एक हजारों मे मेरी बिटियाँ हैं-Mukesh Kumar

गीता जल्दी से नाश्ता लाओ ऑफिस के लिए लेट हो रहा है।  गीता के पति रमेश ने आवाज लगाई। गीता जल्दी से नाश्ता लेकर अपने पति को दे ही रही थी तभी सासु मां ने कहा बहु मेरी चाय कब दोगी। गीता ने कहा अभी लाती हूं। माँ जी।  गीता की सास को शुगर की बीमारी थी डॉक्टर ने उन्हें बिना चीनी का चाय पीने को बोला था। गीता ने जल्दी से बिना चीनी के चाय बनाकर अपनी सासू मां को पकड़ाया। चाय पीते ही सासु माँ ने चाय  वही पर फेंक दी और गीता को डांटने लगी। डॉक्टर ने चीनी कम डाल कर पीने को कहा है ये नहीं की बिलकुल चीनी डालो ही नहीं। बिल्कुल फीकी चाय कौन पिएगा। जाओ दूसरा बना कर लाओ।

तभी  गीता के ससुर ने  कहा बहु तो ठीक ही  कह रही है डॉक्टर ने तुम्हें बिल्कुल ही चीनी नहीं खाने और पीने को कहा है लेकिन तुम अपनी जिद पर अड़ी रहोगी।   तुम यह भी नहीं देख रही हो कि बहु 3 महीने की प्रेग्नेंट है। बहू को अब आराम की जरूरत है। गीता की सास अपने हस्बैंड पर उल्टा बरस पड़ी।  सही कह रहे हो बहू को अब आराम की जरूरत है यह बात तुम्हें तब ख्याल क्यों नहीं आया जब मैं प्रेग्नेंट थी याद है तुम्हारी मां मुझसे कितना काम कराया करती थी तब तो तुम कुछ नहीं बोलते थे उस समय क्या तुम्हारे मुंह में सांप सूंघ गया था।  गीता के ससुराल में उसके सासु मां के आगे किसी की नहीं चलती थी गीता के ससुर ने भी कहा माफ करो भाग्यवान गलती हो गई जो मैंने कह दिया।



गीता अपने सास के लिए चाय बना ही रही थी तभी उसका पति रमेश ने आवाज लगाई गीता तुमने यह कैसे शर्ट को धोया है देखो तो अभी भी कॉलर कितना गंदा है पता नहीं दिन भर क्या करती रहती हो।  गीता ने कहा कोई बात नहीं आप दूसरा शर्ट पहनकर चले जाइए मैं दोबारा से धो दूंगी।

रमेश जैसे ही अपना बैग उठाकर ऑफिस जाने लगा रमेश की मां ने कहा बेटा लंच बाद  डॉक्टर के पास आ जाना बहू का आज अपॉइंटमेंट है। रमेश ने कहा ठीक है माँ आ जाऊंगा।

दोपहर होते ही गीता अपनी सास  के साथ डॉक्टर के पास पहुंच गई थी उधर से गीता का पति रमेश भी पहुंच चुका था।  दो-तीन दिन पहले गीता का अल्ट्रासाउंड भी हुआ था और उसका रिपोर्ट भी आज आ गया था।  उसको देखकर डॉक्टर ने गीता के पति को बोला आपका बच्चा बिल्कुल ही स्वस्थ है। गीता की सास और गीता की पति डॉक्टर से बोले डॉक्टर क्या आप हमें बता सकती हैं गीता के गर्भ में पलने वाला बच्चा लड़का है या लड़की।  डॉक्टर ने कहा सॉरी मिस्टर। कानून के अनुसार बच्चे का लिंग बताना बिल्कुल ही अपराध है। इसलिए यह मैं आपको नहीं बता सकती। रमेश बोला डॉक्टर मैं उस बच्चे का होने वाला बाप हूँ इतना तो मुझे जानने का हक होना चाहिए कि मेरी पत्नी के गर्भ में पलने वाला बच्चा लड़का है या लड़की।

 

रमेश वहीं से अपने ऑफिस के लिए निकल गया था और गीता की सास गीता को लेकर अपने  घर के लिए निकल चुकी थी रास्ते में एक मंदिर पड़ता था गीता की सास ने गीता को पहले वहां पर ले गई और गीता से कहा कि भगवान से बेटा ही मांगना पहली बार मां बन रही हो घर में पहले  बेटा ही आना चाहिए।



