एक बार फिर (भाग 9 ) – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi :  

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि प्रिया शेखर को कहती है कि अगर वो सचमुच उसे प्यार करता है तो उसे छोड़ दे।

नहीं तो वह जान दे देगी। वो चुपचाप चला जाता है।

उसे कविता से पता चलता है कि वो अमेरिका चला गया है। अब आगे-

उसने शेखर को फोन मिलाया पर उसने नहीं उठाया।

वो गहरी सोच में डूब ग‌ई।

उसका एक्सीडेंट हुआ था। इसकी वजह मैं ही हूं।

न मैं उस दिन उससे झगड़ा करती न वो परेशान होता।

मैंने भी कह दिया कि कि मैं खुद को कुछ कर लूंगी।

मैं क्या इतनी कमजोर हूं ???? उसे तो मैं और तरीके से भी रोक सकती थी।

मैं भी पागल हूं। किसी और का गुस्सा उस पर उतार दिया।

पर वो भी तो कम इरिटेटिंग नहीं है। इसलिए इतना कुछ बोल ग‌ई।

अब वो बहुत उदास थी। जिंदगी भी अजीब है किसी

इंसान की किस्मत में अकेलेपन के सिवा कुछ नहीं होता।

खैर जो भी हो।

चल प्रिया ऑफिस तो जाना ही पड़ेगा। तैयार होने लगी बॉटल ग्रीन कलर की भागलपुरी साड़ी विद मरून शेड्स पहन कर अपने लंबे बालों का ढीला जूड़ा बनाया काली बिंदी लगाकर शीशे में देखा तो फिर शेखर याद आ गया।

उसकी बातें याद करके उसके होंठों पर मुस्कराहट आ कर फिर गायब हो गई

गाड़ी निकाली और चल दी। उसने म्यूजिक आन कर दिया।

आफिस पहुंच कर पैंडिंग काम निपटा कर बैठ गई।

लंच टाइम में ऑफिस में सब आपस में बात करने लगे। तो वो भी वहां जाकर बैठ गई।

एक ने कहा मैम आप कब शादी कर रही हैं। हम तो इंतजार कर रहे हैं पार्टी का।

क्यों?? शादी ही सब कुछ होती है वो फीकी हंसी हंस दी।

तब तक कंचन बोली मैम यू आर राइट शादी सब कुछ नहीं होती पर बहुत कुछ होती है। सब जोर से हंस पड़े।

अरे मैम अपना गुस्सा निकालने के लिए पर्सनल पंचिंग बैग मिल जाता है। कंचन ने हंसते हुए कहा।

मैम मैंने तो डिसाइड किया है कि आपकी शादी में मैं लहंगा पहनूंगी।

फिर तो तुम्हारा प्लान धरा का धरा रह जाएगा।

वो वहां से उठ कर खड़ी हो गई।

शाम को घर पहुंच कर उसने चाय बनाई मालती खाना बना रही थी।

एक कप मालती को देकर चुपचाप चाय पीने लगी।

मालती खाना बना कर ग‌ई तो वह अलसाई हुई बाहर बैठ गई।

उसने दी को फोन मिलाया।

हैलो दी! कैसे हो आप

मैं ठीक हूं तू कैसी है??? आप तो भूल ही गए कि आपकी एक छोटी बहन भी है।

तू तो मेरे बच्चों से पहले है पगली लड़की

वैसे भी तू तो इस दुनिया में मेरा पीछा करते हुए आई है। दी हंस पड़ी

हम दोनों इनसे पहले साथ थे और हमेशा साथ रहेंगे। दी कहते हुए इमोशनल हो गई।

प्रिया मेरे मायके में तेरे अलावा है ही क्या???

मेरा सबसे “प्रिशियश जेमस्टोन”

“लव यू मेरी जान” एक बहुत बड़ी जादू की झप्पी भेज रही हूं तेरे लिए।

तू आई क्यों नहीं बहुत दिनों से

मैं तो आ जाती हूं दी आप मेरे पास कहां आते हो ???

