जतिन और नितिन दोनों बचपन के दोस्त थे। दोनो साथ-साथ खेले कूदे। स्कूल कालेज तक की पढ़ाई भी साथ में पूरी की। दोनों होनहार थे इसलिए दोनों की सरकारी नौकरी भी लग गई।
जतिन नितिन एक दूसरे से अपनी हर बात साझा करते थे,एक दूसरे के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते थे।
दोनो की शादी हो गई। जतिन की पत्नी का नाम जुही और नितिन की पत्नी का नाम नीना था।
जुही नीना की भी अच्छी दोस्ती हो जाती। इससे जतिन, नितिन की दोस्ती और मजबूत हो गई।
जुही गार्डन में पौधो की देखभाल कर रही थी अचानक उसको चक्कर आया…वह बेहोश होकर गिर गई। डाक्टर को दिखाया, डाक्टर ने कुछ टेस्ट लिख दिए। जतिन ने सभी टेस्ट कराया जब रिपोर्ट आई तो डाक्टर ने जतिन को केविन में बुलाया और बताया कि जुही कभी मां नही बनी पाएगी।
जतिन केविन से बाहर आता है देखता है जुही खड़ी है उसकी नम आंखें देखकर जतिन जुही को सीने से लगा लेता है।
नितिन, नीना को जब यह बात पता चलती है तो वे भी बहुत दुखी होते है। नीना जुही को दिलाशा देती है, “जुही सब ठीक हो जाएगा…मेरा विश्वास करो देखना एकदिन तुम्हारी गोदी मे बच्चा जरुर खेलेगा “
शाम का समय था आसमान मे लालिमा छाई हुई थी । झेगूर का झुन-झुन स्वर वातावरण मे गूंज रहा था।
जतिन जुही, नितिन के घर पर ही गार्डेन मे बैठे थे…नीना चाय पकौड़ी बना कर लाती है। हंसी मजाक के साथ चारों लोग चाय पकौड़ी का आनंद लेते है।
थोड़ी देर बाद नीना और जुही घर के अंदर आ जाती है। नीना को चक्कर आता है…वह बेहोश हो जाती है। नितिन तुरंत डॉक्टर को फोन करता है। डाक्टर साहब आते हैं और नीना को देखते है।
“नितिन जी बधाई हो आप बाप बनने वाले है” – डाक्टर साहब मुस्कुराते हुए बोले
सभी के चेहरे पर कान्ति छा जाती है। जतिन जुही भी नितिन को बधाई देते है।जुही बहुत खुश थी परंतु उसके हृदय मे मां न बन पाने की एक टीस सी उठती है।वह अपने मन को समझाती है और नीना के पास जाकर बैठ जाती है उसका ख्याल रखती है।
नौ महीने के बाद नीना को आपरेशन से दो जुड़वा बेटियां होती है। नितिन बेटियों को पाकर बहुत खुश होता है। जतिन जुही भी नितिन को बधाई देते हैं।
इधर बेटियों को जन्म देने के बाद नीना को होश नही आता, सभी लोग बहुत परेशान हो जाते है।
“परेशान होने की कोई बात नही है सब ठीक हो जाएगा बस थोड़ा सा समय लगेगा ।” – डाक्टर साहब ने कहा
नितिन नीना की देखभाल करने के लिए आफिस से छुट्टी ले लेता है।
जुही दोनो बच्चियों को अपने घर ले आती है, बच्चियों की सेवा करते करते उसे ऐसा महसूस होने लगता है जैसे वो दोनो उसकी अपनी बेटियां हैं और वो उनकी मां है।
जुही जतिन दोनो बच्चियों के साथ बहुत खुश थे। नीना के स्वास्थ्य में भी धीरे-धीरे सुधार हो रहा था।
नीना की तबीयत जब पूरी तरह से ठीक हो जाती है तब डाक्टर नीना को डिस्चार्ज कर देते हैं। नितिन नीना को लेकर घर आ जाता है।जुही जतिन भी दोनो बेटियों को लेकर नितिन के घर पहुंचते है।
नीना नजरें दौड़ाती है देखती है एक बेटी नितिन के गोद मे और दूसरी बेटी जुही की गोद मे है। दोनों बेटियों को स्वस्थ देखकर नीना खुश होती है।
नीना बच्ची को लेने के लिए अपनी दोनो बाहें जुही की तरफ फैला देती है।जुही नीना की फैली बाहों को अपनी तरफ देखकर सहम जाती है उसे ऐसा लगता है जैसे उसकी बेटी को उससे कोई छीन रहा है।जुही धीरे-धीरे आगे बढ़ती है और बच्ची को नीना की गोद मे दे देती है।
“जुही की आंख भर आती है, कोई देख न ले इसलिए जुही बाहर आ जाती है। जतिन समझ जाता है इसलिए जतिन बाहर आ कर जुही को ढांढस देता है।
“जुही एक दिन हमें उस बच्ची को वापस तो करना ही था हम तो उसके मां बाप है नही।”- जतिन ने कहा
“लेकिन जतिन मै बच्चियों के बगैर कैसे रहूंगी।”- जुही कहती है
“जुही जतिन के गले लगकर रोने लगती है, जतिन का भी गला भर आता है।”
“तभी नितिन और नीना बाहर आ जाते हैं।”
“किसने कहा तुम बच्चे के बगैर रहोगी। इसे पकड़ो यह अब तुम्हारी बेटी है और तुम इसकी मां हो। तुमने मेरी बेटियों को मां का प्यार दिया है इसलिए इन पर तुम्हारा पूरा अधिकार है।एक बेटी तुम्हारे पास और एक बेटी मेरे पास।शायद भगवान ने इसीलिए मुझे दो जुड़वा बच्चे दिए।”- नीना ने कहा
“नीना मै तुम्हारा एहसान कभी नही भूलूंगी।”- जुही ने कहा
“एहसान तो तुमने किया है मुझपर यदि तुम मेरी बेटियों को नही संभालती तो बिन मां के मेरी बेटियों का क्या हाल होता।”- नीना ने कहा
“यार तुने और भाभी ने इस मुसीबत की घड़ी मे जिस तरह हमारा साथ दिया है उसका एहसान मैं कभी नहीं चुका पाऊंगा।”- नितिन ने कहा
“यार इसमे एहसान की क्या बात है ये तो मेरा फर्ज था। एहसान तो तूने मुझ पर किया है मुझे बाप बना दिया।”- जतिन ने कहा
“दोनो एक दूसरे के गले लग जाते हैं और पूरा वातावरण खुशी से गुंजायमान हो जाता है।”
#दोस्ती_यारी
प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’
प्रयागराज उत्तर प्रदेश