शाम को रमेश घर आया घर आते ही खाने के टेबल पर यही डिस्कस हो रहा था कि बताओ कैसा डॉक्टर है और पता नहीं यह नियम कब बना आखिर हमें इतना तो जानने का हक होना चाहिए कि हमारा  बच्चा लड़का है या लड़की। तभी गीता बोली रमेश इससे क्या फर्क पड़ता है कि बेटा है या बेटी है तो आखिर हमारा अंश ही है और पहली बार में कुछ भी हो। तभी गीता की सास बोली बहू तुम तो चुप ही रहो आजकल तुम्हारी जुबान कुछ ज्यादा ही चलने लगी है।  बेटी होगी तो क्या दहेज तुम दोगी। तुम्हारे बाप ने तो कुछ दिया नहीं। तभी गीता के ससुर बोले बहुत सही तो कह रही है पहला बच्चा है बेटा हो या बेटी क्या फर्क पड़ता है। गीता के सास अपने पति को कहा तो चुप ही रहो जी जब भी बोलोगे बहू की साइड ही बोलोगे।  कमाना था माना तो कुछ है नहीं बेटी हो जाएगी तो क्या दहेज तुम दोगे बेटी होगी तो। एक तो मेरा बेटा है जो पूरे घर का खर्चा कैसे करके चलाता है यही जानता है।

रमेश बोला हां माँ ठीक कह रही है हमें किसी और डॉक्टर से दिखाना चाहिए पहली बार में तो बेटा ही होना चाहिए।

 

रमेश शहर के कई सारे डॉक्टरों के पास गीता को ले गया लिंग जांच कराने के लिए लेकिन सभी डॉक्टर ने लिंग बताने से मना कर दिया सब ने यही कहा कि यह कानूनन जुर्म है अगर हम लिंग बताते हैं और पकड़े जाते हैं तो हमारा डॉक्टर का लाइसेंस भी कैंसिल हो सकता है इसलिए यह हम नहीं बता सकते हैं।

फिर क्या था गीता  की सास अब गीता को पंडित और साधुओं के पास ले जाने लगी।  गीता की सास यही चाहती थी उसकी बहू को लड़की नहीं लड़का पैदा हो।



गीता के बगल वाले फ्लैट में ही एक सीमा नाम की महिला रहती थी वह उम्र में तो गीता से 10 साल बड़ी थी लेकिन गीता की और सीमा की अच्छी खासी दोस्ती हो गई थी शाम को दोनों साथ ही पार्क में जाते थे।  गीता अपनी सारी प्रॉब्लम सीमा को बताती थी। सीमा कहती थी पता नहीं तुम्हारे सास और पति कैसे हैं पहला बच्चा है लड़का हो या लड़की क्या फर्क पड़ता है। मेरी तो एक ही बेटी है फिर भी मेरे पति ने और मैंने मिलकर फैसला किया है कि अब दूसरा बच्चा नहीं करेंगे।  गीता बोली दीदी आपके और आपके हस्बैंड की सोच वाले अगर सब हो जाए तो फिर बात ही क्या थी।

गीता के प्रेगनेंसी के 9 महीने पूरे हो गए थे घरवाले इस खुशी के साथ गीता को हॉस्पिटल में भर्ती कराया था गीता को लड़का ही पैदा होगा.

बाहर आकर नर्स ने जैसे ही यह खबर सुनाइ गीता को लड़का नहीं लड़की पैदा हुआ तो ऐसा लगा गीता के सास और पति के सीने पर सांप लोट गया हो.  उनके चेहरे से सारी खुशी गायब हो गई थी. खुश थे तो सिर्फ गीता के ससुर वह लड़के और लड़कियों में कोई फर्क नहीं करते थे. लेकिन गीता के ससुर का घर में कोई भी इज्जत नहीं था और न ही वैल्यू था.  थोड़ी देर के बाद डॉक्टर आई और बोली कि आप लोग अभी घर जा सकते हैं क्योंकि गीता को अभी पूरी रात हॉस्पिटल में ही रहना होगा कल सुबह ही हम यहां से इसको डिस्चार्ज कर सकते हैं. गीता के परिवार वाले अपने घर चले गए.

