एक बार फिर (भाग 10 ) – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : प्रिया और शेखर के घरवाले मिल कर उनका रिश्ता तय कर देते हैं।

प्रिया अपनी दी से कहती है कि आपने उस बदतमीज इंसान से मेरा रिश्ता तय क्यों किया??
दी कहती है कि मुझे तो वो अच्छा लगा।
प्रिया दी का मन रखने के लिए हां कर देती है। अब आगे-
पर उसे यकीं नहीं हुआ कि शेखर अच्छा है सोचने लगी कि वह जानबूझकर दी के आगे अच्छा बन गया है पर है तो वही एक नंबर का…..
मैं उसके बारे में सोच कर अपना दिमाग क्यों खराब करूं।
दी की बेटी चीनू का बर्थ डे था। दी कहने लगीं शेखर की फैमली को बुला लेते हैं।
दी आप उन्हें जानते ही कितना हो अभी दो रोज पहले ही आप उन लोगों मिले हो। अच्छा नहीं लगता।
हां तुम्हारी बात भी ठीक है पर शेखर ऐसा नहीं है।
ओह गॉड दी आपको क्या हो गया है??? उसने गुस्सा होते हुए कहा। जब देखो शेखर
दी हंसते हुए बोली तुम भी न लड़की बड़ी गजब हो। मन से तो चाहती हो कि वो आ जाए और झूठ मूठ का गुस्सा दिखा रही हो।
प्रिया नाराज हो ग‌ई
रात में जीजा जी ने एक छोटी सी पार्टी आर्गेनाइज की।
सब बोन फायर एंज्वॉय कर रहे थे। दी हाऊस हैल्पर्स को काम समझा रही थीं । जीजा जी के फैमिली फ्रैंड्स आसपास वाले कुल मिलाकर साठ के लगभग लोगों की गेदरिंग थी।
दी ब्लैक कलर की साड़ी में बेहद खूबसूरत लग‌ रही थीं।
उसने आज रेड कलर का सूट पहना । जीजा जी बाहर मेहमानों का वेलकम कर रहे थे।
शेखर आया और जीजा से गले मिला। ब्लैक कलर के ब्लेजर मे स्मार्ट लग रहा था।
जीजा जी उसे प्रिया के पास ले आए। वाउ क्या जबर्दस्त कलर कांबिनेशन है तुम दोनो का।
शेखर उसे देख कर मुस्कराया ।
जीजा जी शेखर को उसके पास छोड़ कर चले गए।
“ब्यूटीफुल एज आलवेज” वो उसे देखते हुए बोला।
आपको इतनी छोटी सी गेदरिंग मे आने की क्या जरूरत थी???
अच्छा! ससुराल से पहला इन्विटेशन मिला तो न आता।
बड़े लोग छोटे फंक्शन में नहीं जाते। प्रिया ने बोन फायर की तरफ देखते हुए कहा।
क्या मुझे आग‌ में झोंकने का सोच रही हो???
