रमन और प्रिया की हाल ही में शादी हुई थी और वह दोनों मालदीव में हनीमून मनाने के लिए गए हुए थे वहां एक सप्ताह बिताकर अब अपने घर लौट आए थे।
अगली सुबह प्रिया किचन में नाश्ता तैयार करने के लिए गई लेकिन रमन की भाभी ने प्रिया से कहा, “मेरी प्यारी देवरानी अपनी हाथों की मेहंदी तो छूट जाने दो फिर तो पूरी जिंदगी इस किचन में ही रहना है।”
रमन की भाभी लता विधवा थी रमन का भाई एयरफोर्स में नौकरी करता था और एक हवाई दुर्घटना में शहीद हो गया था। सब लोगों ने लता को दोबारा शादी करने के लिए कहा लेकिन लता तैयार नहीं हुई ऐसे में 5 साल बीत गए थे लेकिन लता अपने ससुराल में ही अपने पति के यादों के साथ रह रही थी।
धीरे-धीरे प्रिया और उसकी जेठानी लता में बहुत दोस्ती हो गई दोनों देवरानी-जेठानी की तरह नहीं बल्कि बड़ी और छोटी बहन की तरह रहने लगी। प्रिया का रिश्ता अपने जेठानी से ऐसा हो गया था कि कोई भी ऐसी छोटी से छोटी बात भी होती थी तो अपनी जेठानी लता से जरूर शेयर करती थी अपनी जेठानी के सलाह के बिना अब वह अपना एक भी काम नहीं करती थी।
एक दिन प्रिया और रमन रात में सोए हुए थे प्रिया ने अपने पति रमन से कहा, “देखो रमन मैं 2 साल तक कोई बच्चा नहीं चाहती हूं।” रमन ने कहा, “देखो भाई मुझे तो बच्चा तुरंत ही चाहिए मैं अब इंतजार नहीं कर सकता। ” जानबूझकर रमन ने प्रिया को छेड़ने के लिए कहा। प्रिया ने कहा, “रमन मैं यह 2 साल तुम्हारे साथ बिताना चाहती हूं सिर्फ तुम्हारा प्यार पाना चाहती हूं । लता भाभी से भी मैंने पूछा था तो उन्होंने भी यही सलाह दिया अभी तो तुम्हारे खाने खेलने की उम्र है बच्चे के लिए तो पूरा जीवन पड़ा है अभी घूमो फिरो दुनिया देखो।”
एक दिन प्रिया ने रमन से कहा, “रमन एक बात कहूं लता भाभी भले बाहर से खुश दिखती हैं लेकिन अंदर से वह कभी मुझे खुश नहीं लगती हैं अकेला जीवन पहाड़ की तरह होता है काटे नहीं कटती है दिन में तो चलो हम लोग के साथ मन बहला लेती हैं लेकिन रात काली नागिन की तरह होती है रमन हमें कैसे भी करके भाभी की कहीं ना कहीं शादी करवानी होगी।” रमन ने कहा, “प्रिया तुम्हें क्या लगता है कि हमने प्रयास नहीं किया है मेरे मम्मी-पापा यहां तक की लता भाभी के भी मम्मी-पापा ने कई बार कहा लेकिन वह किसी को सुनने की तैयार नहीं है तुम आजकल उनकी अच्छी फ्रेंड बन गई हो अब तुम ही चाहोगी तो कुछ हो सकता है।
लता एक बेहद समझदार और गुणवान औरत थी . लता देखने में भी बहुत खूबसूरत थी कोई भी एक बार लता को अगर गौर से देख ले तो आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता है लेकिन दुर्भाग्य यह है कि वह अपनी जिंदगी ऐसे ही अकेले काटना चाहती है। उसे इस बात का एहसास नहीं है कि जीवन में एक समय ऐसा आता है जब जीवन साथी की जरूरत पड़ती ही पड़ती है।
एक दिन लता और प्रिया किचन में खाना बना रही थी तभी प्रिया ने लता से कहा, “लता दीदी मैं और रमन आपके लिए लड़का देख रहे हैं इन फैक्ट हमने अपने जीजा जी को पसंद भी कर लिया है और वह भी आपसे शादी करने के लिए तैयार हैं बस आपकी हां की जरूरत है।”
प्रिया ‘‘मेरी तकदीर में अपनी घरगृहस्थी के सुख लिखे होते तो रमन के भैया को भगवान अपने घर नहीं बुलाते और सच यह है कि मैं राजेश की जगह किसी और को नहीं दे सकती.’’