सुबह हुआ कोई भी घर से लौट कर वापस हॉस्पिटल नहीं आया गीता ने भी कई बार नर्स से पूछा कि मेरे घरवाले अभी तक आए  क्या.? नर्स ने बोला नहीं मैडम अभी तक तो कोई नहीं आया. गीता ने अपने पति के पास फोन भी लगवाया इसके पति ने फोन नहीं उठाया.



गीता के ससुर बोले 12:00 बज गया है  अब कब चलेंगे बहू को लाने। गीता की सास बोली तुम्हें बहुत फिक्र हो रही है बहू की जा कर लाओ हमें ऐसे बहू को घर नहीं लाना है जो लड़की पैदा करती हो।  एक ही शर्त पर मैं घर बहू को लेकर आऊंगी अगर वह लड़की कहीं पर बाहरी छोड़ दे। आखिर में कोई भी जब नहीं गीता को लेने जा रहा था तो गीता के ससुर अकेले ही हॉस्पिटल गए  और अपनी बहू को डिस्चार्ज करा कर ले आए।

गीता अपने घर तो पहुंच चुकी थी लेकिन अपने घर में गीता अकेली हो चुकी थी ससुर को भी बेटे और सास ने बहुत सुनाया।  लेकर आए हो और गीता का खर्चा तुम ही चलाना। गीता के ससुर जिंदगी में पहली बार अपनी पत्नी को डांटा उन्होंने बोला गीता हमारे घर की इज्जत है और मैं अपने घर की इज्जत को यूंही हॉस्पिटल में नीलाम नहीं कर सकता था।  जो भी हो गीता भी यही रहेगी और उसकी बेटी भी।

गीता को बेटी हुई है जब यह खबर गीता के मां बाप को लगा तो वह लोग भी अपनी बेटी से मिलने गीता के ससुराल आए। गीता के मां-बाप सभी बैठक खाने में बैठे हुए थे तभी गीता की सास ने कहा “बहू चाय पानी का इंतजाम करो समधी और समधन जी आए हैं।”  गीता अपने मम्मी पापा के लिए जैसे ही पानी ला रही थी उसकी बेटी रोने लगी वह पानी वहीं पर रखकर अपनी बेटी के पास जाने लगी। तभी गीता की सास ने कहा बहुत तुम्हारी बेटी 1 मिनट में दूध नहीं पिया की तो मर नहीं जाएगी तुम्हारे मम्मी-पापा कितनी दूर से आए हैं पहले इनका भी ख्याल रख लो।

गीता के मम्मी पापा को गीता की सास की  यह बात बहुत ही बुरी लगी उनकी बेटी के साथ कैसे बर्ताव करती हैं । गीता की मां मन ही मन सोच रही थी कि मैं हमने बहुत गलत कर दी अापने बेटी की शादी ऐसे घरों में करके जहां पर लड़कियों की कद्र नहीं होता है।



गीता की सास अपनी पोती को देखना नहीं चाहती थी।  एक दिन गीता पास के ही मंदिर में पूजा करने गई थी।  बेटी भूख से रो रही थी तो गीता की सास ने दूध पिलाने की बजाय बोतल में साबुन घोलकर बच्ची को पिला दिया ताकि वह मर जाए और दुबारा से गीता मां बने और इस बार शायद बेटा पैदा हो।

गीता जब मंदिर से वापस आई तो देखी की बेटी के मुंह में बहुत सारा झाग निकला हुआ है और वह न बोल रही है ना हाथ पैर  चला रही है बिल्कुल शांत हो गई थी। गीता बिल्कुल ही डर गई वह जल्दी से अपनी बेटी को लेकर बाहर निकली तभी उसकी दोस्त सीमा सीढ़ियों से ऊपर आ  रही थी। सीमा ने पूछा गीता क्या हो गया क्यों इतना परेशान हो। गीता ने बताया दीदी पता नहीं इसके मुंह से इतना सारा झाग निकला है और न यह बोल रही है कुछ शरीर में हरकत कर रही है।  डॉक्टर के पास ले जा रही हूं। सीमा ने पूछा तुम्हारे घर वाले कहां है। गीता बोली वो लोग तो मुझे और मेरी बेटी को देखना तक नहीं चाहते हैं हॉस्पिटल क्या ले जाएंगे। सीमा बोली रुको मैं चल रही हूं जल्दी से  सीमा नीचे आई और एक ऑटो वाले को बुलाया और गीता को लेकर हॉस्पिटल पहुंची। डॉक्टर ने बच्ची को देखा और बोली अरे यह क्या हुआ है इसको साबुन का घोल किसने पिला दिया है। थोड़ी सी देर हो जाती हॉस्पिटल आने में तो बच्चे को बचाया नहीं जा सकता था सांस फूलने से इसकी मौत हो जाती।

