एक धोखा ऐसा भी..!! – प्रियंका मुदगिल

“इतना बड़ा धोखा … मैं तुम जैसी काली कलूटी लड़की के साथ अपनी जिंदगी बिताने की कल्पना भी नहीं कर सकता …..अभी मुझसे दूर हो जाओ”” रजत ने चिल्लाकर अपनी पत्नी नेहा से कहा।

सुहागरात की सेज पर बैठी हुई नेहा, रजत की यह बात सुनकर रोने लगी ।सुबकते हुए उसने कहा, “”रजत जी! किस धोखे की बात कर रहे हैं आप ….? हमारी शादी तो आपकी मर्जी से हुई है ना ….फिर अब जबकि हमारी शादी हो चुकी है और हम नये जीवन की शुरुआत करने जा रहे हैं …..तो फिर इन बातों का क्या मतलब रह जाता है….?””

“”नई शुरुआत…..और वह भी तुम जैसी लड़की के साथ….. मैं कल्पना भी नहीं कर सकता…..””रजत झल्लाया और गुस्से में कमरे से बाहर निकल गया । पीछे से नेहा का रो रोकर बुरा हाल हो गया । एक पल को उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करें …   कहां उसने अपनी नई जिंदगी के सपने  संजोए हुए थे …..अपने होनेवाले पति को सपनों का राजकुमार समझकर उसके साथ सात फेरे लिए थे। लेकिन  उसके सारे अरमान चूर-चूर हो गए ।

नेहा एक बहुत ही सुशील,संस्कारी और गुणवती लड़की उसमें कमी थी तो बस इतनी कि उसका रंग थोड़ा सांवला था और हर देखने वाले की नजर में उसकी यह कमी उसके गुणों पर भारी पड़ जाती थी।जब वो सात वर्ष की थी तब  उसके माता-पिता का देहांत हो गया था। इसलिए उसकी बुआ ने उसकी देखभाल की। उसे हमेशा अपने बच्चों से बढ़कर प्यार किया।

जब भी घर में कोई मेहमान आता तो नेहा के बनाए खाने और उसके कार्य की प्रशंसा किए बिना नहीं रह पाता लेकिन जैसे ही उनकी नजर नेहा के सांवले रंग पर पड़ती तो एक बार के लिए सब उसे घृणा की दृष्टि से जरूर देखते। शुरू शुरू में नेहा को बहुत बुरा लगता था लेकिन अब वह इन चीजों की आदि हो गई थी।

पढ़ाई पूरी होने के बाद एक दिन बुआ ने कहा, “”नेहा बेटा! तुम अब बड़ी हो गई हो तो हम सोच रहे थे कि तुम्हारे हाथ पीले कर दें  क्योंकि तुम्हारे छोटे भाई बहनों की भी शादी की उम्र हो गई है…””

“बुआ जी ! मेरी जिंदगी आपकी देन है …..आप जैसा मेरे लिए उचित समझे…..मुझे मंजूर है””

बुआ  ने कई रिश्ते देखे।लेकिन हर रिश्ता नेहा के सांवले रंग की वजह से टूट ही जाता। आखिरकार एक दिन विमला जी जोकि बुआ की सहेली थी, उन्होंने नेहा को बहुत अच्छे से देखा करता था रंग में ना सही लेकिन अपने गुणों की वजह से नेहा ने कहीं ना कहीं उनके मन में एक अलग से जगह बना ली थी। इसीलिए एक दिन विमला जी ने आगे से अपने बेटे रजत के लिए नेहा का हाथ मांगा।

रजत एक गौर वर्ण और हट्टा कट्टा नौजवान ,मैकेनिकल इंजीनियर था।

जब विमला जी ने पूछा, “”रजत बेटा!!मुझे तुम्हारे लिए एक लड़की बहुत पसंद है अच्छी पढ़ी-लिखी और संस्कारी भी हैं अगर तुम्हारी हां हो तो क्या मैं उनसे मिलने के लिए डेट फिक्स कर दूँ…?””



रजत ने बेमन से कहा, “”मां!!आपको जो ठीक लगे ….वह करिए। वैसे भी अपनी पसंद को इस घर की बहू बनाने की सोचने पर बहुत बड़ी सजा भुगत चुका हूं अब आप अपनी पसंद की ही बहू लेकर आइये…..लेकिन प्लीज मुझे लड़की देखने के लिए मत कहना….””

विमला जी के बारबार कहने पर भी रजत नेहा को देखने और मिलने और देखने के लिए तैयार नहीं हुआ। उधर नेहा अपने भावी पति को देखने के लिए बहुत उत्सुक थी लेकिन बुआजी से कहने की हिम्मत भी नहीं होती थी और उसे अपनी बुआ पर पूरा भरोसा भी था इसलिए सबकुछ उसने अपनी किस्मत पर छोड़ दिया।

और फिर बिना देखे जब रजत बरात लेकर नेहा के दरवाजे पहुंचा, तो कनखियों से नेहा ने एक झलक रजत पर डाली। पहली नजर में ही वो मोहित हो गई और अपनी किस्मत और बुआ पर उसे बहुत नाज हुआ।

फिर भी मन में एक शंका जरूर थी कि इतने खूबसूरत व्यक्ति को  मैं सांवली सलोनी कैसे पसंद आ गई।  और नेहा दुल्हन बनकर रजत के घर आ गयी।

बढ़ते हैं कहानी के आगे की ओर

रजत गुस्से में अपने दोस्त के घर चला गया। दोस्तों के लाख समझाने पर भी रातभर वह घर  नहीं आया। जब सुबह विमला जी को इस बात का पता चला तो उन्होंने नेहा से इस बारे में पूछा, “”क्या बात है बहू!!रजत से तुम्हारी कोई बहस हुई क्या…””

नेहा, “‘नहीं नहीं माँजी!!ऐसा कुछ  ऐसा कुछ भी नहीं है …. रात को उनके दोस्त को कोई परेशानी थी इसलिए रजत जी उनसे मिलने के लिए चले गए ….””

