“अरे वाहः रीना आज तो बड़ी प्यारी लग रही हो”
रक्षाबंधन वाले दिन मैं अपने मायके से वापिस आयी ही थी कि रीना मुझे बाहर ही मिल गयी। चटक हरे रंग के लहंगा चोली और मांग टीका लगाए सजीधजी आज तो वो बिल्कुल अलग और बहुत सुंदर दिख रही थी।
‘हांजी आंटी मैं भी अभी आयी हूँ अपने मायके से राखी करके”
रीना मेरे घर के साथ वाले घर में किराए का कमरा लेकर रह रही थी। वो किसी बड़ी कोठी में पूरे दिन के लिए खाना बनाने का काम करती थी और उसका घर वाला कहीं ड्राइवर का काम करता था।लेकिन उनके रहन सहन से कहीं भी नही लगता था कि रीना इस तरह कोठी में काम करती होगी।
सुबह जब घर से निकलती तो खूब बढ़िया से तैयार टिप टॉप होकर जाती। आते जाते मुझे जब भी मिलती खूब अच्छे से मुस्कुराते हुए बात करती।
उसका जवाब सुनकर उस समय तो मैं अंदर चली गयी लेकिन उसकी ये बात मेरे दिमाग से निकल ही नही रही थी कि वो मायके गयी हुई थी राखी का त्योहार मनाने।क्योंकि कुछ दिन पहले ही तो उसने मुझे बताया था कि उसके माँ बाप तो बचपन मे ही किसी दुर्घटना में चल बसे थे।
परिवार में और कोई था नही तो बस वो एक बार किसी दूर के रिश्तेदार के साथ गांव से शहर आ गयी तो दोबारा कभी गांव गयी ही नही। तो फिर आज अचानक से इसने ये क्यों बोला कि वो मायके गयी थी भाईयों को राखी बांधने।
अब सवाल तो मुझे बहुत उलझा रहे थे लेकिन उनके जवाब तो तभी मिलते जब रीना बताती।
मुझे ज्यादा समय उलझन में नही रहना पड़ा क्योंकि इत्तफाक से अगले दिन रीना फिर से मुझे मिल गयी।लेकिन मेरे बिना पूछे ही उसने बताना शुरू कर दिया क्योंकि शायद वो अंदर से जान गई होंगी के उसकी उसदिन वाली बात ने मेरे मन मे कई सवाल उठा दिए होंगे।
कहने लगी,”आंटी आपको तो पता ही है मेरा तो मायका ही नही है बचपन से बस कोठियों में काम करते करते ही बड़ी हुई हूँ।लेकिन मेरे पति रंजीत की मैं दूसरी पत्नी हूँ। उसकी पहली पत्नी का जब बच्चा हुआ तो वो चल बसी।फिर रंजीत की शादी मेरे साथ हुई।
रंजीत ने क्योंकि बच्चे की देखभाल के लिए जल्दी शादी की थी तो तब तक उसका बेटा उसकी पहली पत्नी के मायके वालों के पास था। रंजीत ने उन्हें शादी में बच्चे के साथ बुलाया था।
उन्होंने वहां आकर बच्चा तो मुझे सौंपा ही साथ ही जब उन्होंने देखा कि मेरा मायके का कोई भी नही है तो उन्होंने मुझे अपनी बेटी मानकर मेरा कन्यादान भी किया। इस तरह बच्चे को माँ मिल गयी।मुझे मायका मिल गया और उनको बेटी मिल गयी और अब वो मुझे अपनी बेटी की तरह ही मान देते हैं और हर तीज त्योहार पर मुझे मायके का हर नेग वहीं से आता है।’
और मैं उसकी बातें सुनकर सोच में पड़ी थी कि आज ऐसे वक्त में जब अपने ही अपनो को नही पूछते तब भी इस दुनिया मे ऐसे बड़े दिल वाले लोग मौजूद हैं जो सही मायनों में जानते हैं कि रिश्ते बनाना और उन्हें दिल से निभाना क्या होता है..!!!!
मौलिक एवं स्वलिखित
रीटा मक्कड़