अगले महीने प्रिया का जन्मदिन था। भाभी ने उसे सोने का हार गिफ्ट में दिया था और बोला इस घर में यह तुम्हारा पहला जन्मदिन मनाया जा रहा है इसीलिए उपहार भी कुछ खास होना चाहिए। प्रिया ने कहा, “दीदी अगर आप सचमुच में मुझे कोई खास उपहार देना चाहती हैं तो मुझे उम्मीद है कि जो मैं आपसे मांगूंगी वह आप मना नहीं करेंगी ।
लता बोली, “तुम एक बार मांग के तो देख प्रिया तू मेरी छोटी बहन है तेरे लिए तो जान भी कुर्बान है।” “दीदी आप से विनती है कि आप शादी के लिए हां बोल दो।” लता पहले तो खिलखिला कर हंसी फिर एकाएक गंभीर हो गई उसके बाद प्रिया से कहा, “प्रिया उपहार तो तुमने अपने लिए मांगा था ना लेकिन मेरी शादी करना यह तुम्हारे लिए उपहार कैसे हो सकता है।”
” दीदी आपका अकेलापन दूर हो जाए इससे बड़ा उपहार हम लोगों के लिए क्या हो सकता है। आप भले ऊपर से खुश रहने का दिखावा कर ले लेकिन मेरा मन कहता है कि आप अंदर से खुश नहीं है और यह सच भी है कोई अकेले कैसे खुश रह सकता है इस जीवन के सफर में एक हमसफर चाहिए ही होता है वरना यह जीवन नीरस हो जाता है तन्हा हो जाता है।”
‘‘प्रिया यह कैसी बेतुकी सी बात कर रही हो तुम सब के होते हुए मुझे अकेलेपन का एहसास कैसे हो सकता है?’’ लता ने प्रिया को गले लगाया और कहा तुम मेरी देवरानी ही नहीं बल्कि सबसे प्यारी छोटी बहन भी हो।
संडे का दिन था सभी परिवार के लोग पार्क में घूमने के लिए गए थे। सब लोग हरी हरी घास पर बैठे हुए थे तभी लता ने कहा,” रमन मैंने सुना है प्रिया कह रही थी तुम बिल्कुल भी सेविंग नहीं करते हो जितनी भी तनख्वाह मिलती है सब परिवार पर खर्च कर देते हो लेकिन यह तुम्हारे भविष्य के लिए सही नहीं है तुम्हें संभल संभल कर खर्चे करना चाहिए अब तुम कुंवारे नहीं हो शादीशुदा हो भविष्य के लिए भी सेविंग करना बहुत जरूरी है तभी अच्छा घर खरीद पाओगे या फिर जब बच्चे होंगे तो उन को अच्छी शिक्षा दे पाओगे।”
“भाभी एक मामूली टीचर की नौकरी में क्या रखा है घर परिवार सही तरीके से चल जाए वही बहुत है शहर में टीचर की नौकरी से मकान खरीदना ख्याली पुलाव बनाने जैसा है।”
लता ने कहा, ” रमन मुझे सरकार की तरफ से 10 लाख रुपए मिले थे। वो मुझसे ले लो और तुम और प्रिया अपने लिए एक नया फ्लैट खरीद लो। रमन अब तुम दोनों के अलावा मेरा है ही कौन यह पैसे मेरे किस काम के हैं। रमन ने कहा, “ठीक है भाभी लेकिन हम फ्लैट तीन बेडरूम वाला खरीदेंगे और आपको भी वही रहना होगा।” उसके बाद बात वहीं खत्म हुई और सब लोग घर वापस आ गए।
