पत्नी ने खाना परोसते हुए कहा आखिर ऐसे कब तक चलेगा अपनी बेटी प्रियंका एक वर्ष की हो चुकी है और तुम्हें अभी तक कोई नौकरी नहीं मिली ,, मैं कितना खींचतान करके घर चला रही हूं मायके से भी अब मदद मिलनी बंद हो चुकी है
आज के जमाने में परिवार चलाने के लिए रूपयों की कितनी जरूरत होती है यह तो तुम अच्छी तरह जानते ही हो
घर में तमाम छोटे बड़े खर्चे होते हैं …पत्नी की बात सुनने के बाद .. मैं थोड़ा सोच में पड़ गया ..तब मैंने कहा मोहल्ले वालों से नौकरी की बात करता हूं तो नाक चढ़ा लेते हैं अपनी ही बिरादरी के लोग हमसे कितनी नफरत करते हैं वैसे तो सब मीठी-मीठी बातें करते हैं और जब नौकरी की बात करता हूं तो सब इधर-उधर की राम कहानी सुनाने लगते हैं इसलिए मैंने रिश्तेदारों के घरों में जाना भी कम कर दिया है
तब पत्नी ने कहा पड़ोस की मीरा आंटी के घर अखबार आता है उसमें शायद नौकरी का विज्ञापन मिल जाए मैं अभी आती हूं अखबार लेकर
पत्नी अखबार लेने मीरा आंटी के घर चली गई मीरा आंटी का घर हमारे ही मकान के साथ चिपका हुआ था
मैंने भी सोच लिया अखबार में किसी भी तरह की नौकरी का विज्ञापन आ जाए इस बार मैं मना नहीं करूंगा बीवी बच्चों का पेट भरने की जिम्मेदारी मेरी है ,, बाबूजी ने तो अपना कर्तव्य निभा लिया अब मेरी बारी है
तभी पत्नी अखबार लाते हुए बोली देखो इसमें एक विज्ञापन दिखाई दे रहा है इसमें लिखा हुआ है नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के एक रेस्टोरेंट में ,, चार हेल्पर ,, दो कुक,, और दो तंदूर वालों की आवश्यकता है
तब मैंने पत्नी से कहा खाना पकाना तो मुझे आता नहीं क्योंकि मैं कुक नहीं और तंदूर में कभी रोटियां पकाई नहीं लेकिन हेल्पर का काम मैं कर सकता हूं
जब मैंने दीवार पर लटक रही घड़ी में देखा तो
सुबह के उसमें 6:30 बज रहे थे
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पत्नी ने बस का किराया पकड़ाते हुए कहा मैं तुम्हारे लिए चाय और नाश्ता बना देती हूं
तब मैंने कहा मुझे देर हो जाएगी स्टेशन पहुंचने में ..चाय नाश्ता तो मैं रोज ही करता हूं
अब तो रेस्टोरेंट जाकर ही चाय नाश्ता करूंगा..
पत्नी भी चाहती थी मेरी नौकरी लग जाए कहने लगी जब भी मायके जाती हूं तो वहां के पास पड़ोस वाले कहते हैं क्या तुम्हारे घरवाले की अभी तक नौकरी नहीं लगी तुम्हारे घर का खर्च कैसे चलता है … सास ससुर के आगे कब तक झोली फैलाती रहोगी.. ऐसी बातें सुन सुनकर मेरा तो दिमाग खराब हो जाता है … मैं चाहती हूं मेरा भी पति कमाए दो पैसे कमाकर लाए,, मैं भी अपना सर उठाकर चल सकूं ..