लेकिन विमला जी नेहा के हाव-भाव और चेहरा देखकर सब समझ गई और यह भी परख गई कि नेहा को मैंने घर की बहू बनाकर कोई गलती नहीं की।

जब रजत घर आया तो विमला जी ने गुस्से में कहा, “”यह क्या नाटक है रजत…?क्या कोई अपनी पत्नी को इस तरह छोड़कर दोस्तों के घर जाता है…..?जो बात है वह कहो….”””

“”पता नहीं मां आपकी बहू नेहा और उसके घरवालों ने मुझे धोखा दिया …..आपको अच्छे से पता है कि मैं हमेशा से चाहता था कि मेरी पत्नी गोरे रंग की हो और आपने एक सांवली लड़की को मेरे पल्ले बांध दिया….मैं इसके साथ पूरी जिंदगी तो क्या…..एक दिन भी नहीं रहना चाहता….””

“”बकवास बंद करो रजत!!ये तुम क्या बोल रहे हो…..जब मैं तुम्हें बारबार मिलने को कह रही थी, तब तुमने मिलने से साफ इनकार कर दिया……..तो…..””



“”तो क्या मां !! इसका मतलब मैंने आप पर विश्वास करके गलती की…..धोखा तो आपने मुझे दिया…..जो ऐसे लड़की को मेरी जीवनसंगिनी के रूप में चुना…..”””

“”देखो रजत बेटा एक बार पहले तुम धोखा खा चुके हो तुम जिस लड़की से प्यार करते थे वह तो बहुत खूबसूरत थी लेकिन वो तुम्हारे परिवार के साथ नहीं रहना चाहती थी।  जब तक तुम उसे महंगे महंगे गिफ्ट देते रहे तब तक वह तुम्हारे साथ थी । जब तुमने यह सब देना बंद कर दिया तो तुम्हारे बॉस के साथ घूमना चालू कर दिया …..रंग का फर्क कितना भी हो… लेकिन गुणों में दिन रात का फर्क है उस लड़की और मेरी बहू में…..मैंने कुछ सोच समझकर ही तुम्हारे लिए नेहा को चुना है ….”

लेकिन रजत हमेशा नेहा से दूरी बनाकर रखता।वह चाहे कितना भी कुछ करे रजत हमेशा उससे खींचा खींचा ही रहता। उसने एक बार भी नेहा को नजर उठा कर नहीं देखा।

एक दिन, विमला जी की तबीयत बहुत खराब हो गई। रजत भी घर पर नहीं था नेहा के बार-बार फोन मिलाने पर भी रचा उसने फोन नहीं उठाया। नेहा ने जैसे तैसे अपनी सास को हॉस्पिटल पहुंचाया और समय  पर इलाज मिलने से विमला जी की जान बच गई।

जब रजत को इस बात का पता चला तो दौड़कर हॉस्पिटल पहुंचा। वहां नेहा एक बेटी की तरह उन्हें खाना खिला रही थी।

आज पहली बार रजत ने नेहा को देखा था। उसे महसूस हुआ कि भले ही उसका रंग थोड़ा सा सावला है लेकिन उसकी बोलती आँखे….मासूम चेहरा और तीखे नैन नक्स…..उसने पहली बार इतने गौर से देखा।  और अगर आज वह नहीं होती तो न जाने मां को क्या …..यह सोचकर ही रजत का कलेजा कांप उठा।

आज पहली बार अपनी मां के सामने रजत ने कहा, “”नेहा मुझे माफ कर दो….तुम पत्नी के रूप में मिली मैं बहुत खुशकिस्मत हूं……मैंने  तुमसे बहुत बुरा बर्ताव किया लेकिन इस मुस्कुराहट और व्यवहार ने मेरा मन बदल दिया और आज में समझ पाया हूं कि पति पत्नी का रिश्ता क्या होता है….”

नेहा ने पूछा,”” और उस धोखे का क्या…..जो मैंने आपसे किया “”

“” ऐसा धोखा तो मैं अब हर जन्म में खाना चाहता हूँ…नेहा…”

और हंसकर उसे गले से लगा लिया।

फिर अपनी मां से कहने लगा, ” मां जल्दी  ठीक हो जाओ और एक बार फिर से मेरा और मेरी पत्नी का ग्रह प्रवेश करवा देना….मैं अपनी जिंदगी की शुरुआत तुम्हारी पसंद और अपने सच्चे प्यार से करना चाहता हूं… “”!!!!!

प्रिय पाठकगण!! इस कहानी के माध्यम से मेरा मकसद व्यक्ति विशेष की भावनाओं को चोट पहुंचाना नहीं है। लेकिन किसी भी व्यक्ति के रंग रूप से ज्यादा उसके गुण ज्यादा मायने रखते हैं ।

क्या आप मेरी इस बात से सहमत है? अगर आपको मेरी कहानी पसंद आती हैं तो कृपया मुझे लाइक फॉलो जरूर करें

धन्यवाद

स्वरचित एवम् मौलिक

प्रियंका मुदगिल

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