शेखर प्रिया के साथ मिसबिहेव करता है जिससे प्रिया
बहुत अपसैट हो जाती है।
शेखर को रियलाइज होता है वो परेशान हो जाता है वह घर आकर डिनर के बाद समर को फोन करता है अब आगे-
हैलो!
शेखर! “नाईस”
आज कैसे याद कर लिया दोस्त को??
भाभी से फुर्सत मिल गई समर ने हंस कर टोंट मारते हुए कहा।
नहीं, ऐसा नहीं है दोस्त तो हमेशा दिल में रहते हैं।वो फीकी हंसी हंस दिया।
भाभी कैसी हैं???
ठीक है।
मैं भी काम में मशरूफ हो गया था तो तुम लोगों से दोबारा नहीं मिल पाया।
रिनी खन्ना वाला मैटर साल्व हो गया???
हां, प्रिया ने साल्व कर दिया।
कैसे??? समर चहक उठा।
प्रिया रिनी से मिली और उसे अच्छी तरह से फटकार दिया, उसने कहा कि उसे मेरे पास्ट से कोई मतलब नहीं है???
बहुत बढ़िया, तुम्हारा सबसे बड़ा डर खत्म हो गया।
पर मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। मैंने प्रिया के साथ…..
कुछ देर के लिए चुप्पी छा गई।
मैंने उसके साथ मिसबिहेव किया उसे जबरदस्ती छूने की कोशिश की।
तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था शेखर, मैं भाभी से मिला हूं। दो ही मुलाकातों में उन्हें समझ गया था।
वो बहुत ही डिसेंट हैं।
हमारी सोसायटी से बिल्कुल अलग
जल्द ही तुम्हारी शादी होने वाली है। तुम्हें उनकी फीलिंग्स की रेस्पेक्ट करनी चाहिए।
वो बहुत नाराज है समझ नहीं आ रहा है कि उसका सामना कैसे करूं???
तो ऐसा किया ही क्यों??? अब उनसे माफी मांगों।
मांगी थी।
क्या कहा उन्होंने?? कुछ नहीं खामोश थी।
शेखर भाभी इतनी आसानी से तुम्हारा बिहेवियर भूल नहीं पाएंगी।
एक सॉरी कह देना ही काफी नहीं होता।
उनके पास जाओ और उन्हें अहसास दिलाओ कि तुम अपने किए पर शर्मिंदा हो।
पर…
पर वर कुछ नहीं तुमने अच्छा नहीं किया।
शेखर फोन रख कर सोचने लगा इस एक गलत स्टैप से हमारा रिश्ता तबाह हो सकता है। “ओह गॉड” मुझे अपनी गलती सुधारनी होगी।
मेरे लिए ये कोई बड़ी बात नहीं है पर प्रिया और मुझमें बहुत फर्क है उसने मुझे कई बार वार्न किया था।
अगले दिन सुबह नाश्ते के लिए डाइनिंग पर सब मौजूद थे।
तभी मम्मी ने पूछा, प्रिया कैसी है?? मेरी पिछले तीन दिनों से उससे बात नहीं हुई।
हम लोग चाहते हैं कि नवरात्र की पूजा में कलश स्थापना हमारी बहू के हाथों से हो।
कल से नवरात्र शुरू हैं।
मैं प्रिया को फोन करूंगी। तुम जा कर उसे ले आना।
मॉम आप ही ले आइएगा। मेरे कहने से तो शायद वो नहीं आएगी।
क्यों??? तुमने उसके साथ झगड़ा तो नहीं किया।
मुझे कल बहुत काम है। इसलिए मैं फोन करूंगी तुम उसे लाओगे।
उन्होंने प्रिया को फोन मिलाया।
हैलो! प्रिया बेटा कैसी हो???
जी मम्मी प्रणाम, आप कैसी हैं??
तुम्हारी तबीयत तो ठीक है, ऐसे क्यों साउंड कर रही हो??
कुछ नहीं मम्मी कल से फीवर है।
शेखर आ जाएगा डाक्टर को दिखा देते हैं।
मम्मी मैं दवा ले रही हूं।
बेटा कल से नवरात्र की पूजा शुरू होगी। मैं सोच रही थी कि पूजा तुम्हारे हाथों से करवाई जाए।
पर तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है तो कोई बात नही।
सॉरी मम्मी
फोन रखने के बाद उन्होंने शेखर से पूछा प्रिया को फीवर हुआ है???
तुम्हारी उससे बात हुई???
