Moral stories in hindi :प्रिया अपने घर पहुंच कर लॉक खोल ही रही थी कि पीछे से आवाज आई अच्छा तो आप यहां रहती हैं??
अब आगे-
आवाज सुनकर उसके प्राण सूख गए।
चाभी हाथ से गिर गई। जल्दी से पीछे घूमी तो लड़खड़ा गई शेखर ने आगे बढ़कर उसे मजबूती से थाम लिया।
वो झटके से सीधी खड़ी हुई और अपना हाथ छुड़ा लिया।
आपको मेरे सहारे की बहुत जरूरत है वो मुस्कराया
ऐसा करते हैं आज रात मैं यहीं रह लेता हूं।
प्रिया को बहुत तेज गुस्सा आ गया।
आपने मुझे समझा क्या है??? मैं उन लड़कियों जैसी नहीं हूं जो आपके आगे पीछे घूमती होंगी।
मुझे परेशान मत कीजिए जाइए यहां लोग सुनेंगे तो बेकार में बातें बनाएंगे।
मैं जो आपके आगे पीछे घूम रहा हूं उसका क्या??
वो उसके करीब आ गया कुछ बताएंगी उसके बारे में??
कौन किसे परेशान कर रहा है ये तो आप अच्छी तरह…. वो दीवार से चिपक कर सीटी बजाने लगा।
इतनी ठंड में एक कॉफी पूछनी तो दूर मुझे धक्का दे रही हैैं।
आपके यहां घर आए मेहमान के साथ ऐसा सुलूक करते हैं।
रात काफी हो गई है आपको अब वापस जाना चाहिए प्रिया ने कहा
ये लीजिए आपकी चाभी उसने उसके हाथ अपने हाथों में पकड़ लिए।
अगर मैं जबरदस्ती आपके घर में घुस जाऊं तो…. तो
मैं पुलिस को कॉल कर दूंगी।
अच्छा पुलिस आएगी तो आप उनसे क्या कहेंगी???
मैं कहूंगी….. उसके हाथ अभी भी शेखर के हाथ में थे। उसने झटके से अपने हाथ छुड़ा लिए।
वो अंदर गई और डोर लॉक कर दिया।
अजीब इंसान है। चांस मार रहा था वो बड़बड़ाई
फिर हाथ मुंह धोकर कपड़े चेंज किए नाइट गाउन पहन कर कॉफी बनाई मग में डाल कर बेडरूम में आ गई।
अपने आप से बोली कॉफी पिला देती पर उसका कोई भरोसा नहीं है बड़ा दिलफेंक है।
कॉफी पी कर फोन चैक करने लगी तो कविता का मैसेज था।
पहुंच गई तुम सही सलामत (हंसने के इमोजी चिपका रखे थे )बहुत गुस्सा आया उसे ये इमोजी देख कर
उसने जवाब में हां लिख कर छोड़ दिया। कब नींद आई कुछ पता नहीं चला।
सुबह उठी मालती से से काम करवा कर ऑफिस चली गई।
रास्ते में उसे शेखर का ख्याल आया पर उस ख्याल को उसने दिमाग से झटक दिया।
ऑफिस में ढेर सारा काम था । अगले हफ्ते स्टेट के लिए इन्वेस्टर्स मीट था। उसमे भी जाना था।
निभा दी का फोन आया प्रिया तुम मेरे पास नहीं आई बच्चे तुम्हें बहुत मिस कर रहे हैं।
सॉरी दी बहुत सारे काम हैं इसलिए नहीं आ पाई। टाइम मिलते ही आऊंगी दोनों को ढेर सारा प्यार देना मेरी तरफ उन्हें कहना मासी बहुत मिस कर रही है दोनों को।
दी से बात करके उसका मन हल्का हो गया।
घर पहुंच कर उसने देखा कि उसके फोन पर कविता की मिस कॉल थी।
मैं वापस कॉल नहीं करूंगी।
उस मुसीबत को इसने ही मेरे गले डाला। बचपन की सहेली है तो क्या कुछ भी करेगी???
