“ सारी तैयारियाँ कर ली राशि… मेहमान अब कभी भी आते होंगे… जाओ तुम भी थोड़ा फ्रेश हो जाओ।” निकुंज ने राशि से कहा जो मेहमानों की ख़ातिरदारी में कोई कमी ना हो उसका ध्यान रख कर बारीकी से सब तैयारी करने में व्यस्त थी खाना बनाने में माहिर थी तो निकुंज भी जब ना तब लोगों को मिलने के बहाने अपने घर बुलाता रहता था पर आज तो ख़ास वजह से दोस्तों को बुलाया जा रहा था… इसलिए राशि ने घर में ही मुँह मीठा करने को गुलाब जामुन भी बना रखे थे
“हाँ सब तैयारी हो गई है बस ये सलाद काट कर सब कुछ यही टेबल पर रख देती हूँ ताकि जब सब लोग आए तो ज़्यादा बेहतर तरीक़े से सब का ध्यान रखा जा सके।”कहते हुए वो वही पर बैठ कर सलाद काटने लगी
“ अरे वाह गुलाब जामुन…. ।” कहते हुए निकुंज ने एक गुलाब जामुन उठा कर मुँह में डाल लिया
“ क्या निकुंज… जरा सा भी अपना ध्यान नहीं रखते तुम… पता है ना गुलाब जामुन बहुत मीठा होता है…. तुम्हारे लिए अलग से रखे हैं ना शुगर फ़्री… फिर भी ये उठाकर खा लिए जब देखो मनमानी करते हो कभी मेरी बात नहीं मानते बस भी करो ना एक के बाद एक छिपकर खाए जा रहे हो।”राशि उसकी बच्चों जैसी हरकतें देख कर बोली
“ यार जिसकी बीबी शेफ़ हो उसे तो हर चीज़ खाने की परमिशन मिलनी चाहिए ।” निकुंज मुँह बनाते हुए बोला
“ बिलकुल मिलनी चाहिए सरकार पर आपको नहीं हम सब को भी ।” कहते हुए निकुंज के दोस्त दनदनाते हुए घर में घुस गए
“ वाह भाभी जी आज खाने की ख़ुशबू तो पूरे कॉरिडोर में फैली हुई है।”एक दोस्त ने राशि से कहा
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राशि मुस्कुराते हुए निकुंज को सबके साथ सोफे तक जाने का इशारा कर के पानी ,शरबत लाने चली गई
निकुंज अपनी व्हीलचेयर चलाकर दोस्तों के पास पहुँच गया ।
सबने बहुत देर तक बातें की फिर खाना खाया और राशि को बधाई देकर चले गए ।
“ निकुंज यार तुम दोनों का प्यार देख कर लगता है इतनी समझदारी सब जोड़ों में होनी चाहिए जो एक दूसरे की खुशी के लिए परेशान हो कर भी दिखाते नहीं है सच्चे हमसफ़र की पहचान वाक़ई में यही होती है।” दोस्तों ने निकुंज से जाते जाते कहा
सब कुछ समेट कर राशि कमरे में गई तो देखा निकुंज खिड़की की ओर मुँह किए बैठा है आहट सुन कर बोला ,“आ गई तुम…. थक गई होगी आराम कर लो…. मेरी वजह से तुम्हें बहुत तकलीफ़ दे रहा हूँ ना।” निकुंज की आवाज़ में भारीपन से राशि ने महसूस कर लिया कि आज फिर निकुंज रो रहा था ।
राशि जल्दी से निकुंज के पास आकर खड़ी हो गई…
” देखो मुझे परेशान लग रही हूँ…. निकुंज प्लीज़ तुम ऐसे हिम्मत हारने वाली बातें मत किया करो…मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता है…आपकी जो हालत है उसकी ज़िम्मेदार भी मैं ही हूँ ना… ना उस दिन बाइक की स्पीड बढ़ाने बोलती ना एक्सीडेंट होता ना आपका पैर बेकार होता….आपको व्हीलचेयर पर देख कर मुझे कैसा लगता है वो मैं ही जानती हूँ फिर भी आप हमेशा मेरे सामने मुस्कुराते रहते हैं…..आपके ही कहने पर मैं फिर से हिम्मत जुटा कर ‘अपना ढाबा ‘शुरू करने का फ़ैसला कर पा रही हूँ… आपको भी मेरा साथ देना होगा समझे ना।” राशि बोझिल हुए माहौल को हल्का करने के ध्येय से बोली
“ बिलकुल ” कहते हुए निकुंज ने राशि के हाथ पर अपना हाथ रख दिया
“चलो अब आप भी बहुत देर से बैठे हुए हो… बिस्तर पर आओ मैं पैरों की मालिश कर देती हूँ फिर अच्छी नींद आ जाएगी ।” कहते हुए राशि निकुंज को सहारा देकर बिस्तर पर लिटा दी
मालिश करते करते राशि दो महीने पीछे चली गई जब निकुंज ने उसे बताया,“ आज तुम्हारा सपना पूरा करने का आख़िरी भुगतान भी कर आया हूँ… वो छोटी सी जगह है राशि पर मुझे लगता है हमें शुरुआत छोटे स्तर पर ही करनी चाहिए…. फिर जैसा होगा वैसा आगे करेंगे…. फ़िलहाल तो मेरी नौकरी करूँगा बाद में आपका ‘अपना ढाबा’चल पड़ा तो नौकरी छोड़ कर आपकी नौकरी करूँगा …. चलो तुम्हें जगह दिखा कर आता हूँ ।“
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निकुंज के इतना कहते ही…चहकते हुए राशि तैयार हो कर निकुंज के साथ बाइक से चल पड़ी..