गीता समझ गई थी कि उसकी बेटी को उसके सास ने  साबुन का घोल पिलाया है। सीमा बोली हद होती है नफरत की भी कोई इतना नफरत करता है अपनी बहू और पोती से पता नहीं कैसी तुम्हारी सास है। गीता मैं तो कहती हूं कि चलो अभी पुलिस थाने  तुम्हारे सास के खिलाफ एफ आई आर . करते हैं। कभी ना कभी यह बात तुम्हारे माता-पिता को भी पता चलेगा बेहतर यही है कि तुम अपने माता पिता को बताओ ना कि उन्हें किसी और से पता चले।



गीता  अगर उन्हें किसी और से यह बात पता चला कि तुमने इतनी बड़ी बात उनसे छुपाई है तो उनको बहुत बुरा लगेगा और फिर तुम और तुम्हारी बच्ची इस घर में  सुरक्षित नहीं है। गीता बोली “मैं जानती हूं सीमा जी लेकिन मैं इतनी सी छोटी सी बच्ची को लेकर कहां जाऊं।” मैंने कहा जाऊँगी तो बाद में पहले तुम अपने पति का घर छोड़ो अपने लिए ना सही इस बच्ची के जीवन के लिए तुम्हें यह घर छोड़ना ही पड़ेगा नहीं तो जो आज तुम्हारे साथ में हरकत किया है यह हरकत दोबारा भी कर सकते हैं। तुम्हें अपनी बच्ची प्यारी है कि नहीं । गीता बोली “सीमा जी  मेरी बेटी ही तो मेरे जीने का सहारा है।”

 सीमा जी ने बोला “तो फिर तुम्हें यह घर छोड़ना ही पड़ेगा तुम अपनी बेटी को उस बीमार मानसिकता वाले घर में कैसे छोड़ सकती हो। देखो गीता आज के समाज में एक औरत को पहले खुद के लिए खड़ा होना पड़ता है फिर उसके पीछे दूसरी औरतें खड़ी होती हैं या कहो तो मैं तुम्हारे साथ तभी दे सकती हूं जब तुम आगे खुद आओ।  खुले आसमान में सांस लेने के पहले किसी को भी अपने बच्ची के पर काटने मत देना। और ये तुम तभी कर पाओगी जब खुद स्वाभिमानी बनोगी। तुम अपनी बच्ची की परवरिश तभी कर पाओगी जब तुम यहां से अलग रहोगी।” औरतों को ही दिखाना होगा कि हम अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने में सक्षम है। समाज की रूढ़िवादी सोच जो सबसे पहले हमारे राह में रोड़ा बन कर खड़े हो जाते हैं उसे ठोकर मारकर हटाना होगा। समझी तुम।

गीता तुम्हारे में क्षमता है तुम अपनी साधारण सी लड़की को असाधारण बना सकती हो। ऊपर वाले ने स्त्री और पुरुष को बराबर बनाया है। सच कहे तो स्त्री पुरुष से ज्यादा अच्छी है  क्योंकि स्त्री ही एक जीवन को जन्म देती है वह चाहे पुरुष हो या फिर इतनी यह काम पुरुष नहीं कर सकता है। एक अच्छे समाज के निर्माण के लिए लड़का और लड़की में कोई अंतर नहीं होना चाहिए। गीता तुम अपने आप को कमजोर मत समझो। मैं तुम्हारे साथ हूं गीता।



