एक घर में दो बहनें? – कुमुद मोहन

“मम्मी! कहो तो अपने देवर समर के लिए नीता की बात चलाऊं?” रीता ने अपनी माँ उमा से पूछा?

उमा- “देख लो तुम्हारी अम्मा जी के मिजाज तो सब जानते ही हैं| तुम्हें भी जब तब सुनाती रहती हैं, दोनों को सुनाएंगी तो और मुश्किल होगी| तुम जानती हो नीता किसी को जवाब नहीं देगी, अंदर ही अंदर घुटती रहेगी।”

रीता- “अरे मम्मी! अम्मा जी को तो नीता पहले दिन से ही बहुत पसंद है, वो तो खुद ही कह रहीं थीं पर डरती थी कहीं आप लोगों को एतराज ना हो कि एक घर में दो-दो लड़कियों की शादी के लिए मना ना कर दें।

वो तो कह रहीं थीं कि जाना पहचाना घर है, जाने पहचाने लोग हैं,अब आप लोगों की हां पर सब निर्भर करता है “।फिर मैं तो वहां हूँ ही।

रीता का रंग थोड़ा दबा था जबकि नीता का रंग साफ था,नैन-नक्श भी अच्छे ओवर ऑल देखने में सुन्दर लगती।घरेलू कामों में निपुण,स्वभाव से मिलनसार और संस्कारी।

रीता नीता की बड़ी बहन थी पर उम्र में बहुत ज्यादा अंतर न होने की वजह से सहेलियों सी रहती।परन्तु दोनों के स्वभाव, रंग रूप में काफी अंतर था।रीता थोड़ी एक्सट्रोवर्ट और मुँह फट वहीं नीता खामोश और संजीदा।

समर रीता का इकलौता देवर था,जब से शादी हो कर आई थी समर उसके आगे पीछे घूमता रहता, दोनों में बहुत पटती थी,हर परेशानी समर रीता से शेयर करता,रीता ही उसके लिए कपड़े वगैरह लाती,समर भी उस की पसंद -नापसंद का ख्याल रखता।

समर अच्छी मल्टीनैशनल कंपनी में इंजीनियर था, अकेला होने की वजह से रीता और समीर के साथ ही रहता।

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रीता नीता को बड़े चाव से  समर की दुल्हन बना कर उसकी जेठानी बन गई।

जल्दी ही नीता ने अपने कोमल स्वभाव से सब का मन जीत लिया, घर के सभी सदस्य नीता की प्रशंसा करते नहीं थकते।

नीता के आने से अपनी कद्र कम होती देख रीता को उससे ईर्ष्या होने लगी।

समर जो पहले भाभी के आगे- पीछे घूमता था अब ऑफिस से आते ही अपने कमरे में घुस जाता। अब समर खाना-पीना, कपड़े सब नीता की पसंद के पहनने लगा, शनिवार- इतवार या फिर किसी छुट्टी के दिन समर और नीता कभी सिनेमा या माॅल में घूमने चले जाते।हालाँकि नीता जाने से पहले घर का सारा काम निपटा कर अम्मा जी और रीता से पूछ कर जाती फिर भी रीता किसी न किसी छोटी बात पर क्लेश जरूर करती।

दरअसल रीता से यह सच बर्दाश्त नहीं हो रहा था कि अब समर की शादी हो गई है अब उस पर उसकी पत्नी का भी हक है।

आए दिन वो नीता के कामों में नुक्स निकालती,झूठी बातें कहकर अम्मा जी के कान भरती,नीता को ताने देती कि समर जोरू का गुलाम बन गया है।



शाम को समर नीता का उतरा चेहरा देख पूछता तो अक्सर नीता बात टाल देती, कभी बहुत दुखी होकर बताती भी तो समर भाभी का इतना भक्त था कि विश्वास नहीं करता,भला अपनी सगी बहन से रीता गलत व्यवहार क्यूँ करेगी, वो भी जब वे खुद नीता को पसंद करके घर में लाई हैं ।

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एक दिन रीता ने सोचा समर ऑफिस चला गया, वो फिर नीता पर तानो की बौछार करने ही लगी थी कि समर ने सब अपने कानों से सुन लिया ।उसे समझ आ गया क्यूँ नीता अक्सर डरी डरी और अनमनी सी रहती थी।

रोज़ रोज़ के झंझटों से बचने के लिए अम्मा जी और समीर ने भी समर को अलग घर लेकर रहने की सलाह दी।

समर और नीता के घर छोड़ कर जाने के बाद रीता को अपनी गलती का अहसास हुआ तब समझ आया जब घर का सारा काम उसे अकेले करना पड़ा ,जितने दिन नीता रही उसने रीता को एक प्याला चाय भी नहीं बनाने दी थी, घर का सारा काम वह मिनटों में निपटा लेती थी।पर अब पछताऐ क्या होता हैं जब चिड़िया चुग गई खेत

सच है जब इंसान पास होता है उसकी कद्र नहीं होती, जब दूर चला जाता है तब उसकी वकत पता चलती है ।जलन और ईर्ष्या के आगे खून के रिश्ते भी पीछे छूट जाते हैं।कहीं कहीं आपसी समझ-बूझ से रहने पर एक ही घर में दो-दो बहनें घर को स्वर्ग भी बना देती हैं।

“अपना-अपना भाग्य”

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धन्यवाद

कुमुद मोहन

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