दूसरों को बदलने से पहले स्वयं को बदलना जरूरी हैं – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

“रजत तुझसे कितनी बार कहा है कि बहु को समझा दे बड़े बुजुर्गों के सामने छोटे कपड़े ना पहना करे..रिश्तों में एक सीमा रेखा होनी चाहिए। आज तेरे ताया जी आए थे उनके सामने बहु स्कर्ट और टी शर्ट पहनकर आ गई।वो बेचारे कुछ बोले नहीं सारा समय मुंह नीचे करके बैठे रहे।

क्या सोचते होंगे वो मन में,कि हमने बहु को बड़े छोटों का लिहाज करना ही नहीं सिखाया।”सुषमा बेटे पे गुस्सा होते हुए बोले क्योंकि बहु उसकी सुनती नहीं थी।उसने तो अपने को आधुनिकता के रंग में इस कदर रंग रखा था कि उसके सामने छोटा बड़ा कोई मायने नहीं रखता था।

“माँ,आप फिर से वही सब बेकार की बातें लेकर बैठ गईं। कितनी बार आपको समझाया है जिसे जो अच्छा लगे वो करने दो।ज्यादा टोका टाकी अच्छी नहीं होती।इंसान वही कपड़े पहनेगा ना जिसमें उसे कंफर्टेबल महसूस हो।लोगों का क्या है?वो तो बोलते ही रहते हैं।आप बस अपने काम से मतलब रखा करो।”आशा के विपरीत रजत ने उल्टा सुषमा को दो टूक सुनाकर उसका मुंह बंद करवा दिया।

रजत और प्रिशा की लव मैरिज हुई थी।सुषमा को बेटे की पसंद से कोई एतराज नहीं था बस वो चाहती थी,कि प्रिशा जो भी पहने सलीके का पहने।उसके पति नहीं थे फिर भी उसके ससुराल वालों से अच्छे संबंध थे।बड़ा परिवार था आए दिन कोई ना कोई घर आता रहता था।ऐसा नहीं था कि ससुराल वाले बैकवर्ड थे वो भी सब पढ़े लिखे और आधुनिक थे।पर उन्होंने अपने संस्कार नहीं छोड़े थे।चाहे बेटे हों या बेटियां सभी मर्यादा में रहते थे।

रजत को ये तो पता था,कि प्रिशा को आधुनिक ड्रेसेस पहनना पसंद है पर ये नहीं मालूम था कि घर के बड़ों के सामने भी वो छोटे कपड़े पहनेगी?उसने उसे समझाने की बहुत कोशिश की पर प्रिशा कब मानने वाली थी..उल्टा बहस करने बैठ जाती थी इसलिए अब रजत ने भी उसे समझाना छोड़ दिया।

सुषमा बेचारी भी रोज रोज की किच किच से परेशान हो गई थी उसने भी बोलना छोड़ दिया।

एक दिन प्रिशा चहकते हुए सुषमा से बोली -“मॉम,तीन दिन बाद मेरी किट्टी है कुछ फ्रेंड्स आ रहीं हैं आप सलवार कमीज मत पहनना ओल्ड फैशन हो गया है।आप मेरे साथ मॉल चलो आपको प्लाजो सूट दिलवा दूंगी वही पहन लेना।”

पहले तो सुषमा ना नू करती रही पर जब प्रिशा जिद्द पर अड़ गई तो वो बहाने बनाते हुए बोली -“अरे बहु मॉल में मेरे नाप के कपड़े थोड़े मिलेंगे?वो तो दर्जी से सिलवाना पड़ेगा और दर्जी इतनी जल्दी सी कर देगा नहीं।”

“मॉल में तो उसी समय या थोड़ी देर में कपड़े आल्टर करके दे देते हैं उसकी आप चिंता मत करो।”प्रिशा सुषमा की बात काटते हुए बोली।

मरता क्या न करता..ना चाहते हुए भी सरिता नेहा के साथ मॉल गई और एक प्लाजो सूट खरीद लिया।थोड़ा फिटिंग ठीक नहीं थी सो दूसरे दिन तक दुकान वाले ने ठीक करके दे दिया।

आज प्रिशा की किट्टी पार्टी थी वो सुबह से ही घर सजाने में लगी हुई थी और सुषमा किचन में व्यस्त थी।काम करते करते सुषमा के मन में एकदम से विचार आया कि क्यों न प्रिशा को उसके ही अंदाज में सिखाया जाए क्योंकि आज मौका भी था और दस्तूर भी…कुछ सोचकर उसके चेहरे पे मुस्कान आ गई।

