शशि इस बार दो साल बाद मायके आई थी टैक्सी से उतरते समय अनायास उसकी निगाह सामने वाले घर की तरफ चली गई सामने एक सुंदर लड़की बालकनी मैं चाय पी रही थी शशि के चेहरे पर उदासी की लकीरें आ गई और नम आंखों से वो घर आ गई
मां से पता चला की वो राजीव की पत्नी सुरभी है बहुत ही मिलनसार स्वभाव है सुनकर शशि को खुशी हुई सबसे मिलकर फ्रेश होने अपने कमरे मै आ गई आज फिर उसको अपने साथ गुजरी घटनाएं याद आने लगी
साथ ही दुख भी हुआ की कैसे लोगों की सोच ने उसकी दोस्ती के रिश्ते को दागदार बना दिया
शशि और राजीव बचपन से ही एक ही स्कूल मैं पढ़ते है
दोनों परिवार मैं भी काफी घनिष्ठता थी दोनों अक्सर साथ ही रहते थे पढ़ना ,घूमना बगेराह जैसे जैसे बड़े हुए
तब भी यही चल रहा था
शशि और राजीव ने एक ही कॉलेज मैं एडमिशन लिया राजीव ही शशि को लाता और ले जाता था धीरे धीरे मोहल्ले मैं दोनों के रिश्ते को ले कर काना फूसी होने लगी और बात बढ़ते बढ़ते दोनो परिवार तक पहुंच गई
दोनों के परिवार ने आपस मै बात करी की अगर तुम लोग प्यार करते हो तो एक दूसरे से शादी कर लो तब
शशि बोली वो एक लड़के से प्यार करती है राजीव ये बात जानता है
तब राजीव की मां बोली तो तुम क्या मेरे बेटे का इस्तेमाल कर रही हो कल को बात फैल गई तो उसकी शादी मैं दिक्कत आएगी बेहतर होगा तुम दूर रहो
राजीव और शशि ने बहुत समझाया की लड़का लड़की दोस्त नही हो सकते क्या क्यों लोग हमेशा इस रिश्ते को दागदार बना देते है पर उन्हे समझ नही आया और बात इतनी बढ़ गई की दोनो परिवार मैं हमेशा के लिए दूरी आ गई शशि ने राजीव की भलाई के लिया मिलना छोड़ दिया और पढ़ाई खत्म होते ही शादी करके चली गई पर जब भी मायके आती तो राजीव से मिलने का मन करता एक दोस्त को खोने का दुख था उसे
मां की आवाज से यादों से बाहर आई शाम को सुरभी को अपने घर देख शशि डर गई की इसको भी शक है क्या
सुरभी बोली राजीव ने मुझे सब बता दिया है और मैं चाहती हूं आप दोनो फिर से दोस्त बन जाओ इसलिए आपको खाने पर बुलाने आई हूं इस बहाने दोनों परिवार एक हो जायेंगे और जो दाग लगा है दोस्ती पर वो भी मिट जायेगा क्योंकि मैं जानती हूं दोस्ती का रिश्ता बहुत खास होता है और दूर होने पर दुख होता ही है
शशि खुशी से सुरभी के गले लग गई बोली आज मेरे दिल से बोझ उतर गया अपने दोस्त को खोने का
#दाग
स्वरचित
अंजना ठाकुर