Moral stories in hindi: दीपक-“राशि जल्दी करो यार और कितना टाइम लगाओगी। इतनी जबरदस्त सर्दी पड़ रही है हमें समय से वापस भी आना है भई।”
राशि-“इतना दूर का रिश्ता है, सर्दी के कारण ही मैं आपसे इस शादी फंक्शन को टालने के लिए कह रही थी, पर आप सुनते हैं क्या किसी की। ठंड के मारे हाथ पैर जल्दी जल्दी चल नहीं रहे और आप गाड़ी में बैठ कर हार्न बजाए जा रहे हैं।”राशि ने कार में बैठते हुए कहा।
वे दोनों किसी रिश्तेदार की शादी में जा रहे थे। जनवरी की सर्दी भरी शाम, वो भी दिल्ली शहर का एक दूरदराज स्थित आलीशान विस्तृत फार्महाउस।
दोनों शादी के फंक्शन में पहुंच गए थे। सैकड़ों तरह के व्यंजन, चाऊमीन, पास्ता, मंचूरियन, पनीर की पचासों तरह की वैरायटी, तरह तरह के चावल और कई तरह के मिष्ठान और आखिर में लजीज पान भी।
ठंड में ठिठुरती पर फैशन की मारी महिलाएं। सिर्फ कुछ बड़ी उम्र की महिलाओं ने स्वेटर और शाल ओढ़ रखे थे। दीपक और राशि ने जल्दी से खाने का काम निपटाया और शगुन का लिफाफा देकर वापस निकल पड़े।
रास्ते में उन्होंने देखा कई गरीब लोग सड़क की साइड में कंबल ओढ़े सो रहे हैं और कईयों ने तो सिर्फ चादर ओढ़ रखी है। कुछ लोग अलाव जलाकर बैठे थे।
राशि-“यह लोग कैसे खुले में इतनी ठंड में सो रहे हैं बेचारे। कैसे बर्दाश्त करते होंगे। हमें तो बंद कार में भी ठंड लग रही है।”
दीपक लापरवाही से-“अरे छोड़ो, इन लोगों को आदत पड़ जाती है।”
राशि को गुस्सा आ जाता है और कहती है”मैंने कब से एक पुराना कंबल और कुछ पुराने स्वेटर निकाल कर रखे थे सोचा था कि जब कहीं जाएंगे उससे पहले गाड़ी में रख लूंगी और अगर रास्ते में कोई गरीब मिला तो उसे दे दूंगी। पर आप कहीं भी जाते समय इतनी हाय तौबा मचाते हो कि मैं थैली उठाना ही भूल गई।”
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दीपक-“अपनी गलती मेरे सिर पर मत डालो। याद नहीं है क्या कल एक सगाई में फिर से इसी तरफ आना है, तब दे देना। वैसे भी एक रात में क्या बदल जाएगा।”
राशि-“अरे हां! मैं तो सचमुच भूल गई थी।”
दोनों बातें कर ही रहे थे कि दोनों की नजर साइड में एक पेड़ के नीचे सोए लड़के पर गई, जो कि दूर से देखने में लगभग 18 उन्नीस साल का लग रहा था। ठंड से सिकुड़ कर दोहरा हुआ जा रहा था ।उसने सिर्फ एक पतली सी चादर ओढ़ रखी थी और वह भी जगह-जगह से फटी हुई थी। राशि ने सोचा कि पक्का कल पुराना कंबल इसे ही दूंगी।
दोनों घर पहुंच गए। कपड़े बदल कर फटाफट नरम और उच्च क्वालिटी के कंबल में घुसकर सो गए।
अगले दिन दोनों फिर शाम को सगाई में जाने के लिए तैयार हुए। राशि ने याद से गर्म कपड़ों की थैली और कंबल गाड़ी में रख लिया था। उन्होंने सोचा कि जाते समय यह सामान गरीबों को दे देंगे क्योंकि वापसी में काफी देर हो जाती है।
गाड़ी रोक कर उन्होंने स्वेटर दो-तीन गरीब लोगों को दे दिए, और फिर उस पेड़ के नीचे पहुंचे। वहां कोई नहीं था। उन्होंने थोड़ी दूर बैठे एक व्यक्ति से पूछा-“भैया कल यहां एक लड़का सो रहा था, वह कहां है?”
व्यक्ति-“कौन वह श्यामू?”
राशि -“भैया हमें नाम का तो नहीं पता, पर 18 -19 साल का लग रहा था।”
व्यक्ति-“हां हां वही तो, वह सुबह सब की गाड़ियां साफ करता था। आज सुबह जब उठा नहीं, तो हम सब ने पास जाकर उसे पुकारा पर वह तो शायद ठंड के कारण रात में ही गुजर गया था। उसके बाद हम उस लावारिस को जला आए, बेचारा श्यामू।”
राशि और दीपक यह सुनकर एकदम शॉक्ड हो गए। दोनों की आंखों में दो पल के लिए आंसू भर आए और वह कंबल उसी व्यक्ति को देकर, वे फंक्शन के लिए निकल गए।
राशि को दुखी देखकर दीपक ने कहा-“राशि इतना दुख मत करो, दुखी चेहरा लेकर फंक्शन में जाएंगे तो अच्छा नहीं लगेगा।”
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राशि ने अपने आंसू पोंछ लिए। वहां पहुंचकर पहले वॉशरूम जाकर अपना मेकअप ठीक किया और फिर दोनों मुस्कुराते हुए सबसे मिले। उसके बाद खाना पीना, डीजे पर नाच गाना मस्ती, और फिर शगुन देकर हंसते मुस्कुराते दोनों अपनी कार में आ बैठे।
रास्ते में दोनों भोजन के स्वाद, वैरायटी, हाल की सजावट, लोगों की पोशाक और वहां से मिलने वाली मिठाई और उपहार के बारे में बातें करते रहे और घर आकर हीटर चलाकर, कमरा गर्म किया फिर रजाई में घुस कर आराम से सो गए। अब किसे याद था बेचारा श्यामू और उसकी ठंड के कारण मौत। कितना कुछ बदल गया था एक रात में।
दोस्तों! क्या आपको नहीं लगता कि आज का मनुष्य संवेदनहीन होता जा रहा है।
स्वरचित अप्रकाशित
गीता वाधवानी दिल्ली
#आँसू