गीता सीमा जी के साथ अपने घर वापस आती है।  घर आते ही गीता ने अपना सामान पैक किया। और बोली मैं जा रही हूं यहां से मुझे नहीं रहना इस घर में। आप सब लोग इंसानियत के नाम पर राक्षस हो चले थे मेरी बेटी को मारने अगर टाइम पर मैं हॉस्पिटल नहीं पहुंचती तो आज मैं अपनी बेटी  को खो चुकी होती। तभी पति ने कहा तेरी हिम्मत कैसे हुई ऐसे बात करने की अभी निकल जा यहां से नहीं तो तुझे और तेरी बच्ची दोनों को मार डालूंगा।

मम्मी पहले यह तो देखो इसमें इतनी हिम्मत आई कहां से पहले तो कुछ भी नहीं बोलती थी अब देखो इसकी बातें कितनी जबान लंबी हो गई है।  गीता की सास ने कहा जब से यह पड़ोसन सीमा से इसकी दोस्ती हुई है यह कुछ ज्यादा ही फटर फटर करने लगी है। वो सीमा ही इसके कान भर्ती रहती है वह एक एनजीओ चलाती है ना महिलाओं को स्वावलंबी बनाती है मैं तो कहती हूं वह स्वालंबी नहीं बल्कि परिवार को तोड़ती है।

बहू को भी कैसे भड़का दी है। बेशर्म औरत। हां सही कह रहे हो जब औरतें सच बोलती हैं तो वह बेशर्म कहलाती हैं। हम औरतों को हंसकर सब सहना चाहिए और उफ़  तक नहीं करना चाहिए। तभी गीता के हस्बैंड ने गीता पर हाथ उठाना चाहा। गीता ने अपने पति का हाथ पकड़ लिया और बोली। रमेश या गलती करना भी मत नहीं तो अभी मैं शोर मचा दूंगी और पुलिस को भी फोन करूंगी 1 मिनट मे अंदर चले जाओगे। आप जैसे लोग कभी यह सोचा है कि अगर सब  आप जैसे ही हो जाते तो आपके बेटों को बहुएं कहां से मिलती। माँ जी आप तो एक औरत है फिर भी आप भूल गए एक औरत होने का दर्द। शर्म आती मुझे आपके जैसी सोच पर। मुझे बहुत पहले ही आपका घर छोड़ देना चाहिए था जिस घर में लड़कियों का इज्जत नहीं उस घर में रहने से क्या फायदा। अब और नहीं अब बात मेरी और मेरे बेटी की अस्तित्व की है। अपने घर में मैं अब 1 मिनट भी नहीं रुकूंगी। और देखना है मैं अपनी बेटी को ऐसे संस्कार नहीं दूंगी जो आपने अपने बेटे को दिए हैं । मैं अपने आप को और अपनी बेटी को इस कैद खाने से आजाद करती हूं।



मैं अपनी बेटी को इतना लायक  बनाऊंगी कि दुनिया बेटा नहीं बल्कि चाहेगी उसे भी एक बेटी हो। नीता के पति रमेश ने कहा जो तू यह तेवर दिखा रही है ना जब 2 दिन तू और तेरी बच्ची बाहर ठंड  और भूख से तडपेंगे। देख लेना लौट कर तू 1 दिन यही आएगी तेरे मां-बाप नहीं पाल सकते हैं तुम्हें और तुम्हारी बेटी को तेरे पास और कोई जगह नहीं है जाने को।

तभी सीमा जी वहां पर आ गईं और उन्होंने बोला गलत सोच रहे हो रमेश तुम मैं दिलाऊंगी सीमा को अपने ही एनजीओ में नौकरी।अब  इस कैद खाने की चाकरी बहुत करली गीता ने अब वह 1 मिनट भी यहां नहीं रुकेगी । तो आप लोग अभी शुक्र मनाइए कि अभी तक मैंने पुलिस को फोन नहीं किया नहीं तो 1 मिनट पर आप सब अंदर हो जाएंगे। आप लोगों ने जो भी  गीता के साथ किया है मन तो करता है कि आप सब को जेल भिजवा दो। गीता ने अपना बैग उठाया और सीमा से कहा दीदी चलो और अपने पति की तरफ इशारा करते हुए कहा बहुत जल्द मैं तुम्हें डाइवोर्स पेपर भिजवा दूंगी।