पत्नी ने घर में रखा हुआ एक बटन वाला छोटा सा मोबाइल मुझे देते हुए कहा यह लो मोबाइल अपने पास रख लो वहां स्टेशन पर पहुंचते ही मुझे कॉल कर देना
गुसलखाने में मैंने जल्दी से हाथ मुंह धोया और किराया लेकर बस स्टैंड की तरफ भागा
इत्तेफाक से बस भी मिल गई और बिल्कुल खाली थी टिकट लेकर में आराम से बस की एक सीट पर बैठ गया धीरे-धीरे बस में सवारी चढ़ने लगी बहुत महीनों बाद बस में चढ़ा था न जाने कैसे मुझे एक नींद का झोंका आया जब आंख खुली तो मेरी शर्ट वाली ऊपर की जेब से मोबाइल गायब था ,, मैं इधर-उधर सवारी से पूछने लगा तब एक सवारी ने बताया तुम्हें अपने मोबाइल का ध्यान रखना चाहिए था.. जेबकतरे बसों में चढ़ जाते हैं ..रोज जेबें कटती है ,, अब अपना मोबाइल भूल जाओ
मैं बस की सीट पर बैठे-बैठे सोचने लगा
पत्नी ने एक-एक पैसा जोड़कर वह बटन वाला फोन खरीदा था ताकि वह मायके में अपनी बहनों और भाइयों से बात कर सके ,,
जब पत्नी को पता चलेगा मैंने उसका मोबाइल बस में गुम कर दिया
तब वह मुझे लापरवाह समझेगी मैं अपने आप को वही सीट पर बैठे-बैठे कोसने लगा
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तभी कंडक्टर ने आवाज लगाई नई दिल्ली का स्टेशन आ चुका है
बस यहीं पर खाली होगी सभी सवारी एक-एक करके बस से नीचे उतरने लगी
मैं गुमसुम और मायूस होकर बस से नीचे उतरा और उस रेस्टोरेंट की तरफ चल पड़ा
15 मिनट पैदल चलने के बाद मैं रेलवे स्टेशन पर पहुंचा
थोड़ी देर में मुझे वह रेस्टोरेंट दिखाई दिया
काउंटर पर एक व्यक्ति बैठा हुआ था मैंने उसे बताया क्या आपने विज्ञापन दिया था उसने मुझे गौर से देखा और कहा तुम्हें होटल का क्या-क्या काम आता है ,,
तब मैंने कहा पहले तो मैं कारखाने में काम किया करता था मगर दिल्ली में कारखाने की सीलिंग होने के बाद 3 सालों से बेरोजगार हूं ,, किसी तरह दिहाड़ी वाले काम करके घर का गुजारा कर रहा हूं।
सीधा-सीधा बोलो तुम्हें होटल का काम नहीं आता वह थोड़ा तेज स्वर में बोला,,
फिर मैंने हां भरते हुए कहा…. मैं पहली बार होटल लाइन में आया हूं
लेकिन मैं हेल्पर का काम कर सकता हूं ,,
तब उसने कहा हेल्पर में बहुत सारे काम होते हैं सब करने पड़ेंगे
बड़े-बड़े पतीलों में आलू उबाला होगा.. फिर आलू को छीलना होगा.. एक बोरा प्याज रोज काटनी होगी
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कम से कम 50 किलो आटा रोज बड़े बर्तनों में गुंधना होगा
टेबल मेज कुर्सी पर बार-बार कपड़े से सफाई भी करनी होगी
छुट्टी एक भी नहीं मिलेगी यहीं पर खाना और यहीं पर रहना होगा ,, और सैलरी एक महीने बाद बताई जाएगी,,
तुम्हें मैं 5 मिनट का समय देता हूं सोच कर बताओ ..काम
कर पाओगे या नहीं
तब मैंने तपाक से उत्तर दिया इसमें सोचने वाली क्या बात है मैं तो घर से ही निकला हूं नौकरी के लिए
तब उसने बताया मैं यहां का मैनेजर हूं मेरा नाम भोला प्रसाद है इस रेस्टोरेंट का मालिक तो उत्तराखंड में रहता है वह एक फौजी है साल में एक बार ही आता है दिवाली के दिन और सब वर्करों को ईनाम देकर चला जाता है
