दोस्ती हो तो ऐसी – मनीषा भरतीया

दोस्तों दोस्ती का रिश्ता ही ऐसा होता है …जो इंसान अपनी मर्जी से बनाता है…..बाकी सारे रिश्ते जैसे माता-पिता ,भाई-बहन, दादा-दादी यह सब तो हमें विरासत में मिलते हैं…जिसे हम चुन नहीं सकते… दोस्ती इंसान की कहीं भी किसी से भी कभी भी हो सकती है…. यह अमीरी गरीबी ,छोटा बड़ा ,ऊंच -नीच के भेद भाव से परे होती है….

क्योंकि यह दिल से जुड़ी होती है…. चलिए आज आपको दो सहेलियों की मिसाल कायम करने वाली खूबसूरत दोस्ती की कहानी की ओर ले चलते हैं…. 

चांदनी और रागिनी दोनों बहुत ही अच्छी सहेलियां थी…..दोनों एक ही मकान में रहती थी….और एक ही स्कूल में पढ़ती थी…. साथ साथ खेलना साथ-साथ टिफिन करना एक दूसरे से हर बात शेयर करना सब कुछ…. यूं तो उन दोनों के स्कूल में भी बहुत मित्र थे लेकिन उन दोनों की मित्रता जैसी और किसी से भी उनकी मित्रता नहीं थी….

दोनों में अगाढ़ प्रेम था…दोनों एक दूसरे से मिले बिना एक दिन भी नहीं रह सकती थी…एक अगर दुखी होती तो दूसरी भी  उसके दुख से रो पड़ती.. दोनों का एक दूसरे के घर आना-जाना था…और दोनों परिवारों में भी  मैत्री संबंध थे….. सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था….दोनों ने आठवीं तक पढ़ाई भी कंप्लीट कर ली थी लेकिन अचानक चांदनी के जीवन में भूचाल आया….

चांदनी की मां को कैंसर हो गया और वह असमय ही चल बसी इस बात का चांदनी के दिमाग पर गहरा असर हुआ और वह सदमे में आ गयी…. रागिनी ने भी उसे रूलाने की बहुत कोशिश की…. पर नाकाम रही…. शायद माँ के जाने का दुख उस पर हावी हो गया था… रागिनी से यह सब कुछ देखा नहीं जा रहा था….

उसकी हालत देखकर उसे रोना आ रहा .. . उसे जबरदस्ती खाना खिलाती… उसके साथ खेलती… लेकिन सब व्यर्थ था…. वो एकदम चुपचाप रहने लगी…

दोस्त की ऐसी हालत देख रागिनी एकदम सूखने लगी…. तब सबने रुपेश जी (चांदनी के पापा )को  सलाह दी…कि उन्हें दूसरी शादी कर लेनी चाहिए जिससे कि बच्ची को मां मिल जाएगी…. और प्यार पाकर बच्ची ठीक भी हो जाएगी….. इसलिए ना चाहते हुए भी रुपेश जी ने मंदिर में तलाकशुदा औरत से शादी कर ली जिसकी पहले से एक बेटी थी…. 

चांदनी की जिंदगी की मुश्किलें अब और भी बढ़ गई थी …सौतेली मां चांदनी से सौतेला व्यवहार करती…ना उसे खाना देती ना ही उसके सर पर कभी प्यार से हाथ रखकर दुलार कर दी बस पागल पागल कह कर उसे जब देखो मारती रहती…. और रागिनी से भी मिलने नहीं देती.. . .. यह सब देखकर रागिनी को बहुत दुख हुआ उसकी आंखों से निर्झर आंसू बहने लगे….

उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था…. जैसे किसी ने उसके शरीर में हजारों कांटे चुभो दिये हो…


जब रागिनी और उसके परिवार वालों ने चांदनी के पिता से उसकी सौतेली मां की सच्चाई बतानी चाही…. तो उन्होंने यकीन नहीं किया और कहने लगे कि चांदनी की मां के जाने के बाद चांदनी पर उसका गहरा असर हुआ है जिसकी वजह से वह पागल हो गई है… अपने आप को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करती रहती है

और जो भी उसे रोकने की कोशिश करता है उसे मारने लगती है…. इसे मेंटल एसाइलम भेजना पड़ेगा…. मैं अपनी एक बेटी की वजह से दूसरी की जान खतरे में नहीं डाल सकता…. 