शेखर ने इंकार में सिर हिलाया,
जाकर मिल कर आओ उससे तबीयत ठीक रहेगी तभी पूजा में बैठ पाएगी।
प्रिया की तबीयत का सुन कर शेखर बेचैन हो गया,
कुछ देर सोचता रहा फिर सीधे ऑफिस निकल गया।
ऑफिस में उसे कुंदन का फोन आया सर!आज आपकी वाइफ ऑफिस नहीं गई हैं।
हुंअ……
चलो ठीक है मैं देखता हूं।
ऑफिस में उसका पूरा दिन बेचैनी में बीता। शाम होते ही वह ऑफिस से निकल गया।
ड्राइव करते हुए उसे घुटन महसूस होने लगी तो उसने अपना कोट उतार कर कार की पिछली सीट पर डाल दिया।
प्रिया से मिलने का सोच कर उसे डर महसूस हो रहा था।
क्या पता उसने दीदी को मेरी हरकत के बारे में बताया हो????
जल्द ही वह दी के घर पहुंच गया।
उसे देखकर दी मुस्कराई हद है शेखर! हमारी प्रिया की तबीयत खराब है और तुम उसे देखने अब आ रहे हो।
दी सॉरी, किसी काम में फंस गया था।
जा कर प्रिया से मिल लो वो अपने रूम में है चाय वहीं भिजवाती हूं।
शेखर प्रिया के रूम में चला गया। वो आंखें बंद करके करवट में लेटी हुई थी।
शेखर ने धीरे से उसके माथे को छुआ। उसने आंखें खोल दी। वो शेखर को देख कर चौंक पड़ी
फीवर हुआ है, दवा ली???
प्रिया खामोश थी।
माफ नहीं करोगी??? शेखर का गला भर आया वो उसके पास बैठ गया।
“आई हेट माइसेल्फ”
सॉरी,
प्रिया के आंसू निकल पड़े। शेखर उसे ध्यान से देख रहा था। उसके गले पर निशान देख शेखर ने नजरें झुका ली।
इतने में दी चाय लेकर आ गईं।
प्रिया उठ कर बैठ गई और उसने अपनी गर्दन के इर्द गिर्द दुपट्टा लपेट लिया।
उठो चाय पी लो प्रिया
नहीं दी, मन नहीं है। ऐसा नहीं चलेगा चाय के साथ एक बिस्किट लो नहीं तो दवा कैसे लोगी???
शेखर इसे समझाओ
दी आप बैठिए न प्रिया ने दी की तरफ देखते हुए कहा।
तुम दोनों बातें करो मैं बच्चों को देखती हूं।
उनके जाने के बाद प्रिया शून्य में ताकने लगी।
प्रिया! चुप मत रहो तुम्हें मुझे डांटना है डांट लो चाहे तो थप्पड़ भी मार सकती हो।
उसने प्रिया का हाथ अपने हाथों में ले लिया।
प्रिया ने अपना हाथ पीछे खींच कर गर्दन झुका ली।
शेखर! मैंने हमेशा आप पर भरोसा किया था पर मुझे भरोसा करने का आपने ये ईनाम दिया।
मैं आपकी तरह हाई सोसाइटी से बिलौंग नहीं करती, पर इतना जरूर जानती हूं शादी से पहले आपका दिया हुआ ये टैग मेरे कैरेक्टर को डिफाइन करेगा।
कहते हुए उसने अपनी गर्दन से दुपट्टा हटा दिया।
दी देखेंगी तो क्या कहेंगी??
वो कहेंगी कि पंद्रह दिनों बाद शादी है और मेरी बहन…..
शेखर हमें इस रिश्ते के बारे में दोबारा सोचना चाहिए।
क्या पता शादी के बाद आप मुझे पसंद न करें क्योंकि मेरी सोच आपसे बिल्कुल अलग है।
शेखर चुपचाप सुन रहा था।
सोसायटी और स्टेट्स का फर्क इस रिश्ते को पनपने नहीं देगा।
ठीक है, मानता हूं कि मैंने बहुत बड़ी गलती की है, पर उसकी इतनी बड़ी सजा मुझे मंजूर नहीं है। वह उग्र हो उठा।
हमारे रिश्ते की डोर को इतना मत खींचो कि टूट ही जाए।
याद रखना मेरे लिए तुम नहीं तो कुछ नहीं है।
जब से मिली हो जिंदगी के मायने बदल गए हैं और अगर…… तुम दूर हुई तो,तो
मेरा मरा हुआ मुंह देखोगी।
शेखर! आप मुझे ब्लैकमेल कर रहे हैं।
ये प्यार नहीं पागलपन है।
अगर आप मुझे प्यार करते हैं तो आप अपने आप को नुक्सान नहीं पहुंचाएंगे। इतनी खुदगर्जी ठीक नहीं है प्यार जीने की वजह होता है। किसी के दर्द की वजह नहीं बन सकता।
मुझे मोहब्बत ने हमेशा दर्द दिया है।
तुम नहीं समझ पाओगी।
कल आपने जो कुछ किया वो क्या था??
