एक दूसरे से आजादी – सुधा जैन

“अब आप दोनों एक दूसरे से आजाद हो” कहते हुए कोर्ट में वकील ने उन्हें बधाई

दी ,और उन दोनों का तलाक मंजूर हो गया। अवनी और अमन  के वैवाहिक जीवन को 12 वर्ष हो गए ।

8 वर्ष  तक दोनों साथ में थे और 4 वर्षों से तलाक का प्रकरण चल रहा था। जैसे ही वकील की तरफ से तलाक को सहमति मिली ,अवनी को अपने पुराने दिन याद आ गए ।कैसे वह अमन से मिली? कैसे वह शादी के पवित्र बंधन में बंधे ?कैसे सुंदर दिन और प्यारी रातों से उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत की? जहां सिर्फ प्यार ही प्यार था ।चार साल प्यार में कैसे गुजर गए? पता ही नहीं चला। एक दूसरे के साथ समय बिताना,  एक दूसरे की पसंद का खाना, छोटा सा घर बनाना, उसको बड़े ही प्यार से सजाना संवारना, एक एक चीज को बड़े ही जतन से संवारा था उसने,

और फिर नन्हे से  शौर्य का जीवन में आना ,जीवन मे  पूर्णता सी लग रही थी, लेकिन इन दिनों अमन का ऑफिस से लेट आना ,ड्रिंक करके आना पत्नी और बच्चों को समय ना देना ,और ऑफिस की अपनी कलीग रोमा के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना, यह सब चीजें अवनी को खा रही थी। सोच रही थी, जीवन कैसे चलेगा?

इन दिनों वह बहुत चिड़चिड़ी हो गई थी ।उसका स्वभाव एकदम रुखा हो गया ,और वह बात बात पर अमन से झगड़े करने लगी। इधर अमन भी सोच रहा था अवनी, “मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं हां यह बात जरूर है कि मैं तुम्हें उतना वक्त नहीं दे पाया ,कुछ ऑफिस के उलझन है ,और कुछ रोमा का साथ, मैं भटक गया था पर तुमने भी मुझे नहीं संभाला, और ऑफिस से घर जाते ही वही  झगड़े करना’ कभी भी मेरी बातों को प्यार से नहीं सुनना’ और हम दोनों के बीच की लड़ाई बढ़ती ही गई और एक दिन तुम मुझे छोड़ कर नन्हे से शौर्य के साथ अपने मायके चली गई।

कितना टूटा हूं, मैं हर बार तुम्हें बता नहीं सकता ,”।

दोनों यही सोच रहे थे, अमन ने  अवनी से कहा” चलो घर से तुम्हें जो लेना हो वह तुम ले सकती हो” ।

अवनी घर पर आई ,घर की हर एक चीज को देखा, सब कुछ  वैसे का वैसा  जमा हुआ था, पर घर पर एक अजीब सा सन्नाटा था। अमन भी बहुत दुबले हो गए थे ,उसे उन पर प्यार आ रहा था। अमन भी अवनी को छुप छुप कर प्यार से देख रहे थे, सोच रहे थे अवनी को रोक लूं, दिल के अंदर से भी आवाज आ रही थी और फिर दोनों की आंखें मिली दोनों ने एक दूसरे के दर्द को महसूस किया और अपने ईगो को परे रखकर नन्हे शौर्य की तरफ देख कर दोनों ने एक साथ रहने का वादा किया और प्यारे से शौर्य के साथ तीनों गले मिलकर एक नवजीवन की ओर बढ़ चले ।

सुधा जैन

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