बच्चों को लेकर कुछ दिनों के लिए अपने मायके आ जाओ न । बच्चे यहां से स्कूल चले जाएंगे।

मैं बहुत अकेली हूं वो फोन पर सुबक पड़ी।

अच्छा तू चुप हो जा मैं मांजी से पूछ कर तुझे बताती हूं।

दी बच्चों को लेकर आना। “ओके” उसने फोन रख दिया।

सच में दी ‌अगले दिन शाम को दोनों बच्चों को लेकर पहुंच गई।

उसके सूने घर में तो मानो बहार आ गई थी। दोनों बच्चे मासी से चिपक ग‌ए।

वो बच्चों के लिए खाने पीने की बहुत सारी चीज़ें खरीद कर ले आई थी।

मम्मा मैं तो मासी के घर ही रहूंगा सात साल का गुन्नू मासी के गले में झूल गया। मम्मा, मासी आपसे अच्छी हैं।

तब तक चीनू भी उसके करीब आ गई मासी मैं भी ‌उसने दोनों को गले लगा कर उनका माथा चूम लिया।

ठीक है दी ये दोनों मासी के पास रहेंगे। दी मुस्कराते हुए प्यार से तीनों को देखने लगी।

डिनर करने के बाद बच्चे टीवी देखने लगे तो दोनों बहनें बाहर आ कर बैठ गई।

तुमने आगे क्या सोचा है???

किस बारे में??? अरे मैं शादी की बात कर रही हूं।

कुछ नहीं क्या सोचना??? वो हंस दी।

किसी न किसी का साथ जरूरी है।

जिंदगी बहुत लंबी है। कब तक अकेली रहोगी???

मैंने एक दो लड़के देखें हैं अच्छे खानदान के हैं।

मिल लो तुम्हें कोई पसंद आए तो फिर देखते हैं।

वो चुपचाप सुनती रही कुछ नहीं बोली। इतने में दी के आगे पड़ा हुआ उसका फोन बज उठा उस पर शेखर का नाम देख दी ने उसकी तरफ देखा।

ये शेखर कौन है?? जो इतनी रात में तुम्हें फोन कर रहा है??? तुम मुझसे कुछ छिपा रही हो क्या?? देखो अगर कोई बात है तो मुझे बताओ???

तब तक फोन में दो मिस्ड कॉल आ चुकी थी। प्रिया ने दी की तरफ देखा कोई नहीं ऑफिस में कोई है???

ऑफिस वाला कोई इतनी रात को क्यों फोन करेगा???

तीसरी बार कॉल आई तो दी ने फोन उठा लिया।

दी न फोन पर हैलो नहीं कहा फोन स्पीकर पर डाल दिया।

हैलो कल तुम्हारा फोन आया था मैं ले नहीं पाया। बिजी था।

दी ने उसे इशारा किया बात करो। प्रिया घबरा गई। उसने फोन उठा लिया।

वो उठ कर खड़ी हो गई फोन स्पीकर पर ही था। हैलो मैं प्रिया की बड़ी दी बोल रही हूं।

हैलो दीदी! आप मुझे नहीं जानती हैं मैं शेखर हूं। प्रिया कहां है। रूको अभी बात कराती हूं। दी ने प्रिया को आंखें दिखाई।

हैलो ! मुझे पता चला कि आपका एक्सीडेंट हुआ था।

हां हुआ था। पर अब मैं ठीक हूं। तुम कैसी हो?? मैं ठीक हूं। ख्याल रखियेगा।

उसने झटपट फोन ऑफ कर दिया।

बड़ा ख्याल रखने की बात हो रही थी। वैसे ये शेखर है कौन?? दी शेखर कविता का देवर है।

कौन कविता??? वो तुम्हारी फ्रैंड, हां ‌

मुझे बताओ कौन है ये ??? फैमली वगैरह कहां रहता है???