,,, मैनेजर ने मुझे काम समझा दिया और
मैं रेस्टोरेंट में बड़े-बड़े पतीलों में आलू उबालने लगा सारा दिन रेस्टोरेंट में काम करने के बाद मैं काफी थक चुका था एक मन तो हुआ अभी यहां से वापस अपने घर चला जाऊं
फिर पत्नी की बात याद आई ,, घर में एक पैसा भी नहीं है
आखिर अम्मा और बाबूजी के भरोसे कब तक बैठे रहेंगे
दिन पे दिन अम्मा और बाबूजी भी लाचार होते जा रहे हैं
अब हमें भी अपने पैरों पर खड़ा हो जाना चाहिए
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रेस्टोरेंट में रात के 11 बज चुके थे बड़े-बड़े बर्तनों को ठंडे पानी से धोते हुए मुझे पत्नी और अम्मा की याद आई उनसे बात करने का बहुत जी कर रहा था मगर मुझे बाबूजी का मोबाइल नंबर और अम्मा का मोबाइल नंबर पूरी तरह याद नहीं था
पत्नी हमेशा कहती थी मैंने नई सिम खरीदी है इसका नंबर याद कर लो कभी भी बुरे वक्त में जरूरत पड़ सकती है मगर मैं उसकी बात को टालता रहा
अब मैं यह नौकरी छोड़कर घर भी नहीं जा सकता बड़ी मुश्किल से यह नौकरी मिली है
तीन दिन बीतने के बाद रेस्टोरेंट के मैनेजर ने कहा ,, नेकराम इधर आओ ,, काम तो तुम पूरी ईमानदारी से करते हो क्या तुम्हारा कोई परिवार नहीं है मैंने तुम्हें कभी घर पर मोबाइल से बात करते हुए नहीं देखा
तब मैंने बताया मैनेजर साहब ,, एक मोबाइल था यहां आते समय बस में चोरी हो गया
और घर में अम्मा बाबूजी पत्नी और एक साल की बेटी है
नौकरी की तलाश थी तो इधर चला आया अखबार में विज्ञापन पढ़कर ,,
तब मैनेजर साहब ने कहा ,, तुम्हारे परिवार वाले बहुत चिंता में होंगे तीन दिनों से तुम्हारी उनसे कोई बात नहीं हुई है
तुम अभी और इसी वक्त अपने घर चले जाओ अपने परिवार से मिलकर और कुछ रुपए उन्हें देकर आ जाओ ताकि उन्हें तसल्ली हो जाए कि तुम यहां रेस्टोरेंट में सुरक्षित हो और सही सलामत हो
मैनेजर साहब ने मुझे एक पुराना सेकंड हैंड मोबाइल दिलवा दिया और कुछ रुपए देते हुए कहा जाते-जाते हमारे रेस्टोरेंट का खाना जरूर ले जाना
उसी दिन मैं अपने घर लौट आया अम्मा और पत्नी की आंखें मुझे देखकर भर आई
मैंने रेस्टोरेंट का सबको खाना खिलाया और और वहां की सब बातें बताईं
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तब पत्नी कहने लगी तुम्हें इतनी दूर रेस्टोरेंट में जाने की जरूरत नहीं है मैंने तो गुस्से में कह दिया था और तुम सच में चले गए
मैं रात भर अकेली तुम्हारे बिना कैसे रहूंगी यह तीन रातें मेरी कैसे कटी में ही जानती हूं
पत्नी की ऐसी दशा देखकर
अम्मा और बाबूजी ने भी मुझे बहुत रोका मुझसे कहने लगे नेकराम,, तू ,,यही आसपास नौकरी ढूंढ ले
तब मैंने कहा मैं रेस्टोरेंट के मैनेजर से धोखा नहीं कर सकता हूं उनका मोबाइल मेरे पास है उन्होंने दया करके मुझे मेरे परिवार से मुझे मिलने के लिए भेजा और मैं उन्हें धोखा दूं ..नहीं मुझसे ऐसा नहीं होगा
और मैं परिवार के सब सदस्यों को रेस्टोरेंट का खाना खिलाकर उसी दिन वापस स्टेशन पहुंच गया ..