प्रिया 1 सप्ताह के लिए अपने मायके चली गई थी । एक रात डिनर कर रमन अपने कमरे में आकर लेटा हुआ था। तभी रमन के कमरे में लता आ गई। लता को देखते हुए रमन ने कहा आइए ना भाभी बैठिए आज आपने खीर बहुत ज्यादा ही डिलीशियस बनाया था। बिल्कुल मां के हाथों जैसा। लता रमन के सिर के पास जाकर बैठ गई। बातों बातों में ही रमन नींद के आगोश में चला गया।
लता वही बैठे-बैठे रमन के बालों में उंगलियां फिराते हुए सिर की मालिश कर रही थी। तब तक रमन की नींद खुल चुकी थी लेकिन उसने जानबूझकर सोने का नाटक करते रहा।
लता रमन के माथे को अपने होठों से हल्का हल्का चुंबन करने लगी। इस चुंबन के कारण एक अजीब सी लहर रमन के पूरे बदन में दौड़ गई. रमन अपनी भाभी लता के बदन से उठ रही महक के प्रति एकदम से सचेत हुआ. उन की नजदीकी उसके लिए बड़ा सुखद एहसास बनी हुई थी. रमन ने झटके से आंखें खोल दीं.
लता की आंखें बंद थीं. वह न जाने किस दुनिया में खोई हुई थीं. रमन को अपने भाभी के चेहरे पर बड़ा सुकून और खुशी का भाव नजर आया.
‘‘भाभी ,’’ अपने माथे पर रखे उन के हाथ को पकड़ कर रमन ने कोमल स्वर में उन का नाम पुकारा.
लता को ऐसा लगा जैसे उसे 440 वोल्ट का करंट लग गया हो और वह फौरन सपनों की नगरी से वास्तविक दुनिया में लौट आई थी अब उसकी आंखें शर्म से झुक गई थी वह रमन से नज़रें नहीं मिला पा रही थी वह वहां से उठकर जाने लगी तभी रमन ने अपनी भाभी लता का हाथ पकड़ लिया।
रमन ने अपनी भाभी से कहा, “भाभी अभी आपका उम्र नहीं गुजरा है आप प्लीज शादी कर लीजिए यह तन्हा जीवन बहुत कष्टदायक होता है कोई न कोई राह गुजर होना चाहिए इस जीवन के सफर में। लता रमन का हाथ छुड़ाकर जाने की कोशिश करती रही लेकिन रमन अपने भाभी का हाथ जोर से पकड़ा हुआ था। तभी अचानक से अपनी भाभी का हाथ रमन ने चुम लिया
भाभी की आंखों में रमन ने प्यार से झांका. वह उससे नजरें न मिला सकीं और उन्होंने आंखें मूंद लीं.
आज भाभी का रूप दीवाना बना रहा था. रमन उन के चेहरे की तरफ झुका. उन के गुलाबी होंठों का निमंत्रण अस्वीकार करना उसके लिए असंभव था.
रमन के होंठ उन के होंठों से जुडे़ तो उसे तेज झटका लगा. उन की खुली आंखों में बेचैनी के भाव उभरे. कुछ कहने को उन के होंठ फड़फड़ाए, पर शब्द कोई नहीं निकला.
भाभी ने झटके से अपना हाथ छुड़ाया और उठ कर कमरे से बाहर चल पड़ीं.रमन ने उन्हें पुकारा पर वह रुकी नहीं.
उस रात रमन सो नहीं सका. मन में अजीब से अपराधबोध व बेचैनी के भावों के साथसाथ गुदगुदी सी भी थी.
