एक बार फिर (भाग 41 ) – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi

प्रिया शेखर को फोन पर बात करते हुए सुन कर डिस्टर्ब हो जाती है, पर शेखर उसे चिढ़ाते हुए बात को खत्म कर देता है प्रिया के जीजा जी को उसे लेने आना है अब आगे –

शेखर के ऑफिस जाने के बाद प्रिया दादी और मम्मी के पास बैठ गई।

राजेश तुम्हें लेने साढ़े ग्यारह बजे आ रहे हैं।

प्रिया  तुम दोनों ने हनीमून का क्या डिसाइड किया??? मम्मी ने नजरें उसके चेहरे पर गढ़ा दी।

प्रिया ने गर्दन झुका नर्वस हो कर अपना पल्लू पकड़ लिया।

मम्मी ने उसकी नर्वसनेस भांपते हुए कहा, समझ गई उस बेवकूफ ने अभी तक डिसाइड नहीं किया है।

शादी के बाद शुरू का वक्त बहुत कीमती होता है वो सिर्फ तुम दोनों का है। कुछ अपनी कहो कुछ उसकी सुनो हां एक बात उसे अपनी ही मत चलाने देना।

ये हमारी गैंग की इज्जत का सवाल है वो हंस पड़ीं।

प्रिया आश्चर्य में पड़ ग‌ई अजीब मां हैं टिपिकल सासू मां से इतनी अलग जो उसे ऐसी बात कह रही हैं।

जाओ बेटा तैयारी करो।

वो उठ कर रूम में आ गई उसने दोनों हाथ जोड़कर ईश्वर का धन्यवाद किया भगवान! जी अगर ये सपना है तो मैं इस नींद से कभी न जागूं इतनी सारी खुशियां मेरे दामन में डाल दी हैं कि संभाले नहीं संभल रही हैं।

मेरी खुशियों को किसी की नजर न लगे सोचते हुए उसकी आंखें नम हो गई।

उसने आंखों से काजल लिया और शेखर की फोटो पर छुआ दिया।

उसकी फोटो को हाथ से चूमा और मुस्कुरा कर बोली आप देख रहे हैं शेखर! आपकी दीवानी हो गई हूं।

आप हैं तो मैं हूं।

उसके बाद उसने अपना सामान समेटा और पैक कर लिया।

जीजा जी उसे लेने आ चुके थे।

उसने आगे बढ़कर पैर छुए जीजा जी ने उसके सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद दिया “खुश रहो”

फिर दादी से बोले हमारी प्रिया तो दो दिन में बदल गई है।

हां, अब बाधवा खानदान की बहू जो बन गई है।

दादी जी मेरी कोई बहन नहीं थी प्रिया को मैंने हमेशा मेरी बहन के रूप में माना है इसलिए सारे फर्ज मैं ही पूरे करूंगा।

प्रिया की आंखें डबडबा गई।

राजेश तबीयत कैसी है अब??? मम्मी पूछने लगीं

जी अब बहुत बेहतर हूं गपशप के बीच में उन्होंने कहा

प्रिया चाय, नाश्ते को रंजन को कह दो।

अब दोनों परिवार शादी की तैयारी करते हैं शेड्यूल तुम और शेखर आपस में डिस्कस कर लेना।

जी आंटी

प्रिया जैसे ही घर से निकली उसने शेखर को मैसेज कर दिया ।

जा रही हूं।

लगता है बहुत खुश हो???? मुझसे छुटकारा मिल गया उसका मैसेज आया।

इतना खुश होने की जरूरत नहीं है, वहां भी चला आएगा ये दीवाना

“मिस यू सो मच डार्लिंग”

मी टू  प्रिया ने दिल के इमोजी भेज दिए।

उसने फोन की ‌स्क्रीन पर लगे शेखर के फोटो को ध्यान से देखा फिर फोन ऑफ कर दिया।

तुम खुश हो प्रिया!