रेस्टोरेंट पहुंचने के बाद मैनेजर ने कहा ,, हमें तो यकीन ही नहीं था तुम वापस आओगे यहां आस-पास के दुकानदारों ने मुझसे शर्त लगाई थी और कह रहे थे
तुमने अजनबी लड़के पर विश्वास करके उसे अपना मोबाइल दे दिया और रुपए भी दे दिए अब वह पक्का यहां नहीं आएगा
लेकिन नेकराम तुमने सबको गलत साबित कर दिया
तब मैंने वहां खड़े सभी लोगों के सामने कहा मैं गरीब जरूर हूं मगर धोखेबाज नहीं
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मेरी बातें सुनकर वहां खड़े सभी लोगों की आंखें शर्म से झुक गई
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उस रेस्टोरेंट में मैंने ढाई साल काम किया एक दिन ससुर जी का फोन आया और उन्होंने कहा हमने अपनी बेटी की शादी इसलिए की थी कि वह तुम्हारे साथ रह सके ,,
अभी तक तो मैं चुप था लेकिन एक पिता अपनी बेटी के घर को उजड़ते हुए नहीं देख सकता मेरी अस्पताल में जान पहचान है
उनसे कहकर मैं तुम्हें सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी लगवा दूंगा
मैं चाहता हूं दिन में तुम काम करो और रात को घर पर अपनी पत्नी बच्चों के साथ रहो ….
यह बात मैंने मैनेजर साहब को बताई तो उन्होंने कहा यह तो बहुत खुशी की बात है हम भी यही चाहते हैं कि तुम वापस अपने घर चले जाओ हमारे रेस्टोरेंट में तो रोज नए चेहरे आते हैं
हमें वर्करों की कमी नहीं है
लेकिन हम तुम्हें हमेशा याद रखेंगे यहां का पूरा स्टेशन तुम्हारी हमेशा तारीफ करता है यहां स्टेशन पर आने वाले अधिकांश लोग नशे की चपेट में आ जाते हैं मगर तुमने इन सब चीजों से अपने आप को दूर रखा यह अपने आप में एक काबिले तारीफ है
तुम्हारे माता-पिता ने तुम्हें अच्छे संस्कार दिए हैं
तुम जहां भी रहो खुश रहो ,,
उस दिन मैं उन सबका आशीर्वाद और दुआएं लेकर घर लौट आया और अगले दिन से एक अस्पताल में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने लगा
पत्नी के साथ रहने लगा तो एक पुत्र और पैदा हो गया पत्नी ने कहा बस दो बच्चे बहुत है तुम्हारी गार्ड की नौकरी है कोई हवाई जहाज की नहीं
जब मैं पत्नी के साथ रहने लगा तो पत्नी बहुत खुश थी उसने कहा जिनके पति ,, बेटे और पिता प्रदेश चले जाते हैं कमाने के लिए ,, उनके दुख और उनकी वेदना को मैंने भी झेला है ढाई सालों तक
मैं भगवान से यही दुआ करूंगी किसी का बेटा किसी का पति और किसी का पिता अपने परिवार से दूर रहकर नौकरी ना करें बड़ी मुश्किल का काम है ,, मेरे समझ में आ चुका है ,,
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मां से बेटे की जुदाई ,, और पति से पत्नी की जुदाई और
एक पिता का अपने ही बच्चों से दूर रहकर नौकरी करना यह दुनिया के सबसे कठिन काम है
शायद इसलिए मशहूर जगजीत जी ने यह गीत गाया था
वक्त का ये परिंदा रुका है कहां
मैं था पागल जो इसको बुलाता रहा
चार पैसे कमाने मैं आया शहर
गांव मेरा मुझे याद आता रहा
मैनेजर साहब ने जब मुझे अपना मोबाइल दे दिया था तब मैं यही गीत बार-बार सुनकर रात रात भर रोता रहता था आंखों से आंसू थमते नहीं थे अपने माता-पिता और अपने बीवी बच्चों से अचानक दूर रहकर दिन काटना बहुत दर्दनीय था
शायद मैनेजर साहब मेरे इस गम को पहचान चुके थे इसलिए उन्होंने मुझे जाने की इजाजत दे दी
आज मैं गार्ड की नौकरी करता हूं दो पैसे कम कमाता हूं लेकिन अपने परिवार के साथ रहता हूं इससे बड़ी दौलत मेरे लिए और क्या हो सकती है
मेरा परिवार ही मेरी सबसे बड़ी पूंजी है
लेखक नेकराम सिक्योरिटी गार्ड
मुखर्जी नगर दिल्ली से
स्वरचित रचना