दी वो शेखर बाधवा है जहां कविता रहती है वहीं उसके बगल में घर है वो और कुछ ज्यादा नहीं बताना चाहती थी।

पर दी तो हाथ धोकर उसके पीछे पड़ गई।

दी उसका पूरा नाम राजशेखर बाधवा है। बाधवा ग्रुप्स का सीईओ। वो तो बाधवा ग्रुप्स वाले सी.पी बाधवा का बेटा है। अब प्रिया चुप नहीं रह सकी। उसने दी को सब‌ कुछ बता दिया।

दी सोच में डूब ग‌ई। प्रिया वो बहुत बड़े लोग हैं।

जानती हो न

इसलिए दी मैंने उसे मना कर दिया। अगर मना किया था तो फिर फोन क्यों किया??? तुम कोई बच्ची तो नहीं हो।

या फिर कुछ और है?? जो तुम मुझसे छिपा रही हो।

नहीं दी कुछ और नहीं है। लाओ फिर मुझे मुझे फोन दो।

ऐसा डाटूंगी कि फोन करना भूल जाएगा।

वो क्या सोच रहा है कि तुम अकेली हो।

नहीं दी रहने दीजिए मैं अब उससे बात नहीं करूंगी।

दी को सारा माजरा समझ आ रहा था।

अच्छा लाओ उसका नंबर दो मुझे उससे बात करनी है।

ओहो दी! आप क्या बात करेंगी उससे

अच्छा फोन दो तो सही दी ने जबरदस्ती फोन ले कर वापस मिलाया।

अब प्रिया डर गई ओह गॉड! वो तो एक नंबर का लफंगा है कहीं मुझे समझ कर दी से अनाप-शनाप न बोल दे।

दी उसे एक तरफ खड़े रहने का इशारा करके फोन मिलाने लगी। प्रिया दी के गुस्से से वाकिफ थी। इसलिए वहीं पर खड़ी हो गई।

फोन पर बात करते हुए दी टहल रही थी प्रिया बेचैन हो कर चुपचाप खड़ी थी। यही कोई पांच मिनट बाद दी आ गई। डर के मारे प्रिया का गला सूख रहा था।

दी!

दी ने उसकी तरफ देखा मैंने उसे अपने घर बुलाया है।

नेक्स्ट मंथ जब वापस आएगा तब

पर दी आपने क्यों???? देखूं तो सही कि कैसा इंसान है???

पर दी मुझे……… तुम तो चुप ही रहो अपनी जिंदगी का सत्यानाश करके रख दिया है। दुनियादारी की जरा भी समझ नहीं है।

क्लास वन पोस्ट पर बैठी हो ??? और अक्ल घुटने पर है।

कोई भी बात थी तो सबसे पहले मुझे बताना चाहिए था।

मां नहीं है तो तुमने सोचा कि बस अब मनमर्जी करोगी।

दी उठ कर अंदर चली गई।

वो बैठ कर सोचने लगी उसने पता नहीं ऐसा क्या कह दिया जो दी इतनी गुस्से में थी। मैंने दी को नाराज कर दिया।

फोन करूं उससे पूछूं वो तो है ही बकवास बंदा नहीं नहीं फोन किया तो फिर से ज्यादा ही परेशान करने लगेगा।

अगले दिन सुबह ऑफिस के लिए तैयार होने लगी। तो दी उसके लिए नाश्ता तैयार कर रही थी। मालती दूसरे काम निपटा रही थी। दी के गले लग कर दी को सॉरी बोला उसका पपी फेस देख दी हंस पड़ी चल नाश्ता कर ले। दी बच्चों को स्कूल से आप ले आओगे??? दी‌ के हां कहने पर वो रास्ते में बच्चों को स्कूल छोड़ कर ऑफिस चली गई।

जब घर आई तो दी नार्मल थीं तब उसकी जान में जान आई।

दी चार दिन उसके पास रह कर वापस चलीं गईं।

‌प्रिया ने शेखर को फोन नहीं किया। न‌ उसका फोन आया।

जब बात खत्म हो गई है तो दी क्या बात करेंगी???