तुम्हारा कोई भरोसा नहीं है। थोड़ी दूर खड़ा हो जाता हूं उसने हंसते हुए कहा।
मैडम अपने दीवाने को देख लो। तुमसे जलील होने के लिए खुद चल कर आया है।
इतने में दी आ गई।
आगे बढ़कर उसने दी के पैर छुए।
शेखर को देख कर मुस्कराते हुए बोली अपने बिजी शेड्यूल से वक्त निकाल कर तुम यहां आए।
“थैंक्यू”
तुमसे तीसरी बार मिल रही हूं अब तक तो यही लगा है कि तुम रिश्तों की कद्र करना जानते हो।
देखो! शेखर ये मेरे लिए सब कुछ है इसे कभी तकलीफ मत देना।
दी आप भरोसा रखो।
चलो तुम दोनों उधर‌ आओ। शेखर तुम्हें सबसे मिलवा दूं।
चलो! शेखर ने उसे कहा तो प्रिया ने कहा आप लोग चलो मैं आती हूं। शेखर दी के साथ चल दिया।
वो पास रखी चेयर पर बैठ गई सोचने लगी दी की च्वाइस के साथ साथ आंखें भी खराब हो गई हैं।
दी उसे सबसे मिलवा रही थी। प्रिया दूर बैठी उसे देख कर सोच रही थी कि ये इंसान हर चीज में परफेक्ट है ऐक्टिंग में तो इसे अवार्ड मिलना चाहिए।
अगर ऐसा है तो मैंने हां क्यों की??? मना क्यों नहीं कर दिया??? अभी अपने विचारों से जूझ रही थी कि दी की आवाज ने उसका ध्यान भंग कर दिया।
प्रिया इधर आओ वो उठ कर दी के पास जाकर खड़ी हो गई। शेखर आ कर उसके बगल में खड़ा हो गया। तुम दीदी की हैल्प करने के बजाय आराम से बैठी हो।
इतना अच्छा बन कर तुम कहां जाओगे‌??? उसने सोचा तो मन में पर गुस्से से उसकी तरफ घूरा।
केक काटने के बाद दी ने उससे कहा जाओ शेखर को देर हो रही है उसे डिनर करवा दो । खा लेगा दी क्या वो कोई दो साल का बच्चा है जो मैं उसके पीछे-पीछे घूमूं।
प्रिया तुम भी कभी कभी हद कर देती हो जाओ।
अब उसे जाना ही पड़ा।
सुनिए! डिनर कर लीजिए आपको देर हो रही होगी
उसने शेखर के पीछे खड़े हो कर कहां।
चला जाऊंगा पर अभी तो हम दोनों की कोई बात ही नहीं हुई।
डिनर तो कर लूंगा चलो थोड़ी देर बैठ जाते हैं।
वो चेयर पर बैठ गया।
प्रिया खड़ी ही रही बोली हम लोग मैच्योर हैं टीनेजर नहीं
मैं ऐसी हरकतें नहीं कर सकती।
कैसी हरकतें??? मतलब जिंदादिल होने की
हां मुझे पता है कुछ लोग समय से पहले ही बूढ़े हो जाते हैं। और कुछ लोग हमेशा यंग रहते हैं मेरी तरह
एवरग्रीन समझती हो न
और मैं हमेशा से ऐसा ही हूं उसने बड़े दार्शनिक अंदाज में कहा।
प्रिया का मन हुआ कि कह दे क्या तुम हमेशा से ऐसे ही लोफर थे ??? पर प्रत्यक्ष में कहा चलिए आपको देर हो रही होगी।
मैं तभी खाऊंगा जब तुम मेरे लिए प्लेट लगाओगी। मैं
देखूं तो सही कि तुम मेरे बारे में क्या सोचती हो।
मैं आपके बारे में कुछ नहीं सोचती
और खाने की पसंद सबकी अपनी होती है।
पर आज तो मैं तुम्हारी पसंद का खाऊंगा
वो उठ खड़ी हुई जितना जल्दी डिनर करेगा उतनी ही जल्दी यहां से जाएगा।
उस दिन तो बड़ी डायट फूड की बातें कर रहा था। मजा चखाती हूं इसे वो प्लेट में सलाद लेकर आई और उसके आगे रख दिया।
ये क्या है?? “डायट फूड”
बाकी आपके मतलब का कुछ नहीं है।
तुम्हारे हाथों से तो जहर भी मंजूर है। बैठो भी ! उसने मुस्कुराते हुए उसके गुस्से को और हवा दी और प्लेट ले ली।
वो सामने रखी चेयर पर बैठ गई।
