सुमन ,कहा हो आओ जल्दी ,देखो मेरी शर्ट कैसी लग रही है? पूरे पांच हजार की है | सुमन क्या पांच हजार? हा जी सुमन मैडम पांच हजार की है | सुमन ने गुस्से में बोला ,पांच हजार की हो या ,दस हजार की,बिल्कुल अच्छी नहीं है|बोल के रसोई में चली गई | रमन को बहुत बुरा लगा |
बोला तुमको कुछ समझ नहीं आता ,तुम क्या जानो , पांच सौ की साड़ी पहनने वाली ,को क्या समझ आएगा | कितनी अच्छी शर्ट है | तुमने कभी महंगे कपड़े पहने तो तब तो समझोगी ,उसकी कीमत |रमन तैयार हो के निकल गया | रास्ते में रमन सोचने लगा ,आखिर सुमन ने ऐसे क्यों बोला? आज तक कभी हमसे इस तरह से बात तो नहीं करती थी ? उसका बदला बर्ताव रमन को कुछ ठीक नहीं लगा |
रमन, दो दिन बाद जब अपने घर आया तो देखा की,सुमन तैयार हो के पार्टी में जा रही थी | कहा जा रही हो ,सुमन ,वो बगल वाले शर्मा जी की बेटी की आज शादी है ,वहीं जा रही हूं | आप के लिए खाना बना के रख दिया है | आप खा लेना | जयमाल हो जाने के बाद मै आ जाऊंगी |
रमन ने बोला यार शर्मा जी बड़े अजीब इंसान है ,कल मेरी उनसे एक मीटिंग के सिलसिले में कई बार बात हुई , लेकिन एक बार भी उन्होंने बोला नहीं ,मुझसे की, रमन जी आपको शादी में आना है ? खैर जाने दो ,रुको मै भी तैयार हो जाता हू |साथ में चलते है |नहीं आप रहने दो ,आपको जाने की जरूरत नहीं है | ऐसे क्यों बोल रही हो? उस दिन भी तुमने ,कितने गंदे तरीके से बात किया था ? आखिर हुआ क्या है तुमको?
अच्छा ,आप जानना चाहते हो तो सुनो ,आपने एक पांच हजार की शर्ट लाई ,और मैने बोल दिया की अच्छा नहीं है ,तो आपको इतना खराब लग गया, और सोचो ,जरा ,”जब आप शर्मा जी की बेटी की रिंग सेरेमनी में गए थे
,तो वहां की ,हर एक चीज ,खाने की , व्यवस्था की , उन लोगों के कपड़ो की सब की बुराई कर रहे थे ,अगर आप उनकी कुछ मदद नहीं कर सकते तो ,उनकी बुराई भी नहीं करना चाहिए ,उन लोगों को कैसा लगा होगा? बताओ ,? है कोई जवाब आपके पास ?
आपको वो क्यों अपने घर बुलायेंगे? अपनी बुराई सुनने के लिए |
कितना मान सम्मान देते है वो लोग आप को | और आप थोड़ा भी नहीं सोचते ,कुछ भी बोल देते है | बैठ के सोचना मेरी बात रमन | “ताली एक हाथ से नहीं बजती” रमन | घर हो या बाहर ,रिश्ता निभाने के लिए सबके कमियों को भी, स्वीकार करना पड़ता है | तभी रिश्ते चलते है | मुझे देर हो रही है मै जाती हूं |
रमन को अपनी गलती का अहसास हुआ | और वो शादी में नहीं गया | मन ही मन उसने फैसला किया अब मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा |
रंजीता पाण्डेय