एक दिन ये समय भी गुजर जाता है – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

रिया एक सीधी -सादी सी गृहणी थी, पति और दोनों बच्चों में उसकी दुनिया थी। ख्वाब भी छोटे थे तो कोई कसक भी नहीं थी, जो था उतने में ही खुश रहती थी .।

कहते है ना सुख एक जगह ठहरता नहीं, अच्छी भली रिया की गृहस्थी में अचानक एक तूफ़ाँ आ गया, जब पता चला जतिन को ब्रेन ट्यूमर है..। डॉ. को दिखाया गया, डॉ. ने ऑपरेशन की सलाह दी..। रिया की जो ऑंखें खुशियों से चमकती थी अचानक आँसुओ से भर गई..।

“सब ठीक हो जायेगा रिया..”कह कर जतिन ने रिया के बहाने अपनी भी हौंसला अफजाई की..। हिल तो वो भी गया था, अभी उम्र ही क्या थी…, इतनी बड़ी बीमारी, सब कुछ रिया कैसे संभालेगी…, जतिन दिन रात यही सोचता…।

दोनों एक दूसरे को सामान्य दिखने की कोशिश करते, पर जतिन जानता था कमजोर दिल रिया के लिये बहुत कठिन घड़ी है…,।

अस्पताल जाने से पहले जतिन ने सब कुछ रिया को समझा दिया.. कैसे क्या करना है,..। आँसुओं से भरी आँखों से मजबूती से आँसू पोंछती रिया सब सुनती और समझती…।

  “बच्चों को माँ के पास छोड़ देते “रिया ने जतिन से कहा तो जतिन ने इंकार कर दिया…
“मै अपने बच्चों और तुम्हे अपने पास देखना चाहता हूँ “जतिन के ये कहते ही बच्चे दौड़ कर पापा के गले लग गये…।

जतिन के ऑपरेशन का दिन आ गया, दो दिन पहले जतिन अस्पताल में एडमिट हो गये, ढेरों टेस्ट हुये…। ऑपरेशन से एक दिन पहले रात में डॉ. ने रिया को पास बुला कर स्थिति समझाई “देखिये ट्यूमर जल्दी भी मिल सकता है, समय भी लग सकता है, आप घबराना नहीं, ना हौंसला खोना,..”

“जी “बस रिया इतना ही कह पाई…। डॉ.उसके कंधे को थपथपा कर चले गये..। रात भर रिया सो नहीं पाई, सारे देवी -देवता को याद कर मनौती मानती रही…।

यूँ तो मायके और ससुराल के सब लोग रिया के साथ थे, पर रिया किसी के सामने कमजोर नहीं पड़ना चाहती थी…, इसलिये सब कुछ खुद ही कर रही थी, सुबह जतिन रिया को हाथ हिला कर, बच्चों को प्यार कर ऑपरेशन रूम में चले गये,

अब तक रुका आँसुओं का बांध अपनी सीमा तोड़ बह गये, पर वो हाथ तो ऑपरेशन रूम में चले गये, जो अक्सर उसके आँसुओं को पोंछते थे…। जी भर रो लेने के बाद, उसने देखा दोनों बच्चे उसके अगल -बगल बैठे थे ..,कल तक आपस में दिन भर लड़ने वाले भाई -बहन, एक रात में वयस्क बन गये…।

रिया ने दोनों हाथों से बच्चों को अपने में समेट लिया…। सच है कठिन परिस्थितियां, इंसान को परिपक्व बना देती है .। तीनों एक दूसरे के सहारा बन बैठे थे..।

  .”माँ चाय पी लो, पापा ने कहा था, माँ को सुबह की चाय जरूर पिला देना, नहीं तो उसके सर में दर्द हो जायेगा..”बेटी के बोल सुनते ही रिया एक बार फिर अपना धैर्य खो बैठी…।

सुबह से शाम हो गई,ऑपरेशन रूम से लोग निकलते रहे, पर अभी तक जतिन के निकलने की कोई खबर नहीं थी, बेचैनी से रिया इधर -उधर घूम रही थी, तभी जतिन के डॉ. ने आकार रिया से कहा “बधाई हो, ऑपरेशन सफल रहा..”

