एक बार फिर (भाग 23) – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi

पिछले भाग में प्रिया और शेखर आपस में बातचीत करते हैं। शेखर उसे कहता है कि उसे उस पर भरोसा है। प्रिया डाइनिंग टेबल पर वापस जाने की बात करती है। यह सुनकर शेखर नाराज हो जाता है
अब आगे- 👇👇👇👇
‌प्रिया इंवनिग में डिजाइनर के पास जा रहे हैं। तुम तैयार रहना। शेखर की मम्मी बोलीं।
जी मम्मी
शेखर तुम भी आओगे???
मैं…… उसने चुप्पी साध ली।
प्रिया उसका एटीट्यूड देख कर समझ चुकी थी कि वो नाराज है।
मैं वहां आकर क्या करूंगा??? आज मुझे बहुत काम है।
उसने एक नजर प्रिया पर डाली और उठ कर तेज कदमों से ऊपर चला गया।
‌इस लड़के के मूड का भी कुछ पता नहीं चलता।
प्रिया तुम्हें बहुत मेहनत करनी पड़ेगी इसे सुधारने के लिए।
मम्मी मैं अभी आती हूं।
हां हां जाओ तुम भी उसके पीछे दादी उसकी तरफ देख कर बोलीं।
हम सबके सिर पर तो चढ़ा हुआ है अब तुम्हारी बारी है।
प्रिया ऊपर ग‌ई तो देखा जनाब मिरर में बाल संवार रहे हैं।
वो चुपचाप खड़ी हो कर देखने लगी।
सामने उसका अक्श पड़ रहा था।
वो उसे देखते हुए भी चुप था। मुख मुद्रा गंभीर थी।
आप नाराज हैं???
उसने कोई जवाब नहीं दिया।
वो उसके पास आ कर खड़ी हो गई। वो पीछे मुड़ा उसने बेड पर रखा ब्लेजर उठाया।
जिसे प्रिया ने उसके हाथ से लिया।
ब्लेजर पहनाते हुए वह उसे ध्यान से देखते हुए बड़े प्यार से बोली।
आप ऐसे अच्छे नहीं लगते।
यहां क्या तकलीफ है तुम्हें??? जो जाने की रट लगाए हुए हो???
तुम्हारे सारे आदेश मान रहा हूं। फिर भी…..
प्रिया ने अपना सिर उसके सीने पर रख दिया।
कोई तकलीफ कैसे हो सकती है??? जब आप हैं मम्मी पापा हैं, दादी हैं।
अगर मैं यहां रहूंगी तो आप दुल्हन कैसे लाएंगे??? उसने बड़ी कोमलता से कहा।
शेखर ने उसकी आंखों में देखा फिर नजरें हटा ली।
क्या हुआ???
कुछ नहीं, गुस्सा अब भी बरकरार था।
मैं बहुत लक्की हूं कि आप मेरे पास हैं।
प्लीज गुस्सा छोड़ें।
सोच रही हूं कि ऑफिस ज्वाइन कर लूं। काफी छुट्टियां हो चुकी हैं।
फिर बाद में भी छुट्टियां लेनी पड़ सकती हैं न
ऑफिस तो यहां से भी जा सकती हो। इन्फेक्ट गाड़ी और ड्राइवर भी यहीं से जाएगा।
वैसे मिसेज बाधवा बनने के बाद जॉब की जरूरत कहां पड़ेगी???
और फुर्सत होगी तुम्हारे पास???
ये सब बाद में सोचूंगी।
आप आएंगे डिजाइनर के पास??
मैं वादा तो नहीं कर सकता ये मेरे आज के शेड्यूल पर डिपेंड करेगा।
मॉम हैं तुम्हारे साथ।
मैं वापस चली जाऊं??? बताईए न
ठीक है मैं खुद छोड़ कर आऊंगा।
दूसरी बात शादी के बाद मायके नहीं जाने दूंगा यह कहते हुए उसने उसे अपनी बाहों में ले लिया।
अब आपको देर नहीं हो रही है।
इस समय तो नहीं
तभी अचानक से उसे याद आ गया तुम्हें पता है कविता भाभी आज आस्ट्रेलिया से वापस आ रही हैं।
हां जब मैं हास्पिटल में थी तब बात हुई थी।
अच्छा! मैं निकलता हूं आज कुछ ऐसे काम हैं जो इंपोर्टेंट हैं।
उसने प्यार से उसका माथा चूम लिया।
सच में “तुमपे ही हम तो मरे जा रहे हैं मिटने की जिद तो किए जा रहे हैं।” वो गाते हुए बड़ी अदा से बाहर चला गया।
उसने वहीं रूम में खड़े होकर नजरें चारों तरफ दौड़ाई।
और अपने आप से कहा कि एक महीने बाद तुम यहीं रहोगी ये सोच कर ही वह शरमा गई।
फिर वो अपने रूम में आ गई।
उसने बाकी सामान समेट कर पैक कर दिया।
जैसे ही शेखर अपने ऑफिस पहुंचा। तभी उसे एक फोन आया।
वो फोन अटेंड करके के बाद उसने आफ्टरनून में स्टाफ को मीटिंग के निर्देश दिए।
उसकी सेक्रेटरी ने पूछा सर आप मीटिंग में नहीं रहेंगे।
शायद नहीं
पापा आ रहे हैं। इसे वो देखेंगे।
बोर्ड मेंबर्स की एनुअल रिपोर्ट भी देखनी है क्या प्रोग्रस है???