वैसे हम पंजाबी हैं खाने पीने का शौक रखते हैं। पर मुझे लग रहा है कि शादी के बाद तुम मुझे भूखा मार दोगी।
आपको देर हो रही है। रास्ता लंबा है इसलिए जल्दी निकलना ठीक होगा।
सुनो! एक बात कहना चाहता हूं तुमसे वो गंभीर हो गया।
जानता हूं तुम मुझसे प्यार नहीं करती।
सही बात है इतनी जल्दी कोई किसी को चाह भी नहीं सकता।
शायद इस रिश्ते के लिए तुमने बेमन से हां की है।
मेरा प्यार एक तरफा है। तुम मुझ पर भरोसा नहीं करती हो। वो शायद इसलिए कि जब से हम मिले हैं तुम्हारे मन में मेरी इमेज अच्छी नहीं है।
हां तुमसे पहले एक गर्लफ्रेंड थी मेरी
बहुत मोहब्बत की थी उससे पर होता है न कुछ लोग प्यार के पीछे होते हैं कुछ पैसे के।
उसे शादी से पहले बैंक बैलेंस,अलग घर, बिजनेस में शेयर चाहिए सब कुछ चाहिए था। उसने डायरेक्ट नहीं मांगा पर धीरे-धीरे करके अपने विचार मुझे बताने लगी।
मुझसे शादी होने के बाद तो वो खुद-ब-खुद हकदार होती। पर उसने इंतजार नहीं किया। फिर सब कुछ बदल गया।
आपसी तनातनी में ये रिश्ता खत्म हो गया।
उसकी आवाज में दुःख था।
बुरा अतीत हमेशा दुःख देता है।
वो उठ कर खड़ा हो गया।
जानती हो तुम मुझे इसलिए पसंद हो कि तुम में उथलापन नहीं है गंभीरता है बहुत पेशेंश है।हो सकता है कि एक दिन तुम्हें मुझसे प्यार हो ही जाए।
आपको कैसे पता ? मैं भी लालची हो सकती हूं।
नहीं तुम नहीं हो।
वो उसके करीब आ कर खड़ा हो गया वैसे जानती हो मैंने सब कुछ प्लान कर लिया है। दादी चाहती हैं कि ये शादी जल्द से जल्द हो
कह रही थीं कि उन्हें अपने पड़पोते का मुंह देखने की जल्दी है। मैंने भी कह दिया है कि आपके हुक्म की तामील की जाएगी।
प्रिया का चेहरा लाल पड़ गया। उसने मुंह दूसरी तरफ फेर लिया अच्छा चलता हूं। अच्छा जा रहा हूं बाय तो कर दो।
दी से मिल कर वो चला गया।
प्रिया दी जीजा जी के साथ उसे बाहर तक छोड़ने आई।
पार्टी खत्म हो गई थी। सब थक चुके थे। प्रिया ने अपने कपड़े चेंज किए।
सोने की कोशिश करने लगी।‌
कुछ भी कह देता है बोलने से पहले एक पल भी नहीं सोचता। कहता है कि तुम्हें मुझसे प्यार हो जाएगा। आज कितना इम्बेरस फील करवा दिया पता नहीं इसके साथ जिंदगी कैसी होगी??? एक नंबर का गैर ज़िम्मेदार है।
खुद ही प्लान कर रहा है। मतलब हद है शादी तो हुई नहीं बच्चा भी प्लान कर लिया वो भी बेटा
और अगर बेटी हुई तो शायद उसे फेंक देगा।
दादी ने भले ही ना कहा हो पर इसे तो मुझे सुनाना ही है।
ये सब दी की करनी है और भुगतना मुझे पड़ रहा है।
सब कुछ दी और शेखर ही तय करेंगे। मुझे तो कुछ सोचना ही नहीं है सीधे जाओ और मंडप में बैठ जाओ बस।
सुबह उठी ऑफिस के लिए तैयार हो रही थी कि दी आई और उसे बताया कि शेखर की फैमली ने हमें अपने घर बुलाया है। कल तुम ऑफिस से यहीं आ जाना।
शादी की डेट पक्की होगी।
दी ऑफिस में बहुत काम है। ऑफिस से आना नहीं हो पाएगा पर जाना तो शाम को है। तुम्हारे ऑफिस टाइम को ध्यान में रख कर ही शाम को कहा है।
अब तो जाना ही पड़ेगा सोच कर
उसका दिल बैठ गया।
© रचना कंडवाल

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