एक बदलाव – रीमा महेन्द्र ठाकुर : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : प्रगति  प्रगति,” दरवाजे पर कबसे दस्तक दे रही थी अणिमा ” ये कौन  सुबह सुबह दरवाजा पीट रहा है” नीदं मे खलल होने से” मन ही मन बडबडायी प्रगति ” प्रगति  प्रगति “” ये पक्का अणिमा होगी “गजब की लडकी है” संस्कारों की देवी “अपने बालो को पोनी मे तब्दीली करती हुई  प्रगति बेड से नीचे उतरकर ” स्लीपर ढूंढने लगी! 

फिर खट-खट”” आ रही हूं बाबा जरा तो तसल्ली रख ” रूम से निकलकर  मेन गेट की ओर बढ गयी प्रगति “दरवाजा खोलते ही सामने अणिमा नजर आयी! इतनी सुबह सुबह”” तू कभी सोती भी है, यार हद है! प्रगति देख मै बहुत परेशान हूँ ” अब क्या हुआ “” इसमे क्या परेशानी, है कौन से युग मे जी रही है तू” प्रगति मै तेरे पास हेल्प मांगने आयी हूँ , एक तू हीं है जो मुझे और मेरे घर वालो को अच्छे से जानती है! 

पर तू कब जानेगी “” खुद को” प्रगति झल्लायी” चल ठीक हैं मै ,चलती हूँ! अणिमा उठकर खडी हो गयी! रूक  मै  भी तेरे साथ चलती हूं ” कुछ मिनट बाद अणिमा  “प्रगति के साथ होटल में पहुंच गयी! अणिमा  लगता है हम  कुछ ज्यादा जल्दी आ गये!

 दस मिनट में वो आ जाऐगा, अणिमा पहलू बदलते हुए बोली” चल तब तक बता दे तेरी मुलाकात कब और कैसे हुई”निलय से” स्टा पेज से” व्हाट “”” और तू मिलने चली आयी पागल”सिर पर हाथ रख लिया प्रगति ने”” मै कैसे समझांऊ तुझे “ऐसी उम्मीद न थी तुझसे ” वो आ रहा है ” अणिमा धीरे से बोली” व्हाइट शर्ट मे निलय बेहद स्मार्ट लग रहा था! हाय”””चेयर अपनी ओर खीचते हुऐ बोला निलय ” प्रगति और अणिमा  दोनो उसके सम्मान मे उठकर खडी हो गयी! 

अरे बैठो यार” ये सब करने की जरूरत नही ‘ प्रगति  को निलय की ये  बचकनी हरकत समझ में नही आयी! कुछ देर दोनो चुप रही” अब हम एक दूसरे का परिचय कर ले ” प्रगति की ओर  देखा निलय ने ” जी”””अणिमा बोली मै निलय स्टूडैंट हूँ “दोस्ती  करना मुझे पंसद है! 

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एक सांस  मे अपने बारे मे बहुत कुछ बताता चला गया निलय” एक मिनट आता हूं ” निलय  उठकर बाहर की ओर चला गया! मै” कुछ आर्डर कर देती हूं अणिमा बोली”” रूक अभी” तूने एक चीज नोटिस की ” क्या “” वो तुझे कभी बोलने का मौका नही देगा ” हा हा हा”” तू भी न डरा देती है!

 अणिमा  मुहं लटकाकर बोली” मै आती हूँ “” अणिमा  उठकर वॉशरूम की ओर बढ गयी” अचानक पीछे से निलय ने”प्रगति के कंधे पर हाथ रख दिया ” ये क्या बेवकूफी है” मिलने किसी फ्रेंड को लेकर आते है  क्या” मैने बोला था अकेले आना! निलय की बात से बुरी तरह चौंक गयी प्रगति ” निलय जी मेरी कभी भी आपसे बात नही हुई “” अच्छा “”” रात रात भर चैट करती हो”प्रूफ है मेरे पास निलय जी ” अणिमा  बदतमीजी नही” दिखाईए मुझे चैट

 ” कुछ तो गडबड है ” समझ चुकी थी प्रगति ” देखो “””कुटिल मुस्कान से देखा निलय ने” निलय ने मोबाइल आगे बढा दिया ” सबसे पहले उसे उसकी खुद की पिक नजर आयी” जिसपर जान लिखा था! प्रगति  के मन में धमाके उठ रहे थे! लगभग सभी पिक मे अणिमा के साथ प्रगति थी! सारे खुशनुमा पल “आगे कुछ अश्लील मैसेज थे “उसके बाद की पिक पर नजर पडते ही ,पूरी तरह से हिल गयी प्रगति “”” विडियो कॉल की स्क्रीनशॉट “पर चेहरा कही नजर नही आ रहा था! 

बेवकूफ लडकी उसने मन ही मन सोचा “। फिर निलय की ओर देखकर उठ खडी हुई ” उसका मोबाइल लेकर सीधे अणिमा की ओर बढ गयी! पलक झपकते ही”प्रगति  लेडिज टॉयलेट में घुस गयी! निलय को कुछ समझ न आया! प्रगति की ऊंगलिया तेजी से प्रूफ मिटाने में लग गयी!

 सब मैसेज पिक डिलीट हो चुके थे! अब प्रगति को  तसल्ली हुई! प्रगति ने मोबाइल  टॉयलेट के अंदर डाल दिया, और तेजी से बाहर आ गयी! सर मेरे दोस्त का सेलफोन टायलेट  मे गलती से गिर गया! ये क्या तमाशा है,मेरा मोबाइल कहा है वो टॉयलेट मे चला गया! क्या मजाक है अणिमा ” अणिमा “” कौन मै अणिमा नही प्रगति हूं! अणिमा बेवकूफ हैं मै नही ” अब तक शोर शाराबे की वजह से भीड एकत्रित हो गयी थी! अणिमा ने सब सुन लिया था! 

प्रगति मुडी और अणिमा का हाथ पकडकर बाहर गेट की ओर बढ गयी! निलय उन्हे जाते हुए देखता रहा! अब क्या सोचा ” चाय का कप अणिमा को बढाते हुऐ बोली प्रगति! कुछ नही “” तुझे पता है वो अणिमा को नही अणिमा  के शरीर को पहचानता है” अणिमा ने प्रगति की ओर देखा” वो मुझे अणिमा  समझता है””” अब तू सोच क्या करना है, 

वैसे वो कभी तुझे परेशान  नही कर पाऐगा,  आगे तू कोई बेवकूफी नही करेगी “वादा कर” प्रगति ने अणिमा की ओर हथेली फैला दी ” डन”””आंसुओ की कुछ बुदें, प्रगति की हथेली पर आ गिरी ” प्रगति ने अणिमा को गले लगा लिया! ! समाप्त

रीमा महेन्द्र ठाकुर साहित्य संपादक वरिष्ठ लेखिका ” राणापुर झाबुआ मध्यप्रदेश भारत

 

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