शाम के पांच बज रहे थे प्रिशा की सहेलियां एक एक करके आने लगीं।प्रिशा ने कोल्डड्रिंक सर्व करके सबका वेलकम किया।कुछ ही देर में गेम शुरू हो गया।प्रिशा ने किचन में आकर सुषमा को ड्राइंग रूम में आने को कहा ताकि वो अपनी सहेलियों से मिलवा सके।सुषमा प्लाजो सूट पहनकर बहुत सुंदर लग रही थी और उसे देखकर प्रिशा बहुत खुश हो रही थी क्योंकि उसकी चाहत जो पूरी हो गई थी।

सुषमा ने प्रिशा को कहा कि वो पांच मिनिट में आती है।सुषमा अपने रूम में गई और प्लाजो सूट उतारकर सलवार सूट पहन लिया और सर पर पल्ला लेकर ड्राइंग रूम में आ गई।

प्रिशा की सहेलियों ने सुषमा से नमस्ते की फिर एक दूसरे के साथ खुसुर फुसुर करने लगीं।सुषमा को सलवार सूट में देख प्रिशा का गुस्सा तो सातवें आसमान को छूने लगा।बड़ी मुश्किल से उसने अपने आपको काबू में किया।जब उसने देखा सुषमा तो वहां जमकर ही बैठ गई और सबसे घर गृहस्थी की बातें कर रही है तो उसने बहाने से सुषमा को वापिस किचन में भेज दिया।सुषमा मन ही मन अपनी प्लानिंग पर खुश हो रही थी।

उसके जाते ही प्रिशा की सहेलियां तंज कसते बोली -“तू तो कहती थी मेरी सासु मां बड़ी मॉर्डन हैं..पर ये तो टिपिकल हाउस वाइफ हैं।” फिर सब जोर जोर से हंसने लगीं।प्रिशा तो अपनी पोल खुलती देख शर्म से पानी पानी हो गई।उसने मन ही मन सोच लिया कि आज वो सुषमा से अपनी बेज्जती का बदला लेकर रहेगी।

सभी सहेलियों के जाने के बाद प्रिशा गुस्से से पैर पटकते हुए सुषमा के पास आई और बोली -“सबके सामने मेरी बेज्जती कराके आपको बहुत खुशी हुई होगी ना।प्लाजो पहनकर आ जाती तो आपका क्या बिगड़ जाता?”इससे पहले कि सुषमा प्रिशा की बात का जवाब देती रजत ऑफिस से आ गया।

उसको चाय नाश्ता पूछने के बजाय प्रिशा उसे सुषमा की बात बताने लगी।प्रिशा को लगा था कि उसकी बातों में आकर रजत सुषमा से झगड़ा करेगा पर ये क्या..वो तो उल्टा प्रिशा पर तंज कसते हुए बोला -“माँ हमेशा तुम्हें कहती थीं कि घर के बड़ों के सामने फ्रॉक स्कर्ट वगैरह मत पहना करो पर तुमने कभी उनकी बात नहीं मानी हमेशा अपनी मनमानी करी।

आज उन्होंने तुम्हारी बात नहीं मानी तो तुम्हें इतना बुरा क्यों लग रहा है?माँ,ने अपने इस वार से समझा दिया कि दूसरों को बदलने से पहले खुद को बदलना पड़ता है।”

रजत की बात सुनकर प्रिशा की बोलती बंद हो गई।

सुषमा भी रजत की हां में हां मिलाते हुए बोली -“बेटा,मैं भी इसे यही बात समझाना चाहती थी इसलिए मैंने एन वक्त पर प्लाजो सूट उतारकर सलवार सूट पहन लिया।वर्ना मुझे प्लाजो पहने में कोई दिक्कत नहीं थी ना ही मेरा मकसद सहेलियों के सामने इसकी बेज्जती करने का था।मैं तो खुशी खुशी इसके साथ मॉल जाकर प्लाजो सूट लेकर आई थी।”

सुषमा की बात सुनकर प्रिशा की आंखों में आसूं आ गए।उसने सुषमा से माफी मांगी और ये वायदा किया कि अब से वो मर्यादा में रहकर ही आधुनिक कपड़े पहनेगी ताकि बड़ों का मान भी रह जाए और उसके शौक भी पूरे हों।

किट्टी पार्टी के बहाने ही सही सास बहु की खिचड़ी में प्रेम का तड़का लग चुका था।जिसका रजत आनंद ले रहा था।

दोस्तों हम कितने भी आधुनिक क्यों ना हों पर घर के बड़ों के सामने हमें मर्यादा में ही रहना चाहिए ताकि रिश्तों में सम्मान और स्नेह दोनों बना रहे।

कमलेश आहूजा

#सीमा रेखा

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