अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के सम्मान समारोह में वीमेन अचीवमेंट अवार्ड के लिए अर्पिता के नाम की घोषणा हो रही थी और अर्पिता अपने अतीत में खोई हुई थी मानो पूरा अतीत एक फिल्म की तरह से उसकी आंखों से गुजर रहा था।
अर्पिता के पिता पुलिस विभाग में एक आरक्षी के पद पर तैनात थे। उनके तीन बेटियां और एक बेटा था। वो अपने पद के प्रति बहुत ही कर्तव्यनिष्ठ थे ।अर्पिता दूसरे नंबर पर थी । अर्पिता चारों भाई बहनों में पढ़ने में सबसे तेज थी। अर्पिता के पिता शेर सिंह जी को पुलिस लाइन में ही क्वार्टर मिला था।
पुलिस लाइन में अक्सर कोई न कोई कार्यक्रम या बड़े अफसरों का आना-जाना लगा रहता था ।अर्पिता बहुत जिज्ञासु प्रवृत्ति की थी। जब भी कोई बड़ा अफसर आता तो वो अपने पापा को उन्हें सैल्यूट मारते देखती। एक दिन उसने अपने पापा से पूछा…… पापा आप सबको सैल्यूट मारते हो और आपको कोई नहीं सैल्यूट मारता। ऐसा क्यों पापा…?
मुझे अच्छा नहीं लगता और अर्पिता के आंखों में आंसू आ गए। अर्पिता के बाल मन की जिज्ञासा देख शेर सिंह मुस्कुरा दिए। उन्होंने अर्पिता से कहा…… अरे बिटिया रानी वो बड़े अफसर है इसलिए जूनियर को सैल्यूट मारना पड़ता है।
तू भी पढ़ लिख कर बड़ी अफसर बन जाना तब हम भी तुम्हें सेल्यूट मारेंगे और बहुत सारे लोग सेल्यूट मारेंगे। सच पापा…! अर्पिता ने कहा। हां ..बिटिया रानी और उसी दिन अर्पिता ने ठान लिया कि वो भी बड़ी अधिकारी बनेगी ।
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दस साल की अबोध बालिका के मन में एक सुंदर सपने ने जन्म ले लिया था। वक्त अपने वेग से चल रहा था। अर्पिता के पिता जिस गांव के रहने वाले थे। वहां बेटियों को काम चलाऊं शिक्षा देकर विवाह कर दिया जाता था पर शेर सिंह अपने बच्चों को समर्थ अनुसार पढ़ा रहे थे ।समय के साथ अर्पिता ने स्नातक की परीक्षा पास कर ली थी ।
शेर सिंह अपनी बड़ी बेटी के लिए रिश्ता ढूंढ रहे थे क्योंकि रिटायरमेंट को तीन साल ही बच्चे थे वो अपनी ज़िम्मेदारियों को जल्द से जल्द पूरा करना चाहते थे परन्तु अर्पिता के ख्वाब तो बहुत ऊंचे थे। उसने सुन रखा था कि आईएएस अधिकारी का पद सबसे बड़ा होता है और दिल्ली में उसके लिए अच्छी कोचिंग होती है।
उसने हिम्मत बांधकर अपने पिता से कहा…… पापा हम दिल्ली जाना चाहते हैं आईएएस की कोचिंग करने । शेर सिंह को आभास नहीं था की मजाक में कही गई बात अर्पिता ने दिल में बैठा ली है। शेर सिंह ने कहा…… बिटिया हमारे गांव से कोई लड़की आज तक बाहर नहीं गई है। समाज वाले क्या कहेंगे और मेरे रिटायरमेंट को भी तीन साल बचे है।
हम सब की शादी ब्याह कर ले, यही हमारे लिए बहुत बड़ी बात है परंतु अर्पिता तो अपनी जिद पर अड़ी थी खाना पीना छोड़ बस रोए जा रही थी। बेटी की जिद्द के आगे शेर सिंह को झुकना पड़ा और उन्होंने दिल्ली की स्वीकृति दे दी।
अर्पिता बहुत खुश थी। शेर सिंह ने अर्पिता को दिल्ली में कोचिंग करवा दी। समय कब रोके रुका है वो अपनी गति से भाग रहा था अर्पिता दो बार पेपर दे चुकी थी प्रीलिम्स में सफल हो जाती परंतु अभी वो मेन्स में सफल नहीं हो पा रही थी। वो सिर्फ एक लक्ष्य लेकर लेकर चल रही थी उसे केवल आईएएस ही होना था ।
इधर उसके पिता का रिटायरमेंट भी करीब आ गया। कुछ दिनों के बाद शेर सिंह का रिटायरमेंट भी हो गया ।अब पेंशन से खर्चा बड़ी मुश्किल से चल रहा था। उधर जिम्मेदारियां का बोझ ।एक दिन शेर सिंह ने फोन पर अर्पिता से कहा…. अर्पिता अब मेरी समर्थ नहीं है तुम्हें पढ़ा पाने का ,किसी तरह घर चला पा रहा हूं। तुम वापस आ जाओ । अर्पिता ये सुनकर….
