एक बार फिर (भाग 29) – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi

पिछले भाग में शेखर अपने और रिनी के रिश्ते के बारे में प्रिया को सब कुछ बताता है। प्रिया सोचती है कि शेखर रिनी को हराने के लिए इस शादी को करना चाहता है। उसका मकसद रिनी को नीचा दिखाना है। इसलिए वह कोर्ट मैरिज का प्रपोजल रख रहा है। वो नाश्ते पर दी के घर जाने की बात करती है और शेखर से कहती है वो खुद इस‌ शादी के लिए मना कर कर दे।

अब आगे-

प्रिया के रूम में शेखर और प्रिया आमने-सामने थे। आप जो चाहें कर सकते हैं मैं आपको नहीं रोकूंगी प्रिया ने उसकी आंखों में देख कर कहा।

शेखर ने अपनी शर्ट के बटन खोले और शर्ट उतार कर एक तरफ फेंक दी।

और आगे बढ़ कर प्रिया को अपने सीने से लगा लिया।

प्रिया ने ये सब नहीं सोचा था।

हां मुझे सब कुछ चाहिए।

तुम मेरी मोहब्बत,मेरा जुनून, मेरी जिंदगी सब कुछ हो।

तुम्हें पाने के लिए मैं हद से गुजर जाऊंगा।

मुझे किसी चीज की परवाह नहीं है।

किसी भी चीज की नहीं।

प्यार की बात करती हो। इश्क तुमसे है और जंग उससे है।

इश्क और जंग में सब जायज है।

आज तुमने मुझे चुनौती दी है तो मुझे मंजूर है। तुम मुझे ऐसा समझती हो तो ऐसा ही सही।

‌उसने प्रिया का चेहरा चूम लिया चलो आओ है तुममें हिम्मत ???

प्रिया आंखों में आसूं लिए उसे देख रही थी।

आप मेरी परवाह न करें उसने धीरे से कहा।

हमेशा तुम्हारी परवाह करता हूं। तुम्हारी खुशी के लिए कुछ भी कर सकता हूं।

तुम ये शादी नहीं करना चाहती तो मत करो मुझे छोड़ कर जाना चाहती हो तो छोड़ दो।

उसने उसे उठा कर बेड पर लिटा दिया।

वो अंदर से कांप उठी उसे अपना शरीर बेजान महसूस हो रहा था।

उसने शांत रहने की कोशिश की।

क्योंकि कहीं न कहीं वो शेखर को समझना चाह रही थी कि उसके लिए क्या जरूरी है???

दिलो-दिमाग में एक अजीब सी कशमकश चल रही थी। कि कहीं उसने अपने आप को दांव पर लगा कर गलती तो नहीं कर दी। एक विचार ऐसा था कि शेखर ऐसा नहीं कर सकता।

डर क्यों रही हो??? वो उसके ऊपर झुका।

तुम ऐसे ही चुपचाप रहोगी साथ नहीं दोगी ??? हंसते हुए उसने उसका हाथ पकड़ लिया।

अचानक वह उठा और उसने अपनी शर्ट पहन ली।

अपना चेहरा देखो डर की वजह से कैसा हो गया है???

प्यार करता हूं तुमसे अगर नहीं समझ सकती तो क्या कर सकता हूं???

रही फिजिकल होने की बात तो मुझे लड़कियों की कोई कमी नहीं है।

पर मैं इतना गिरा हुआ नहीं हूं ।

रिनी को भी दीवानगी की हद तक चाहता था। वो अगर सही होती तो तुम आज यहां नहीं होती।

मैं सिर्फ तुम्हारा हूं अगर तुम मुझे किसी और को सौंपना चाहती हो तो तुम्हारी मर्जी है।

उसने मिरर में अपने बाल संवारे और चला गया।

प्रिया खड़ी उठी उसने अपना चेहरा देखा। उसका दिल अभी भी जोर से धड़क रहा था।

हाथ मुंह धोकर‌ उसने जाने की तैयारी शुरू कर दी।

वो अपनी पैकिंग करके बाहर आ गई।

उसने इधर उधर देखा तो कोई नहीं था।

मम्मी, वहां नहीं दिखी तो वो दादी के रूम में ‌ग‌ई।

दादी मैं दी के घर जा रही हूं। उसने दादी के पैर छुए।

मम्मी कहां हैं??

बेटा! तुम्हें शेखर पहुंचा देगा। तुम्हारी सास की कोई फ्रैंड आ रही है।

तुम शेखर को कॉल करो।

“जी”

उसने बाहर आ कर प्रवीण को बुलाया और अपना सामान गाड़ी में रखने को कहा।

पोर्च में गाड़ी खड़ी थी। शेखर ड्राइविंग सीट पर बैठा हुआ था।

वह चुपचाप बैठ गई। शेखर खामोशी से ड्राइव करने लगा।

घर से काफी आगे निकल कर उसने गाड़ी रोक दी।

मेरे और रिनी के बीच जो कुछ हुआ उसे जान कर तुम्हें तकलीफ हुई है।

पर वो पहले की बात है।

वो कुछ देर तक चुप रही।

आपके लिए मैं कभी इंपोर्टेंट थी ही नहीं आपको शादी भी उस रिनी की वजह से करनी है।

वो उसकी तरफ देखता रहा।

तुम्हारी जिद के आगे मैं खुद को सही साबित नहीं कर पाऊंगा।

अब मैं ये तुम पर छोड़ता हूं। तुम्हारे जवाब का इंतजार करूंगा।

उसने उसका सामान गाड़ी से उतार कर गेट के अंदर रख दिया।

प्रिया ने कहा अंदर नहीं आएंगे???

क्यों???

