संजीव आज अपने माता पिता के साथ दूसरे शहर में विवाह के लिए लड़की देखने जा रहा था. शिक्षा पूरी करने के बाद उसे एक प्रतिष्ठित विद्यालय में प्राध्यापक की नौकरी मिल गई थी.वेतन भी अच्छा था.माता पिता चाहते थे कि अब विवाह कर घर बसा ले. संजीव को भी यह ठीक ही लगा. अच्छा घर परिवार था. एक दूर की बुआ ने रिश्ता बताया था. लड़की सुंदर तथा सुशील थी. एक छोटा भाई भी था. बस मिल कर हां ही करनी थी.
लड़की वालों के यहां पहुंच कर काफी खातिरदारी हुई. बुआ भी वहीं थीं. लड़की सभी को पसंद आई. नाम था सीमा. फिर दोनों को अकेले में बात करने को कहा गया. बाकी सभी बहाने से इधर उधर खिसक गए. लेकिन संजीव तब हैरान रह गया जब सीमा ने संजीव से रिश्ते के लिए मना करने को कहा. कारण बताने में सीमा ने असमर्थता बताई, लेकिन हाथ जोड़ कर संजीव से अनुरोध किया कि किसी तरह मना कर दे.
मां तो रिश्ता पक्का करने के लिए अपने साथ एक सोने की चेन भी लाई थीं, लेकिन संजीव ने जब कहा कि घर चल कर बात करेंगे तो सभी के चेहरे उतर गए. घर पहुंचते ही माता पिता दोनों ने संजीव को घेरा परंतु संजीव ने तो जैसे एक ही रट लगा ली ‘ मां, मुझे अभी विवाह नहीं करना ‘
इस बात को करीब ढाई वर्ष बीत गया. और भी कई रिश्ते आए परंतु संजीव की ज़िद के आगे किसी की न चली. माता पिता भी हार थक कर बैठ गए. एक दिन विद्यालय की छुट्टी होने पर बाहर निकला तो संजीव को किसी लड़की ने नाम लेकर पुकारा. वह उसे देखते ही पहचान गया. सीमा ही थी. दो मिनट बात सुनने के लिए कह रही थी. संजीव तथा सीमा पास ही एक रेस्तरां में गए . जब सीमा ने उस दिन रिश्ते से मना करवाने का कारण बताया तो संजीव की नाराज़गी काफूर हो गई. सीमा को स्नातक की डिग्री उपरांत दो वर्ष का बी. एड. कर अध्यापिका बनना था. लेकिन बुआ के बहकावे में आकर उसके माता पिता विवाह कराने पर तुले थे. इसीलिए यह अनुरोध किया. अब वह एक विद्यालय में अध्यापिका है. जो लड़का उसके लिए विवाह से इंकार कर घरवालों की नाराज़गी झेल सकता है वह उसी से विवाह करेगी. संजीव की हंसी छूट गई.
संजीव ने जब घरवालों को अपना निर्णय बताया कि वह सीमा से ही विवाह करेगा तो सभी को आश्चर्य हुआ. लेकिन बेटे की खुशी में अपनी खुशी जान फिर से बुआ को बुलवाया गया. अब बस तिथि ही तय करनी थी.
– डॉ. सुनील शर्मा
गुरुग्राम, हरियाणा