सुबह हुई लेकिन रमन में हिम्मत नहीं थी भाभी से नजरें मिला सके जो पिछली रात अनजाने में हुआ वह नहीं होना चाहिए था.। स्कूल से वापस घर आया तो देखा प्रिया आ चुकी है जब कि प्रिया अभी 2 दिन बाद आने वाली थी।
रमन ने प्रिया से पूछा कि तुम अचानक मायके से ससुराल क्यों आ गई रमन ने चुटकी लेते हुए कहा, “सच कहा गया है बेटियां पराई होती है मायके वाले तो तुम्हें 1 सप्ताह भी रख ना सके।
प्रिया बोली, “रमन मजाक छोड़ो और मैं तुम्हें एक बहुत बड़ी खुशखबरी सुनाने वाली हूं उसी के लिए आई हूं। रमन ने आश्चर्य से पूछा कौन सी ऐसी बड़ी बात है जिसके लिए तुम्हें मायके से ससुराल आना पड़ा।
प्रिया बोली, “भाभी ने शादी के लिए हां कर दी है और उन्होंने ही मुझे बुलाया है वो फोन करके बोली हैं जल्दी से आ जाओ प्रिया तुमसे मुझे अपने दिल की बात कहनी है। मैं अब शादी करना चाहती हूं मैं भी अपनी जिंदगी दोबारा से शुरू करना चाहती हूं। रमन ने यह खबर जैसे ही सुना उसके आंखों से आंसू निकल पड़े। जो रात में उसके और लता भाभी के बीच हुआ था वह समझ गया था कि उसी का नतीजा है जो भाभी ने शादी के लिए हां करी है शायद उनके अंदर के एहसास के परिंदे फिर से उड़ने लगे हैं। प्रिया रमन से पूछ रही थी रमन आखिर ऐसा क्या हुआ जो भाभी ने अचानक से शादी के लिए हां कर दी।
रमन को इसका जवाब नहीं सूझ रहा था तभी लता ने प्रिया से कहा ‘‘मुझे अचानक एहसास हुआ कि मेरे अंदर की औरत, जिसे मैं मरा समझती थी, जिंदा है और उसे जीने का भरपूर मौका देने के लिए मुझे अपनी अलग दुनिया बसानी ही पडे़गी, प्रिया ,’’ लता ने प्रिया को जवाब दिया.
‘‘भाभी आप का फैसला बिलकुल सही है. बधाई हो,’’ अपनी बेचैनी को छिपा कर रमन मुसकरा पड़ा.
रमन जब अकेले में लता को मिला तो लता बोली,” तुम्हें कैसे धन्यवाद करूं देवर जी समझ नहीं आ रहा है तुमने मेरी रात को आंखें खोल दी है तुम ने रात को मेरी आंखें खोलने में जो मदद की है, उस के लिए मैं आजीवन तुम्हारी आभारी रहूंगी,’’ उसके बाद रमन को लगा जैसे उसकी अपराध से उसे भाभी ने दोषमुक्त कर दिया है।रमन को तो डर लग रहा था कि कहीं रात वाली बात प्रिया को पता चल जाए तो उसकी आपस की जिंदगी में दरार ना पड़ जाए लेकिन भाभी ने इसे बहुत ही सरलता से निपटा दिया है। आज भाभी के प्रति रमन के मन में आदरसम्मान के भाव पहले से भी ज्यादा गहरे हो गए थे.
फिर कुछ दिनों में ही जिस लड़के से भाभी के लिए बात कर रखी थी भाभी की सगाई हो गई शादी के बाद भाभी का यह ससुराल तो था ही दूसरा मायका भी बन गया। शादी के बाद से ही भाभी को रमन ने अपनी बड़ी बहन बना लिया। लता अपने दूसरे ससुराल में भी इतनी हक से आती थी जैसे उसका यह दूसरा मायका हो।