पूजा जिस दिन से शादी हो कर आई तभी से उसकी सास निर्मला जी जल्दी से दादी बना दो बस यही बात कहती रहती जिसे सुनकर पूजा शरमा कर रह जाती। लेकिन जैसे जैसे वक्त बीत रहा निर्मला जी अब बात से जिद्द पर आ गई दो साल हो गए थे अब पूजा को भी लगा कि क्या कारण है जो वो मां नहीं बन रही उसने अपनी पति सुरेश के साथ डॉक्टर को दिखाने है सारी जांच मैं पता चला कि सुरेश के अंदर कुछ कमी है वो पिता नहीं बन सकता जिसे सुनकर सुरेश का दंभ जाग गया उसे लगा कि ये बात बाहर आ गई तो सब उसका मजाक उड़ाएंगे उसने पूजा को कसम दी कि ये बात किसी से ना कहे पूजा ने भी वादा किया कि ये बात अपने तक रखेगी ।
निर्मला जी को जैसे ही पता चला पूजा मैं कुछ कमी है तो उनके ताने शुरू हो गए ये बांझ हमारे पल्ले बांध दी उन्होंने डॉक्टर से ले कर झाड़ फूंक तक करवा ली मगर असर कैसे होता क्योंकि कमी उसमें नहीं थी ।समय के साथ पूजा के देवर की शादी हो गई उसकी देवरानी निशा बहुत समझदार थी
वो पूजा का दर्द समझ रही थी पर क्या कर सकती सच्चाई उसे भी नहीं पता थी जब निशा ने मां बनने की खुश खबरी सुनाई तो पूरे घर मैं खुशी छा गई निर्मला जी के पांव तो जमीन पर नहीं पड़ रहे पूजा भी बहुत खुश थी लेकिन उसका दर्द जब बढ़ गया जब उसे निशा से दूर रहने को कहा गया ।क्योंकि सास नहीं चाहती उसका मनहूस साया उस पर पड़े पूजा सुरेश के सामने फफक कर रो पड़ी लेकिन सुरेश अपने दंभ मैं कुछ बोल नहीं रहा उसे पूजा का दर्द दिख रहा था पर अहसास नहीं हो रहा था कि बिना गलती के उसे कितनी बड़ी सजा मिल रही और यदि ये सच भी होता की पूजा मां नहीं बन सकती तो भी इसमें किसी का क्या दोष ।
पूजा का काम घर की जिम्मेदारी तक रह गया कोई मिलने आता तो उसको अभागन कह कर चला जाता पूजा अंदर ही अंदर घुलने लगी अपना दर्द किसी से बांट भी नहीं सकती ।
निशा ने एक प्यारे से बेटे को जन्म दिया ये बात सुनकर पूजा बहुत खुश हुई कि अपने दर्द बच्चे के साथ बांट लेगी लेकिन सास का अंधविश्वास आगे आ गया उसने साफ मना कर दिया कि बच्चे के आसपास मत आना और निशा के भी कान भर दिए ममता मै आ कर निशा भी पूजा से दूर हो गई ।
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अपने अनकहे दर्द के साथ पूजा जिंदा तो थी पर उसका उत्साह खत्म हो गया सुरेश भी उसकी तकलीफ नहीं समझ रहा था अब पूजा दोहरे दर्द मै जी रही थी ।पर आज जब हद्द हो गई तो उसका गुबार फूट गया और अनकहा दर्द बाहर आ गया निर्मला जी सुरेश की दूसरी शादी की जिद्द पर अड़ी थी पर सुरेश मना कर रहा था जिस कारण निर्मला पूजा को ताना देते हुए बोली ये बांझ जब तक रहेगी तब तक मेरा बेटा राजी नहीं होगा बेचारा इसके कसूर की सजा भुगत रहा है ये नहीं कहीं मर जाए जा कर सुरेश सामने खड़ा हो कर सुन रहा
उसने मां को रोकने की भी कोशिश नहीं करी ।पूजा ने भी आखिर सच बोल ही दिया कि कमी उसमें नहीं उनके बेटे मै है और वो उनकी इज्जत की खातिर चुप थी। लेकिन इन्हें मेरे त्याग और दर्द की कोई चिंता नहीं इन्हें अपनी इज्जत की चिंता है और मेरी इज्जत की कोई परवाह नहीं और मुझमें भी कमी होती तो ये क्या अपने हाथ में होता है।कौन सी औरत मां बनना नहीं चाहती पर उसके दर्द को एक औरत ही नहीं समझती एक दर्द तो वो झेल भी ले यदि अपनों का साथ मिल जाए पर अपने ही उसे दोहरा दर्द देते है ।में निशा के बच्चे मैं अपनी खुशी ढूंढ रही थी पर आपने वो भी छीन ली ।क्या माता पिता बनने से ही पति – पत्नी का रिश्ता बना रहता है फिर तो मै भी छोड़ देती ।
निर्मला जी और सुरेश दोनों चुप हो गए उन्हें अपनी गलती समझ आ गई थी ।।
दोस्तों कई दर्द ऐसे होते है जो अनकहे रह जाते है कभी इज्जत की चिंता , कभी अपनों की दूरी की वजह से पर इसके जिम्मेदार हम सभी होते है क्योंकि हम सामने वाले की स्थिति समझने की कोशिश नहीं करते बस अपनी खुशी देखते है ।ये गलत है क्योंकि ये दर्द इंसान को खोखला कर देते है आप लोगों के क्या विचार है कृपया अपनी राय अवश्य दें
स्वरचित
अंजना ठाकुर
#अनकहा दर्द ।