तब तक कविता की कॉल आ गई। कैसी है तू?
ऐसा नहीं कि एक कॉल करके सहेली का हाल-चाल जान लूं।
नहीं मैं ठीक हूं
ऐसी बात क्यों कर रही है बुझी बुझी सी
कुछ नहीं यार अभी ऑफिस से लौटी हूं सिर बहुत भारी हो रखा है।
बढ़िया अदरक वाली चाय बना कर पी ले बाम सिर पर मल और सो जा। आराम मिलेगा।
बाइ द वे शेखर तेरी बहुत तारीफ कर रहा था।
वो चुप रही उसने बात बदल दी
इधर उधर की बातें करने के बाद कविता ने फोन रख दिया।
प्रिया सोचने लगी बकवास आदमी झूठा कहीं का मेरी तारीफ कर रहा था। पर क्यों..….
पूरे हफ्ता थका देने वाला था। इन्वेस्टर्स समिट किसी भी स्टेट के लिए बहुत बड़ा मौका होता है।
पूरे स्टेट व ऑल इंडिया से बड़े बड़े लोग इन्वाइट थे कुछ लोग बाहर से भी आए थे।
मंडे ट्यूजडे प्रोग्राम दो दिन का था।
प्रिया ने पिंक,गोल्ड शेड, गोल्डन बार्डर कॉटन सिल्क की प्लेन साड़ी पहनी कानों में गोल्ड के इयरिंग्स पिंक कलर की बिंदी लगाई हाथ में घड़ी पहन कर अपने लंबे बालों को हल्की चोटी में गूंथ लिया फिर मिरर में देखा अरे कहीं ऐसा तो नहीं लग रहा है कि मैं किसी फैशन परेड में जा रही हूं। आश्वस्त हो कर वह चल दी।
प्रोग्राम में सब लोग आने शुरू हो गए थे। नाम पुकारे जा रहे थे। तभी उसे सुनाई दिया। राजशेखर बाधवा बाधवा ग्रुप्स के सीईओ न चाहते हुए भी नजर उधर चली गई।
आज तो बंदा एक दम चेंज दिख रहा था ब्लैक पैंट शर्ट उसके उपर ग्रे शेड्स का कोट चेहरे पर गंभीरता चेहरा तो आलवेज खुशनुमा बताने की जरूरत नहीं है कि बहुत ही गजब लग रहा था।
हैंडसम नौटंकीबाज आज कितना सोफेस्टिकेटेड लग रहा है।इसकी हरकतें जिसने करीब से देखी होंगी वही समझ सकता है कि कितना घटिया और चंचल है।
पर जब राजशेखर बाधवा ने स्पीच दी तो प्रिया प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी। सोच रही थी टैलेंटेड तो है पर मेरी बला से मेरे साथ इसका बिहेवियर बहुत बुरा था।
वो चुपचाप अपना काम करती रही। फाइव स्टार में कार्यक्रम के बाद लंच था पर नहीं गई उसे पता था कि वहां उससे सामना हो सकता है।
वो हॉल से निकली और कारीडोर में चल दी। कारीडोर खाली था सब लंच करने निकल गए थे।
अचानक पीछे से कदमों की आहट सुनाई दी उसका दिल धड़क उठा
कहीं वो न हो
हाथों में फाइल भींच कर वो तेजी से चलने लगी।
पर पीछे आने वाला जल्दी से उसकी बगल में आ कर कदम से कदम मिलाकर चलने लगा।
उसका डर सच हो गया था।
इतना क्यों डरती हो मुझसे ???
