दुख पहले सुख बाद में – ऋतु दादू : Moral Stories in Hindi

निशी  सुबह सुबह घर व्यवस्थित करने में लगी थी कि फोन पर सूचना मिली कि उसके चाचाजी नहीं रहे, वह जल्दी से बाहर आई तो देखा उसके सास,ससुर, चाची सास, चचिया ससुर और उसके पति सब एक साथ बैठकर उसके चचेरे देवर के विवाह के बारे में विचार विमर्श कर रहे थे,

जिसका  मुहूर्त अगले हफ्ते निश्चित हुआ है। उसने जल्दी से सबको वह सूचना दी तो चाची सास मुंह बनाकर बोली, निशी तुम्हे इतना ध्यान तो रखना चाहिए था कि विवाह के घर में अशुभ सूचना सुबह सुबह जोर से बोल कर नहीं दी जाती।निशी ने अपनी सासू मां से कहा कि मां हमें अभी निकलना होगा

तो सासू मां असमंजस से बोली पर बेटा यहां विवाह की पत्रिका बंट चुकी हैं,तुम तो घर की बहु हो तो गमीं में कैसे जा सकती हो, ऐसा करना विवाह सम्पन्न होने के बाद अपनी चाची से मिल आना।

यह सुन निशी बहुत दुखी हुई , रोते हुए अपने कमरे में चली गई।मायके में निशि इकलौती लड़की थी, चाचा चाची के भी दोनों बेटे ही थे, चाची ने कभी भी अपने बेटे और उसमें फर्क नहीं किया था, मां पिताजी से ज्यादा प्यार उसे  चाचा चाची से मिला था।

आज चाचा के अचानक चले जाने से वह उनके अंतिम दर्शन भी नहीं कर पायेगी, चाची के सीने से लिपट कर उन्हें ढांढस भी नहीं बंधा पाएगी। यह सोच सोच कर निशि बेचैन हो रही थी। जब से निशि का विवाह हुआ, उसने हमेशा ससुराल को ही सर्वोपरी माना। आज उसे ऐसा महसूस हो रहा था

कि उससे बड़ा बेबस इस दुनिया में कोई नहीं है। आज वह यह सोचने पर मजबूर हो रही थी कि जिन लोगों को उसकी भावनाओ की कद्र नहीं है, तो क्या वह भविष्य में उन सब को अपनापन व प्यार दे पाएगी? जब भी उसकी ननद मायके आती , निशि उसको पूरा मान सम्मान देती, आगे बढ़कर उनके और बच्चों के लिए तोहफे लाती,

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मायके से उसे हमेशा यही सीख मिली थी कि अब तुम्हारा घर ससुराल ही है,पहले वो फिर हम। पर आज जब उसकी भावनाओ की किसी कद्र नहीं हो रही थी, तो क्या वह सबके साथ पहले जैसा व्यवहार कर पाएगी? यह सोच सोच कर वह फूट फूट कर रो रही थी।

हॉल में बैठा उसका पति राहुल भी निशि की हालत को महसूस कर रहा था,राहुल ने कुछ सोचकर मां से बोला, मां आपको याद है,आज से दो वर्ष पूर्व जब निशि के मामा के बेटे का विवाह था और वह विवाह में इसलिए शामिल नहीं हो पाई थी क्योंकि हमारी दादी जी नहीं रही थी

तब सबने उसे विवाह में जाने से मना कर दिया था, स्वयं  उसने गम को  खुशी के ऊपर समझा था पर आज जब उसके  मायके में ग़मी हो गई है तो हम उसे कैसे रोक सकते है। आज उसके मायके का दुख ससुराल  की खुशी से हल्का कैसे हो सकता है मां?,नहीं मां मै यह  अन्याय नहीं सहन कर सकता। मां थोड़ा सोच कर देखो, #”अगर मेरी पत्नी की जगह आपकी बेटी होती तो….”मै और निशि अभी उसके मायके के लिए निकल रहे है और शाम तक लौट आयेंगे।

मेरे लिए भी दोनो घर  एक समान हैं, जहां दुख पहले और सुख बाद मे आता है।

ऋतु दादू 

इंदौर मध्यप्रदेश

#”मां मेरी पत्नी की जगह आपकी बेटी होती तो……”

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