दुल्हन बनने का अरमान – गीता वाधवानी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : आज दिव्या बहुत खुश थी। उसे देखने लड़के वाले आ रहे थे। बचपन से ही दिव्या को साड़ी और लहंगा पहनकर सजने सवरने का और दुल्हन बनने का बहुत शौक था। उसका दुल्हन बनने का एकमात्र अरमान था। पढ़ने लिखने में वह एक औसत छात्रा थी। उसका एक बड़ा भाई था अरुण। वह अपनी छोटी बहन दिव्या को दिलो जान से स्नेह करता था। 

       वह लड़के वालों के स्वागत की तैयारी में अपनी मां की मदद कर रहा था। काजू ,बादाम, मिठाई, समोसे, कचौड़ी, नारियल कुकीज, सॉफ्ट ड्रिंक और न जाने क्या-क्या। सब कुछ तैयार था। 

दोपहर में लड़के वाले जाकर दिव्या को देख गए। अगले दिन उन्होंने फोन करके बताया कि दिव्या उन्हें अपने बेटे विशाल के लिए बहुत पसंद है। अरुण ने दिव्या से पूछा तो दिव्या ने कहा कि उसे विशाल पसंद है। 

दिव्या के पापा ने विशाल के परिवार के बारे में पता लगाया। सब ठीक था। विशाल किसी प्राइवेट कंपनी में जॉब करता था। उसकी एक विवाहित बड़ी बहन थी। 

जल्द ही दिव्या और विशाल की सगाई हो गई। दिव्या का दुल्हन बनने का अरमान पूरा होने वाला था। विशाल जैसा हैंडसम लड़का उसकी भावी पति था, वह बहुत खुश थी। उसे खुश देखकर परिवार वाले भी बहुत खुश थे। वह विवाह से पूर्व कई बार विशाल के साथ घूमने गई। विशाल ने उसे कई उपहार भी दिए। 

विवाह से कुछ महीने पूर्व एक दिन अचानक दिव्या के होने वाले ससुर जी का फोन आया कि” हमें दो लाख रूपयों की सख्त जरुरत पड़ गई है, क्या आप इंतजाम कर सकते हैं। 2 दिन बैंक बंद होने के कारण हमें दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। हम हफ्ते, 10 दिन में आपको पैसे लौटा देंगे।” 

दिव्या के पिता ने शादी की शॉपिंग करने के लिए घर पर जो रुपए रखे हुए थे, वो उन्होंने दिव्या की ससुराल पहुंचा दिए। काफी दिन बीत जाने पर भी दिव्या के ससुर जी ने पैसे नहीं लौटाए।

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दिव्या के पिता ने भी शर्म के मारे कुछ नहीं कहा। फिर दिव्या के ससुर जी ने शादी से पहले अपनी बेटी के लिए सोने का हार और अपने दामाद के लिए सोने की अंगूठी मांग ली। इसी तरह वह कुछ ना कुछ मांग करते रहे। दिव्या के परिवार को तो सब कुछ देना ही था, तो उन्होंने इस बात पर ज्यादा गौर नहीं किया। 

दिव्या ने अपनी मेहंदी के कार्यक्रम में खूब डांस किया। हंसी खुशी विवाह संपन्न हुआ और दिव्या दुल्हन बनकर अपने ससुराल आ गई। 2 दिन बाद उन लोगों को गोवा जाना था। गोवा में 6 दिन कैसे हंसी खुशी से बीत गए, वक्त का पता भी ना चला। 

गोवा से वापस आने के बाद दिव्या का मायके जाने का बहुत मन था। वह जैसे ही अपने सास के कमरे की तरफ पहुंची, उसने विशाल की जॉब के बारे में कुछ बातें सुनी। उसके पहुंचते ही सब चुप हो गए। 

दिव्या ने पूछा-“आप लोग अभी जॉब के बारे में कुछ बात कर रहे थे, मुझे भी बताइए कुछ हुआ है क्या?” 

दिव्या की सास-“विशाल बेटा, इसने जब सुन ही लिया है तो इसे बता दो।” 

विशाल-“दिव्या, 6 महीने पहले ही मेरी  नौकरी चली गई थी।” 

दिव्या-“पर क्यों?” 

विशाल-“ऑफिस में मुझ पर धोखाधड़ी का झूठा आरोप लगाया गया था।” 

दिव्या-“अब क्या होगा?” 

विशाल-“अपने पापा और भाई से कहकर मेरी मदद करवा दो। नौकरी मिलते ही मैं उनकी सारी उधार चुका दूंगा।” 

दिव्या कुछ सोच कर बोली-“विशाल, शादी में बहुत खर्चा हुआ है, मैं कैसे कहूंगी पापा से पैसों के लिए?” 

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विशाल-“अरे ज्यादा नहीं चाहिए, सिर्फ 5 लाख।” 

दिव्या हैरानी से”5 लाख” 

विशाल-“हां हां, गोवा जाने के लिए किसी से उधार लिया था,वह भी तो लौटना है।” 

दिव्या-“पहले बताते, तो हम लोग गोवा जाते ही नहीं।” 

दिव्या अगले दिन मायके जाती है तो उसके पापा उसे एक लाख ही दे पाते हैं। वह पैसे दिव्या विशाल को दे देती है। पूरे 1 महीने तक विशाल घर पर ही आराम फरमाता रहता है और जॉब ढूंढने की कोई कोशिश नहीं करता। 

दिव्या इस बात से नाराज होकर उसे टोकती है, तो वह उसे बहुत मारता है। वह मारपीट वाली बात अपने मायके वालों से छुपा लेती है। 

पैसे खत्म हो जाने पर विशाल उसे मायके जाकर पैसे लाने को कहता है। दिव्या उसे साफ मना कर देती है। 

दिव्या-“विशाल, अब बहुत हो चुका, मैं अब कुछ भी मांग कर नहीं लाऊंगी। तुम खुद काम करो। जॉब ढूंढो और पैसे कमाओ। शादी की है तो जिम्मेदारी तो उठानी पड़ेगी। मेरे पापा पहले से ही हद से ज्यादा दे चुके हैं।” 

विशाल ने उसे बहुत पीटा और जब वह मार खाते-खाते बेहोश हो गई, तब बेहोशी की हालत में उसे जला दिया और उसके मायके में फोन कर दिया कि सिलेंडर लीक होने के कारण दिव्या जल गई है। यह तो अच्छा हुआ कि सिलेंडर पूरी तरह से भरा हुआ नहीं था नहीं तो आपकी बेटी की गलती के कारण हमारा पूरा घर ही उड़ जाता। 

दिव्या के माता-पिता के यह सुनकर होश ही उड़ गए। उन्होंने अपनी लाडली को हमेशा के लिए खो दिया था। उन्हें इस बात का बिल्कुल यकीन नहीं था इसीलिए उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। पोस्टमार्टम में मारपीट के कई निशान मिले। विशाल और उसके पिता को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन दिव्या तो वापस नहीं आ सकती थी। 

उसका  ससुराल में सुखी रहने और दुल्हन बनने का अरमान उसके साथ ही समाप्त हो गया। 

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इसीलिए अपनी बेटियों को हमेशा यही शिक्षा दें कि यदि ससुराल में उन्हें कोई परेशानी या दुख है तो वह उसे छुपाए नहीं, और कभी भी किसी भी समय उन्हें अपनी जान का खतरा महसूस हो तो वह तुरंत अपने माता-पिता के पास आ जाए, मायका उनका अपना ही घर है। 

स्वरचित अप्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली

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