जी, प्रिया ने हां में सिर हिला दिया।

निभा तुम्हारे लिए बहुत खुश है। आप दोनों मेरा सब कुछ हैं जीजा जी प्रिया की आंखें भर आईं।

पगली लड़की खुश हो जाओ तुम्हें शेखर मिला है इतना अच्छा परिवार है किस्मत ने तुम्हें वो सब दिया है जिसे हम सोच भी नहीं सकते थे।

घर पहुंच कर निभा दी ने उसे बाहों में भर कर उसका माथा चूम लिया।

उसने दी की सासू मां के पैर छुए उन्होंने उसे बहुत सारा आशीर्वाद दिया।

दी प्रिया को ध्यान से देख रही थी मेरी प्रिया इतनी खूबसूरत लग रही है कि किसी की नजर ना लगे काश! मां आज आप होतीं उनकी आंखों में आसूं भर आए।

चलो प्रिया को रिलेक्स होने दो तुम लंच का देख लो जीजा जी दी से बोले।

दी मैं भी आती हूं वो दी के पीछे किचन में चली गई।

और नया रिश्ता कैसा लग रहा है??? दी ने मुस्कराकर पूछा।

सब अच्छे हैं दी मम्मी, पापा दादी सब बहुत अच्छे हैं।

जानती हूं वो सब अच्छे हैं मैं किसी और की बात कर रही हूं।

प्रिया चुप हो गई।

नहीं बताना चाहती???

नहीं दी ऐसा नहीं है, वो तो सबसे अलग हैं।

अच्छाआआआ……..

लंच में दी ने प्रिया की फेवरेट डिशेज बनाईं।

अब तो तुम इतने बड़े खानदान की बहू हो तुम्हें मायके में भी उसी तरह ट्रीट करना पड़ेगा।

जाओ मैं आपसे बात नहीं करूंगी प्रिया ने मुंह फुला लिया।

मेरी बेटी को तुम दोनों तंग मत करो दी की सासू मां ने हंसते हुए कहा।

शाम को शेखर को बुला रहा हूं शादी के बारे में उससे डिस्कस करना है।

ठीक है हम अपनी तैयारियों के बारे में उन्हें बता देंगे दी ने कहा।

निभा दी के दोनों बच्चे मासी को देख कर बहुत खुश थे। मासी आज हमारे रूम में रहेंगी,चीनू ने प्रिया का गाल चूम कर कहा।

मासी हमने आपको बहुत मिस किया है।

“मेरे बच्चों” उसने दोनों को गले से लगा कर उनको किस किया।

उसका ध्यान शेखर पर था उसके बारे में सोच कर प्रिया का चेहरा खिल उठा।

रूम में बच्चों के साथ लेट कर वह कार्टून मूवी देखने लगी।

शेखर का मैसेज आया शाम को आऊंगा डिनर डेट पर चलते हैं।

उसने शेखर को कॉल कर दिया।

हैलो! आप बिजी तो नहीं हैं

नहीं, तुम्हारे लिए आलवेज अवेलेबल हूं मेरी जान

क्या हुआ???

आज जीजा जी शादी के बारे में बात करने के लिए बुला रहे हैं इसलिए डिनर पर नहीं जाएंगे।

वैसे भी मैं घूमूंगी तो मम्मी दादी क्या सोचेंगे???

फिर  अकेले में कहां मिलोगी??? डिनर तो मैंने अपने होटल में अरेंज करने का सोचा था।

क्यों??? प्रिया हंसते हुए बोली।

क्योंकि मैं तुमसे दूर नहीं रह सकता।

शाम को मिल तो रही हूं, वो कोई मिलना होगा जो चार लोगों के बीच में होगा।

शाम को इंतजार करूंगी।

उसने फोन रख दिया।

शाम को शेखर डिनर के वक्त पहुंच गया वो जीजा जी के साथ बैठ कर बातें करने लगा।

बीच-बीच में वह प्रिया को देख रहा था जिससे प्रिया असहज महसूस कर रही थी।

तभी दी ने जीजा जी को आवाज दी

सुनिए! मुझे आपसे कुछ काम है।

अब प्रिया और शेखर आमने-सामने थे।

माना कि शर्मोहया बहुत अच्छी चीज है पर कुछ लोग तो शरमाने का रिकार्ड बना रहे हैं??

