एक औरत की चाह – मीनाक्षी सिंह

एक औरत को क्या चाहिए बस सर्दियों में उसके कपड़े सूख जायें और उनको धूप लग जायें ! बस,, इतने में ही खुश हो जाती हैँ ! खाना बनायें तो सब इतना कह दें बस ,,अच्छा बना हैँ इतने में ही उसका दिल गदगद जो जाता हैँ ! पूरे दिन घर की उन जगहों की सफाई करें जिनकी हर दिन बच्चों में व्यस्त रहने की वजह से नहीं कर पाती ,फिर भी पतिदेव गौर ना करें ! खुद ही बताना पड़े कि आज तुम्हे घर बाकी दिनों से कुछ अलग नहीं लग रहा है ! 

पतिदेव एक सरसरी निगाह चारों तरफ डालकर बोलें – नहीं तो ,बाकी दिनों जैसा ही तो हैँ ,बस आज तुमने खिचड़ी क्यूँ बनायी ! बेचारी पत्नी निराश हो जाती हैँ ,सोचती हैँ सुबह से इतना काम किया ,इन्हे दिखा भी नहीं ! इतनों दिनों बाद थकान की वजह से खिचड़ी बनायी ,उसके लिए तुरंत बोल दिया ! एक औरत चाहती हैँ उसका पति शाम को आयें तो बोले कैसे तुम इतनी मेहनत कर लेती हो इन शैतान बच्चों के साथ ! पर नहीं पतिदेव तो सोचते हैँ

 हॉउस वाइफ तो पूरा दिन आराम करती हैँ ! भई माना ,आदमी भी थक जाता हैँ पूरा दिन काम करके पर पत्नी भी कम मेहनत नहीं करती जी ! एक औरत चाहती हैँ ,उसका पति उसे रोज ना सही कभी कभी तो घुमाकर लाया करें ,उसकी सब सहेलियां जाती हैँ ,

आज के मोबाइल के युग में उनका स्टेटस देखकर  मन ही मन कुढ़ती रहती हैँ ! एक बार कहा था शालिनी ने ,महाभारत हो गयी थी घर में ,उसी का पति सबसे अच्छा हैँ ना ,उसी से कर लेती फिर शादी ! क्या ज़रूरत थी मुझ जैसे बोरिंग आदमी से करने की ! मेरे पास ना टाइम हैँ ना ही पैसे फालतू के कामों के लिये ! दिल्ली में रहती हो ,कितनी बार ले गया हूँ घुमाने ! 

इन्हे गोवा घुमना हैँ ! पहले गोवा घुमने लायक शक्ल तो कर लो अपनी ! ये बाल चार दिन से ऐसे ही ऊलझे हैँ ! ना ही कोई मेक अप ! गोवा घुमने जाना  हैँ इन्हे ! उन्हे क्या पता ये शक्ल ऐसी पहले तो नहीं थी ,तुम्हारे घर और बच्चों की देखभाल ने ही तो शालिनी को ऐसा कर दिया हैँ ! खैर उस दिन शालिनी ने कुछ नहीं कहा ! अगले दिन थोड़ा सज -धज के तैयार हो गयी शालिनी ! 

आज पतिदेव का अलग ही मूड ! इतना सज धज के क्यूँ बैठी हो घर में ! शुब्बू कितना गंदा लग रहा हैँ ! उसका मुंह भी नहीं धुला क्या आज ! खुद तैयार होकर बैठी हैँ मैडम ! बच्चों का तो ध्यान हैँ नहीं ! बेचारी बीवी करें तो क्या करें !

ये रोना  तो हर औरत का हैँ ! अबला तेरी यहीं कहानी ! अब बेचारे कुछ आदमी भी बीवियों की फरमाइशों से परेशान होंगे ! वो इस पोस्ट से संतुष्ट नहीं होंगे ! पर अपवाद हर जगह हैँ ! ज्यादातर औरतें बस थोड़ी सी प्रशंसा चाहती है ! पर वो भी उनके नसीब में नहीं !

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

 

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