एक दिन दी का फोन आया । प्रिया सैटरडे शाम को यहां आ जाओ। संडे को मेरे पास रूकोगी।

संडे को मैंने शेखर को बुलाया है।

पर दी मैं आकर क्या करूंगी??? जैसा मैंने कहा है वैसा ही करना। बेचारी प्रिया डरते हुए सैटरडे शाम को पहुंच ग‌ई।

डिनर के बाद दी ने उससे कहा कल दिन में शेखर आ रहा है।

पर दी पर वर कुछ नहीं तुम पहले ही अपने लिए बहुत अच्छा कर चुकी हो अब भगवान के लिए चुप रहना।

संडे को दी ने उसे सुबह आर्डर दे दिया अच्छे से तैयार हो जाओ।

वो तुनक गई तैयार क्या होना??? जैसी हूं वैसी ही ठीक हूं।

जैसा मैं कह रही हूं वैसे ही करो। दी ने बहुत तैयारियां कर रखी थी। प्रिया देख रही थी उसे आश्चर्य हो रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका रिश्ता पक्का होने वाला है।

ये दी भी न बड़ी अजीब हैं उस बेकार आदमी के लिए खुद भी इतना तैयार हो रही हैं और मुझे भी तैयार होने को कह रही हैं।

तैयार हो कर दी बेहद‌ खूबसूरत लग रहीं थीं। कांजीवरम की ग्रीन और रेड गोल्ड जरी बार्डर की साड़ी उन पर बहुत खिल रही थी।

दी आप बहुत सुंदर लग रही हैं। दी आप ये ग्रीन साड़ी मुझे पहनने देती। ये क्या मुझे पीली साड़ी पहना दी।

हाय! प्रिया कितनी खूबसूरत लग रही है।दी ने उसकी बलैया ले ली।

इतने में बाहर दो गाड़ियां आ कर रूकी। जो लोग अंदर आए उसमें शेखर उसके मम्मी, पापा,दादी, कविता और उसकी फैमिली थे।

दी और जीजा जी ने आगे बढ़कर उनका वेलकम किया।

प्रिया के पैरों तले जमीन खिसक गई इतने सारे लोग

दी ने आंख से इशारा किया कि सब बड़ों के पैर छुओ।

उसे पैर छूते हुए बड़ा ऑकवर्ड फील हो रहा था। मन ही मन दी के ऊपर गुस्सा आ रहा था।

शेखर उसे देख कर मुस्कुरा रहा था। उसे गुस्सा आ रहा था पर मजबूर थी। शेखर की दादी ने बड़े प्यार से उसे अपनी बगल में बैठा दिया और बड़े प्यार से उसे देखते हुए बोली। बेटा इस नालायक से शादी करोगी। प्रिया आश्चर्य से सबको देखने लगी। सब हंस रहे थे और प्रिया उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी।

लड़का और लड़की को आपस में बात तो करने दो शेखर एक महीने बाद लौटा है।

बेटा शेखर एक महीने बाद आज ही मिल रहे हो प्रिया से

“जी दादी” शेखर उसे देखते हुए मुस्कराया।

होंगे तुम्हारे मां-बाप मार्डन मैं तो पुराने ख्यालात की हूं। जरा लड़का लड़की को आपस में बात करने दो।

“जाओ बेटा” दादी ने प्रिया का हाथ पकड़ते हुए कहा।

कविता उठ कर प्रिया के पीछे जाने लगी तो दादी ने उसे डांट कर बैठा दिया।

वो दोनों बाहर आ ग‌ए।

प्रिया असमंजस में थी। क्या सोच रही हो???

क्या है ये सब???