शेखर ने उसकी आंखों में देख कर कहा।

प्रिया ने नजरें झुका ली।

शेखर ने उसका हाथ पकड़ कर होंठों से लगा लिया।

प्रिया ने  अपना हाथ धीरे से छुड़ा कर इधर उधर देखा।

एक बात कहूं दीदी बहुत समझदार हैं उन्होंने हम दोनों को अकेला छोड़ दिया।

और कुछ नहीं तो मौके का फायदा उठाकर एक किस तो कर सकता हूं वो उसकी तरफ बढ़ा।

प्रिया बेहद हड़बड़ा कर खड़ी हो गई आप क्या कर रहे हैं कोई आ जायेगा।

तो क्या हुआ वाइफ हो मेरी??? उसने उसके गाल पर किस किया।

एक दो दिन बाद बाहर चलेंगे शेखर ने उसकी पीठ को  सहलाते हुए कहा।

प्रिया ने ना में सिर हिलाया।

क्यों????

तो ठीक है मैं अपना बंदोबस्त कर लूंगा।

वो चौंक पड़ी, मुझसे बात मत कीजिए।

क्या आप नहीं जानते कि आप कौन हैं ??

“द राजशेखर बाधवा”  हमारी आउटिंग सब जगह वायरल हो जाएगी।

मैं मम्मी और दादी को शिकायत का मौका नहीं दे सकती।

“और मुझे” वो उसके करीब आ कर बोला। तभी आहट सुन कर दोनों दूर हो ग‌ए।

दी और जीजा जी आकर बैठ ग‌ए जीजा जी ने गला साफ किया।

शेखर! कुछ मिनट की चुप्पी के बाद उन्होंने कहा।

शादी की बावत हमने कुछ सोचा है, हम तुम्हारी बराबरी नहीं कर सकते पर कोशिश करेंगे कि कुछ तो कर सकें।

शेखर ने उनके हाथ अपने हाथ अपने हाथ में ले लिए।

आप परेशान न हों सारा इंतजाम मैं करूंगा।

नहीं शेखर हम लड़की वाले हैं चुप तो नहीं बैठ सकते।

अभी इतने ही हैं उन्होंने कुछ चैक उसे जबरदस्ती थमा दिए।

प्रिया की आंखें थीं,वो इमोशनल हो गई उन्होंने उठ कर उसे गले से लगाया तुम मेरी साली ही नहीं मेरी निभा की जान हो।

ये तुम्हारी दी और जीजा जी की तरफ से गिफ्ट है।

जीजा जी ये अहसान…….

बिल्कुल चुप दी ने उसे प्यार से कहा।

शेखर और बाद में देखता हूं।

डिनर के बाद शेखर जाने लगा तो दी और जीजा जी ने उसे कहा आज यहीं रूक जाओ।

नहीं मैं चलता हूं, किसी दूसरे दिन आऊंगा ।

प्रिया मैं इन्हें नहीं लूंगा शेखर ने बाहर आकर चैक प्रिया को देने चाहे।

शेखर जीजा जी नाराज हो जाएंगे।  मैं जानती हूं कि आपके हमारे स्टेटस में जमीन आसमान का अंतर है, पर

मैं अगर कुछ कहूंगी तो ये सही नहीं होगा।

“ओके बाय बाय” माई स्वीटहार्ट ये दिन तुम्हारे बगैर कैसे गुजरेंगे मेरा दिल ही जानता है।

इतने में उसका फोन बज उठा उसने फोन देखा अजीब सा भाव उसके चेहरे पर आकर गुजर गया।

प्रिया ने पूछा क्या हुआ????

कुछ नहीं

क्रमशः

©® रचना कंडवाल

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8 thoughts on “एक बार फिर (भाग 41 ) – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi”

  1. Ma’am please🙏 roj iss story ka ek part upload kijiye… Isse phle bhi maine bhut baar kha h 🥺… Itne dino baad story aane ki wjh se phle ka part bhul jate h sb 😢….

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  2. आप या तो स्टोरी एंड करिए या रोज एक पार्ट अपलोड करिए पढने में इंट्रेस्ट खत्म हो जाता है

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