मैंने तो तुम्हें धोखा दिया है। इसलिए अब मेरी शक्ल मत देखना।

शेखर गाड़ी मे बैठ कर कुछ देर तक उसकी तरफ देखता रहा फिर चला गया।

प्रिया उसे जाते हुए देख रही थी।

अंदर आ कर उसने अपनी सासू मां को फोन किया।

मम्मी मैं पहुंच गई हूं।

बेटा! सॉरी मैं तुम्हें नहीं छोड़ने जा सकी।

कोई बात नहीं मम्मी आप टेंशन न लें।

ओके अब‌ मायके में अपने ये कुछ दिन एन्जवाय करो।

बाय मम्मी

उन्हें फोन करने के बाद उसने गहरी सांस ली।

काश! मम्मी आपका बेटा भी आपके जैसा होता।

दी बाहर आईं अरे! शेखर चला गया

हां दी उन्हें कुछ काम था इसलिए चले गए।

तुम इतनी मायूस क्यों दिख रही हो??? बस कुछ दिनों की बात है फिर तो तुम उसके ही साथ रहोगी।

वो फीकी हंसी हंस दी।

अंदर आकर उसने दी की सासू मां और जीजा जी के पैर‌ छु‌ए।

मां कैसी हैं आप??

जीजा जी‌ अब तबीयत कैसी है??? देखो फिट एण्ड फाइन हूं वो मुस्कुरा दिए।

तुम्हारी शादी है मैं बीमार कैसे रह सकता हूं??

दी बच्चे कैसे हैं??देख स्कूल से आएंगे तो मौसी को देख कर कितने खुश हो जाएंगे।

वो सबसे बातें कर रही थी पर उसका मन बहुत परेशान था।

दी मेरे सिर में पेन है थोड़ा आराम करूंगी। दिन में कुछ नहीं खाऊंगी।

वो अंदर गेस्ट रूम में आ गई।

सोचने लगी कि कितनी अजीब बात है। शेखर मेरी नस नस में बस चुके हैं।

मुझे उनके अलावा कुछ नहीं सूझ रहा है एक वो हैं उन्हें रिनी को नीचा दिखाने के लिए मुझसे शादी करनी है।

वो चुपचाप लेट कर सोने की कोशिश करने लगी।

उधर शेखर ने किसी को फोन किया।

हैलो!

कुंदन तुम अपने दो आदमी लेकर आओ तुम्हें अपनी वाइफ की सिक्योरिटी में लगा रहा हूं। “एंड बी केयरफुल” उसे पता नहीं चलना चाहिए नहीं तो वो बेवजह परेशान हो जाएगी।

उन्हें आर्डर देकर वह ऑफिस चला गया।

उसने ऑफिस में कान्फ्रेंस अटैंड की।

आज उसका मूड बेहद उखड़ा हुआ था मीटिंग्स के बाद वह ऑफिस से निकल गया।

शेखर की सोच में प्रिया थी।

उसने समर को फोन किया आ जाओ साथ डिनर करते हैं। देर शाम समर उसके घर चला आया।

चल यार! आज काफी वक्त बाद कुछ टाइम साथ स्पैंड‌ करेंगें शेखर ने कहा।

दोनों टैरेस पर चले गए। धीमी ठंडी हवा बह रही थी। रात की रानी की‌ खुशबू उस हवा में मिल कर एक मदहोशी सी पैदा कर रही थी।

ऐसे रोमांटिक मौसम में प्रिया भाभी को तुम्हारे साथ होना चाहिए और तुम मुझे बुला रहे हो समर ने हंसते हुए कहा।

चल आज एक एक ड्रिंक्स लेते हैं शेखर ने कहा

पर तू तो नहीं पीता, समर ने आश्चर्य से कहा

आज तेरा साथ दूंगा उसके स्वर में मायूसी थी।

छोड़ ये सब बातें ये बता भाभी कहां है???

वो चली गई शेखर ने गहरी सांस ली।

क्यों???

उसे भी वही लगता है जो तुमने कहा था कि मैं रिनी की वजह से उससे शादी कर रहा हूं।

समर उसका जाना मैं नहीं झेल पाऊंगा।

मैं भाभी से बात करूंगा। नहीं समर वह सोचेगी कि मैंने तुम्हें‌ अपनी सिफारिश करने के लिए भेजा है।

क्यों सोचेंगी??? दोस्त हूं भाई मानता हूं तुम्हें

मैं खुद जाकर बात करूंगा।

ड्रिंक्स लेने की कोई जरूरत नहीं है और तुम भी ये सब छोड़ो।

तुमने तो जैसे हार ही मान ली है।

कुछ देर के बाद शेखर ने चुप्पी तोड़ी उसने मुझे कह दिया है कि मैं इस शादी से इंकार कर दूं।

फिर क्या करोगे???

और मैं कभी ऐसा नहीं होने दूंगा उसके चेहरे पर गुस्सा उभर आया।

गुस्सा मत करो। हम‌ इस प्राब्लम को साल्व कर‌ लेंगे।

दो दिन बीत चुके थे प्रिया ने शेखर से कोई बात नहीं की।

शेखर की मायूसी बढ़ती जा रही थी।

उधर प्रिया भी बहुत बेचैन थी सोच रही थी कि शायद सब कुछ खत्म हो गया है।

शेखर ने ऑफिस में ज्यादा वक्त बिताना शुरू कर दिया था।

रात के आठ बज चुके थे वो ऑफिस से निकल ही रहा था कि उसका फोन बज उठा।

उसने फोन रिसीव किया

हैलो!

हैलो सर मैं कुंदन बोल रहा हूं। आपको एक बहुत जरूरी बात बतानी है।

क्रमशः

©® रचना कंडवाल

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