प्रिया उसकी तरफ देखते हुए बोली। जीते जागते सबूत लाया हूं।

तुम्हें यकीन दिलाने के लिए कि मैं तुम्हारे साथ जिंदगी बिताना चाहता हूं।

तुम्हें यूज एंड ‌थ्रो वर्ड से बहुत प्यार है न बार बार कहती हो न इस बात को तुम्हारे दिमाग से निकालने के लिए।

क‌ई लोग जिंदगी भर साथ रह कर प्यार नहीं करते। कुछ लोग थोड़े से वक्त में पूरी जिंदगी बन जाते हैं।

तुमसे तुम्हारी सादगी से इश्क हुआ है और यकीं करो पूरी जिंदगी निभाऊंगा।

“विल यू मैरी मी” प्रिया

प्रिया के गाल लाल हो उठे । इस सबमें दी भी आपके साथ थीं।

शुक्र है दीदी तुम्हारे जैसे अमीरी, गरीबी, तुम्हारी सो कॉल्ड सिम्पल लोगों वाली थ्योरी से ऑब्सेस्ड नहीं है।

‌तुमने क्या सोचा??? दीदी से सिर्फ उस दिन तुम्हारे सामने ही बात हुई थी।

बंदा भाभी के साथ दीदी घर आ के जा चुका है। वो मुस्कराया।

अगर ये सब करना ही था तो आप अमेरिका क्यों ग‌ए???

मैडम अमेरिका ही नहीं ब्रिटेन भी गया था।

क्यों???

योअर हाईनेस से कैसे बात करनी है ये सीखने वो हंसते हुए बोला।

अब भी तुम्हें मेरी नीयत पर शक है???

चलो अंदर चलते हैं। ज्यादा देर अगर तुम मेरे साथ रही तो कहीं मना ही न कर दो।

तो मैंने हां किया ही कब ??? दीदी को बुला लेता हूं उनके सामने ना कर दो। वो अंदर जाते हुए बोला।

अंदर बेहद खुशी का माहौल था।

प्रिया को देखते हुए शेखर की‌ मां बोली। पहली बार इसने कोई काम ठीक से किया है।

बेटा तुम्हें ये कैसे पसंद आया??? ये तो हमें ही इतने सालों से कभी पसंद नहीं आया उसके पापा हंसते हुए बोली। चलो अभी तो बातचीत फाइनल कर रहें हैं। रोका कब करना है पंडित जी से डेट निकलवा देंगे। अगर शादी जल्दी हो तो आप लोगों को कोई परेशानी तो नहीं है।

नहीं जी हमें कैसी परेशानी होगी। जीजा जी की मां ने हाथ जोड़कर कहा।

शेखर ने प्रिया की तरफ देखा तो उसने नजरें झुका ली।

जब वो लोग ग‌ए।

तो प्रिया दी से पूछने लगी‌ मुझसे बिना पूछे आपने मेरा रिश्ता इस इंसान के साथ तय कर दिया।

क्या कमी है उसमें बताओ?? जरा

वो बहुत बदतमीज है।

मेरे साथ उसने बहुत अच्छे से बात की। दी ने मुस्कराते हुए कहा। जानती हो जब मैंने उससे बात की थी तो उसने क्या कहा था??? दीदी मेरा कसूर मेरी अमीरी है।

और मैं सब कुछ छोड़ भी दूं तो मेरे मम्मी पापा का ख्याल कौन रखेगा और मैं इतना खुदगर्ज नहीं हूं। अब बताओ वो लड़का कैसे बुरा हो सकता है।

प्रिया “एक बार फिर” सच्चा प्यार लौट कर तुम्हारी चौखट पर आया है। उसे मत जाने दो।

बाकी तुम्हारी मर्जी प्रिया दी के गले लग गई।

दी इस बार आपने चुना है तो…. बस अब मैंने खुद को आपके हवाले कर दिया है।

तो ठीक है फिर मैं रिश्ता पक्का समझूं दी ने हंसते हुए उसके माथे को चूम लिया।

समाप्त

© रचना कंडवाल

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