तुम क्या सोच रही थी??? छिप जाओगी मुझसे??? जिस दिन से पहली बार दिखी हो उस दिन से मेरे ख्वाबों, ख्यालों में दिल दिमाग सब जगह कब्जा जमा कर बैठ गई हो। वो धीरे से उसके करीब आकर बोला
प्रिया सोच रही थी एक दिन की मुलाकात के बाद सीधे आप से तुम पर आ गया।
दुनिया के लिए राजशेखर तुम्हारे लिए सिर्फ शेखर है बंदा
जो तुम्हारे एक इशारे पर तुम्हारे कदमों में बिछ जाएगा।
“ओनली युअर्स” वो धीरे से फुसफुसाया
वो कुछ नहीं बोली चलने लगी क्योंकि यहां कुछ कहने से तमाशा हो जाता।
पर शेखर ने तो जैसे कसम खा ली थी उसे तंग करने की।
प्रिया सोच रही थी यहां कॉरीडोर में कैमरे लगे हैं मेरी न सही पर इसे तो अपनी इज्जत का भी ख्याल नहीं है।
कॉरीडोर के कैमरों के बारे में सोच रही हो। अगर ये कमबख्त न होते तो अब तक मैं तुम्हें……. बात अधूरी छोड़ कर वह हंस दिया।
ये तो लगता है कि जैसे मेरे दिमाग में ही बैठ गया है प्रिया अपने दिमाग से उलझने लगी।
ऐसी भी क्या नाराजगी आज तो तुम गजब ढा रही हो।
इतनी तैयारी मेरे लिए की थी क्या???
तो समझो तुम जीत गई आज तो तुमने मुझे घायल कर दिया है।
जी तो चाहता है कि तुम्हें बाहों में लेकर…… चलो जाने दो तुम तो हर बात पर नाराज़ हो जाती हो।
जाइए लंच का टाइम निकल रहा है। बड़ी मुश्किल से प्रिया के मुंह से निकला।
वहां मैं कभी भी जा कर खा सकता हूं पर तुम्हें हाथ से नहीं जाने दूंगा।
अभी कहां जा रही हो ??? दो दिन तक तो हम हमसफ़र हैं ही वो मुस्कराया।
इतने में शेखर को किसी ने रोक लिया जब वो बात करने में बिजी था तो वो उसकी नजर बचाकर वहां से निकल गई।
बाद में इतनी भीड़ हो गई कि यहां पर वह उसे तंग नहीं कर सकता था।
शाम को जब वह निकली तो हल्की बारिश हो रही थी।
सड़क पर गर्मागर्म भुट्टे सिक रहे थे। उसका मन किया कि भुट्टे खा लूं
पर अगले ही पल शेखर का ख्याल आ गया तो उसने जल्दी से घर पहुंचना ही बेहतर समझा।
घर पहुंच कर उसने राहत की सांस ली बेहद थकान हो रही थी मालती बोली मेमसाब खाना बना दिया है। मैं भी घर जाती हूं बच्चे इंतजार कर रहे होंगे।
मालती बच्चों के लिए कुछ खाने को ले जाना उसने मालती को कुछ रूपए दिए। मालती इमोशनल हो गई मेमसाब आप हमेशा बच्चों के लिए सोचते हो भगवान आपको खुश रखे।
मालती के जाने के बाद प्रिया सोचने लगी सच में इस समय शेखर नाम के संकट से बचाने के लिए मुझे दुआओं की बहुत जरूरत है।
डिनर के बाद उसने टीवी देखा कुछ न्यूज पेपर पलटे उसके बाद टाइम देखा तो साढ़े दस हो चुके थे। उठ कर सोने चले दी इतने में फोन बज उठा। देखा तो अननोन नंबर से कॉल था। उसने ट्रू कॉलर पर नंबर डाला तो शेखर वो माथा पकड़ कर बैठ गई। ये आदमी तो मुझे पागल करके रहेगा।
उसने फोन साइलेंट पर डाल दिया और बैड पर लेट गई।
पर नींद तो आंखों में थी ही नहीं।
फोन नंबर जरूरकविता से ले लिया होगा।
पर कल फिर प्रोग्राम में उससे….या फिर कल छुट्टी कर लूं।
प्लीज भगवान जी मेरी हैल्प कीजिए।
क्रमशः
© रचना कंडवाल