सीमा का उसी शहर में एक घर था जो कि अभी खाली था किराए पर देने को सोच रही थी सीमा ने  गीता को वहीं पर रखवा दिया और अपने एनजीओ में ही अकाउंटेंट की नौकरी दिलवा दी। गीता ने अपनी बेटी को खूब पढ़ाया।

20 साल बाद  गीता की बेटी आज एलएलबी के  कॉलेज में गोल्ड मेडल जीता है।   आज उसको गोल्ड मेडल की डिग्री राज्य की राज्यपाल देने वाले  देने वाले हैं। स्कूल के प्रिंसिपल ने स्टेज पर चढ़कर घोषणा की हमारे कॉलेज की छात्रा मनीषा को 99.5% लाने की खुशी में राज्यपाल गोल्ड मेडल प्रदान करेंगे। आज तक का यह हमारे कॉलेज का रिकॉर्ड भी रहा है कोई भी छात्र अभी तक एलएलबी में 99.5% नंबर नहीं ला पाया है।



प्रिंसिपल ने स्टेज पर घोषणा की कि मैं मनीषा बर्मा को स्टेज पर बुलाना चाहता हूं। मनीषा स्टेज पर गई और राज्यपाल ने मनीषा को गले में गोल्ड मेडल पहनाया और एक बड़ा सा कप भी  प्रदान किया। मनीषा ने माइक हाथ में लिया और उसने कहना शुरू किया माय डियर फ्रेंड्स आज मैं अगर जिंदा हूं तो उन 2 महिलाओं की वजह से जो मेरे जिंदगी में है एक मेरी मां गीता वर्मा और दूसरा मेरी मौसी सीमा साहनी आज मेरे इस मुकाम पर पहुंचने के लिए जी तोड़ कर मेहनत किया।  मुझे हर वह सुविधा दिया जो मेरे लिए जरूरी हो । धन्यवाद मम्मी और मौसी जो आप लोगों ने मेरे लिए इतना कुछ किया।

मुझे आज भी वो दिन याद है जब मैं पहली बार स्कूल गई थी एक छोटी सी सेहमी हुई बच्ची अपनी मां और मौसी के अंगुलियों से सिमट गई थी वह इन उंगलियों को छोड़ना नहीं चाहती थी। लेकिन सामने मेरा उज्जवल भविष्य था और पीछे आप दोनों का प्यार। मेरी प्यारी मां और मौसी उस समय भी आप लोगों ने मुझे प्रोत्साहित किया और आज भी  करते आ रहे हो ।

उस दिन से लेकर आज तक मुझे कभी भी किसी भी परेशानी का कारण ही पता नहीं चला कि मुझे हमेशा से पता था कि मैं बहुत ही अच्छे हाथों में सुरक्षित हूं। मैं अब तक की कमाई हुई अपनी सारी उपलब्धि को आप दोनों को समर्पित करती हैं आई लव यू ममा और आई लव यू मौसी। प्लीज मम्मी और मौसी आप दोनों स्टेज पर आइए और मैं यह मेडल आप दोनों को समर्पित करना चाहती हूं। पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

उधर गीता के पति ने दोबारा शादी कर लिया था लेकिन दूसरी पत्नी  भी रमेश की हरकतों की वजह से रमेश को छोड़ दिया था आज रमेश अकेला हो गया था अगले दिन न्यूज़पेपर में जब उसने अपनी बेटी की तस्वीर देखा और पूरे कॉलेज में टॉपर रही आज उसे अपने आप से अफसोस हो रहा था काश  मैं गीता और अपनी बेटी को जाने से रोक लेता। वह सोच रहा था कि जाकर अपनी बेटी और पत्नी गीता से माफी मांगे लेकिन उसके अंदर इतना हिम्मत नहीं हो पाया।

लेकिन उसके अंदर एक हिम्मत जरूर आया उस दिन से उसने फैसला किया कि वह एक ऐसा स्कूल खुलेगा जहां पर अगर इस तरह की कोई बच्ची अनाथ हो या किसी ने उसे छोड़ दिया हो उसको वह अपने स्कूल में मुफ्त में पढ़ाएगा और उन्हें जीवन में आगे बढ़ने का मौका देगा क्योंकि यही उसके पापों का प्रायश्चित होगा।

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