रिया ने चैन की सांस ले, भगवान का शुक्रिया अदा किया…, एक बार फिर आत्मविश्वास से उठ खड़ी हुई, अब जतिन की सेवा कर उसे जल्दी स्वस्थ कर देगी…।

इंसेंटिव केयर यूनिट से तीन दिन बाद जतिन को रूम में शिफ्ट कर दिया… जतिन की हालत देख रिया परेशान हो जाती थी। जतिन होश मे तो आ गये थे, पर फिर भी नींद की बेहोशी में रहते, रिया को कुछ सही नहीं लग रहा था, डॉ. को बोली तो वे बोले “एक दिन और देखते है, लगता है लंबे ऑपरेशन की बजह से कुछ कम्प्लिकेशन हो गया है..”

दूसरे दिन फिर जतिन को ऑपरेशन रूम में ले जाया गया, एक और ऑपरेशन के लिये…..। डॉ. ने रिया को बुलाया, पेपर पर साइन करने के लिये…।जो रिया मूवी के भावुक सीन देख कर अपने आँसू रोक नहीं पाती, बड़ी हिम्मत से सब पढ़ कर साइन कर ऑपरेशन का अप्रूवल दे दिया..।

थके -हारे कदमों से अस्पताल के बेंच पर बैठी रिया को सब कुछ अंधकार में डूबा दिख रहा था, माँ की बात याद आई “हिम्मत नहीं हारना चाहिए, क्योंकि मन के जीते जीत है और मन के हारे हार…”

  फिर से हौसलों को बुलंद किया, दो घंटे बाद डॉ. ने बताया “ऑपरेशन ठीक हो गया, अब चिंता की बात नहीं है, पर मरीज को लोगों से दूर रखना है जिससे इन्फेक्शन ना हो, क्योंकि शरीर कमजोर है,..”

मायके से आये भाइयों को रोकना आसान था, लेकिन ससुराल वालों को कैसे रोके…, ससुर जी से रिया बोली तो वे बोले “डॉ. तो ऐसे ही बोलते है, परिवार के लोग ना मिले ये कैसे हो सकता…”

डॉ. ने बड़ी सख़्ती से रिया को मना कर दिया था “सिर्फ एक आदमी ही साथ रह सकता है, वही हमेशा रहेगा, आप अपने रिश्तेदारों को समझा दीजिये…”

रिया के लिये कठिन समय था, रिश्तेदारों की फौज को मना करना मुश्किल हो रहा था, पीछे ससुर जी भी कुछ समझने को तैयार नहीं थे… आखिर रिया ने थोड़ी सख़्ती से सबको मिलने से मना कर दिया, कुछ विरोध, कुछ गुस्सा सहा पर अपने निर्णय से विचलित नहीं हुई…।

पति की हिम्मत ना टूटे इसलिये रिया हमेशा जतिन के सामने खुश रहने की कोशिश करती, जबकि जतिन खुद चिड़चिड़े हो गये थे, दिन भर रिया को डांटते, उनको अंदर से लगता उनकी वजह से रिया परेशान है….। बात -बात पर तुनकने वाली रिया बहुत सहनशील हो गई थी,जतिन का गुस्सा हँसते हुये सह जाती…।

आखिर रिया के हौसले रंग लाये,.जतिन अस्पताल से घर आ गये.. स्वस्थ भी होने लगे….। एक बार फिर खुशियों ने रिया के घर में दस्तक दी ..। बच्चों का लड़ाई -झगड़ा और जतिन का प्यार -गुस्सा सब फिर चालू हो गया पर रिया जरा भी बुरा ना मानती …।

 छः महीने तक जतिन को रेस्ट बोला था डॉ. ने…, ड्राइव करना मना था, भारी सामान उठाना मना था…, रिया बाजार से सामान ले आती, बच्चे खेल -खेल में भारी थैले उससे ले कर घर ले आते…,, लड़ाई -झगड़ा बंद कर रिया को सहयोग देते…।

छः महीने बाद जतिन की छोटी बात से रिया को इतना रोना आया खूब रोई .. छः महीने की दर्द, तकलीफ और डर… आज सबकुछ बाहर आ गया …।

दोस्तों, जीवन एक जैसा नहीं रहता, कई बार कठिन परिस्थितियाँ हमारी परीक्षा लेती .. धैर्य बनाएं रखें साथ ही सोच को सकारात्मक रखें ..,. हौसलों को टूटने ना दें….. एक दिन ये सब भी गुजर जाता है .. क्योंकि समय रुकता नहीं, और दुख का अंधेरा हुआ तो सुख का सूरज भी जरूर निकलेगा…।

—संगीता त्रिपाठी

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