दोहरी मानसिकता – सपना शिवाले सोलंकी

ये लीजिए आपका मोबाईल कहकर बिटिया ने पापा के हाथ में मोबाईल थमा दिया। उसके चेहरे की उदासी को देख पिता ने  पूछा, ” सब ठीक तो है “

” जी पापा , बस आपसे एक बात पूछनी थी “

” हाँ बेटे बोलो”

“जी पर आप मुझपर गुस्सा तो नहीं करेंगे “

“बिल्कुल गुस्सा नहीं करूँगा अब बताओ”

“पापा, मयूरी आँटी का ड्रेसिंग सेन्स आपको पसँद है…”

इस अप्रत्याशित प्रश्न की तो पिता ने कल्पना भी नहीं की थी थोड़ा सकुचाते हुए पूछा,” क्या हुआ बेटा…”

” जी कुछ नहीं बस आप से जानना चाह रही थी “

“बेटे, मयूरी बहुत ही आधुनिक महिला है बड़े शहर में पली बढ़ी है कॉन्वेन्ट एजुकेटेड है आर्थिक रूप से वह स्वतंत्र है उसका अपना एक स्टाइल है… “

“सॉरी पापा,पर आपनें मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया…”

“बेटे कहा तो उसका स्टाइल उसका पहनावा उसके स्वभाव के अनुरूप है “

” क्या मैं व मम्मी उस तरह के कपड़े पहनेंगे तो आपको अच्छा लगेगा “

सुनकर ,पिता हड़बड़ा गए फिर खुद को संयत करते हुए कहा,

“हम अलग लोग है हमारा रहन सहन अलग है मयूरी से क्यों तुलना कर रही हो?”

” पापा मैं तो सिर्फ आपसे जानना चाह रही हूँ…”

“शायद नहीं…! मुझे कदापि अच्छा नहीं लगेगा… तुम या तुम्हारी मम्मी का मयूरी की तरह पहनावा”

” ठीक है पापा ,बस एक रिक्वेस्ट  करनीं है । यदि आप अपनी वाईफ व बेटी को उस तरह के कपड़ों में नहीं देख सकते तो प्लीज़ मयूरी आँटी को सोशल मीडिया में पब्लिकली वेरी ब्यूटीफुल, स्टनिंग, गॉर्जियस जैसे कमेंट्स करना बंद कर दें… “

चौदह वर्षीय बेटी के मुंह से निकले शब्दों के प्रहार से पिता सहम से गये और चेहरे में हवाइयाँ उड़ने लगी।

— सपना शिवाले सोलंकी

 

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