करवा देती हूँ , तू एक एप्लीकेशन लिख के दे दे कि तू क्यों नहीं आ सकती। नितिका ने सीमा से कहा तो सीमा को भी ये बात सटीक लगी। उसने जल्दी से एक कॉलेज के नाम एक एप्लीकेशन लिखी और नितिका को अपने घर की चाबी देकर प्रोजेक्ट उठाने की बात कही ,नितिका के जाने के बाद सीमा निश्चिन्त हो गई , उसने इस बीच अपने प्रोफेसर से भी फ़ोन पर सारा डिस्कशन कर लिया।
शाम के वक़्त सीमा के पास प्रोफ़ेसर का फ़ोन आया , उन्होंने जो कुछ कहा सीमा को वो सब सुनकर विश्वास ही नहीं हुआ।
प्रोफेसर ने सीमा से बताया कि सीमा का प्रोजेक्ट अभी तक नहीं पहुंचा, नितिका के बारे में पूछने पर प्रोफ़ेसर ने कहा कि वो तो अपना प्रोजेक्ट जमा करवा कर कब की जा चुकी है। सीमा को ये सब सुनकर बहुत आश्चर्य हुआ लेकिन उसे धक्का उस वक़्त लगा जब प्रोफेसर ने नितिका के प्रोजेक्ट की तारीफ़ की , क्योंकि जिस प्रोजेक्ट की बात सर कर रहे थे वो तो सीमा का बनाया प्रोजेक्ट है।
सीमा को समझते देर न लगी कि नितिका ने सीमा से छल किया है और उसके प्रोजेक्ट पर अपना नाम लिखकर उसका नाम हटा दिया और अपने नाम से उसे जमा कर दिया।
सीमा ग़ुस्से से आग बबूला हो बैठी , उसने लगातार नितिका को कई फ़ोन किये लेकिन नितिका ने उसका एक भी फ़ोन नहीं उठाया , सीमा ने दोबारा प्रोफ़ेसर को फ़ोन किया और उन्हें सारी बात बताई।
प्रोफ़ेसर ने नितिका के घरवालों को उसकी करतूत बताई और उसका सच सामने आ गया।
नितिका को अगले दिन कॉलेज बुलाया गया और सीमा भी माँ की तबियत में कुछ सुधार होते देख कॉलेज आ गई , नितिका सीमा से आँखें नहीं मिला पा रही थी।
सीमा ने नितिका से कहा कि मैंने तुम पर भरोसा किया और तुमने *एक मुंह दो बातें* वाला काम करके आज से हमारे रिश्ते को हमेशा के लिए ख़त्म कर दिया।
कॉलेज से नितिका को माफीनामा लिखकर देने को कहा गया और उसे प्रोजेक्ट सबमिट करने के लिए अयोग्य भी घोषित कर दिया गया।
कुछ दिनों बाद सीमा की माँ बिलकुल स्वस्थ हो कर घर आ गई। सीमा के प्रोजेक्ट को भी प्रथम स्थान दिया गया।
नितिका ने माफ़ी मांगने की कोशिश की लेकिन सीमा की नज़रों से वो गिर चुकी थी। सीमा एक मुंह दो बात करने वाले और धोखा देने वाले से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती थी।
शनाया अहम
#एक मुंह दो बात