वो एक छोटी सी जगह थी पर अच्छे लोकेशन पर …वहाँ पर तैयारी कैसे करना है ये सब चर्चा करने के बाद दोनों घर ही आ रहे थे तो अचानक राशि ने कहा बाइक तेज चलाओ ना जल्दी घर जाकर सबसे पहले तुम्हारा मुँह मीठा करवाना है … ख़ुशी में झूमते निकुंज ने भी तेज स्पीड कर दी सामने ब्रेकर पर बाइक ऐसे उछला की राशि एक तरफ़ और भारी बाइक निकुंज के पैर के उपर…पल भर में सब कुछ बदल गया… समय लगा निकुंज को ठीक होने में…. राशि को जरा खरोंच तक ना आई …. सबने यही कहा कि एक की सेवा करने के लिए ही भगवान ने दूसरे को सलामत रखा है… दोनों हमसफ़र अब बस एक दूसरे के साथ साथ ही सफर तय करने के लिए प्रतिबद्ध हो गए थे ।
निकुंज इसके बाद हताश होने लगा था किसी से मिलना जुलना अब पसंद नहीं करता था…. राशि को खुद पर ग़ुस्सा आता आख़िर क्या ज़रूरत थी मुझे स्पीड तेज करो कहने की…. उसे हताश निकुंज जरा ना सुहा रहा था…. दोस्तों में ज़िंदादिली से जीने वाला निकुंज अकेले रहना पसंद करने लगा था ये सब देख कर राशि ने एक बार बिना बताए उसके दोस्तों को घर बुला लिया…. कुकिंग की शौक़ीन तो थी ही डिशेज बना कर रख दी…. बहुत दिनों बाद निकुंज थोड़ा खुश दिखाई दिया था अब तो राशि बात बात पर कहती जब भी कुछ अच्छा बनाऊँ दोस्तों को बुला लिया करो।
“अपना ढाबा “का सपना उसने देखना छोड़ दिया था उसे लगता था उसका वजह से ही निकुंज की ऐसी हालत हो गई है…और फिर निकुंज को ऐसे छोड़ कर जाना उसके लिए मुमकिन भी नहीं था पर निकुंज उसे बार बार अपने काम को लेकर प्रोत्साहित करता रहा था
एक दिन निकुंज ने कहा,“ मेरी ख़ुशी के लिए दोस्तों को न्योता दे देती हो… अपनी ख़ुशी की कब सोचोगी…. मुझे अभी पूरी तरह ठीक होने में कितना वक़्त लगेगा नहीं जानता पर तुम्हारे सपने को ज़्यादा वक़्त देने की ज़रूरत नहीं है।” और फिर लाख समझाने के बाद राशि ने वहाँ जाकर किसी तरह सब कुछ अपने हिसाब से काम करवाना शुरू कर दिया…..
अगले सप्ताह अपना ढाबा की शुरुआत होने जा रही थी और इसके लिए ही आज दोस्तों को निमंत्रित किया गया था ।
“राशि सोच रहा हूँ अब घर बैठे ही काम करना है तो क्यों ना तुम्हारे साथ उधर ही रहकर तुम्हारी मदद करूँ…तुम क्या कहती हो?” निकुंज की आवाज़ सुन राशि वर्तमान में लौट आई
“ सही है निकुंज…. मुझे भी हर कदम पर तुम्हारे साथ की ज़रूरत पड़ेगी… फिर मेरा खाना कैसा बना है टेस्ट करने वाला भी तो होना चाहिए… और वो तुमसे बेहतर कौन होगा ।” राशि हँसते हुए बोली
दोस्तों कई बार पति पत्नी किसी ऐसी मुसीबत में पड़ जाते हैं कि ज़िन्दगी से हताश होने लगते हैं ऐसे में अपने जीवनसाथी का सच्चा हमसफ़र बन उन्हें ख़ुश रखने की कोशिश करनी चाहिए…. आपकी कोशिश और लगन से हताश आदमी फिर से ज़िन्दगी जीने की कोशिश करने लगता है…. एक दूजे को प्यार सम्मान मिल जाए तो बीमारी कोसों दूर हो सकती हैं ।
धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
#हमसफ़र