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. सुन्न रह गई ।अपने को संभालते हुए उसने पापा से कहा…. मुझे एक साल और दे दो पापा। शेर सिंह के पास भी मजबूरी थी। अर्पिता भी समझती थी परंतु उसका सपना उसके लिए सब कुछ था ।वो उसे प्राप्त किये बिना दिल्ली से नहीं जाना चाहती थी।
अब अर्पिता को एक फैसला आत्म सम्मान के लिए लेना था। उसने पापा से कहा…. पापा! जब तक मैं अपना सपना पूरा नहीं कर लेती हूं तब तक मैं वापस नहीं आऊंगी। शेर सिंह ने अर्पिता से कहा…
हम तुम्हें खर्चा नहीं दे पाएंगे सोच लो और शेर सिंह ने खर्चा देना बंद कर दिया। अर्पिता के सामने बहुत बड़ी समस्या थी परंतु उसने हिम्मत नहीं हारी उसने एक जगह कोचिंग में पढ़ाना शुरू कर दिया और बचे समय में रात दिन अपनी आईएएस की तैयारी करती रही। इस बार वो आईएएस के मेन्स में सेलेक्ट हो गई थी।
अब इंटरव्यू की तैयारी करनी थी ।अर्पिता ने बहुत मन से इंटरव्यू की तैयारी भी रात दिन शुरू कर दी और कुछ समय बाद उसने इंटरव्यू दिया। अब उसको रिजल्ट की प्रतीक्षा थी।
एक दिन सवेरे सवेरे हॉस्टल की वार्डन दौड़ती हुई आई। अर्पिता तुम्हारा फोन आया है ।अर्पिता ने जाकर के फोन रिसीव किया उधर से उसकी सहेली का फोन था। बधाई हो अर्पिता…. तुमने आईएएस की परीक्षा में टॉप किया है। अर्पिता को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। उसने कहा….. एक बार फिर कहो।… हां… हां..
अर्पिता तुमने आईएएस की परीक्षा में टॉप किया है। अर्पिता वार्डन को पकड़ कर के झूमने लगी और उसके आंखों में खुशी के आंसू आ गए। अर्पिता ने अपने पापा को तुरंत फोन किया। पापा… आज आपकी बेटी बड़ी अफसर बन गई है ।शेर बहादुर की आंखों से खुशी के आंसू छलक गए वो अपनी मजबूरी पर बहुत दुखी थे ।
उन्होंने कहा बिटिया मुझे माफ कर दो मैं तुम्हारी सहायता नहीं कर पाया।.. नहीं.. नहीं.. पापा ऐसा मत कहो.. हमें आपसे कोई शिकायत नहीं है। दूसरे दिन बड़ी-बड़ी हेडिंग में अखबार में अर्पिता का फोटो छपा …. “एक रिटायर आरक्षी की बेटी ने आईएएस में किया टॉप”। तभी अर्पिता का ध्यान टूटा मंच पर अर्पिता के नाम की घोषणा हो रही थी और अर्पिता ने खुद को संभाला और मंच की तरफ बढ़ गई । पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से भर गया। आज अर्पिता को अपने आत्मसम्मान के लिए लिए गए फैसले पर गर्व हो रहा था।
स्वरचित एवं मौलिक
विनीता महक गोण्डवी
अयोध्या उत्तर प्रदेश
शीर्षक संकल्प
दिनांक-06/03/2025