अब रागिनी ने रोते रोते कहा अंकल ऐसा नहीं हो सकता चांदनी पागल नहीं है बस उसे थोड़ा सदमा लगा है और थोड़े से प्यार की जरूरत है…. बहुत जल्द वह ठीक हो जाएगी…. आंटी झूठ बोल रही है आप तो काम पर चले जाते हैं….. वह पीछे से चांदनी पर अत्याचार करती है….

रागिनी के माता पिता ने भी रागिनी की बात का समर्थन करते हुए कहा रागिनी सही कह रही है…. उन्होंने कहा भाई साहब एक बार रागिनी की बात पर ही भरोसा कर के देखिए….मेरी बच्ची झुठ नही कह रही…आप तो जानते है…कि ये सहेलियाँ कम बहन ज्यादा है….और अगर आपको पता करना है

तो आप 12:00 से 12:30 के बीच में घर आइए आपको सब कुछ पता चल जाएगा…. तब रूपेश ने कहा ठीक है आप लोग कह रहे हैं तो मैं ऐसा ही करूंगा…..

दूसरे दिन रुपेश करीब  दोपहर 12:20 पर घर पहुंचा…. तो देखा घर में चांदनी पोछा लगा रही है और दोनों मां बेटी बदाम केसर का दूध और ड्राई फ्रूट खा रही थी…. और साथ ही साथ अपनी कुटिलता पर हंस रही थी देखा बेटी हम दोनों ऐश कर रहे हैं और यह नौकरानी की तरह काम कर रही है…

इसके पिता को इसे पागल बताकर इसे मारते रहते है… और सारा इल्जाम भी इसी पर ठोक देते हैं… अचानक रूपेश को देखकर दोनों बुरी तरह से डर गई. … अरे आप आज इतनी जल्दी आ गए. … तब रूपेश ने कहा जल्दी नहीं यह कहो कि आज मेरी आंखें खुल गई. …

तुम दोनों की बातों में आकर मैं अपनी फूल सी बच्ची को मेंटल एसाइलम भेजना चाहता था….. यह तो अच्छा हुआ कि भगवान ने मेरे हाथों अनर्थ होने से बचा दिया…. 

लाखों की जायदाद अकेले हजम करने के लिए तुम मां बेटी ने मेरी बेटी को पागल बनाने की कोशिश की और उस पर अत्याचार किया निकल जाओ मेरे घर से….. 

रुपेश ने अपनी बेटी चांदनी को उठाया और अपने गले से लगा लिया…. और उससे माफी मांगी बेटा मुझे माफ कर दे…. फिर उसने

रागिनी और उसके घर वालों को बुलाया और और उनका भी शुक्रिया अदा किया उसकी आंखों पर चढ़ी पट्टी को उतारने के लिए…. 

आज दोनों सहेलियाँ गले मिलकर लिपट लिपट कर खूब रोइ जैसे बरसो बाद मिली हो…और दोनों की आंखों में खुशी के आंसू थे…. 

आज रागिनी की आंखों में सुकून था कि उसने अपनी प्यारी सहेली को वापस पा लिया….. और उसे उसकी सौतेली माँ से बचा लिया…तो दोस्तों कैसी लगी आपको चांदनी और रागिनी की दोस्ती…

क्या आपकी भी ऐसी ही कोई दोस्त है?? अगर है तो जरूर मुझे बताए… और हाँ दोस्ती हो तो ऐसी हो इस बात से इतेफाक रखते है… तो मेरी कहानी को लाइक और शेयर जरूर करें… 

#दोस्ती_यारी 

स्वरचित

 

© मनीषा भरतीया

 

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