सर फाइनल रिपोर्ट तैयार हो रही है। बस मीटिंग का वेट है।
ओके
फिलहाल मुझे कहीं जाना है। ऐसा कहते हुए वह तेजी से बाहर निकल गया।
घर पर प्रिया ने अपनी दी के फोन किया।
हैलो दी आप कैसे हो????
ठीक हूं निभा की आवाज में ठंडापन था।
मैं कल आ रही हूं।
दी चुप रहीं उन्होंने कुछ नहीं कहा।
बच्चे कैसे हैं। जीजा जी की तबीयत कैसी है??? मां कैसी हैं??
सब ठीक है।
दी ऐसे वन लाइनर आंसर क्यों कर रही हैं। आप मुझसे नाराज़ हैं???
तुमने खुश होने का मौका दिया ही कहां है???
दी सब कुछ ठीक है। शेखर ने मेरे पास्ट को एक्सेप्ट किया है। उन्होंने कहा कि मुझे तुम पर भरोसा है।
सब कुछ ठीक है दी। सॉरी दी आपकी बात न मानने के लिए।
मैं तुमसे अभी भी नाराज हूं। छोटी बहन हो ऊपर से मां तुम्हारी जिम्मेदारी सौंप कर ग‌ई हैं। क्या कर सकती हूं???
दी कल मिलती हूं।
उसने फोन रख दिया। सोचने लगी कि दी को तो मैं मना लूंगी।
दोपहर खाने के वक्त डाइनिंग टेबल पर प्रिया,दादी और मम्मी थे। पापा भी ऑफिस जा चुके थे।
दादी आप भी चलिए शाम को।
नहीं प्रिया मैं थक जाऊंगी बेटा। तुम दोनों सास बहू जाओ।
दादी प्लीज चलें न प्रिया ने बड़े प्यार से कहा। शेखर की मम्मी भी हां में हां मिलाते हुए कहने लगीं। मांजी इकलौती पतोहु है चलना तो बनता है।
दादी ने भी हां कर दी।
प्रिया निभा को भी बुला लो अच्छा रहेगा। तुम्हारी तरफ से भी कोई अपना होना चाहिए।
जी मम्मी
दी से बात करके उसने उन्हें डिजाइनर के पास आने को कहा।
स्टोर में पहुंच कर दी ने उसे जो फेस एक्सप्रेशन दिया।
उससे उनकी नाराजगी का अहसास हो गया।
लहंगे के लिए सबकी पसंद अलग-अलग थी।
दी और दादी की पसंद ट्रैडिशनल लाल कलर था।
तो प्रिया और मम्मी की पसंद ऑफ व्हाइट और पिंक ब्लैंड था।
आखिर में तय हुआ कि दुल्हन की पसंद को मना कैसे किया जा सकता है???
प्रिया बार बार बाहर देख रही थी। तभी दादी बोलीं उसका इंतजार कर रही हो। फोन कर लो।
प्रिया ने फोन नहीं किया उसे लग रहा था कि शायद बिजी होगा। सुबह उसने कहा भी था।
सब कुछ फाइनल करके वो लोग निकल ग‌ए।
उधर शेखर एक सुनसान जगह पर खड़ा था। एक ऐसी जगह जहां पर कोई नहीं था।
तभी एक ब्लैक कलर की मस्टैंग धूल उड़ाती हुई वहां पर आ कर रूकी गई।
दो लंबे चौड़े आदमी उसमें से उतरे उन लोगों के फेस कवर थे।
वो उसके सामने आ कर खड़े हो गए।
तभी शेखर ने कहा काम हो गया???
हां सर

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