एक मॉ ऐसी भी – एम पी सिंह : Moral Stories in Hindi

बिन बाप की बेटी आशा को मॉ के लाड़ प्यार ने बिगाड़ दिया था। उसकी हर जायज नाजायज जिद पूरी करती थीं। बड़ा भाई मॉ से बहुत कहता कि थोड़ा कंट्रोल करो, कल ससुराल जाएगी तो परेशानी हो सकती है। मॉ बोलती, मैं अपने पैसे खर्च करती हूं, तेरे पेट में क्यों दर्द होता है।

आशा के पिताजी 20 बीघा जमीन, एक कोठी ओर एक दुकान मॉ के नाम छोड़ गए थे। बेटी को अपनी मां पे गुमान था ओर मॉ को अपने पैसों पर। जैसे मॉ बत्तमीजी से बात करती थीं, वही बेटी भी सीख रही थी। भाई दुकान संभालता था और शादी के बाद अलग मकान में रहता था जो दुकान के पास था।

आशा कभी मॉ के पास तो कभी भाभी के पास रहती थी। धीरे धीरे आशा भाई के साथ ज्यादा रहने लगी क्योकि उसका घर शहर में था, ओर भाई जब बाहर काम पर जाता तो बहन को दुकान पर बेठा देता। एक तो आशा घर के काम काज से बच जाती और दूसरा दुकान के नोकरो व पड़ोसी दुकानदारो से नैन मटक्का करती। दुकान का एक नोकर सीरियस हो गया और जब भाई को पता चला तो उसने मॉ को शिकायत की पर मॉ ने भाई हो ही बुरा भला कह दिया। 

एक दिन भाई किसी काम से लौटकर आया तो उसने आशा को अपने नोकर के साथ आपत्तिजनक स्थिति मे देख आग बबूला हो गया। उसने नोकर ओर आशा दोनो की पिटाई कर दी। नोकर को धमकी दी कि तुझे चोरी ओर नाबालिक लड़की को छेड़ने के इल्जाम में 8-10 साल के लिये अंदर करवा दूँगा।

नोकर डर गया ओर हाथ पैर जोड़ने लगा, माफी मांगने लगा। माफ करने के नाम पर ब्लेंक स्टाम्प पेपर पर साइन करवाया ओर शहर छोड़ कर जाने के लिए कहा ओर वो चला गया। भाई ने आशा को अपने पास रख लिया ओर घर से निकलना बंद कर दिया।

घर मे सारा दिन मोबाईल , टी वी ओर सोना। बाकी समय भाभी से लड़ाई। आशा का भाई ओर मॉ अब उसकी शादी में जुट गऐ, पर काफी बदनामी हो जाने की वजह से कोई बात नही बन पाई। फिर आशा की भाभी ने अपने दूर के रिस्तेदार करतार के आगे आशा की तारीफों के पुल बांद कर काफी इम्प्रेस कर दिया और रिस्ता करवा दिया। 

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रिश्ता होंने के 1 हफ्ते बाद आशा ने अपने होने बाले से पूछा, मुझे ए सी के बिना नीद नहीं आती, तुम्हारे घर में ए सी है क्या ? उसने मना कर दिया। तो आशा बोली, मैं अपनी मॉ से ले लूंगी। करतार ने ए सी लगवाने से मना कर दिया, बोला हम बिजली का बिल नही दे सकते।

आशा ने गुस्से में उसे पता नहीं क्या क्या कह दिया। कुछ दिन बाद आशा ने नया आई फोन लेने की डिमांड कर दी। करतार बोला, मेरे पास नॉर्मल स्मार्ट फोन है और तुझे आई फोन चाहिये? आशा ने उसे भिखारी, गरीब और न जाने क्या क्या कह दिया। करतार ने अपनी मॉ को बताया कि आपकी बहू तो अभी से डिमांड कर रही है, बाद में क्या करेगी? मैं नही संभाल पाउगा।

करतार की मॉ ने अपनी समधन से बात की ओर सब कुछ बताया। आशा की मॉ अपनी समधन पर गुस्सा हो गई, इसमें बुरा क्या है। हर आदमी अपनी पत्नी की इच्छा पूरी करते है, इसमें नया क्या है, वो भी करे। रोज रोज़ की डिमांड ओर बत्तमीजी से तंग आकर करतार ने रिस्ता तोड़ दिया। इससे आहत होकर आशा ओर ज्यादा क्रोधित हो गई ओर भाई भाभी से हर दम झगड़ा करने लगी।

इसके बाद आशा की भाभी ने एक छोटे से शहर के नोकरी पेशे वाले अपने दूर के रिस्तेदार रोहन से शादी करावा दी ओर अपनी मुसीबत को रोहन के गले मंड दिया। शादी के लिए सारा ख़र्चा भी आशा की मॉ ने किया। ये सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि किसी को कुछ समझने का मौका ही नही मिला।

आशा की हरकतों के कारण, जल्दी ही उनके रिस्तो में खटास आ गई। रोहन ने अपनी सास से आशा की शिकायत की तो सास ने उसे धमकी भरे अंदाज में कहा कि आशा की जरुरते पूरी करना तेरी जिम्मेदारी है। आशा की हरकतों और मांगों से पहले ही परेशान था ओर अब सासु मॉ की धमनियों ने उसके अहम को घायल कर दिया।

नोकरी वाले कि पास पैसे चाहे कम हो पर आत्म सम्मान बहुत होता है। बात कोर्ट कचहरी ओर तलाक तक पहुच गई। आखिर कार तलाक हो गया और आशा वापस अपनी माँ के पास पहुच गई। भाई भीभी अपने परिवार में व्यस्त हो गए। मॉ की तबीयत बिगडी ओर वो दुनिया से चल बसी। मॉ की सारी प्रोपर्टी बेटे के नाम हो गई। आशा, जिसे अपनी मॉ ओर उसकी दौलत का गुमान था, आज दोनो ही उसके पास नही रही। भाभी भी तब तक साथ देती है, जब तक उसको सम्मान मिलता रहता है। आशा के ब्यवहार ने उसे एकदम अकेला कर दिया।

एक मॉ ही है जो बेटी का घर बसाने ओर बिगाड़ने में जिम्मेदार होती हैं। बेटियां नादान होती हैं, पर मॉ को समझदारी से काम लेना चाहिए, पैसा तो आना जाना है, पर संस्कार ही है जो हमेशा साथ रहते है।

 

लेख़क

एम पी सिंह

( Mohindra Singh)

स्वरचित, अप्राकृतिक

1 Mar 25

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