दोस्ती -एक अनमोल रिश्ता – मीनाक्षी सिंह

बात उन दिनों की हैं जब मैं 11वीं में पढ़ती थी !मेरी श्रद्धा नाम की एक खास  सहेली थी ! मैने बायोलोजी विषय ले रखा था और

श्रद्धा ने गणित  ! वो जब भी अपनी गणित की क्लास के लिए गणित की लैब में जाती तो मुझे बहुत गुस्सा आता क्योंकी मुझे लगता कि  वो मुझसे दूर हो गयी  हैं और अब अपनी गणित की टॉपर विजयलष्मी से बात करेगी ! श्रद्धा ये बात समझने लगी थी !

कुछ दिनों बाद मेरा जन्मदिन आया और जब मैं स्कूल पहूँची तो क्लास में ज़ाते ही तालियों की आवाज सुनायी दी ! और बौर्ड पर “हैप्पी बर्थडे मीनाक्षी ” लिखा हुआ था और बहुत ही प्यारी सी शायरी लिखी  हुई थी ! नीचे “लव यू  ” लिखा था ! 

अंत में श्रद्धा  लिखा था ! मैं अंदर  से तो बहुत खुश थी  पर जाहिर नहीं कर रही  थी ! उसके बाद पूरा दिन कुछ ना कुछ स्पेशल  करती रही वो!मेरा  हाथ पकड़े बैठी रही ! और तो और गणित की क्लास में भी नहीं गयी थी! बहाना लगा दिया तबियत सही नहीं !

हैड  डॉउन करूँगी ! मेरे लिए लंच में पास्ता बनाके  लायी और आलू की कचौरी ! छोटा  सा  केक ,चाकू ,गुब्बारे , कैंडल और छोटी सी इत्र की शीशी ! और  गाना भी गाया ! कहती मीनू  तेरे लिए कितने दिनों से पैसे जोड़ रही थी ! और रोने लगी कि तुम मुझसे  नाराज क्यूँ हो! मैने कहा तुम बायोलोजी नहीं ले सकती  थी  ! 

तुम्हारा विजय  के साथ  बैठना मुझे  बिल्कुल अच्छा नहीं लगता ! कहती मुझे तेरी तरह अच्छे चित्र  बनाने नहीं आते यार ! एक ही क्लास की तो बात हैं ! हम दोनो एक दूसरे के गले लग गए ! लेकिन फिर भी मुझे उसका गणित क्लास में जाना अच्छा नहीं लगता था !

अब बौर्ड परिक्षा  भी पास आ रही थी ! वो गणित के अभ्यास के लिए विजय के पास ज्यादा बैठने  लगी ! होली आने वाली थी ! सबने कहा अब इसके बाद हम नहीं मिल पायेंगे सब रंग लेकर  आयेंगे !



 मैं गुस्से में होली वाले दिन नहीं गयी ! श्रद्धा  ने मेरे पडोस की लड़की के हाथ एक बड़ा सा लेटर भिजवाया  ! वो बहुत बड़ा पत्र था काफी कुछ  लिखा  था उसमे ! और माफी तो ना जाने  कितनी बार मांगी थी ! बहुत  ही मेहनत से सजाया था उसने उसे !

मैं बहुत रोयी  उस दिन स्कूल ना जाने  के लिये ! उसका शाम को फ़ोन आया ! हम दोनो एक घंटे तक बात करते रहे ! मैने उसे बताया पेपर के बाद मैं पापा के साथ  पटियाला चली जाऊंगी! वो हमारी  लास्ट  मुलाकात थी ! 
पापा का तबादला हो गया हैं ! वो बहुत दुखी हो गई ! फिर परिक्षा  के बाद हम पटियाला आ गए ! और मेरा श्रद्धा  से सम्पर्क टूट गया ! तीन साल बाद उसका फ़ोन  आया ! कहती  मीनू  मेरी शादी हैं ! तुम्हे  जरूर आना हैं ! मैने  कहा इतनी जल्दी ! उसने कुछ नहीं कहा कहती बस  आ जाना ! फिर फ़ोन काट दिया ! मेरी स्नातक की परिक्षायें  चल रही थी ! मैं नहीं जा पायी !

 और फिर हमारी फिर बात नहीं हो पायी कभी ! 2014 में मेरा विवाह हो गया ! और मेरे पिताजी का स्वर्गवास  भी ! मेरी माँ की पेंशन का काम बैंक वाले नहीं कर रहे थे क्योंकी बैंक गांव  में था !सब  अपनी मर्जी  के मालिक थे ! मैं और माँ बहुत चक्कर  लगाते पर काम नहीं हो रहा था ! एक दिन बैठे – बैठे  मैं श्रद्धा वर्मा के नाम से सर्च करने का प्रयास कर रही थी !

 तभी मुझे श्रद्धा  दिखी ! मैं बहुत खुश हुई ! मैने उसे मेसेज किया पर उसने नहीं देखा ! फिर एक वीक  बाद उसकी वाल पर लिखा – हाय ,श्रद्धा ! मैं मीनाक्षी ! ये मेरा नंबर हैं !उसका चार दिन बाद फ़ोन आया ! खूब गुस्सा हुई  शादी में मेरे ना जाने की वजह से ! फिर हमारी लम्बी बातचीत  चली ! मैने  पापा के बारे में बताया और बैंक के  काम के बारे में भी !

 कहती  पागल इतने परेशान  हुए तुम और आंटी ! मैं 6 साल से एसबीआई  बैंक में ही मैनेजर हूँ !  और जोधपुर में हूँ ! उसने वही से अगले दिन फ़ोन करके सारे काम करा दिये ! और माँ का खाता भी माँ के शहर  में  करवा दिया !

उसके बाद हमें कोई दिक्कत नहीं आयी ! उसके पति  वायु सेना में हैं ! और एक प्यारी सी बेटी की माँ हैं  वो ! मैं सरकारी टीचर हूँ ! और दो बच्चों  की माँ हूँ ! और मेरी शत्रु  विजय एनडीए  करके अधिकारी बन गई हैं ! मेरा श्रद्धा से आज भी वैसा ही रिश्ता हैं ! वो मेरे स्कूल की फोटोस  देखती हैं तो बहुत खुश होती हैं ! कहती मेरी दोस्त बच्चों को पूरे दिल से पढ़ाती  हैं !

साथियों  दोस्ती हो तो ऐसी ज़िसमे कोई जलन ना हो और प्यार दिल का हो ! मेरा  श्रद्धा से अनमोल रिश्ता इस  जन्म में तो बना ही रहेगा ऐसी भगवान से कामना हैं !

स्वरचित

मीनाक्षी सिंह

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