हरीश जी की उम्र रिटायरमेंट की हुई थी वो फोन पर बात करते हुए बहुत ठहाके लगा रहे थे,,,,,,, सामने से उनकी पत्नी मनोरमाजी चाय लेकर आती है,,,,,, वो जान जाती है,,,, कि आज फोन जरुर राघव का है।
राघव हरीश के बचपन के दोस्त थे ,,,,,,,पढाई भी दोनो साथ किये थे तो दोनो मे दोस्ती बहुत अच्छी थी,,,,
हरीश पढने मे बहुत तेज थे,,,,पर घर की स्थिति ज्यादा अच्छी नही थी,,,,,
पापा उसके किसान थे,,और दो बडी बहन थी,,,, घर का ख़र्च बहुत मुश्किल से चल पाता,,,बहन की शादी मे उसकी बहुत जमीन बिक जाती है,,,वो किताब नही ले पाता था,,, जिससे उसकी पढाई पर बहुत असर होता था, पर अक्सर राघव उसकी मदद करता ,,,,,उसे अपनी किताबे भी नोट्स बनाने के लिए देता और कभी कभी तो उसकी फीस भी दे देता ।
गाँव की पढाई पूरी करने के बाद दोनो कालेज मे नाम लिखा कर पढने जाया आया करते थे,,,दोनो राघव की साईकिल से जाते थे,,,,, दोनो की कॉलेज की पढाई पुरी हो जाती है,कॉलेज मे एक सवीता नाम की लडकी भी पढने आती थी,,,जिसको राघव पसंद करने लगा था,,,,पर वो कभी बता नही पाते एक दूसरे को,,,,,, हरीश पढने मे तेज था और राघव की आर्थीक मदद करने की वजह से वो एक आफिसर बन जाता है।
हरीश की शादी के लिए जिस लडकी का फोटो आया उसको देखकर हरीश चौक जाता है, क्योकि वो लडकी सवीता थी,,,, हरीश राघवकोसारी बात बताता है तो राघव निराश हो जाता है,,अब हरीश को समझ मे नही आ रहा था कि वो क्या करे ,,,,?? शादी की तारीख भी पक्की हो जाती है,,,,,, एक दिन अचानक से एक खत हरीश के नाम पर आता है,,,,, वो खत सवीता का था,,, जिसमे वो लिखी थी कि वो राघव को पसंद करती है,,,,,
एक दिन हरीश हिम्मत करके सवीता के घर जाकर कहता है कि वो सवीता के साथ मंदिर जाना चाहता है,,,, सवीता के घरवाले जाने देते है,,,,, वहां उसने राघव को पहले से ही बुला रखा था,,, उसने दोनो की शादी करा दी,,,,राघव और सवीता को लेकर हरीश जब सवीता के घर जाते है तो सवीता के घरवाले नाराज हो जाते है,,,,,
सवीता के पिता बहुत गुस्सा करते है,, पर हरीश आगे आकर सारी बाते बताता है,,,,,, और सबसे कहता है कि दोनो एक दूसरे को पसंद करते है,,,,,, ये जानकर कैसे मैं शादी कर लेता ,,,,,,,फिर मुझे यही सही लगा ,,,,, और मैंने दोनों की शादी करा दी,,,,, और हरीश सविता के पापा को भी मना लेता है,,,,, और राघव और सविता को आशीर्वाद दिलवाता है ,,,,,,,फिर हरीश की तय तारीख पर हरीश की शादी सविता की बुआ की बेटी मनोरमा से हो जाती है और दोनों अपनी अपनी जिंदगी में खुश हो जाते हैं |
दोनों के घर नन्हे मेहमान आगमन होनेवाला रहता है ,,,,,, दोनों बहुत खुश रहते हैं,…. फिर अचानक से एक दिन राघव की पत्नी सविता को बहुत तेज दर्द होता है,,,,,, और उसको अस्पताल लेकर जाया जाता है,,,,,, अस्पताल में उसे मृत बच्चा पैदा होता है जिसके कारण वह बहुत दुखी होती है । इधर हरीश को एक पुत्र की प्रप्ति होती है,,,,,
सविता फिर दूसरी बार मां बनने वाली होती है,,… और इस बार उसका पैर फिसल जाता है वह गिर जाती है ,,,,,,उसके शरीर से खून बहने लगता है उसको अस्पताल लेकर जाया जाता है,,,,, और फिर डॉक्टर को बुला कर कहता है ,,,,,,,कि सविता तो बच गई पर यह कभी मां नहीं बन पाएगी ,,,,,,,,यह सुनकर राघव बहुत उदास हो जाता है ,,,,,,,,,और इधर सविता को यह बात पता चलती है तो बहुत दुखी रहने लगती है|
इधर हरीश को दूसरी बार फिर पुत्र की प्राप्ति होती है ,,,,,तो मनोरमा के साथ वो राघव के घर आता है,,,,, और अपने नन्ही सी जान को सवीता के आँचल मे डाल देता है,,,,,और कहता है कि आज से ये आपका ,,, आप और राघव भाई ही इसके माँ बाप हो,,,,,,सवीता रोने लगती है,,,,और हरीश को कहती है ,,,,,,कि आप हमारे भगवान हो एक बार आपने मुझे राघव दिया था और आज मुझे अपना बेटा,,,,,मै कैसे ये एहसान उतार पाउंगी|
तब हरीश उसका हाथ पकड लेता है ,,,,,,और कहता है कि राघव केवल मेरा दोस्त नही बल्कि भाई भी है,,,,, और आप मेरी बहन हो,,,,,और हाँ मैने कोई एहसान नही किया ,,,,,बल्कि आप दोनो को खुश रखने के लिए ही भगवान ने हमे दुसरी सन्तान दी है,,,,,,, राघव ने मेरे लिए बहुत कुछ किया है आज मेरी बारी है उसको खुश रखने की और आपको ।
सवीता बहुत खुश हो जाती है ,,,,,और हरीश के गले लग कर कहती है कि इसबार रक्षाबंधन पर अपने भाई हरीश को राखी जरुर बाधेगी,,,,, और रक्षाबंधन के दिन वह हरीश को राखी बांध कर अपना भाई बना लेती हैं|
राघव हरीश को गले लगाता है,,,और कहता है कि उसके जिन्दगी मे जो कुछ है वो हरीश तुम्हारे वजह से है,,,,,,,और राघव और सवीता की जिन्दगी बदल जाती है,,,,,, घर मे नन्हे बच्चे की वजह से और उनकी जिंदगी खुशहाल हो जाती है।
हरीश और मनोरमा हसते हुए घर आते है,,,,,हरीश के चेहरे पर बहुत खुशी के भाव थे,,,,अब दोनों दोनों की दोस्ती और भी प्रगाढ़ हो जाती है ।
मीनाक्षी राय की कलम से स्वरचित