काश! कोई रिवर्स बटन होता तो मैं उस वक्त को बदल देता। पर जो हुआ उसे बदला नहीं जा सकता।
तुम क्या चाहती हो ?? मैं हम दोनों की फैमली के सामने तुमसे माफी मांगू?? तो मैं वो भी कर लूंगा।
हां, आप तो आसानी से ऐसा कर देंगे फिर जो किसी को पता नहीं है वो सबको पता चल जाएगा।
कुछ देर की खामोशी के बाद शेखर ने फोन मिला कर स्पीकर पर डाल दिया।
हैलो! हां मॉम मैं प्रिया के साथ हूं। प्रिया कैसी है??
प्रिया ये सुन कर घबरा कर उसे देखने लगी, उसने फोन रखने का इशारा किया।
मॉम उसकी तबीयत ठीक नहीं है। उसे फीवर है।
मॉम मैने प्रिया को हर्ट किया है??? क्या मतलब???
मैंने उसके साथ….. उसके साथ,
उसके साथ क्या???
उसके साथ जबरदस्ती……… कोशिश…… उसकी आवाज कांप उठी।
दिमाग खराब है तुम्हारा,
शेखर! ये तुमने क्या किया??? “हाऊ डेयर यू”
मॉम गुस्से में चिल्ला उठीं।
प्रिया को फोन दो,
मॉम फोन स्पीकर पर है,
प्रिया, बेटा …… मुझे सुन रही हो ???
जी मम्मी,
इसने मुझे और मेरी परवरिश को शर्मिंदा कर दिया।
मैंने हमेशा इसे सबकी रेस्पेक्ट करना सिखाया था, पर आज इसने सब कुछ मिट्टी में मिला दिया।
इसकी दादी ये सुन कर बहुत दुःखी होंगी।
प्रिया तुम्हें पूरा हक है, तुम इसे जो सजा देना चाहो दे सकती हो।
तुम इस रिश्ते में रहना चाहती हो या नहीं ये भी तुम्हें सोचना है।
पर मेरा और तुम्हारा जो रिश्ता बना है वो हमेशा रहेगा।
बहू बनोगी तो हमारा सौभाग्य होगा। अगर ये रिश्ता नहीं हुआ तो भी तुम मुझे मम्मी कह सकती हो।
मेरे बेटे ने जो कुछ किया उसके लिए मैं तुमसे माफी मांगती हूं।
शेखर ने फोन ऑफ कर दिया।
दीदी को बुलाओ उनसे भी कह देता हूं।
प्रिया बिस्तर से उठ कर उसके सामने खड़ी हो गई,
नहीं,आप दी से कुछ नहीं कहेंगे।
क्यों???
नहीं, मैं उन्हें जवाब नहीं दे पाऊंगी।
चलता हूं आगे तुम्हारी मर्जी है तुम इस रिश्ते का जो करना चाहो कर सकती हो, अब मैं नहीं रोकूंगा।
आखिर गलत तो हुआ है, वो लुटे हुए जुआरी की तरह खड़ा था।
कुछ देर बाद वह सिर झुका कर बाहर निकल गया।
इस बार न शेखर ने पीछे मुडकर देखा न प्रिया ने उसे रोका तो क्या????
“एक बार फिर”
तकदीर बदली थी, वक्त बदल गया था।
“एक बार फिर” प्यार का मौसम बीत चुका था।
पतझड़ लौटा था, पीले पत्ते शाख से जुदा हो रहे थे।
अगर हिस्से आई थी तो सिर्फ “तन्हाई”
क्या उनकी मुहब्बत का अंत ऐसा होना चाहिए था??
क्या यही अंत था मर मिटने वाले प्रेम का???
क्रमशः
एक बार फिर (भाग 36 ) व अंतिम भाग
©® रचना कंडवाल
story bahut acchi h but iska end Aisa nhi hona chaiye next part jaldi upload kijiyega plz
Plzz next part jaldi upload kariye 🙏