एक गलत फैसला – गीता वाधवानी

आज मैं आपको एक कहानी सुनाती हूं। शायद यह कहानी सुनकर कोई और लड़की मेरी गलती से सबक ले सकें। जी क्या कहा आपने, मैं कौन हूं? आप मुझे नहीं जानते। 

हां सही कहा आपने, कैसे जानेंगे मुझे। मैं कोई मशहूर हस्ती या सेलिब्रिटी तो हूं नहीं। मैं हूं एक आम लड़की, नाम टीशा। 

एक ऐसी लड़की जिसने जिंदगी हमेशा अपनी शर्तों पर जी और उसके अपने लिए गए फैसलों में से एक गलत फैसले ने उसकी पूरी दुनिया बदल कर रख दी। 

    मेरा जन्म एक आधुनिक विचारधारा वाले परिवार में हुआ। आधुनिक होने के साथ-साथ वह परिवार अपने संस्कारों और संस्कृति को बहुत मान देता था। आधुनिक होने का मतलब उनके लिए गलत परिवेश में ढलना नहीं था। मुझे घर में बहुत प्यार मिला। मैं पढ़ने में बहुत होशियार थी। मैंने एमटेक किया और मेरी जॉब लग गई। लगभग 11 -12 लाख का सालाना पैकेज था। 

  मैं अपनी सफलता से आसमान में उड़ने लगी थी और बहुत खुश थी। ऑफिस में कुछ समय काम करते-करते एक लड़के से बहुत अच्छी जान पहचान हो गई। उसका नाम रितेश था। हम दोनों की एक जैसी पोस्ट थी और हमारी दोस्ती भी हो गई थी। 

थोड़े दिनों बाद में उस लड़के के फ्लैट में जाकर उसके साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगी। इस बात का पता लगते ही मेरे परिवार वाले मुझसे नाराज हो गए और मेरा बहुत विरोध किया। मुझे बहुत डांट पड़ी। हर तरह से मुझे समझाया भी गया। नौकरी छोड़ कर वापस आ जाओ कहा गया, पर मैं किसी की सुनने वाली कहां थी,सो मैं नहीं मानी। 

1 साल साथ रहने के बाद रितेश मुझसे शादी के लिए कहने लगा, पर मैं तो आजाद पंछी की तरह रहना चाहती थी। मैं कहां बंधन में बंधना चाहती थी। शादी की बात बार-बार सुनकर मैंने रितेश का साथ छोड़ दिया और अपना अलग किराए का फ्लैट लेकर रहने लगी। 




कुछ महीनों बाद रितेश ने किसी और लड़की के साथ विवाह करके अपना घर बसा लिया। 

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मेरे फ्लैट में मेरे साथ राहुल नाम का लड़का आकर रहने लगा। वह मुझे रोज सुबह गार्डन में मिलता था वही जान पहचान हुई थी। हम दोनों लिव इन रिलेशन में रहने लगे। मेरे परिवार ने मुझसे बात करना भी बंद कर दिया था। 

   राहुल के साथ रहते रहते मुझे कब उससे प्यार हो गया, मुझे पता भी ना लगा। इस बार मैंने अपनी तरफ से विवाह करने की इच्छा जताई लेकिन राहुल ने मना कर दिया। 

राहुल को सिर्फ मेरे बैंक बैलेंस में रुचि थी और जब वह मेरे साथ रहते रहते उठ गया तब वह मेरा बैंक अकाउंट खाली करके भाग गया, सब कुछ खोकर मैं खाली हो चुकी थी। 

राहुल के धोखा देने पर मुझे महसूस हो रहा था कि रितेश को कैसा लगा होगा। मेरी हरकतों के कारण काफी बदनामी हो चुकी थी इसीलिए कभी मेरा विवाह नहीं हुआ और मैं हमेशा के लिए अकेली रह गई। धीरे धीरे उम्र ढलने लगी, सुंदरता घटने लगी, जवानी का जोश कम होने लगा तब अकेलापन काटने को दौड़ता था। जवानी के दिनों में मुझे किसी की कहां परवाह थी, तब तो बस मैं थी और मेरी मनमर्जियां। 

आज मैं सोचती हूं और पछताती हूं कि मैंने बड़ों की बात क्यों नहीं मानी। मेरे माता-पिता हमेशा कहते थे कि “विवाह एक पवित्र बंधन है। यह हमारी संस्कृति है यह हमारे संस्कारों में शामिल है। लिव इन रिलेशनशिप हमारे संस्कार नहीं है। टीशा, ऐसा ना हो कि तुम्हें 1 दिन पछताना पड़े।”और वैसा ही हुआ। मैंने अपने हाथों अपनी जिंदगी बर्बाद कर ली। आज मैं अपनी गलती मानती हूं और अपने गलत फैसले पर पछताती हूं, पर अब कुछ नहीं हो सकता। अब बहुत देर हो चुकी है।  

स्वरचित गीता वाधवानी दिल्ली

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