संचित आज बहुत उदास था…कुछ दिन पहले ही उसकी दादी का निधन हो गया था और वो उसे बहुत प्यार करती थी वो भी अपनी दादी के बिना नहीं रहता था…!!!!
दस दिन बाद दीवाली का त्यौहार आने वाला था…सबकों पता था इस बार दीवाली नहीं मनेगीं घर में…फिर भी संचित पापा से बोला कि पापा ये पटाखों की लिस्ट हैं आप ले आना ना…!!!!
गौरव ने जोर से डाँटा…कि तुम्हें पता है इस बार दीवाली नहीं मनेगी तो फिर तुम्हें समझ क्यूँ नहीं आता…??
गौरव की आवाज सुनकर रचना व दादाजी कमरे में आ गये और समझ गयें कि क्या बात हुई हैं..!?
रचना भी गुस्सा करनें लगी तो दादाजी ने उसे रोका और बोला कि बच्चें को गुस्सा मत करों तुम दोनों …वो जो चाहता हैं वो करने दो उसकी दादी हमेशा उसकी खुशी में खुश होती थी और वो क्या हम सब उसकी खुशी में खुश होतें हैं यही तो परिवार की सच्ची परिभाषा हैं कि साथ तो एक-दूजे के लियें खुश हैं…गौरव तुम ये लिस्ट लो और शाम को पटाखें लेतें आना…सब चुप हो गये थे…!!!!
गौरव शाम को पटाखें ले आया बुरा तो उसे लग रहा था पर पापा को कुछ बोलकर उनका दिल नहीं दुखाना चाहता था….थैली रचना को पकड़ाकर वो अंदर चला गया…!!!!
शाम को सब गार्डन में साथ बैठें चाय व संचित दूध पी रहा था तभी कमला बाई ने कहा काम हो गया भाभी…मैं जा रही हूँ…!!
संचित ने कहा कमला आन्टी एक मिनट रूकिये और दौड़कर अंदर गया और पटाखों की थैली उठा लाया…थैली देते हुयें बोला ये आपके बच्चों के लिये पटाखें हैं…!!!!
सभी आश्चर्य से संचित को देख रहें थे तो वो बोला…पापा! मुझे पता हैं कि हमें इस बार दीवाली नहीं मनानी हैं पर हम हर बार कमला आन्टी के बच्चों के लियें पटाखे व मिठाई देतें हैं और ये रीत तो दादी नें ही शुरु की थी वो ही मुझे समझाती थी कि हमें अपने साथ सबका ध्यान रखना चाहिए ये देखकर उन्हें भी खुशी मिलेंगी..!!!!
गौरव ने संचित को गले लगा लिया व वहाँ सबकी आँखों से आँसू बह रहें थे…कमला बाई रोतें हुए बोली…बेटा! आपने ये जो किया है तो आपने अपने परिवार के साथ मेरे परिवार को भी खुशियाँ दी है…हम तो पटाखें व मिठाई ला नहीं सकतें हैं हर बार यही से मिलती है तो हम यही सोच रहें थे कि इस बार हमारी दीवाली भी सूनी होगी पर आपने हमारे बच्चों को देकर हमारे पूरे परिवार को खुशी दी है..!!
कमला बाई ने कहा…अगर आप बुरा ना मानें तो दीवाली के दिन संचित बेटे को हमारे घर थोड़ी देर के लियें भेज दीजियेगा…जो खुशियाँ हमारें परिवार को उनकी वजह से मिली है थोड़ा ही पर वो बच्चों के साथ खुश हो जायेगें….!!!!
दादाजी ने कहा कि…संचित जरूर आयेगा और साथ में मिठाई भी लायेगा …आज इस बच्चें ने खुशी बाँटी है वैसे भी जहाँ सब एक की खुशी में खुश हो जायें…वही तो सुखी परिवार की सच्ची परिभाषा है…!!!!
#परिवार
गुरविंदर टूटेजा
उज्जैन (म.प्र.)